मिस इंडिया नहीं बनी लेकिन सबके दिल तक जरूर पहुंची मान्या सिंह

वो  कहते हैं  कि यदि आपके अंदर टैलेंट है और मेहनत है तो कामयाबी आपके कदम जरूर चूमेगी. मान्या सिंह भी एक ऐसी ही कामयाबी का नाम है. दरअसल मिस इंडिया हो या कोई भी ब्यूटी कॉन्टेस्ट हो उसमें अक्सर लोगों की धारणा ये बनती है कि ये अमीरों के लिए होता है जिनके पास पैसे होते हैं वही लोग जा सकते हैं लेकिन यहां बात एक ऐसी लड़की की हो रही है जो एक मिडिल क्लास फैमिली से आती हैं .उनका नाम है मान्या सिंह जो उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले की रहने वाली हैं.वो कहते हैं न की पैसा नहीं आपका टैलेंट बोलता है तो बस कुछ ऐसा ही हुआ है उत्तर प्रदेश की मान्या सिंह के साथ.उनके पिता मुंबई में एक ऑटो ड्राइवर हैं और मां टेलर हैं.आज उनकी बेटी ने उनका सर गर्व से ऊंचा किया है और होगा भी क्यों नहीं क्योंकि बेटी ने काम ही ऐसा किया. मिस इंडिया 2020 में भले ही मान्या मिस इंडिया नहीं बनी लेकिन वो  मिस इंडिया फर्स्ट रनरअप रहीं.जो मान्या के परिवार के बहुत ही गर्व की बात है.

रास्ते आसान नहीं थे मान्या के लिए लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और यहां तक पहुंची. उनकी ये कहानी ऐसी कई लड़कियों के लिए मिसाल साबित हो सकती है जो अपने सपने पूरा करना चाहती हैं औऱ जीवन में कुछ बड़ा करना चाहती हैं.आज जो भी मान्या सिंह के बारे में सुन रहा है या पढ़ रहा है वो उनके बारे में जानने के लिए उत्सुक है.मान्या सिंह इस वक्त सोशल मीडिया पर इतनी फेमस हो रही हैं कि उनके बारे में हर कोई जानना चाहता है.

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मान्या सिंह का जीवन भी संघर्षों से भरा रहा है. यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की है.क्योंकि एक ऐसा देश जहां अभी भी लड़कियों के लिए कुछ लोग ये सोच रखते हैं कि वो आगे नहीं बढ़ सकती हैं और उनका काम घर संभालना और किचन संभालना है , लेकिन फिर भी मान्या सिंह जैसे लोग ऐसे लोगों को गलत साबित करती हैं और आगे बढ़ कर दिखाती हैं. मान्या का बचपन काफी मुश्किलों भरा रहा है. उनकी राह इतनी आसान नही रही है.मान्या ने खुद कहा कि लोगों की सोच अलग-अलग होती है. देश में कुछ राज्य ऐसे हैं जहाँ कुछ लोग सोचते हैं कि लड़कियां ज़्यादा आगे नहीं बढ़ सकतीं.लेकिन मुझे तो इसे गलत साबित करना ही था ठान लिया था.उनके माता- पिता ने भी मान्या का पूरा-पूरा साथ दिया खुद मान्या ने भी कॉल सेंटर काम किया ताकि पैसे जुटा सकें. एक खबर के मुताबिक मान्या ने खुद कहा कि “मैं हमेशा मानती हूँ कि औरतों में एक अलग ताकत होती है. इसलिए मैं जब भी अपने माता-पिता की तरफ देखती हूँ तो यही सोचती हूँ कि रुकना नहीं है क्योंकि अगर रुक गई तो कहीं माता-पिता के मन में ये बात ना जाए कि शायद बेटा होता तो संभाल लेता. इसलिए मैंने बड़ी बेटी होने का फर्ज निभाया और कुछ करना है ठान लिया था.मैं लड़का तो नहीं बन सकती थी लेकिन मैंने ऐसा ज़रूर किया कि उन्हें बड़े लड़के की ज़रूरत ही नहीं हो. मेरी मेहनत अगर 20 फीसदी है तो उनकी लगन और मेहनत भी 80 फीसदी या कहें कि उससे ज्यादा ही है क्योंकि उन्होंने मेरा हर कदम पर साथ दिया है और मेरे लिए वो मेरे प्रेरणा हैं.

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