शादी 2 लोगों के बीच सामाजिक एकता या वैधानिक संधि है. इस का आधार पे्रम व विश्वास माना जाता है. शादी करने के पीछे कानूनी, सामाजिक, भावानात्मक, आर्थिक, धार्मिक आदि कई कारण माने जाते हैं. प्रत्येक संस्कृ ति, देश, राज्य में अलगअलग तौरतरीकों से शादियां होती हैं. शादी स्वयं में एक संस्था कहलाती है और समाज में शादी को आवश्यक भी माना जाता है. समय बदलने के साथसाथ जहां दुनिया भर के लोगों के रहनसहन में बदलाव आए हैं, वहीं उन के विचारों में भी परिवर्तन आए हैं. आज अनेक लोग शादी नामक संस्था से सहमत नहीं हैं और इसलिए वे इसे एक नया और ज्यादा अनुकूल आकार देने के लिए तत्पर रहते हैं.
पहले शादी का अर्थ किसी भी हाल में अपनी एक ही पत्नी या एक ही पति का साथ निभाना ही होता था, लेकिन आज शादी के रिश्ते में उतारचढ़ाव आते ही इस रिश्ते को तोड़ दिया जाता है. आज लोग शादी को उम्र भर का बंधन भी नहीं बनाना चाहते. कई बार तो वे शादी के रिश्ते में बंधना ही पसंद नहीं करते. लिव इन रिलेशनशिप इसी बात की गवाही देता है कि हम अपनी शारीरिक जरूरतें तो पूरी करना चाहते हैं लेकिन शादी कर के किसी के साथ उम्र भर बंधने को तैयार नहीं हैं. यही वजह है कि ऐसे नए रिश्तों की शुरुआत हो चुकी है. लेकिन फिर भी इन रिश्तों को अभी वैधानिक रूप से उचित नहीं माना जाता.
होमोसेक्सुअल रिलेशनशिप में इस बात के बंधन से मुक्ति मिल गई है कि आप को अपने विपरीत लिंग के साथ ही शारीरिक संबंध बनाने हैं. इस बात की आजादी पर अब कानून की मुहर भी लग चुकी है. रिश्तों को ले कर एकदम इतना ज्यादा बदलाव पहले कभी देखने में नहीं आया. पहले ऐसा होता था पर छिपतेछिपाते. आज इन रिश्तों को डंके की चोट पर बनाया जाता है.
जहां तक शादी का सवाल है तो ऐसे लोगों की कमी नहीं, जो थोड़े समय के लिए शादी करना चाहते हैं. लोगों की जरूरतों के कारण ही आज समाज में कई तरह की शादियों का चलन बढ़ा है. कई लेखकों ने कौंटे्रक्चुअल मैरिज (यह शादी एक समय सीमा पर समाप्त हो जाने वाले कौंट्रेक्ट पर आधारित होती है), प्रिमिसिव मैरिज (इस शादी में एक्स्ट्रा मैरिटल संबंध रखने की आजादी होती है), क्वार्टनरी मैरिज (इस में 2 शादीशुदा जोड़े और उन के बच्चे साथसाथ रहते हैं) आदि शादियों की सिफारिश की है. इन अरेंजमेंट्स को पारंपरिक शादियों की तुलना, जिन में शादियां टूटने की कल्पना अधिक होती है, के मुकाबले ज्यादा टिकाऊ माना जाता रहा है. फिर भी सचाई यह है कि कुछ लोगों को लगता है कि इन प्रोपोजल्स में भी नया कुछ नहीं है. वास्तव में देखा जाए तो फ्यूचर में जिस तरह की नई शादियों को करने की वकालत की जाती है वह सब कहीं न कहीं पहले से ही अस्तित्व में रहे हैं.
आज समाज में जिस तरह की शादियां होती हैं उन में एक सराहनीय बात यह होती है कि पतिपत्नी साथसाथ जीवन शुरू करते हैं और अपनी आने वाली पीढ़ी की देखरेख स्वयं करते हैं. यह एक ऐसी स्थिति है, जिस में दोनों पार्टनर आपस में पूरी तरह समर्पित होते हैं. इन सब को देखते हुए शादी की संस्था में कुछ लचीलापन लाने की जरूरत महसूस होती रही है. इस सब के मद्देनजर भविष्य में शादी के संबंध में और ज्यादा विकास आ सकता है. नौन मैरिटल सेक्सुअल रिलेशनशिप के खिलाफ कानून में बदलाव आएगा. शादी पूरी तरह एक व्यक्तिगत विचार व मामला होगा. इस से व्यक्ति के पास ज्यादा विकल्प होंगे.
ग्रुप मैरिज
ग्रुप मैरिज आने वाले समय में प्रचलित हो सकती है. जब समाज में सैक्सुअल समानता स्थापित होगी तब ग्रुप मैरिज पौपुलर होगी. इस में कई पतियों की शादियां कई पत्नियों व कई पत्नियों की शादियां कई पतियों से होती हैं. इस में वे एकदूसरे के साथ संबंध बनाने के लिए आजाद होते हैं. लचीलेपन के कारण उस में आपसी संबंध सहमति पर आधारित हो सकते हैं.
ओपन मैरिज
इस तरह की शादी में दोनों पार्टनर आपस में प्रेम करते हैं और साथसाथ रहना चाहते हैं. लेकिन उन की तरफ से एकदूसरे को यह छूट रहती है कि वे किसी अन्य के साथ शारीरिक संबंध बना सकते हैं. यही नहीं, वे अपने संबंध एक से अधिक के साथ भी बनाने के लिए स्वतंत्र रहेंगे. यदि एड्स या गर्भवती न होने की गारंटी रहेगी तो यह सरलता से चल सकेगा.
टैंपरेरी मैरिज
टैंपरेरी मैरिज जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह शादी कुछ समय के लिए ही होती है. यह भी कौंट्रेक्ट के आधार पर कुछ माह व सालों के लिए की जाती है. ओल्ड जापान में इस तरह की शादियां संभव थीं, जो 5 या अधिक वर्षों के लिए की जाती थीं. 19 वीं शताब्दी में जरमन लेखक गाथे ने अपने एक उपन्यास में 5 वर्ष के कौंट्रेक्ट के आधार पर की गई शादी का वर्णन किया है.
अगर दोनों पार्टनर एकदूसरे के साथ खुश हैं तो यह शादी अधिक समय तक बनी रहती है. यूरोपीय देशों में कुछ ही वर्षों में कई पार्टनर्स के साथ शादी और बाद में तलाक हो जाता है. कानूनी रूप से जिस तारीख को कौंट्रेक्ट समाप्त हो रहा है उस दिन शादी के इस एग्रीमेंट को पुन: रिन्यू कराना आवश्यक होता है अगर आप ने ऐसा नहीं कराया तो यह कौंट्रेक्ट टूट जाता है. चूंकि लोग अब दूसरे देशों में जा कर नौकरियां कर रहे हैं और यह आगे बढ़ेगा, तब टेंपरेरी शादियों का चलन भी बढ़ेगा.
ट्रायल मैरिज
यूरोप के इतिहास में किसान अपने बच्चों को इस बात की स्वतंत्रता देते थे कि वे अपना मनपसंद पार्टनर पाने के लिए शादी से पहले किसी के साथ शारीरिक संबंध बनाने का अनुभव प्राप्त कर लें. उन के मातापिता इसे एक गंभीर मामला मानते थे. इस तरह की शादियों के पीछे यही उद्देश्य रहता था कि यदि रिश्ता ठीक न चला तो तलाक के झंझटों से बचा जा सके और एकदूसरे से आसानी से अलग हुआ जा सके. एक ट्रायल मैरिज टैंपरेरी मैरिज की तरह ही होती है. आज भी समाज में युवा एक प्राइवेट इनफौर्मल एग्रीमेंट कर के आपस में साथसाथ रहते हैं और इस के बाद जब एकदूसरे को अच्छी तरह समझ लेते हैं तब शादी कर लेते हैं.
इंडीविजुअल मैरिज
इस शादी में 2 पार्टनर तब तक साथ रहते हैं जब तक वे चाहते हैं. लेकिन उन्हें बच्चे पैदा करने का अधिकार नहीं होता. इस के बाद जब पतिपत्नी बच्चों की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हो जाते हैं तो ‘पैरेंटल मैरिज’ होती है.
होमोसेक्सुअल मैरिज
हाल ही में इस तरह के संबंध को ले कर काफी चर्चा सुनने को मिली. 2 होमोसेक्सुअल अब आपस में विवाह के लिए स्वतंत्र हैं. इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे दोनों स्त्रियां हैं या दोनों पुरु ष.
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लिव इन रिलेशनशिप
आज लिव इन रिलेशनशिप जैसे रिश्ते खूब बन रहे हैं. बिना शादी के 2 लोग साथ में पतिपत्नी जैसे रहते हैं और जब मन भर जाए तो अपनेअपने रास्ते हो लेते हैं. इस में किसी को किसी से कोई शिकायत नहीं होती और न ही कोई किसी पर जबरदस्ती दबाव बना सकता है. जहां आज इस तरह के रिश्तों को काफी जगह दी जा रही है वहीं आने वाले समय में लोग शादी और तलाक जैसे झंझटों में उलझनों के बजाय लिव इन रिलेशन बनाना पसंद करेंगे.