मर्दानी 2: रानी मुखर्जी की दमदार एक्टिंग, जानें कैसी है फिल्म

रेटिंगः ढाई स्टार

निर्माताः यशराज फिल्मस

निर्देशकः गोपी पुथरान

कलाकार: रानी मुखर्जी, विशाल जेठवा, राजेश शर्मा, श्रुति बापना, जिसु सेनगुप्ता

अवधिः एक घंटा, 45 मिनट

रानी मुखर्जी अभिनीत फिल्म ‘‘मर्दानी 2‘’ उस वक्त प्रदर्शित हुई है, जब लड़कियों के साथ बलात्कार का मुद्दा पूरे देश में चर्चा में हैं. यह फिल्म 2014 की सफल फिल्म ‘‘मर्दानी’’ का सीक्वअल है. फिल्मकार गोपी पुथरान ने इस अपराध प्रधान रोमांचक फिल्म के माध्यम से बलात्कार और हिंसा के पीछे औरतों के प्रति पुरूषों की दिमागी सोच को रेखांकित करने का प्रयास किया है, जिसमें वह कुछ हद तक सफल रहे हैं.

कहानीः

फिल्म की कहानी राजस्थान के कोटा शहर की है, जहां आईपीएस शिवानी (रानी मुखर्जी) की शहर के एस पी/पुलिस अधीक्षक के पद पर नियुक्ति के साथ ही उनका सामना लतिका नामक लड़की के साथ दुर्दांत बलात्कार और हत्या के केस से होता है. ज्ञातव्य है कि कोटा शहर में पूरे देश के विद्यार्थी उज्ज्वल भविष्य के सपने देखते हुए आते हैं. शिवानी अपनी जांबाजी और दबंगई के बलबूते पर रेपिस्ट और कातिल को पकड़ने के लिए कटिबद्ध है.

शिवानी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ऐलान करती है कि वह बलात्कारी का कॉलर पकड़कर खींचते हुए उसे थाने लाएंगी. मगर लतिका का बलात्कारी व हत्यारा 21 साल का सनी (विशाल जेठवा) मानसिक विकृति का शिकार है. महिलाओं के प्रति उसकी घृणास्पद सोच उसके अहम को इस कदर चोट पहुंचाती है कि वह शिवानी को सबक सिखाने के लिए हिंसा और बलात्कार का सिलसिला जारी रखता है. सनी (जेठवा) इंसान की बजाय राक्षस है और वह इस तथ्य को छिपाने का प्रयास नही करता. वह जहां भी जाता है, कहर बरपाता है, बुरी तरह से पस्त महिला के शरीर पर खरोंच के निशान छोड़ देता है.

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बाद में वह शहर के एक अपराधी बेनीवाल के लिए काम करने लगता है और पत्रकार कमलेश की भी हत्या कर देता है. वह अपनी तरफ से हर हाल में एसपी शिवानी के ही नजदीक रहने का प्रयास करता रहता है. उधर शिवानी की कार्यशैली से नाराज एक पुलिस अफसर अपना खेल जारी रखता है, जिससे शिवानी का तबादला हो जाता है. मगर दिवाली की छुट्टी के चलते शिवानी को दो दिन का वक्त मिल जाता है और अंततः शिवानी के हाथ सनी तक पहुंच जाते हैं.

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लेखन व निर्देशनः

निर्देशक गोपी पुथरान की की यह फिल्म रोंगटे खड़े कर देनेवाले रोमांचक अंदाज में दर्शकों का मनोरंजन करने के साथ महिलाओं के अस्तित्व के सवाल पर प्रहार करती है. इंटरवल तक फिल्म तेज गति से भागती है, मगर इंटरवल के बाद फिल्म धीमी हो जाती है और टीवी इंटरव्यू के नाम पर एस पी शिवानी उर्फ रानी मुखर्जी का लंबा चौड़ा उपदेशात्मक भाषण फिल्म को कमजोर बनाकर रख देता है, जहां वह औरतों के लिए समानता व हिस्सेदारी की बात करती हैं.

अब तक फिल्म जो छाप दर्शकों के दिल व दिमाग पर छोड़ रही थी, उस पर पानी फिर जाता है. पूरी फिल्म को पुरुष प्रधान दुनिया में एक महिला की उपलब्धियों के आसपास केंद्रित कर फिल्मकार ने फिल्म के मूल विषय को हाशिए पर डाल दिया है. यह पटकथा की कमजोरी है हालांकि क्लाईमैक्स को काफी अच्छे ढंग से फिल्माया गया है.

अभिनयः

पूरी फिल्म रानी मुखर्जी के ही कंधे पर है और रानी मुखर्जी ने अपने सशक्त अभिनय से साबित कर दिखाया कि अभिनय में उनका कोई सानी नही. रानी मुखर्जी के चेहरे के भाव, चाल-ढाल, कार्यशैली और नारीवादी रवैया उनके अभिनय से उभरकर आता है. जबकि खूंखार बलात्कारी व हत्यारे के किरदार में अपनी पहली ही फिल्म में टीवी एक्टर विशाल जेठवा ने कमाल का अभिनय किया है. उनके अभिनय की जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है. सहयोगी कलाकारों ने भी ठीक-ठाक अभिनय किया है.

एडिट बाय- निशा राय

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