प्यार करने वालों को अक्सर घरवालों के विरोध का सामना करना पड़ता है. यह ऐतराज कई बार औनर किलिंग जैसी हैवानियत की वजह भी बन जाता है जो प्यार करने वालों के सपनों को तहस नहस कर देता है. इस समस्या से निबटने का एक आसान रास्ता है , कोर्ट मैरिज.
इस संदर्भ में 2 अलग धर्म के बौलिवुड सितारे सैफ और करीना की शादी का उदाहरण लिया जा सकता है जिन्होंने शादी के लिए कानूनी रास्ता अख्तियार किया. बांद्रा स्थित रजिस्ट्रार औफिस जा कर उन्होंने शादी से सम्बंधित जरूरी कागजात जमा किए और आवेदन के 30 दिनों के भीतर कोर्ट मैरिज कर ली.
स्पेशल मैरिज एक्ट 1945 के अंतर्गत होने वाले विवाह को कोर्ट मैरिज कहते हैं. कोर्ट मैरिज में 2 लोगों के धर्म ,जाति या उम्र को नहीं देखा जाता बल्कि उन की सहमति और पात्रता देखी जाती है .
पात्रता
युवक-युवती दिमागी तौर स्वस्थ हों. संतानोत्पति में समर्थ हों.
लड़के की उम्र काम से काम 21 वर्ष और लड़की की उम्र 18 साल होनी चाहिए. दोनों ने अपनी इच्छा से पूरे होशोहवाश में शादी की सहमति दी हो. विवाह में कोई क़ानूनी अड़चन न हो.
कोर्ट मैरिज करने के लिए युवक और युवती को इस बाबत एक फौर्म भर कर लिखित सूचना अपने क्षेत्र के जिला विवाह अधिकारी को देनी होती है. फिर नोटिस जारी करने का शुल्क जमा करना होता है जो काफी कम होता है. इस आवेदन के साथ युवकयुवती को फोटो पहचान पत्र, और एड्रैस प्रूफ भी प्रस्तुत करना होता है. उस के बाद विवाह अधिकारी द्वारा 30 दिन का नोटिस जारी किया जाता है. इस नोटिस को कार्यालय के नोटिस बोर्ड और किसी सार्वजनिक जगह पर चिपकाया जाता है. ताकि किसी को आपत्ति हो तो वह अपना पक्ष रख सके.
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यदि विवाह इच्छुक दोनों व्यक्ति या दोनों में से कोई एक किसी दूसरे जिले का निवासी है तो यह नोटिस उस जिले के कलेक्टर को भेजा जाता है और वहां सार्वजनिक स्थान पर इस से सम्बद्ध नोटिस चिपकायी जाती है. इस नोटिस का उद्देश्य यह जानना है कि युवक-युवती के विवाह में कोई क़ानूनी अड़चन तो नहीं है. मसलन कहीं दोनों में से कोई एक पहले से विवाहित तो नहीं. यदि विवाहित हैं तो भी वे क़ानूनी रूप से अलग हो चुके हैं या नहीं.
यदि विवाह में कोई कानूनी बाधा न हो तो नोटिस जारी करने के 30 दिन के अंदर या फिर आवेदन लगाने के 3 माह समाप्त होने से पहले कभी भी जिला विवाह अधिकारी के सामने विवाह किया जा सकता है . लड़का-लड़की और तीन गवाहों के द्वारा विवाह अधिकारी की उपस्थिति में घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए जाते हैं. लड़का- लड़की चाहे तो वरमाला ,सिंदूर,मंगलसूत्र, लहंगाचुनरी पंडित वगैरह का इंतजाम भी कर सकते हैं.
विवाह संपन्न होने के बाद जिला विवाह अधिकारी द्वारा विवाह प्रमाणपत्र भी जारी किया जाता है. कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया पूरे भारत में एक समान है. विवाह खर्च कम मगर धांधली यहां भी शादी में कोई अड़चन न आये , कोई किडनैपिंग चार्ज न लगे ,सब काम जल्दी निबट जाए ,नोटिस घर न भेजा जाए और उसे नोटिस बोर्ड से भी तुरंत उतार दिया.
कई बार ऐसा भी होता है कि कोर्ट में 30 दिन पहले नोटिस न लगाने की बात पर युवकयुवती से 10 -20 हजार या उस से भी ज्यादा की मांग की जाती है. यदि रुपए नहीं दिए जाते तो उन के घर वालों को शादी की जानकारी देने की धमकी दी जाती है. इस तरह से यह कोर्ट में काम कर रहे लोगों ने एक धंधा बना लिया है. मजबूर युवकयुवती को हर मांग स्वीकार करनी पड़ती है क्यों कि उन के लिए उस वक़्त सुरक्षित विवाह करने से महत्वपूर्ण कुछ नहीं होता.
फायदे
कोर्ट मैरिज भारत सरकार और कानून द्वारा मान्यता प्राप्त विवाह है. यदि शादी के बाद किसी वजह से तलाक की नौबत आती है तो सेटेलमेंट आसान हो जाता है.
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वैसे भी लाखों करोड़ों लगा कर की जाने वाली शादियों में रुपयों की जैसी बर्बादी होती है उसे रोकने के लिए भी कोर्ट मैरिज काफी अहम् है. आप की शादी कुछ हजार रुपयों में संपन्न हो जाती है. आप बाकी के रुपए अनाथ और गरीबों को खिलाने में खर्च कर सकते हैं. अपने लिए अच्छा हनीमून पैकेज ले सकते हैं.
शादी का सर्टिफिकेट आप के हाथों में हो तो धोखाधड़ी की संभावना भी नहींरहती. दोनों पक्ष अपनी इच्छा से शादी करते हैं इसलिए शादी के बाद उलझनों की जिम्मेदारी भी वे स्वयं लेते हैं.