बचपन से अभिनय की इच्छा रखने वाली मराठी अभिनेत्री मधुरा देशपांडे पुणे की है. अभिनय से पहले उन्होंने स्कूल और कौलेज में काफी नाटको में अभिनय किया है. शांत और हंसमुख स्वभाव की मधुरा को उसके परिवार वालों ने बहुत सहयोग दिया है. अभी वह मुंबई में रहती है और अपना पूरा ध्यान अभिनय की ओर लगा रही है. अभिनय के अलावा वह एक भरतनाट्यम डांसर भी है. उन्होंने कई मराठी नाटको और धारावाहिकों में काम किया है. उसकी प्रसिद्ध धारावाहिक ‘असे ही कन्यादान’, ‘जुंझ’ और ‘जिवलगा’ है. उनकी शादी आर्किटेक्ट आशय गोखले से पिछले साल हो चुकी है और आज दोनों अपनी खुश है. मराठी इंडस्ट्री में किसी गौडफादर के न होते हुए भी मधुरा आज सफल है और इस सफलता को उन्होंने गृहशोभिका के साथ सांझा किया.पेश है कुछ अंश.
सवाल- अभिनय में आने की प्रेरणा कहां से मिली?
मैं भरतनाट्यम डांसर हूं और वही से मुझे अभिनय की प्रेरणा मिली,क्योंकि मेरे घर पर कोई भी इंडस्ट्री से नहीं था. पहले मैंने स्कूल और कौलेज में अभिनय करना शुरू किया. ड्रामा करते-करते मुझे एक धारावाहिक मिली और मेरी रूचि उस ओर हो गयी. 18 साल की उम्र से मैंने अभिनय शुरू कर दिया था.
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सवाल- माता-पिता का सहयोग कितना रहा?
माता-पिता ने हमेशा मुझे सहयोग दिया और मेरे इच्छा अनुरूप काम करने की आज़ादी दी. उनका मुझपर भरोसा था कि मैं जो भी काम करुंगी वह सही होगी. इसी वजह से मेरे अंदर एक जिम्मेदारी बढ़ी और मैंने जो भी किया. वे बहुत खुश है. मैं किसी भी स्क्रिप्ट को चुनने के से पहले परिवार के साथ भी चर्चा कर लेती हूं.
सवाल- कितना संघर्ष था?
संघर्ष बहुत था,क्योंकि मैं किसी को इंडस्ट्री में जानती नहीं थी. मैं पुणे में रहती थी और वहां से मुंबई अकेली रहने आई थी. इससे पहले मैं कभी भी अकेली नहीं रही, ऐसे में माता-पिता का मानसिक सहयोग बहुत जरुरी था और वह मुझे मिला. काम के लिए बहुत सारे औडिशन भी देने पड़े. आज भी किसी स्क्रिप्ट को पहले मैं माता-पिता को सुनाती हूं और उनकी प्रतिक्रिया जानती हूं, क्योंकि अगर कोई कहानी उन्हें पसंद आती है,तो वह दर्शकों को भी पसंद आएगी.
सवाल- क्या अनिश्चितता के इस प्रोफेशन में आपको डर नहीं लगा?
मुझे डर नहीं लगा,क्योंकि अनिश्चितता हर क्षेत्र में रहती है. मुझे विश्वास था कि मैं कुछ अच्छा कर पाऊंगी. अगर नहीं भी किया तो कुछ और अवश्य कर लुंगी.
सवाल- पहला ब्रेक कब और कैसे मिला?
मैं एक मराठी ड्रामे की रिहर्सल कर रही थी, उसी समय ‘जुंझ’ धारावाहिक का औडिशन चल रहा था. मैं वहां साधारण लड़की की तरह गयी और औडिशन दिया. सबको मेरा औडिशन पसंद आया. उसमें मेरी भूमिका निगेटिव चरित्र की थी, लेकिन प्रोड्यूसर ने मेरे लुक को देखकर पौजिटिव चरित्र लिखवाया. इस तरह एक नया चरित्र मेरे लिए लिखा गया. जिसमें पहले मेरी भूमिका कम थी, पर बाद में उसे बढ़ाया गया. इससे मुझे अभिनय के क्षेत्र में काम करने का मौका मिल गया.
सवाल- आपने नाटको और टीवी पर काम किया है, किसमें आपको अधिक अच्छा लगता है?
मुझे नाटकों में काम करना पसंद है, लेकिन टीवी ने मेरी जिंदगी बदल दी है, इसलिए वह भी मुझे पसंद है. नाटकों में दर्शकों के साथ सीधा जुड़ना होता है, जिसमें आपके परफोर्मेंस का परिणाम तुरंत मिल जाता है, जबकि टीवी की प्रतिक्रियां बाद में मिलती है. नाटकों में काम करने का मज़ा ही कुछ और होता है.
सवाल- क्या फिल्मों में काम करने की इच्छा है?
मैं फिल्मों, टीवी और वेब सीरीज पर हर भूमिका में अभिनय करना चाहती हूं और वही मेरे लिए चुनौती है. मुझे निगेटिव और पावरफुल चरित्र करने की बहुत इच्छा है. मैं वैसी ही भूमिका को खोज रही हूं.
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सवाल- किस धारावाहिक ने आपकी जिंदगी बदल दी?
मेरी पहली धारावाहिक ‘असे ही कन्यादान’ ने मेरी जिंदगी को दिशा दी, इसमें पिता पुत्री की रिलेशनशिप को बहुत ही उम्दा तरीके से दिखाया गया है. इसके अलावा इसमें मेरे अपोजिट शरद पोंक्षे से मुझे अभिनय की बारीकियां सीखने को मिली,जो मेरे लिए बड़ी बात थी. ‘जिवलगा’ में मेरी भूमिका बहुत स्ट्रोंग थी. इसमें मेरा पति का एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर्स है और मैंने इसे कैसे लिया है. उसे बताया गया है.
सवाल- रियल लाइफ में एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर्स के बारें में आपकी सोच क्या है?
शादी के बाद अगर किसी से प्यार हुआ है, तो आप इस रिश्ते को छोड़कर उसमें जाएं. दोनों में एक साथ रहना ठीक नहीं, क्योंकि इससे आप किसी को धोखा दे रहे है.
सवाल- आप कितनी फैशनेबल है?
मैं बहुत साधारण लड़की हूं और फैशन अपने हिसाब से करती हूं. साधारण रहना अपने आप में एक फैशन है, क्योंकि इससे आपकी सुन्दरता निखरती है. मुझे डिज़ाइनर सब्यसाची के कपड़े बहुत पसंद है.
सवाल- कितनी फूडी है?
मुझे भोजन बहुत पसंद है, अपने हिसाब से खाना बना लेती हूं. मेरे हाथ का बना ‘आमटी’ जो एक तरह की कढ़ी है, सब पसंद करते है. इसके अलावा मैं जो भी बनाती हूं, सबको पसंद आता है.
सवाल- किसी उत्सव को आप कैसे मनाती है?
मुझे सभी उत्सव पसंद है. सभी त्यौहार की अलग सजावट होती है. जिसमें मुझे अच्छी तरह से सजना सवरना बहुत पसंद है. दिवाली के वक़्त बहुत सारे दिए मैं आसपास में लगाती हूं.
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