सुखलीन अनेजा
मार्केटिंग डाइरैक्टर, साउथ एशिया रैकिट बैंकिजर हाइजीन होम
इस नए स्तंभ का उद्देश्य यह है कि आप रोजमर्रा इस्तेमाल किए जाने वाले घरेलू उत्पादों के बारे में और करीब से जान सकें. आमजन की स्वच्छता और स्वास्थ्य मुद्दों पर लगातार काम करते हुए रैकिट बैंकिजर कंपनी ने बहुत बड़ा मुकाम हासिल किया है. घर को गंदगी, कीटाणुओं, कीटों और बदबू से मुक्त करने के लिए इस कंपनी ने कई नए उत्पाद मार्केट में उतारे हैं. हाइजीन होम योजना के तहत हार्पिक, लाइजौल, वैनिश, फिनिश और एयर विक जैसे प्रोडक्ट्स भारतीय उपभोक्ताओं के पसंदीदा बन गए हैं.
कंपनी भारतीय शहरी और ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए उन की जेब के हिसाब से क्याक्या उत्पाद ले कर आई है और भविष्य में भारत के स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़ी उस की क्या योजनाएं हैं, इस पर कंपनी की मार्केटिंग डाइरैक्टर सुखलीन अनेजा से की गई बातचीत के कुछ अंश पेश हैं:
सवाल- भारतीय ग्राहक हैल्थ, हाइजीन और होम केयर के मामले में किस प्रकार की परेशानियों से घिरे हैं? आरबी के उत्पाद उन्हें इन परेशानियों से कैसे मुक्त करते या उन की आदतों में कैसे सुधार लाते हैं?
भारत तेजी से बढ़ती वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. इस की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा अभी भी गरीबी रेखा से नीचे है. एक तरफ भारत तकनीक के क्षेत्र में अव्वल पायदान पर है और कई शीर्ष वैश्विक कंपनियों के लिए बेहतर और वृहद बाजार है, वहीं दूसरी ओर यह बहुसंख्यक भारतीयों के लिए साफ पीने का पानी, स्वच्छता और घर की देखभाल से जुड़ी बुनियादी जरूरतें पूरी करने में अक्षम है. ये मुद्दे हर भारतीय नागरिक के लिए चिंता का कारण हैं. महिलाएं इस से सब से ज्यादा प्रभावित हैं.
गंदगी से होने वाली बीमारियां सब से ज्यादा उन्हें प्रभावित करती हैं. आज भी खुले में शौच जाना महिलाओं के लिए बहुत शर्मिंदगी का विषय है. अस्वच्छ और असुरक्षित वातावरण में शौच करना गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करता है और कभीकभी जानलेवा भी साबित होता है. रैकिट बैंकिजर ने भारत सरकार के ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के साथ गठबंधन किया है और अपने मिशन ‘बनेगा स्वच्छ भारत’ का शुभारंभ किया है. आरबी का उत्पाद हार्पिक ग्रामीण भारत के लोगों तक अपनी पहुंच बनाने में सफल हुआ है. इस उत्पाद के साथ हम ने लोगों को शौचालय का उपयोग करने और उसे साफ रखने के महत्त्व को समझाने में मदद की है.
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बीते कुंभ मेले के दौरान लाखों भारतीयों के लिए चलायमान शौचालयों की व्यवस्था हम ने की और वहां नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से सफाई के महत्त्व को बताते हुए लोगों को हार्पिक पैकेट मुफ्त बांटे. अपनी इस पहल के जरीए हम ने लोगों को इस बात के लिए जागरूक किया कि शौचालय को अगले व्यक्ति के लिए साफ छोड़ना सामान्य शिष्टाचार और सम्मान का प्रतीक है.
‘हर घर स्वच्छ’ कैंपेन के जरीए हमारा हार्पिक ब्रैंड अब छोटे शहरों और गांवों तक अपनी पहुंच बना कर समाज के बड़े हिस्से को बुनियादी स्वच्छता और शौचालय के फायदे सिखा रहा है. उत्तर प्रदेश में यह काम एक मोबाइल टौयलेट वैन के माध्यम से उन क्षेत्रों में किया जा रहा है, जहां ग्रामीण आबादी अधिक है.
एक ओर हमने यह बड़ी चुनौती स्वीकार की है, वहीं हम ने ‘स्वच्छ भारत पैक’ लौंच किया है, जिस में अपने घर को स्वच्छ बनाने के प्रोडक्ट सिर्फ क्व5 में उपभोक्ताओं को उपलब्ध हैं. भारत का हर घर साफ और सुरक्षित हो, इस के प्रचारप्रसार के लिए हम ने फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार को अपना ब्रैंड ऐंबैसडर बनाया है, जो लोगों के पसंददीदा हीरो हैं.
सवाल- भारतीय महिलाओं में हाइजीन और होम केयर को ले कर क्या बदलाव देखने को मिल रहे हैं?
महिलाएं अपने आसपास के वातावरण में हो रहे बदलावों को देख कर न सिर्फ जागरूक हो रही हैं, बल्कि उन उत्पादों के प्रति आकर्षित भी हो रही हैं जो उन के जीने के तरीके को बेहतर बनाने के लिए, उन के बजट में बाजार में उपलब्ध हैं. अधिकांश शहरी महिलाओं के लिए तो अपनी और अपने परिवार के सदस्यों की स्वच्छता, हाइजीन और घर की साफसफाई उन की आदत में शुमार है, मगर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने अभी इन बातों को अपनी प्राथमिकता नहीं बनाया है और यह इसलिए भी है, क्योंकि उन के पास पैसे हमेशा कम होते हैं.
हम ने यह भी देखा है कि मोबाइल फोन, स्मार्ट फोन, गूगल और अन्य खोज विकल्प महिलाओं के शौंपिंग बिहेवियर में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. अधिक शिक्षित और संपन्न परिवारों की महिलाएं अपने घर की साफसफाई के लिए अलगअलग क्लीनर के उपयोग के महत्त्व को समझती हैं और विभिन्न उत्पादों के उपयोग को ले कर उन के निर्णय उन की समझ को भी ये खोज विकल्प बदल रहे हैं. उन का परिवेश और सामाजिक दृष्टिकोण भी उन के और उन के घर की देखभाल, हाइजीन और स्वच्छता के व्यवहार को बदलता है. महिलाएं अन्य महिलाओं के खरीद पैटर्न और उन के व्यवहार को देख कर भी प्रभावित होती हैं. इस से चीजों के इस्तेमाल को ले कर उन का अपना व्यवहार बदलता है. वे नई चीज खरीदने और इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित होती हैं.
सवाल- महिलाओं और बच्चों की हाइजीन को ले कर चेतना जगाने की ओर आप क्या कदम उठा रही हैं?
‘वूमन हाइजीन’ एक ऐसा विषय है जिसे कई ब्रैंडों द्वारा संबोधित किया गया है और लगातार किया जा रहा है. मेरा मानना है कि ब्रैंड के द्वारा जागरूकता फैलाई जा सकती है, मगर परिवर्तन को जारी रखने की जिम्मेदारी महिलाओं पर है. हमारे अभियान उन महिलाओं पर केंद्रित हैं, जो परिवर्तन की पैरोकार हैं और समझती हैं कि घर में स्वास्थ्य और स्वच्छता बनाए रखना उन के परिवार की भलाई के लिए महत्त्वपूर्ण है.
2017 में हमारा ‘हार्पिक अभियान’ महिलाओं को खुले में शौच करने से रोकने और खुले में शौच से होने वाले नुकसान को ले कर महिलाओं को जागरूक करने की राह में पहला शिक्षा अभियान था. इस अभियान के दूसरे भाग में हम ने दर्शाया कि विवाह के बाद बहू को उस के घर में शौचालय मिलना उस का मूल अधिकार है. इस कैंपेन की पंच लाइन थी- ‘घर में साफ शौचालय जरूरी.’ यह कैंपेन ग्रामीण महिलाओं तक पहुंच बना कर शौचालय के महत्त्व को समझाने का हमारा अपना तरीका था. वैवाहिक विज्ञापनों में जिन परिवारों ने हमारे इस संदेश को अपने विज्ञापनों के साथ जगह दी, उन्हें हार्पिक की ओर से भुगतान भी किया गया. इस से हमारे संदेश और अभियान को आगे बढ़ने में बहुत मदद मिली.
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आरबी इंडिया युवा पीढ़ी को स्वस्थ और स्वच्छ आदतों के बारे में जागरूक करने और पूरे भारत में स्वच्छता सुविधाओं में सुधार लाने के लिए सरकारी ऐजेंसियों, गैरसरकारी संगठनों और अन्य भागीदारों के साथ काम कर रहा है. बच्चे परिवर्तन के ध्वजवाहक और स्वच्छ भारत अभियान की कुंजी हैं.
सवाल- आम भारतीय गृहिणी स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति कितनी गंभीर दिखती है? क्या वह हाइजीन से जुड़े नएनए ब्रैंडेड प्रोडक्ट्स के प्रति आकर्षित हो रही हैं या फिर घरेलू चीजों से ही काम चलाना चाहती है?
शहरी महिलाओं की सोच काफी विकसित हुई है. वे स्वच्छता के महत्व को समझ रही हैं और स्वच्छता में विश्वास कर रही हैं. बाजार में जो विभिन्न उत्पाद उपलब्ध हैं, वे उन की विशेषताओं को जानने को उत्सुक दिखती हैं. उन की खरीदारी में कई फैक्टर्स काम करते हैं. वे बाजार में उपलब्ध नए प्रोडक्ट्स को इस्तेमाल कर के उन की खूबियों को जानने के प्रति उत्साहित हैं. अगर उत्पाद उन के बजट में है तो वे यह अनुभव प्राप्त करना चाहती हैं कि कौन सा उत्पाद उन की किन आवश्यकताओं को भलीभांति पूरा करता है.
दूसरी ओर ग्रामीण भारतीय महिलाओं के लिए खरीदारी का फैसला उन की सामर्थ्य पर निर्भर करता है. वे काफी हद तक अभी घरेलू उपचारों में ही विश्वास करती हैं. वे अभी ब्रैंडेड उत्पादों के लाभों को नहीं समझ रही हैं. मार्केट लीडर होने के नाते हम ज्यादा से ज्यादा महिलाओं तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि वे स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण के प्रभाव को समझें और उन उत्पादों को अपनाएं जो उन के घर और परिवार को स्वस्थ रखें.
सवाल- औनलाइन शौपिंग ने बिक्री को किस प्रकार प्रभावित किया है?
दुनिया में तेजी से बढ़ते ई कौमर्स बाजारों में से भारत भी एक हे. औनलाइन शौपिंग ने उपभोक्ताओं के लिए उत्पादों का बहुत बड़ा बाजार खोल दिया है और उन्हें उत्पादों के विकल्पों के बारे में भी अधिक जागरूक बना दिया है. औनलाइन शौपिंग ने हमें भी अपने ग्राहकों तक पहुंचने में व्यापक मदद की है. इस ने हमें और अधिक नया करने और अपने ग्राहकों को एक व्यापक उत्पाद शृंखला प्रदान करने के लिए प्रेरित किया है. हमें लगता है कि खरीदारी का यह तरीका न सिर्फ चीजों को और अधिक रोमांचक बना देगा, बल्कि आगे बढ़ने के लिए भी प्रेरित करेगा.
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क्या ग्रामीण क्षेत्रों की गृहिणियों के लिए भी आप के पास ऐसा कुछ है जो उन के बजट में हो और जिस के प्रति वे आकर्षित भी हों? आप के कौन से ऐसे उत्पाद हैं जो गामीण क्षेत्रों में भी खूब बिक रहे हैं?
पिछले साल हम ने ‘मेक इंडिया टौयलेट प्राउड’ नामक कैंपेन लौंच किया, जिस का उद्देश्य घर में उपयोग के लिए स्वच्छ शौचालय होने पर गर्व की भावना को बढ़ाना है. इस अभियान के तहत हम ने ग्रामीण भारत को ध्यान में रख कर मात्र क्व5 में ‘स्वच्छ भारत पैक’ लौंच किया है. पैकेजिंग पाथ इनोवेशन का यह तरीका उपभोक्ताओं को हार्पिक की बोतल उपलब्ध करा कर इस का अनुभव प्राप्त करने में सक्षम बनाता है. ऐसे ही हमारा मौर्टिन मौस्किटो कौइल है, जिसे भी हम ने ग्रामीण भारत की आय को देखते हुए उन के लिए बनाया है.
सवाल- वह क्या चीज है जो आप को इतना हार्ड वर्क करने के लिए प्रेरित करती है?
लोगों के जीवन में बदलाव लाने और अपनी एक बेहतर जगह बनाने के लिए मैं जनून की हद तक प्रतिबद्ध हूं. मेरे कार्यों के कारण अगर जमीनी स्तर पर सामुदायिक परिवर्तन आता है तो इस परिवर्तन का हिस्सा बन कर मुझे खुशी होगी. यह मेरे लिए गर्व का विषय है और बेहद प्रेरणादायक है. ये पांच मूल्य आरबी को एक बड़ा और्गनाइजेशन बनाने में सहयोगी हैं- जिम्मेदारी, स्वामित्व, उद्यमिता, उपलब्धि और साझेदारी.
उन महिलाओं के लिए आप का क्या संदेश है जो पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के बाद एक बार फिर अपने काम से जुड़ना चाहती हैं?
एक महिला होने के नाते मैं जानती हूं कि अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाने के लिए महिलाएं ही अपने कैरियर से समझौता करती हैं और ब्रेक लेती हैं. हम हमेशा महिलाओं को अपने घर और कैरियर में संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं और उन्हें पूरा अवसर देते हैं कि वे दोनों मोरचों पर अपने कर्तव्यों को निभा सकें.
2015 में हम ने एक आंतरिक अभियान चलाया था- ‘डेयर’. इस कार्यक्रम का लक्ष्य था कि हम प्रतिभाशाली महिलाओं को ढूंढ़े, उन के टेलैंट को उभारें, उन का आरबी की ओर आकर्षण डैवलप करें और उन्हें अपने साथ संलग्न करें. हमारे पास ऐसे और भी कई कार्यक्रम हैं, जो उन महिलाओं को फिर से कैरियर शुरू करने में मदद करते हैं, जिन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए नौकरी से ब्रेक लिया. मैं महिलाओं से कहती हूं कि अपनेआप पर विश्वास करो और अपने सपनों का पीछा करो. यदि आप जानती हैं कि आप इसे कर सकती हैं, तो इस का मतलब है कि आप कर सकती हैं और आप को बाधाओं की परवाह किए बगैर आगे बढ़ना चाहिए.
सवाल- कार्यस्थल में जातीय और लैंगिक समानता के मामले में भारतीय कंपनियों के मुकाबले बहुराष्ट्रीय कंपनियों को काम के लिहाज से बहुत बेहतर माना जाता है. मगर भारत में जो बहुराष्ट्रीय कंपनियां है, उन्हें अपने यहां काम करने वालों के लिए और अधिक निष्पक्षता व समानता सुनिश्चित करने के लिए अभी कितनी दूरी तय करनी है?
आरबी लैंगिक समानता के लिए ‘संयुक्त राष्ट्र सतत विकास’ को फौलो करता है और भारत में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. आरबी ने लैंगिक विविधता से संबंधित किसी भी बाधा को तोड़ने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं. ‘डेयर’ जैसी हमारी परियोजना ने महिलाओं से से जुड़े पूर्वाग्रहों को दूर करने में मदद की है. एक और परियोजना है ‘लीन इन सर्कल’, जिस के तहत महिलाएं अपने सर्कल में आने वाली कमजोर महिलाओं को सपोर्ट करती हैं और उन्हें समर्थन देते हुए उन के कैरियर को मजबूत करने में मदद करती हैं. महिलाओं को और अधिक समावेशी महसूस कराने के लिए ‘ही डेयर्स, शी डेयर्स’ कार्यक्रम है, जिस के तहत आयोजित कार्यक्रमों के अंतर्गत महिलाओं को अपने विचार व्यक्त करने का समान अवसर दिया जाता है.
सवाल- सामाजिक बदलाव लाने में बड़ी कंपनियों की क्या भूमिका देखती हैं? क्या वे सिर्फ अपना लाभ हासिल करने के लिए काम करती हैं या उन के कुछ सामाजिक सरोकार भी हैं?
आरबी ने हमेशा उद्देश्य के साथ व्यवसाय चलाने में विश्वास किया है. जब हम एक व्यवसाय में होते हैं तो हमें यह भी एहसास होता है कि हम सामाजिक परिवर्तन लाने में एक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. एक विकासशील देश में होने से हमें व्यवहार, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों पर प्रभाव बनाने का मौका मिलता है. यह 360 डिग्री अप्रोच का मामला है, जिस में हम अपने उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य और स्वच्छता में सुधार लाने, अपने स्टेकहोल्डरों का हित देखने के साथ ही अपनी भविष्य की पीढि़यों के लिए भी बेहतर वातावरण तैयार करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं.