बीवी चाहिए सुंदर मगर…

दिनेश वर्मा ने कभी नहीं चाहा था कि उस की पत्नी कृति नौकरी करे. वह तो हर वक्त कृति को अपनी नजरों के सामने रखना चाहता था. कृति उस के लिए वह अनमोल हीरा थी जिसे खो देने के डर से वह अपने काम पर भी ध्यान नहीं दे पा रहा था. उस की निगरानी के चक्कर में अंतत: घर के आर्थिक हालात इतने बिगड़ गए कि कृति को ही नौकरी करने के लिए घर से बाहर निकलना पड़ा.

कृति 24 साल की पढ़ीलिखी, सुलझी हुई, सुंदर और सलीकेदार लड़की है. ग्रैजुएशन पूरा करने के बाद उस ने नर्सिंग की ट्रेनिंग भी की थी. उस की शादी दिनेश से हुई तो उस ने नौकरी करने के बजाय गृहस्थी को प्राथमिकता दी. दिनेश भी यही चाहता था कि कृति घर पर ही रहे. वह सोचता था कि कहीं उस की सुंदर पत्नी को कोई दूसरा पटा न ले. वह तो कृति को घर के दरवाजे पर भी खड़ा होने पर टोक देता था. कभी वह कहती कि वह थोड़ी देर छत पर टहल आए तो दिनेश भी उस के साथ जाता. कुल मिला कर यह कि दिनेश एक सुंदर स्त्री को ब्याह कर तो ले आया मगर उस की सुंदरता ने उस के अंदर असुरक्षा का भाव पैदा कर दिया. शक और सुरक्षा की भावना.

2015 में जब दिनेश की शादी कृति से हुई थी, तब रिश्तेदारों, दोस्तों और महल्ले वालों के मुंह से अपनी पत्नी की खूबसूरती की तारीफ सुन कर उस की छाती फूल जाती थी कि हाय कितनी सुंदर दुलहन लाया है. दिनेश तेरे तो आंगन में चांद उतर आया है. बहुत कम को इतनी सुंदर पत्नी मिलती. ऐसी बातें सुनसुन कर वह खूब खुश होता था.

दिनेश एक प्राइवेट जौब में था. सैलरी अच्छी थी. काम के सिलसिले में उसे कभीकभी टूर पर भी जाना पड़ता था. घर में उस के और कृति के अलावा मां और छोटा भाई राघव था. राघव दिनेश से 2 ही वर्ष छोटा है और ग्रैजुएशन कर रहा है. अपनी भाभी के साथ राघव खूब हंसीठिठोली कर लेता है. कृति उम्र में राघव से छोटी है तो कभीकभी उस की बातों से शरमा भी जाती है. इन बातों को दिनेश ने कई बार नोट किया है. कृति के आने के बाद राघव के दोस्तों का भी घर में आनाजाना बढ़ गया था. कृति सब से हंस कर बात करती और एक अच्छी बहू की तरह सब की सेवा और सत्कार में लगी रहती. लेकिन बाहरी लड़कों का यों घर में जमघट लगना दिनेश को अच्छा नहीं लगता था.

कृति की सुंदरता ने दिनेश के अंदर शक और असुरक्षा की भावना भर दी थी. वह जितनी देर औफिस में होता था उस की नजर फाइलों पर कम दीवार घड़ी पर ज्यादा रहती थी कि कब 6 बजें और वह घर भागे. दिनेश छुट्टियां भी बहुत लेने लगा था. आए दिन कोई न कोई बहाना ले कर मैनेजर के पास पहुंच जाता. औफिस के काम के संबंध में पहले वह हर महीने टूर पर जाता था, मगर शादी के बाद टूर पर भी नहीं जाना चाहता था. बहाने बना देता था. मैनेजर जोरजबरदस्ती कर के भेज दे तो उलटापुल्टा काम निबटा कर अगले दिन वापस आ जाता था.

6 महीने तो मैनेजर ने दिनेश को समझाने की बहुत कोशिश की और फिर काम से निकाल दिया. बीवी की रखवाली के चक्कर में दिनेश ने न सिर्फ अपना कैरियर बरबाद कर लिया बल्कि दोस्तों और घर वालों की नजर में भी बीवी का पिछलग्गू समझ जाने लगा. जब बढ़ने लगा कर्ज घर में कमाने वाला सिर्फ दिनेश ही था. उस की तनख्वाह से घर का खर्च और छोटे भाई की पढ़ाई ठीकठाक चल रही थी. जौब छूटने के बाद दिनेश ने कई जगह इंटरव्यू दिए, मगर नौकरी पाने में कामयाब नहीं हुआ. इधर बचत के पैसे खत्म होने लगे और उधर कृति की डिलिवरी की तारीख भी नजदीक आ गई. दिनेश की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर हो गई कि घर में बच्चा होने की खुशी की मिठाई महल्ले वालों को उस ने एक दोस्त से उधार पैसे ले कर खिलाई.

दिनेश के सिर पर कर्ज बढ़ रहा था. कृति को इस का एहसास था. खर्चा चलाने के लिए वह अपनी सोने की चेन दिनेश को दे चुकी थी. अम्मां ने भी अपनी चेन गिरवी रखवाई थी क्योंकि छोटे बेटे की फीस जमा होनी थी. कुछ दिन बाद कृति ने सोने की चूडि़यां भी दे दीं. दिनेश ने उन्हें भारी मन से बेचा.

धीरेधीरे डेढ़ साल गुजर गया. दिनेश को कोई अच्छी नौकरी नहीं मिली. कभी ट्यूशन पढ़ा कर तो कभी किसी और तरीके से वह थोड़ाबहुत पैसा कमा रहा था, मगर इस थोड़ी सी पूंजी से घर का खर्च चलाना संभव नहीं हो रहा था.

एक दिन कृति ने दिनेश से कहा कि अगर उसे जौब नहीं मिल रही है तो क्यों न वह कहीं जौब कर ले. आखिर नर्सिंग ट्रेनिंग किस दिन काम आएगी. दिनेश को जब जौब मिल जाएगी तो कृति छोड़ देगी. दिनेश राजी हो गया तो कृति ने 2-3 प्राइवेट अस्पतालों में अपना आवेदन भेज दिया. जल्द ही एक अस्पताल से इंटरव्यू की कौल आ गई. कृति दिनेश के साथ इंटरव्यू देने गई और पहले ही इंटरव्यू में उस का चयन हो गया. इंटरव्यू लेने वालों पर उस की डिगरियों से ज्यादा उस की सुंदरता और सलीके ने प्रभाव डाला. मां बनने के बाद कृति पहले से ज्यादा निखार गई थी. गहराता गया शक

कृति नौकरी पर जाने लगी तो दिनेश के मन में असुरक्षा की भावना और ज्यादा बढ़ गई. अस्पताल में तमाम जवान डाक्टर हैं. कहीं किसी के साथ कृति के संबंध न बन जाएं. सुबह जब कृति अस्पताल जाने के लिए तैयार हो कर निकलती तो दिनेश उस के दमकते शरीर को आंखें फाड़ कर देखता रह जाता. इस हीरे को कोई गपक न ले वह इस चिंता में घुला जाता था. कृति को अस्पताल छोड़ने और लेने वह खुद जाता था.

अब हाल यह हो गया कि अपने लिए नौकरी तलाशने के बजाय दिनेश दिन में कई चक्कर कृति के अस्पताल के लगाने लगा.

1-2 बार फोन भी कर लेता. इस पर कृति को ?ां?ालाहट भी होती थी. अगर किसी गंभीर केस की वजह से कृति को अंदर देर होती तो दिनेश की बेचैनी 7वें आसमान पर पहुंच जाती थी. कहना गलत न होगा कि कृति की सुंदरता ने दिनेश की जिंदगी का सुकून खत्म कर दिया था. उस की 24 घंटे की चौकीदारी से कृति भी बहुत परेशान रहती. पहले तो उसे लगता था कि उस का पति उस से बहुत प्यार करता है इसलिए हर वक्त उस के साथ रहना चाहता है, लेकिन बाद में उसे एहसास होने लगा कि वह उस की चौकीदारी करता है, उस के कैरेक्टर पर संदेह करता है.

दरअसल, पत्नी की अत्यधिक सुंदरता उन पतियों को बहुत असुरक्षित कर देती है, जो शक्की और संकीर्ण सोच वाले होते हैं. भले पत्नी का चरित्र साफ हो, वह सिर्फ अपने पति से ही प्रेम करती हो, मगर पति को हर समय यह शक लगा रहता है कि कहीं उस की पत्नी के किसी दूसरे आदमी से संबंध तो नहीं हैं, कोई और तो उस पर डोरे नहीं डाल रहा है.

अतीत में ताकझांक

उस के मन में यह कीड़ा भी कुलबुलाता रहता है कि इतनी सुंदर है तो कालेज लाइफ में जरूर इस का कोई न कोई प्रेमी रहा होगा. पत्नी की बीती जिंदगी में भी वह घुसने की कोशिश करता रहता है और घुमाफिरा के उस की कालेज फ्रैंड्स के बारे में पूछता है. इस शंका का परिणाम यह होता है कि वह अपना कामधंधा छोड़ कर पत्नी पर निगरानी रखने लगता है. अगर पत्नी फोन पर किसी से ज्यादा देर तक बात करे तो संकेत से पूछ ही लेगा कि किस का फोन है.

एक पुरानी कहावत है कि सुंदर कन्या से विवाह करने का मतलब है सड़क के किनारे धनिया बोना अर्थात दोनों ही मामलों में असुरक्षा बनी रहती है. हरेक पड़ोस में कुछ देवर टाइप लोग भी होते है. सुंदर पत्नी दरवाजे या गेट पर खड़ी हो कर उन से हंस कर बात कर ले तो गजब हो जाता है. शक्की पति सुंदर बीवी को न तो किसी से हंसने बोलने देता है और न ही कहीं अकेले आनेजाने देता है.

सुंदरता को ज्यादा महत्त्व

समाज चाहे जितना आधुनिक हो गया हो, किंतु कुछ मामलों में सोच अभी भी पुरानी ही है. शादीविवाह के मामलों में आज भी स्त्री की पढ़ाई और योग्यता से ज्यादा उस की सुंदरता को तरजीह दी जाती है. सुंदर लड़कियों की शादी भी तुरंत तय हो जाती है. लेकिन यह सुंदरता कभीकभी पति पर बहुत भारी पड़ती है. पति साधारण शक्लसूरत का हो और पत्नी हीरोइन जैसी दिखती हो तो पति चौकीदार बन कर रह जाता है.

आशंकित पति

पत्नी सुंदर हो तो पति उसे कहीं अकेले नहीं जाने देता बल्कि खुद साथ जाता है और कभीकभी तो ऐसा होता है कि जहां पत्नी को जाने की आवश्यकता भी नहीं होती वहां यह सोच कर उसे साथ ले जाता है कि उस के घर में अकेली होने पर कोई अनहोनी न हो जाए, कहीं किसी पड़ोसी, छोटे या बड़े भाई से उस के संबंध न बन जाएं. खूबसूरत और चिर जवां पत्नी पति के हाथ में एटम बम की तरह होती है जिस के प्रति वह हमेशा आशंकित रहता है कि पता नहीं कब दुर्घटना घट जाए.

खुद को फिट रखने की मजबूरी

सुंदर बीवी हो तो पति को अपने जीवन में भी कई बदलाव करने पड़ते हैं. अपनी फिटनैस की तरफ ध्यान देना पड़ता है. मनचाहे भोजन का त्याग कर के ऐसी डाइट लेनी पड़ती है जिस से उस की तोंद न निकले. कुछ पति तो खुद को स्लिमट्रिम रखने के चक्कर में केवल सलाद या बेस्वाद खाने से काम चलाने लगते हैं. देखा गया है कि सुंदर पत्नी वाले पति के परिवार में शादीब्याह या कोई अन्य फंक्शन हो तो वह 1-2 महीने पहले से ही कसरत या ग्रूमिंग सैशन में जा कर अपने को फिट करने लगता है ताकि कोई उन की जोड़ी को बेमेल न कह दे.

सार्वजनिक स्थल पर असुविधा

खूबसूरत बीवी साथ में होने पर सार्वजनिक स्थल पर आप को असुविधाजनक स्थिति का सामना करना पड़ता है. कई नौजवान और तरसे हुए लोगों को अपनी बीवी की ओर ताकते पाएंगे जो आप को असुरक्षा और हीनता का बोध कराएगा. खूबसूरत बीवी साथ में होने से आप

उन लोगों को अपने आसपास ‘भाभीजी’ ‘भाभीजी’ कहते हुए मंडराते पाएंगे, जिन्हें आप फूटी आंख भी पसंद नहीं करते हैं. पत्नी खूबसूरत मिल जाए तो रिश्तेदार और दोस्त भी आप में हीनभावना भरने का काम करने लगते हैं फिर चाहे आप अपने कार्यक्षेत्र में कितने ही सफल क्यों न हों.?

सुंदरता नहीं गुण जरूरी

बावजूद इन सब बातों के लगभग हर आदमी की यही इच्छा होती है कि जब भी उस की शादी हो तो किसी सुंदर कन्या से ही हो. सिर्फ शादी करने वाला लड़का ही नहीं, बल्कि उस की मां और पिता भी यही चाहते हैं कि उन के घर में बेहद खूबसूरत बहू कदम रखे.

आजकल के जमाने में घर में खूबसूरत बीवी या बहू रखना एक तरह का शोऔफ सा हो गया है. लोग लड़की की योग्यता, शिक्षा या कैरियर के बजाय उस की सुंदरता के पीछे भागते हैं, जबकि बाहरी खूबसूरती ही सबकुछ नहीं होती हैं, आंतरिक सुंदरता और अच्छा व्यवहार भी माने रखता है.

ऐसे बनाएं हैप्पी मैरिड लाइफ

सफल खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए कुछ छोटीछोटी बातों को अपनाना जरूरी है. तो आइए जानते हैं उन छोटीछोटी बातों को जो रिश्ते को खूबसूरत, सफल और खुशहाल बनाती हैं:

एकदूसरे की भावनाओं को महत्त्व देना

एक वैवाहिक रिश्ते की मजबूत नींव इस बात पर टिकी रहती है कि आप एकदूसरे की भावनाओं का कितना आदर, सम्मान और महत्त्व देते हैं. कहीं ऐसा तो नहीं कि आप एकदूसरे की भावनाओं को बिना सम?ो अपनी बात एकदूसरे पर जबरन थोपते हैं? यदि हां तो यह आदत बदल लीजिए और एकदूसरे की भावनाओं को महत्त्व देना शुरू कीजिए. तभी आप के रिश्ते की नींव मजबूत होगी.

काम में मदद करना

आजकल अधिकतर कपल वर्किंग होते हैं. यदि आप ऐसे में केवल अपने काम के विषय में सोचेंगे तो बात बिगड़ भी सकती है. इसलिए एकदूसरे के काम को समान महत्त्व दें. यदि किसी दिन आप के पार्टनर को जल्दी जाना है तो आप उस के काम में थोड़ा हाथ बंटा दें यानी उस की काम में थोड़ी मदद कर दें ताकि काम जल्दी निबट जाए.

बताएं एकदूसरे के साथ क्वालिटी समय

वर्किंग कपल्स के पास हमेशा समय की कमी बनी रहती है. कभीकभी उन के औफिस का समय भी अलगअलग होता है. इसलिए उन को एकदूसरे के साथ एक अच्छा यानी क्वालिटी समय बिताने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहिए.

इस के लिए छुट्टी के दिन सुबह जिम, मौर्निंग वाक के लिए जा कर अपनी सेहत बना सकते हैं और एकदूसरे के साथ किसी भी विषय पर बात कर सकते हैं तथा एकदूसरे की राय ले सकते हैं या फिर किचन में एकदूसरे के संग खाना बना सकते हैं अथवा कहीं बाहर घूमनेफिरने का प्रोग्राम बना कुछ यादगार पल एकदूसरे संग बिता कर अपने रिश्ते में मिठास घोल सकते हैं.

पैसे का सही प्रबंधन

शादी के बाद से ही कपल्स का एकदूसरे के लिए पैसे का सही प्रबंधन करना जरूरी होता है ताकि पैसा बुरे वक्त काम आ सके और आवश्यकता होने पर किसी तरह का तनाव न हो. इस के लिए एकदूसरे की राय से सही जगह पैसे का सही निवेश करें.

मी टाइम का रखें खयाल

एकदूसरे के मी टाइम का खयाल रखें. कई बार कपल्स भी रोज दिनभर की भागदौड़ के बाद कुछ समय खुद के लिए निकालना चाहते हैं ताकि वे अपनी पसंद या हौबी के अनुसार कुछ काम जैसे किताब पढ़ने का शौक, गार्डनिंग का शौक या कुछ और जिसे मी टाइम में पूरा कर सकें इस के लिए कपल्स को एकदूसरे के लिए मी टाइम जरूर दें.

रिश्ते की मजबूती के लिए

1- की गई मदद के लिए आभार व्यक्त करें.

2- एकदूसरे पर भरोसा करें.

3- एकदूसरे की परवाह करें.

4- एकदूसरे की बात को पूरी सुनें अपनी कोई बात जबरन न थोपें.

5- एकदूसरे को महत्त्व देना जरूरी.

6- एकदूसरे को समयसमय पर या विशेष मौके पर गिफ्ट देना न भूलें.

7- एकदूसरे पर आरोपप्रत्यरोप से बचें.

8- ईर्ष्या का भाव पैदा न होने दें.

 

मेरी उम्र 29 साल है. मैं शादी कर के परिवार बसाना चाहता था. लेकिन मेरी शादी 6 महीने भी नहीं चली. क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 29 साल है. मैं शादी कर के परिवार बसाना चाहता था. लेकिन मेरी शादी 6 महीने भी नहीं चली. मेरा तलाक हो गया. मैं बहुत दुखी रहने लगा. शराब पीनी शुरू कर दी. अपने प्रति लापरवाह हो गया. मेरे एक दोस्त ने सलाह दी कि डेटिंग ऐप पर अपने लिए कोई ऐसी लड़की ढूढ़ लो जो रिलेशनशिप में तेरे साथ रहे. ऐसे में मैं डिप्रैशन से बाहर आ जाऊंगा. मैं ने दोस्त की सलाह मान ली. मु?ो ऐसी लड़की मिली जो शादीशुदा थी और 2 बच्चों की मां थी. उस का पति विदेश में रहता था. उस का कहना था कि वह फिजिकल रिलेशन चाहती है क्योंकि पति विदेश में रहता है और वह उसे प्यार भी नहीं करती. बच्चों और पैसों की वजह से उसे सहन कर रही है और शादी निभा रही है.

मु?ो उस के साथ सहानुभूति हो गई और मैं उस के साथ रिलेशन में चला गया. धीरेधीरे मु?ो वह बहुत अच्छी लगने लगी और मैं उस के प्यार में दीवाना हो गया. उस की हर जरूरत पूरी करने लगा. वह अपने ऊपर मेरा काफी पैसा खर्च करवाती थी. मैं अच्छा कमा रहा था. इसलिए खर्च भी कर देता था. मैं ने सोच लिया था कि जिंदगीभर उस के साथ ही रिलेशन में रह कर जीवन बिता लूंगा. लेकिन एक दिन उस ने बताया कि वह विदेश अपने पति के पास जा रही है. यह सब वह अपने बच्चों की खातिर कर रही है.

मैं ने उस से बहुत कहा कि मैं उस से बहुत प्यार करने लगा हूं. शादी भी करने को तैयार हूं. बच्चों की पूरी देखभाल करूंगा. मु?ो छोड़ कर न जाए लेकिन वह नहीं मानी और चली गई. मैं फिर अकेला हो गया. विदेश जा कर अब वह मु?ो वहां से फोन करती है कि पति उस के साथ अच्छा सुलूक नहीं करता है. कहती है कि उस ने वहां एक और बौयफ्रैंड बना लिया है अपनी फिजिकल नीड पूरी करने के लिए. मु?ो जलाने के लिए जानबू?ा कर रात को फोन करती है कि मैं आज सुबह बौयफ्रैंड के साथ सैक्स कर के आई हूं. मैं ने उस से सच्चा प्यार किया था लेकिन उस ने मेरा सिर्फ इस्तेमाल किया. मैं आज भी उसे याद कर रोता हूं. सब बेकार लगता है. क्या करूं?

जवाब

हमें आप के साथ सहानुभूति है. लेकिन वो, आप यह सब अपनी लाइफ के साथ क्या कर रहे हो. आप की ख्वाहिश थी शादी कर परिवार बनाने की तो फिर डेटिंग ऐप पर क्यों गए.

एक शादी टूट गई तो दूसरी कर सकते थे. रिलेशनशिप में भी गए तो शादीशुदा 2 बच्चों की मां के साथ. सिंगल लड़कियों की कमी है क्या डेटिंग ऐप में.

खैर जो हो गया, सो हो गया. अपनी सम?ा का इस्तेमाल कीजिए. क्या आप देख नहीं रहे कि उस लड़की ने किस तरह से आप का सिर्फ इस्तेमाल कर अपना उल्लू सीधा किया है. फिर भी आप उस के लिए आंसू बहा रहे हैं. वह इस लायक ही नहीं कि उसे याद कर रोया जाए. आप को तो उस के साथ उसी वक्त सारे रिश्ते खत्म कर देने चाहिए थे जब वह विदेश गई थी.

अभी भी वक्त है संभल जाइए. उस लड़की के साथ सारे कौन्टैक्ट खत्म कर दें. उस के बारे में सोचना बंद कर दें. स्वार्थी लोगों के बारे में क्या सोचना, उस ने आप के बारे में एक बार भी सोचा? बल्कि, विदेश में बैठ कर भी आप को दूसरे के साथ सैक्स करने की बात कर जला रही है. क्या कहेंगे आप ऐसी औरत को.

आप अपनी जिंदगी का यह पुराना चैप्टर क्लोज कर दीजिए. लाइफ से थोड़ा ब्रेक लीजिए. आगे क्या अच्छा हो सकता है, इस बारे में विचार कीजिए. नशा किसी समस्या का हल नहीं होता, उस से दूर रहिए. आप ने अपने परिवार के बारे में कुछ नहीं लिखा, मातापिता, भाईबहन हैं तो उन से सलाह लीजिए. लाइफ में दोबारा शादी कर के सैट होना चाहते हैं तो सबकुछ देखभाल कर शादी कीजिए. जिंदगी को अच्छा या बुरा बनाना बहुतकुछ हमारे हाथ में होता है, बस, निर्णय सोचसम?ा कर लेने चाहिए. तो दोस्त, अंधेरे से बाहर निकलिए. हिम्मत के साथ जिंदगी से आंख से आंख मिला कर सामना कीजिए, उम्मीद पर दुनिया कायम है.

 

आजादी पर भारी शादी

‘‘बदलते समय के साथ न केवल लोगों की लाइफस्टाइल में बदलाव आया है, बल्कि उन की सोच और सामाजिक तौरतरीके भी बदले हैं. यह सही है कि आजकल लड़कियां अपने कैरियर और आजादी को प्राथमिकता दे रही हैं, लेकिन इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि शादी के लिए अब लड़कों की लड़कियों से उम्मीदें भी बढ़ गई हैं. मैट्रो सिटी में रहनसहन के स्तर को संतुलित बनाए रखने के लिए लड़के उच्च शिक्षा प्राप्त लड़कियों को ही प्राथमिकता देते हैं. ऐसे में लड़कियां अपने सुरक्षित भविष्य के लिए शादी करने में समय ले रही हैं. मुझे इस में कोई बुराई नहीं नजर आती. हां, शादी टालने की एक सीमा जरूर होनी चाहिए क्योंकि इस को जरूरत से ज्यादा टालने के विपरीत परिणाम भी हो सकते हैं.’’

सोनल, ऐसोसिएट एचआर

‘‘यह हमेशा याद रखें कि आप का ऐटिट्यूड किसी भी रिश्ते को बनने से पहले ही उसे खोखला करना शुरू कर देता है, जबकि बौंडिंग किसी भी रिश्ते को गहरा व मजबूत बनाती है.’’

28 साल की तान्या न सिर्फ गुड लुकिंग है बल्कि एक अच्छी मल्टीनैशनल कंपनी में सीनियर पोजिशन पर कार्यरत भी है. लेकिन अभी भी तान्या सिंगल है. शादी की बात आते ही तान्या उसे टाल जाती है.

हिना का भी हाल कुछ ऐसा ही है. हिना मौडलिंग करती है, ग्लैमर वर्ल्ड से जुड़ी है और दिखने में काफी स्टाइलिश है. हिना से शादी करने को न जाने कितने लड़के बेताब हैं, लेकिन हिना अब तक कई प्रपोजल्स रिजैक्ट कर चुकी है. रिजैक्शन के पीछे वजह सिर्फ यही है कि हिना को लगता है कि भले ही उस का पार्टनर उसे शादी के बाद काम करने भी दे, लेकिन उस की आजादी तो कहीं न कहीं उस से छिन ही जाएगी. बस, यही वजह है कि हिना पेरैंट्स के कहने पर लड़कों से मिलती जरूर है, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ाती.

यह कहानी सिर्फ तान्या और हिना की ही नहीं, बल्कि आज हमारे समाज की उन ढेर सारी लड़कियों की है, जो अपनी पढ़ाईलिखाई कर सिर्फ अपनी जौब और कैरियर को प्रिफरैंस देती है. इन के लिए शादी प्रिफरैंस लिस्ट में तो दूर की बात, ये तो शादी के नाम से ही कतराती हैं.

बदल गए हैं जिंदगी के माने

अगर हम यह कहें कि अब समाज में लड़कियों की जिंदगी के माने पूरी तरह बदल चुके हैं, तो शायद यह भी गलत नहीं होगा. लड़कियां शादी कर चूल्हाचौका संभालने की सोच से बाहर निकल कर अपने कैरियर और समाज की सोच को एक नई दिशा दे रही हैं. लेकिन सोचने वाली बात यह है कि बदलते जमाने के साथ कदम से कदम मिला कर चलने वाली ये पीढ़ी वाकई सही है या इस सफलता में छिपा है डिपै्रशन और फ्रस्ट्रेशन भी.

हाल ही में कई बड़े शहरों में एक सर्वे के दौरान एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया. बड़े शहरों की पढ़ीलिखी लड़कियां अच्छी पढ़ाई कर प्रोफैशनली बाजी जरूर मार रही हैं, लेकिन उन की व्यक्तिगत जिंदगी उन्हें इतना परेशान कर रही है कि उस के चलते कई लड़कियां डिप्रैशन की शिकार हैं.

दिल्ली में पढ़ीलिखी गुड लुकिंग 36 साल की प्रीति मल्टी नैशनल कंपनी में सीनियर लीगल ऐडवाइजर है. देखने में खूबसूरत व स्टाइलिश और कैरियर में सैटल होने के बावजूद भी प्रीति अभी भी सिंगल है. शादी के लिए उस के पास ढेर सारे प्रपोजल्स तो हैं मगर साथ ही कन्फ्यूजन भी कि शादी करे तो किस से? जो लड़का प्रीति को पसंद आता है उसे प्रीति को प्रोफाइल मैचिंग नहीं लगता और जिसे प्रीति पसंद आती है उस से प्रीति आगे बात बढ़ाना ही नहीं चाहती.

ऐसा सिर्फ प्रीति के साथ ही नहीं बल्कि न जाने कितनी लड़कियों के साथ होता है, जो कैरियर में सैटल होने के बावजूद भी सही उम्र में शादी नहीं कर पातीं क्योंकि शादी के लिए उन की कुछ शर्तें भी होती हैं. आमतौर पर सभी शर्तों को पूरा करने यानी उन की कसौटी पर खरा उतरने के नाम से ही लड़के कन्नी काटने लगते हैं और अच्छी पढ़ीलिखी बड़े शहरों की लड़कियों के बजाय छोटे कसबे या गांव की कम पढ़ीलिखी लड़कियों को ही चुनना ज्यादा पसंद करते हैं.

ये बात थोड़ी चौंकाने वाली जरूर है लेकिन यही हकीकत है कि कम से कम 50% बड़े शहरों की लड़कियां अपनी आजादी को खोने के डर से अब शादी को तवज्जो नहीं देतीं.

35 वर्षीय दीप्ति एक नैशनल न्यूज चैनल में एक अच्छी पोस्ट पर काम करती हैं और सिंगल हैं. शादी से जुड़े सवाल पर तपाक से कहती हैं, ‘‘अच्छी है न जिंदगी क्योंकि कोई रोकटोक नहीं है. अपने तरीके से अपनी लाइफ ऐंजौय कर रही हूं. अपने पेरैंट्स का खयाल रखती हूं. अपना घर, गाड़ी सब कुछ है, तो ऐसे में शादी कर कई हजार बंदिशों में बंध रिस्क क्यों लिया जाए?’’

असल में ऐसी सोच सिर्फ दीप्ति की ही नहीं बल्कि शहरों में पलीबढ़ी 60% लड़कियों की है. या तो ये शादी करना नहीं चाहतीं या फिर अगर शादी करती भी हैं तो अपनी शर्तों पर. ऐसे में जाहिर सी बात है कि हमारे पितृसत्तात्मक समाज के लड़कों के माथे पर सिकुड़न पड़ना तय है.

कशमकश में उलझी हैं सफल महिलाएं

अजीब सी कशमकश में उलझी ऐसी सफल महिलाएं उम्र के इस पड़ाव पर आने के बावजूद भी शादी करने का फैसला सही उम्र में नहीं ले पातीं. जब तक हो सके अकेले ही रहना चाहती हैं, जिस की एक सीधी सी वजह यह है कि अब लड़कियां शादी जैसे बंधन में बंधने के लिए अपनी जिंदगी में न तो कोई बदलाव लाना चाहती हैं और न ही कोई समझौता करना चाहती हैं. जिस की सब से बड़ी वजह यही है कि अब लड़कियां अपनी आजादी नहीं खोना चाहतीं.

लेकिन इन का यही फैसला कहीं न कहीं इन के लिए एक वक्त के बाद मुश्किलें भी खड़ी कर देता है. एक वक्त के बाद सिंगल रहना अखरने भी लगता है. जिंदगी के सफर में तनहाई काटने को दौड़ती है. उस वक्त जरूरत महसूस होती है एक ऐसे साथी की जो हमसफर बन कर आप के साथ जिंदगी के सुखदुख साथ बांट सके.

अब सोचने वाली बात यह है कि लड़कियों की यह सोच वाकई समाज के माने बदल समाज को एक सही दिशा में जा रही है या फिर इस सोच के कल कई दुष्प्रभाव समाज पर पड़ सकते हैं?

सालता भी है अकेलापन

अगर देखा जाए तो लड़कियों का शादी जैसे मुद्दे पर खुद फैसला लेना सही है, लेकिन अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जीने की चाहत में इस खूबसूरत पड़ाव से कतराना भी समझदारी नहीं, क्योंकि कुछ वक्त के बाद इंसान को अकेलापन सताने लगता है और अकेलेपन से बचना वाकई बड़ा मुश्किल है.

एक जमाने की मशहूर अदाकारा परवीन बौबी को ही ले लीजिए. उन की कहानी भी कुछ ऐसी ही थी. एक वक्त था जब परवीन के पास ढेरों प्रपोजल्स थे. न जाने कितने नौजवान उन से शादी करने को बेताब थे. मगर उस वक्त सफलता के नशे में चूर परवीन बौबी सारे प्रपोजल्स टालती गईं. शादी की बात को उन्होंने कभी गंभीरता से नहीं लिया. लेकिन बाद में उन का यही फैसला उन के लिए काफी नुकसानदायक साबित हुआ. उन की जिंदगी के अंतिम दिनों में उन का अकेलापन ही उन की मौत का कारण बना.

एक जमाने में लाखोंकरोड़ों दिलों पर राज करने वाली इस खूबसूरत अदाकारा की जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी आया, जब इस ने खुद को अपनी तनहाई के साथ घर की चारदीवारी में कैद कर लिया. परवीन पर अकेलापन ऐसा हावी हुआ कि वे न सिर्फ डिप्रैशन में चली गईं बल्कि उन का मानसिक संतुलन तक बिगड़ गया. यहां तक कि उन्होंने लोगों से मिलनाजुलना तक बंद कर दिया और फिर एक दिन वही हुआ, जब करोड़ों दिलों पर राज करने वाली इस अदाकारा ने अंतिम सांस ली, इन के पास कोई नहीं था. यहां तक कि इन की मौत का पता भी कई दिनों के बाद इन के पड़ोसियों को दरवाजे पर लटकी दूध की थैलियों और दरवाजे के पास पड़े अखबार के बंडलों से चला. फिर जांचपड़ताल के बाद घर के अंदर उन की लाश मिली तब जा कर पता चला कि लाखोंकरोड़ों दिलों की चहेती परवीन बौबी इस दुनिया को अलविदा कह चुकी हैं.

ऐसा सिर्फ परवीन बौबी के साथ ही नहीं हुआ. इस के और भी ढेर सारे उदाहरण आप को मिल जाएंगे. हकीकत में यह अकेलापन ऐसी बीमारी है, जो बाद में डिप्रैशन का रूप ले लेती है आगे चल कर जिंदगी के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकती है. इसलिए बेहतर है कि जिंदगी को गंभीरता से लें.

क्या करें क्या न करें

शादी का बंधन इतना नाजुक नहीं होता कि उसे जब चाहे तोड़ लो और जब मन करे जोड़ लो. निश्चित तौर पर काफी सोचनेसमझने के बाद ही यह फैसला लेना सही होता है. और अगर आप अपने हिसाब से जीवनसाथी चुनना चाहती हैं तो इस में भी हरज कुछ नहीं, लेकिन ध्यान रखें कि आप जरूरत से ज्यादा चूजी भी न हो जाएं क्योंकि यह इकलौती वजह ही ढेरों प्रपोजल रिजैक्ट करने के लिए काफी होती है.

किसी भी रिश्ते को पनपने से पहले ही अपनी शर्तों में न बांध दें. किसी भी रिश्ते की बौंडिंग मजबूत होने में वक्त लगता है, तो आप भी अपने रिश्ते को वक्त दें. सामने वाले इंसान को पहले समझने की कोशिश करें.

परफैक्शन में नहीं हकीकत में विश्वास करें. यह कोई प्रोफैशनल टास्क नहीं है, जिस में आप को या आप के हमसफर को परफैक्शन के मापदंड पर खरा उतरना है. यह फिल्मी दुनिया नहीं बल्कि हकीकत है. हकीकत पर भरोसा करें. चांद सब से खूबसूरत होता है, लेकिन उस में भी दाग है. वही कहानी इंसानों की भी है. इसलिए परफैक्शन में जाने के बजाय प्रैक्टिकल हो कर सोचें.

फैसले का सही वक्त क्या हो

सही उम्र में सही फैसला लेना भी जरूरी होता है. कैरियर के साथसाथ पर्सनल लाइफ पर भी ध्यान दें. यदि आप ने समय से अपनी पढ़ाईलिखाई पूरी कर के मनचाहा मुकाम हासिल कर लिया है तो शादी का फैसला बेवजह टालने में समझदारी नहीं है.

ऐटिट्यूड में नहीं बौंडिंग में यकीन करना सीखें. हमेशा याद रखें कि आप का ऐटिट्यूड किसी भी रिश्ते को बनने से पहले ही उसे खोखला करना शुरू कर देता है जबकि बौंडिंग किसी भी रिश्ते को और गहरा और मजबूत बनाती है.

पहले से किसी इंसान या उस के प्रोफैशन को ले कर उस के प्रति अपने मन में कोई धारणा न बना लें. प्यार और विश्वास से एक नए रिश्ते की शुरुआत करें.

कई बार लड़कियां जब शादी के लिए किसी से मिलती हैं, तो वे उस लड़के की अपने ड्रीम बौय या फिर अपने आदर्श इंसान से तुलना शुरू कर देती हैं जो सही नहीं है, हर इंसान का व्यक्तित्व, व्यवहार और खूबियां अलगअलग होती हैं. इसलिए जब भी आप किसी से मिलें तो बेवजह उस की किसी और से तुलना न शुरू कर दें.

जैसे जीवनसाथी की कल्पना आप ने अपने लिए की है वैसा ही आप को मिले, यह थोड़ा मुश्किल है. ऐसे में बेहतर यही होगा कि समझदारी के साथ जीवनसाथी का चुनाव करें और यह विश्वास रखें कि शादी के बाद भी आपसी समझ से रिश्ते को बेहतर बनाया जा सकता है. अकेला रह कर आप क्षणिक सुख तो पा सकती हैं पर सारी जिंदगी को खूबसूरत बनाने के लिए एक हमकदम का साथ जरूरी होता है.

इस बात पर यकीन करें कि एक खूबसूरत जिंदगी एक अच्छे हमसफर के साथ आप का इंतजार कर रही है. बस जरूरत है तो सिर्फ पहल करने और गंभीरता से सोचने की. तो देर किस बात की, शुरुआत कीजिए और कदम बढ़ाइए इस खूबसूरत जिंदगी की तरफ.

लड़का देखते वक्त ध्यान रखें ये 17 बातें

अब वह जमाना नहीं रहा जब युवकयुवती देखने जा कर अपनी पसंदनापसंद बताता था. बदलते दौर में अब न सिर्फ युवक बल्कि युवती भी लड़का देखने जाती है और दस तरह की बातें पौइंट आउट करती है जैसे वह दिखने में कैसा है? उस का वे औफ टौकिंग कैसा है? बौडी फिजिक बोल्ड है या नहीं ममाज बौय तो नहीं है? वगैरावगैरा.

आज बराबर की हिस्सेदारी के कारण युवतियां किसी चीज से समझौता करना पसंद नहीं करतीं. यह ठीक भी है कि जिस के साथ ताउम्र रहना है उस के बारे में जितना हो सके जान लेना चाहिए ताकि आगे किसी तरह का कोई डाउट न रहे.

ऐसे में आप जब लड़का देखने जाएं तो कुछ बातें ध्यान में रखें और खुद भी ऐसा कुछ न करें जो आप की नैगेटिव पर्सनैलिटी को दर्शाए.

1. जब भी आप युवक से पहली बार मिलें तो उस की बौडी लैंग्वेज पर खास ध्यान दें. इस से आप को उस की आधी पर्सनैलिटी का तो ऐसे ही अंदाजा हो जाएगा. बात करते हुए देख लें कि कहीं वह बात करने से ज्यादा अपने हाथपैर तो नहीं हिला रहा. बात करते हुए फेस पर अजीब से रिऐक्शन तो नहीं आ रहे. इस से आप को उसे जज करने में काफी आसानी होगी.

2. बात करते समय इस बात पर गौर फरमाएं कि कहीं वह तू से बात करना तो शुरू नहीं करता कि यार, मुझे तो बिलकुल तेरे जैसी लड़की चाहिए, तू तो आज बहुत क्यूट लग रही है. अगर ऐसा कहे तो समझ जाएं कि वह आप के लायक युवक नहीं है, क्योंकि जो पहली बातचीत में ही तू तड़ाक पर आ जाए उस से भविष्य में रिस्पैक्ट की उम्मीद नहीं की जा सकती.

3. भले ही उस युवक का सैलरी पैकेज काफी अच्छा हो, लेकिन इस का यह मतलब तो नहीं कि उस की हर बात में सैलरी का ही जिक्र हो. जैसे अगर हम दोनों की शादी हो गई तो तुम ऐश करोगी, तुम्हें ब्रैंडेड चीजें यूज करने का मौका मिलेगा, क्योंकि मैं औफिस के काम से विदेश भी जाता रहता हूं. इस से आप को अंदाजा हो जाएगा कि उसे अपनी सैलरी पर घमंड है.

4. युवक को जानने के साथसाथ आप उस की फैमिली को भी एकनजर में जानने की कोशिश करें. आप को उन की बातचीत के तरीके से पता लग जाएगा कि वे कैसे विचारों के लोग हैं. लड़की को जौब करवाने के फेवर में हैं या नहीं. घर में लड़की से ज्यादा लड़के को तो महत्त्व नहीं देते. इन सारी बातों का पता होने पर आप को डिसीजन लेने में काफी आसानी होगी.

5. बातोंबातों में कहीं दहेज की ओर तो इशारा नहीं है. जैसे हमारी बड़ी बहू तो शादी में हर चीज लाई थी, हमारा लड़का तो 15 लाख रुपए सालाना कमाता है, हमारे यहां तो रिश्तेदारों का शादी में खास खातिरदारी का रिवाज है. आप को जो देना है अपनी लड़की को देना है, हमें कुछ नहीं चाहिए जैसी बातें अगर मीटिंग में की जा रही हैं तो समझ जाएं कि उन्हें लड़की से ज्यादा दहेज में इंट्रस्ट है.

6. आप की फैमिली लड़की को आप से बात करने के लिए कह रही है और वह इस के लिए मम्मी से परमिशन ले कर खुद को ममाज बौय दिखाने की कोशिश करे तो समझ जाएं कि लड़के की खुद की कोई पर्सनैलिटी नहीं है और वह हर बात के लिए मम्मी पर डिपैंड रहता है.

7. अगर थोड़ी सी सीरियस बात के बाद वह सीधा कपड़ों पर आ जाए जैसे मुझे तो सूट वगैरा बिलकुल पसंद नहीं हैं. मैं तो चाहता हूं कि मेरी लाइफ पार्टनर हमेशा हौट ड्रैसेज पहने, इस से आप को यह समझने में आसानी होगी कि उसे आप से ज्यादा छोटे कपड़ों में इंट्रस्ट है, जो हैप्पी मैरिड लाइफ के लिए सही नहीं है.

8. कहीं ऐसा तो नहीं कि फर्स्ट मीटिंग में ही युवक आप से फ्यूचर प्लानिंग के बारे में बात करना शुरू कर दे कि हम तो शादी के बाद अकेले रहेंगे, इस तरह चीजों को मैनेज करेंगे, मुझे तो लड़के बहुत पसंद हैं इस से आप को उस की मैच्योरिटी के बारे में पता चल जाएगा.

9. जरूरी नहीं कि जब हम इस तरह की मीटिंग के लिए कहीं बाहर जाएं तो हमेशा लड़की वाले ही बिल पे करें. भले ही आप के पेरैंट्स उन्हें बिल पे न करने दें, लेकिन फिर भी यह बात जानने के लिए थोड़ी देर तक बिल पे न करें. अगर वह एक बार भी बिल पे करने का जिक्र न करे तो समझ जाएं कि वह सिर्फ फ्री में खानेपीने वाले सिद्धांत पर चलने वाला है.

10. भले ही आप काफी स्मार्ट हों, लेकिन इस का यह मतलब नहीं कि आप लड़के के गुणों को देखने के बजाय उस की स्मार्टनैस के बेस पर ही उसे पौइंट्स दें. एक बात मान कर चलें कि स्मार्टनैस थोड़े दिन ही अच्छी लगती है उस के बाद तो व्यक्ति के गुणों के बल पर ही जिंदगी चलती है. इसलिए आउटर के साथसाथ इनर पर्सनैलिटी को भी ध्यान में रखें.

11. हमारे घर में यह होता है, हम ऐसे रहते हैं, हम यह नहीं खाते, मौल्स के अलावा हम कहीं और से शौपिंग नहीं करते. भले ही आप का लिविंग स्टैंडर्ड काफी हाई हो, लेकिन अगर आप इस तरह की बातें लड़के से करेंगी तो वह चाहे आप कितनी भी सुंदर क्यों न हों, आप से शादी नहीं करेगा.

12. माना कि युवतियों को शौपिंग का शौक होता है, लेकिन इस का मतलब यह तो नहीं कि आप युवक से 20 मिनट में 15 मिनट शौपिंग को ले कर ही बात करें. जैसे मैं हफ्ते में जब तक एक बार शौपिंग नहीं कर लेती तब तक मुझे चैन नहीं आता, क्या तुम्हें शौपिंग पसंद है? अगर हमारी शादी हो गई तो क्या तुम मेरे साथ हर वीकैंड पर शौपिंग पर चला करोगे? ऐसी बातों से सिर्फ यही शो होगा कि आप को मैरिज से ज्यादा शौपिंग में इंट्रस्ट है जो आप की नैगेटिव पर्सनैलिटी को शो करेगा.

13. आज सोशल मीडिया का जमाना है, लेकिन इस का यह मतलब नहीं कि हर जगह सोशल मीडिया ही हावी हो. ऐसे में जब आप लड़के से बात कर रही हैं तो यह न पूछ बैठें कि आप सोशल साइट्स पर ऐक्टिव हैं कि नहीं. अगर हैं तो अपनी आईडी दीजिए ताकि मैं अपनी फ्रैंडलिस्ट में आप को ऐड कर सकूं. इस से लड़के तक यही मैसेज जाएगा कि आप सोशल मीडिया को ले कर कितनी क्रेजी हैं तभी इतनी सीरियस टौक में आप सोशल मीडिया को ले आई हैं.

14. जब भी आप लड़के से मिलने जाएं तो उस का बायोडाटा अच्छी तरह पढ़ लें कि वह कहां जौब करता है, इस से पहले उस ने किनकिन कंपनियों में जौब की है, उस की फैमिली में कितने मैंबर्स हैं और कौन क्या करता है. यहां तक कि उस की कंपनी व पद के बारे में भी जानकारी रखें. इस से जब वह अपनी कंपनी के बारे में बता रहा होगा तो आप की तरफ से भी अच्छा फीडबैक मिल पाएगा.

15. पहली मुलाकात में ही आप उस से अपना नंबर शेयर न करें, क्योंकि आप को क्या पता कि बात बनेगी या नहीं. इसलिए इस बात को अपने पेरैंट्स पर छोड़ दें, क्योंकि अगर आप का रिश्ता बना तो पेरैंट्स खुद ही आप को नंबर दिलवा देंगे ताकि आप को एकदूसरे को जानने का मौका मिल सके.

16. अगर बड़े किसी टौपिक पर बात कर रहे हैं कि जैसे हम शादी तो अपने होम टाउन से ही करेंगे तो ऐसे में आप बीच में टांग न अड़ाने लगें कि नहीं आंटी ऐसा नहीं होगा. आप के इस व्यवहार से आप की बदतमीजी ही शो होगी इसलिए जब तक जरूरी न हो तब तक बीच में न बोलें.

17. अगर आप को लड़के की कोई बात पसंद नहीं आ रही तो एकदम से गुस्से में न आ जाएं बल्कि शांत तरीके से अपनी बात रखें, इस से उस पर आप का अच्छा प्रभाव पड़ेगा और उसे लगेगा कि आप चीजों को अच्छे से ऐडजस्ट करना जानती हैं.

इस तरह आप को अपने लाइफ पार्टनर के सिलैक्शन में आसानी होगी.   

सुख की गारंटी नहीं शादी

लंदन स्कूल औफ इकोनौमिक्स के प्रोफैसर (जो हैप्पीनैस ऐक्सपर्ट भी हैं) पाल डोलन के शब्दों में, ‘‘शादी पुरुषों के लिए तो फायदेमंद है, लेकिन महिलाओं के लिए नहीं. इसलिए महिलाओं को शादी के लिए परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि वे बिना पति के ज्यादा खुश रह सकती हैं खासकर मध्य आयुवर्ग की विवाहित महिलाओं में अपनी हमउम्र अविवाहित महिलाओं की तुलना में शारीरिक और मानसिक परेशानियां होने का ज्यादा खतरा होता है. इस से वे मर भी जल्दी सकती हैं.’’

विवाहित महिलाओं की तुलना में अविवाहित महिलाएं ज्यादा खुश रहती हैं. शादीशुदा, कुंआरे, तलाकशुदा, विधवा और अलग रहने वाले लोगों पर किए गए सर्वे के आधार पर पाल डोलन का कहना है कि आबादी में जो हिस्सा सब से स्वस्थ और खुशहाल रहता है वह उन महिलाओं का है जिन्होंने कभी शादी नहीं की और जिन के बच्चे नहीं हैं. उन के मुताबिक जब पतिपत्नी एकसाथ होते हैं और उन से पूछा जाए कि वे कितने खुश हैं तो उन का कहना होता है कि वे बहुत खुश हैं. लेकिन जब पति या पत्नी साथ में नहीं हों तो वे स्वाभाविक रूप से यह कहते सुने जा सकते हैं कि जिंदगी दूभर हो गई है.

अगर कहीं भी शादी की बात पर बहस होती है तो शादी की जरूरत के कई कारण बताए जाते हैं जैसे नई सृष्टि की रचना, भावनात्मक सुरक्षा, सामाजिक व्यवस्था, औरत मां बन कर ही पूरी होती है, स्त्रीपुरुष एकदूसरे के पूरक हैं, समाज में अराजकता रोकने में सहायक आदि. ये सारे कारण शादी को महज एक जरूरत का दर्जा देते हैं, मगर कोई यह नहीं कहता कि हम ने शादी अपनी खुशी के लिए की है.

ज्यादातर घरों में लड़कियों को बचपन से शादी कर के खुशीखुशी घर बसाने के सपने दिखाए जाते हैं. हर बात के पीछे उन्हें समझया जाता है कि शादी के बाद वे अपने मन का कर सकेंगी, शादी के बाद बहुत प्यार मिलेगा, शादी के बाद अपने घर जाएंगी या फिर शादी के बाद ही उन का जीवन सार्थक होगा वगैरहवगैरह. मगर सच तो यह है कि शादी के बाद भी बहुत सी लड़कियों के सपने हकीकत के आईने में बेरंग ही नजर आते हैं.

अपना घर

घर की बुजुर्ग महिलाओं द्वारा लड़कियों के मन में बचपन से यह बात भरी जाती है कि मां का घर उस का अपना नहीं है. उसे मायका छोड़ कर ससुराल जाना पड़ेगा और वही उस का अपना घर कहलाएगा. ससुराल पहुंच कर लड़की को पता चलता है कि वह इस घर में बाहर से आई है और कभी सगी नहीं कहलाएगी. वह बहू ही रहेगी कभी बेटी नहीं हो सकती.

मायके के पास पैसों की कितनी भी कमी हो पर लड़की को कभी महसूस नहीं होने देते, जबकि ससुराल कितनी भी धनदौलत से पूर्ण हो पर बहू को अपनी सीमा में रहना होता है. शुरुआत में कई साल उसे घरपरिवार के किसी भी मसले में बोलने का हक नहीं दिया जाता. ससुराल वाले कितने भी एडवांस हों, मगर बहू तो बहू ही होती है. वह बेटे या बेटी की बराबरी नहीं कर सकती.

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अकेलापन

लड़कियों को बचपन से शादी के सपने दिखाए जाते हैं. जिस लड़की की किसी कारणवश शादी नहीं हो पाती या फिर वह स्वयं शादी करना नहीं चाहती तो मांबाप या रिश्तेदारों के साथसाथ सारा समाज उसे सिखाता है कि शादी के बाद ही लाइफ सैटल हो पाती है. शादी के बिना जीवन में कुछ भी नहीं रखा. भले ही वह लड़की सैल्फ डिपैंडैंट हो, अच्छा कमा रही हो मगर उसे बुढ़ापे का डर जरूर दिखाया जाता है.

उसे बताया जाता है कि जब घर में सब खुद के परिवारों में व्यस्त हो जाएंगे तो वह अकेली रह जाएगी. यह सोच काफी हद तक सही है क्योंकि समय के साथ जब मांबाप चले जाते हैं और भाईबहन अपनी दुनिया में व्यस्त हो जाते हैं तब अविवाहित लड़की खुद को अकेला महसूस करती है. मगर इस का समाधान कठिन नहीं. यदि वह अपने काम में व्यस्त रहे और रिश्तेदारों व दोस्तों के साथ अच्छे संबंध बना कर रखे तो इस तरह की समस्या नहीं आती.

बात पते की

लड़कियों को बचपन से यह भी सिखाया जाता है कि एक औरत मां बनने के बाद ही पूर्ण होती है. लड़कियों पर कम उम्र में ही शादी के लिए दबाव डाला जाता है ताकि वे सही उम्र में मां बन जाएं. मां बनना जीवन की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है मगर जरा सोचिए इस के कारण लड़की को सब से पहले तो अपनी पढ़ाई और कैरियर बीच में छोड़ना पड़ता है. फिर वह शादी कर दूसरे घर आ जाती है और वहां एडजस्टमैंट कर ही रही होती है कि हर तरफ से बच्चे के लिए दबाव पड़ने लगती है.

सही समय पर बच्चे हो गए तो सब अच्छा है पर मान लीजिए किसी कारण से बच्चे नहीं हुए तब क्या होता है? दबी आवाज में उस पर ही इलजाम लगाए जाते हैं. उसे बांझ कह कर पुकारा जाता है. सालोंसाल बच्चे की चाह में घर वाले उसे पंडेपुजारियों और झड़फूंक वालों के पास ले जाते हैं. इन सब के बीच उस महिला को कितना मैंटल स्ट्रैस होता होगा यह बात समझनी भी जरूरी है.

शादी के बाद पति गलत आदतों का शिकार निकल जाए तो जरूरी नहीं कि आप की जिंदगी खुशहाल ही रहेगी. शादी के समय आप को यह पता नहीं होता कि आप का पति कैसा है? पति अच्छा निकला तो लड़की सुकूनभरी जिंदगी जीती है, मगर जरूरी नहीं कि हमेशा ऐसा ही हो. कितनी ही लड़कियां शादी के बाद अपने शराबी पति के अत्याचारों का शिकार बन जाती हैं तो कुछ पति की बेवफाई से परेशान रहती हैं.

कुछ के पति बिजनैस डुबो देते हैं तो कुछ दोस्तबाजी के चक्कर में बीवी को रुलाते रहते हैं. बहुत से पति ऐसे भी होते हैं जो पत्नी के साथ मारपीट करते हैं और उसे अपने पैरों की जूती से ज्यादा नहीं समझते. ऐसे में आप यह कैसे कह सकते हैं कि शादी के बाद लड़की को सुख ही मिलेगा और उस का जीवन संवर जाएगा? संभव तो यह भी है न कि उस की जिंदगी बरबाद ही हो जाए और उसे उम्रभर घुटघुट कर जीना पड़े.

ससुराल वालों के सितम

कई बार ऐसा भी होता है कि मांबाप तो अच्छा घर देख कर बेटी की शादी करते हैं, मगर नतीजा उलटा निकलता है. बहुत से मामलों में ससुराल वाले लड़की पर जुल्म करते हैं. कभी दहेज के लिए धमकाते हैं तो कभी घरेलू हिंसा करते हैं. बहुत सी लड़कियों को ससुराल में जिंदा जला दिया जाता है. कुछ घरों में ऊपरी तौर पर भले ही कुछ न किया जाए पर दिनरात ताने दिए जाते हैं, बुराभला कहा जाता है.

अकसर सास बहू के खिलाफ बेटे के कान भरती पाई जाती है. ऐसे हालात में लड़की को शादी के बाद घुटघुट कर जीना पड़ता है और उस की जिंदगी खुशहाल होने के बजाय बरबाद हो जाती है.

मांबाप का कर्तव्य है कि वे अपनी बेटियों को हमेशा अप्रत्याशित के लिए तैयार रहने के काबिल बनाएं. शादी के बाद भी ऐसा बहुत कुछ हो सकता है जिस का मुकाबला करने के लिए खुद को मजबूत बनाना पड़ता है और दिमाग से ही नहीं, मन से व तन से भी. बेहतर होगा कि मातापिता बेटियों पर शादी के लिए दबाव डालने के बजाय उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाएं.

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शादी मजबूरी क्यों

एक शादीशुदा महिला ही जानती है कि शादी के बाद असल में उसे क्याक्या ?ोलना पड़ता है. यही वजह है कि आज बहुत सी लड़कियां शादी करना नहीं चाहतीं. उन का मानना है कि जब वे खुद कमा रही हैं और शांति से जी रही हैं तो फिर शादी कर के अपनी परेशानियां क्यों बढ़ाएं. दरअसल, हमारा सामाजिक तानाबाना ही इस तरह का रहा है जहां यह माना जाता है कि महिलाओं का काम घर संभालना और बच्चे पैदा करना होता है जबकि पुरुषों का काम कमाना और महिलाओं को संरक्षण देना. लेकिन वक्त के साथ महिलाओं और पुरुषों के रोल बदल रहे हैं. ऐसे में सोच बदलनी भी जरूरी है.

यह सही है कि अविवाहित जीवन में महिलाओं को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. मगर शादी भी इंसान को अनेक सामाजिक व पारिवारिक झंझटों में फंसाती है. तो फिर अविवाहित जीवन को गलत या हेय क्यों माना जाए? क्यों न लड़कियों को खुद तय करने दिया जाए कि उन्हें क्या करना है?

30-35 साल से ऊपर की अविवाहित महिला अब भी लोगों की आंखों में खटकती है. लड़की भले ही कितना भी पढ़लिख ले और ऊंचे पद पर पहुंच जाए, लेकिन उसे ससुराल भेज कर ही मातापिता के सिर से बोझ उतरता है. ज्यादातर लोगों की सोच यह होती है कि 30 साल से ऊपर की अविवाहित लड़की सुखी हो ही नहीं सकती.

सुख का सीधा संबंध शादी से है. मगर सच तो यह है कि सुखी या दुखी और खुश या नाखुश होने की परिभाषा सब के लिए अलगअलग होती है. ऐसी बहुत सी अविवाहित महिलाएं हैं जो 30 के ऊपर हैं और अपनेआप में पूर्ण हैं. आप मदर टेरेसा, लता मंगेशकर, पीनाज मसानी, बरखा दत्त, सोनल मान सिंह जैसी बहुत सी महिलाओं का नाम ले सकते हैं. हम यदि कहीं भी अचीवर्स लिस्ट ढूंढ़ते हैं तो कभी भी शादी क्राइटेरिया नहीं होता यानी जीवन में आप की खुशी शादी पर निर्भर नहीं करती.

मातापिता का कर्तव्य है कि बच्चों को शिक्षित करें, आत्मनिर्भर बनाएं और उस के बाद अपने जीवन के निर्णय ख़ुद लेने दें. सब के सुख अलगअलग होते हैं. सुख को अगर परिभाषित करें तो कोई भी इंसान जब अपने मन की करता है या कर पाता है शायद तभी वह सब से सुखद स्थिति में होता है.

विवाह तभी करना चाहिए जब आप किसी को इतना चाहें कि उस के साथ जीवन बिताना चाहें. मगर जिस की शादी में रुचि न हो उसे कभी भी नहीं करनी चाहिए. प्रेम हो तो शादी करें, मगर उस में भी खुशी मिलेगी ही यह कहा नहीं जा सकता. जीवन में खुशियां चुननी पड़ती हैं. कोई हाथ में रख कर नहीं देता. खुशियां पाने का यत्न हम सभी करते हैं. कभी सफल होते हैं तो कभी असफल. विवाह करना या न करना व्यक्ति का निजी मामला है. इस में कोई कुछ नहीं कह सकता. हमारे समाज में शादीशुदा, अविवाहित और समलैंगिक के लिए व्यक्ति के स्तर पर समान इज्जत होनी चाहिए. कोई क्या चुनता है यह व्यक्तिगत मसला है.

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शादी के लिए हां करने से पहले जाननी जरुरी हैं ये 5 बातें

‘शादी,’ यह शब्द सुनते ही किसी के चेहरे पर मुसकराहट आ जाती है तो किसी के चेहरे पर टैंशन. कई लोगों के साथ ये दोनों चीजें होती हैं. मतलब वे कभी खुश होते हैं तो कभी चिंता में पड़ जाते हैं. एक तरफ नए रिश्ते की एक्साइटमैंट होती है तो दूसरी तरफ जिम्मेदारियों का एहसास. कहते हैं न ‘शादी का लड्डू, जो खाए पछताए जो न खाए वह भी पछताए.’ भई, जब पछताना ही है तो क्यों न खा कर ही पछताया जाए. तो अब जब आप ने शादी करने का मन बना ही लिया है तो कुछ सवालों के जवाब जानना आप के लिए बेहद जरूरी हैं. चाहें आप लव मैरिज कर रही हों या फिर अरेंज.

शादी के बाद आप रोज कुछ न कुछ अपने पार्टनर के बारे में नई बातें जान सकती हैं लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं जो शादी से पहले ही आप दोनों को जानना जरूरी है. इन के जवाब जानने के बाद आप को यह पता चल जाता है कि आप उन से शादी कर सकती हैं या नहीं. साथ ही, इस बात का एहसास हो जाता है कि आप दोनों के लिए आने वाली लाइफ कैसी हो सकती है.

घर के काम की जिम्मेदारी

अब वह समय नहीं रहा कि किसी एक पर काम का पूरा बोझ दे दिया जाए. शादी के बाद ज्यादातर लड़ाई इसी बात की होती है कि झाड़ ूपोंछा, बरतन, कपड़े धोने और खाना बनाने का काम कौन करेगा. अगर होने वाला लाइफपार्टनर आप से यह कहता है कि वह तो पानी भी नहीं उबाल सकता, घर के काम करना तो दूर की बात है. फिर आप सोच लीजिए. अगर आप मैनेज कर सकती हैं तो इस रिश्ते को आगे बढ़ाने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन अगर आप को लगता है कि घर के कामों में उन्हें भी मदद करनी चाहिए तो यह बात उन को बता दें.

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अगर वे यह जवाब देते हैं कि वे इस के लिए तैयार हैं तब तो रिश्ते को आगे ले जाइए लेकिन अगर वे यह जताते हैं कि घर के काम की जिम्मेदारी सिर्फ औरत की है तो ऐसे रिश्ते में संभल जाना ही बेहतर है.

शादी के बाद का कैरियर

अपने कैरियर के बारे में अपने होने वाले लाइफपार्टनर से पहले ही बता दें. जैसे, आप कैरियर को ले कर काफी सीरियस और प्रोफैशनल हैं. इस के लिए आप काफी मेहनत भी कर रही हैं और शादी के बाद भी बाहर जा कर काम करना चाहती हैं. वहीं अगर शादी के बाद आप काम नहीं करना चाहतीं तो भी उन से साफसाफ बता दें. साथ ही, उन से यह भी पूछें कि आगे चल कर कैरियर प्लानिंग क्या है. अगर वे ट्रांसफर लेना चाहते हैं तो क्या आप के लिए यह पौसिबल है, यह शादी से पहले ही क्लीयर कर लेना चाहिए.

कर्ज तो नहीं

शादी के कई साल बाद अगर पता चलता है कि पार्टनर ने लाखों का कर्जा लिया है तो बसीबसाई गृहस्थी खराब हो जाती है. इसलिए उन से पहले ही पूछ लें कि क्या कोई उधार या क्रैडिट कार्ड का बड़ा बकाया बिल तो नहीं है. उन के जवाब के बाद सोचसमझ कर अगला कदम बढ़ाएं, क्योंकि आर्थिक वजह से भी बड़ेबड़े झगड़े होते हैं.

बच्चों के बारे में

आज के दौर में बहुत सारे कपल ऐसे हैं जो बच्चे पैदा नहीं करना चाहते. वे एडौप्शन या आईवीएफ को बेहतर मानते हैं. इसलिए शादी के पहले ही एकदूसरे के विचार जानना जरूरी है. क्या पता आप बच्चा चाहती हों और वे नहीं या यह भी हो सकता है कि वे बच्चा चाहते हों लेकिन आप नहीं. इसलिए इस पर खुल कर बात कर लें.

धार्मिक, राजनीतिक विचार और रिस्पैक्ट

आप दोनों एकदूसरे से अपने धार्मिक व राजनीतिक विचार शेयर करें. आजकल हर किसी की अपनी राजनीतिक विचारधारा और धार्मिक नजरिया होता है. कुछ लोग ऐसे होते हैं जो धार्मिक या नास्तिक होते हुए भी किसी और पर अपनी सोच नहीं थोपते और कुछ ऐसे भी होते हैं जो दूसरे पर बहुत ज्यादा हावी हो जाते हैं. तो आप उन के सामने अपनी बात रखिए. हो सकता है कि आप दोनों की सोच एक हो और अगर एक न भी हो तो भी उन से पूछिए कि फ्यूचर में आप दोनों एकदूसरे की विचारधाराओं का सम्मान कर पाएंगे या नहीं. क्या एकदूसरे को इस की आजादी दे पाएंगे. कहीं यह आप के बीच दूरी की वजह तो नहीं बनेगी.

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हैल्थ प्रौब्लम

वैसे तो होने वाले पार्टनर से शादी करने से पहले कोई ऐसी बात नहीं छिपानी चाहिए जिस से आगे चल कर आप दोनों के रिश्ते में दरार पड़े लेकिन आज के दौर में एक अहम सवाल का जवाब जानना बेहद जरूरी हो गया है, वह है हैल्थ प्रौब्लम. जरूरी नहीं है कि बीमारी बड़ी हो. आप दोनों को अपनी स्वास्थ्य समस्याओं पर बात कर लेनी चाहिए, भले ही वह छोटी बीमारी क्यों न हो. आप दोनों अगर मैनेज कर सकते हैं तो रिश्ते को आगे बढ़ाने में कोई बुराई नहीं है.

शादी के बाद होने वाली प्रौब्लम और उसके जवाब बताएं?

सवाल-

मैं 23 वर्षीय कामकाजी युवती हूं. 2 महीने बाद मेरी शादी होने वाली है. मु झे खाना बनाना नहीं आता जबकि टीवी धारावाहिकों में मैं ने देखा है कि बहू को खाना बनाना नहीं आने पर ससुराल के लोग न सिर्फ उस का मजाक उड़ाते हैं वरन उसे प्रताडि़त भी करते हैं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

छोटे परदे पर प्रसारित ज्यादातर धारावाहिकों का वास्तविक जीवन से दूरदूर तक वास्ता नहीं होता. सासबहू टाइप के कुछ धारावाहिक तो इतने कपोलकल्पित होते हैं कि जागरूकता फैलाने के बजाय ये समाज में भ्रम और अंधविश्वास फैलाने का काम करते हैं. शायद ही कोई धारावाहिक हो जिस में सासबहू के रिश्ते को बेहतर तरीके से प्रस्तुत किया गया हो.

वास्तविक दुनिया धारावाहिकों की दुनिया से बिलकुल अलग है. आज की सासें सम झदार और आधुनिक खयाल की हैं. उन्हें पता है कि एक कामकाजी बहू को किस तरह गृहस्थ जीवन में ढालना है.

फिर भी आप अपने मंगेतर से बात कर इस बारे में जानकारी दे दें. अभी विवाह में 2 महीने बाकी भी हैं, इसलिए खाना बनाने के लिए सीखना अभी से शुरू कर दें. खाना बनाना भी एक कला है, जिस में निपुण महिला को किसी और पर आश्रित नहीं होना पड़ता, साथ ही उसे पति व बच्चों सहित घर के सभी सदस्यों का भरपूर प्यार भी मिलता है.

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साराऔफिस खाली हो चुका था पर विजित अपनी जगह पर उल झा हुआ सा सोच में बैठा था. वह बहुत देर से तन्वी को फोन करने की सोच रहा था पर जितनी बार मोबाइल हाथ में उठाता, उतनी बार रुक जाता. क्या कहेगा तन्वी से, वही जो कई बार पहले भी कह चुका है?

पिछले काफी समय से तन्वी से उस की बात नहीं हुई थी. लेकिन आज तो वह बात कर के ही रहेगा. उस ने मोबाइल फिर उठाया और नंबर मिला दिया. उधर से तन्वी की हैलो सुनाई दी.

‘‘तन्वी…’’ विजित की आवाज सुन कर तन्वी पलभर के लिए चुप हो गई. फिर तटस्थ स्वर में बोली, ‘‘हां बोलो विजित…’’

‘‘तन्वी एक बार फिर सोचो, सब ठीक हो जाएगा… इतनी जल्दबाजी अच्छी नहीं है… आखिर तुम्हें मु झ से तो कोई शिकायत नहीं है न… बाकी समस्याएं भी सुल झ जाएंगी… कुछ न कुछ हल निकालेंगे उन का… तुम वापस आ जाओ… ऐसा मत करो… ऐसा क्यों कर रही हो तुम मेरे साथ…’’ बोलतेबोलते विजित का स्वर नम हो गया था.

पूरी कहानी पढ़ने के लिए- थोड़ा दूर थोड़ा पास : शादी के बाद क्या हुआ तन्वी के साथ

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जायज नहीं पति का सरेआम झिड़कना

कभी तो अक्लमंदी की बात किया करो,’’ पति ने कहा.

बेटेबहू के सामने पति द्वारा यों झिड़कना पत्नी को बहुत आहत कर गया. उदास स्वर में बोली, ‘‘आप ने ही तो कहा था कि दाल ठंडी हो गई है, गरम कर लाओ.’’

‘‘गरम करने को कहा था, खौलाने को नहीं. बूढ़ी हो गई पर अक्ल नहीं आई.’’

बात बढ़ती देख पत्नी ने चुप रहने में ही भलाई समझी कि भला गरम दाल को ठंडा होने में कितनी देर लगती है? किंतु जब घर में पत्नी को बातबात पर झिड़कने का रिवाज हो, तो ये संस्कार पीढ़ी दर पीढ़ी चलते रहते हैं. बच्चे ये सब देखते हुए बड़े होते हैं, तो जाहिर है बड़े होने पर वे ऐसा ही करेंगे.

कई लोगों का मानना है कि छोटामोटा झगड़ा और अपमान की स्थिति पतिपत्नी के रिश्ते में आम बात है, जिस का कोई गहरा प्रभाव नहीं पड़ता. किंतु यदि आप का साथी कुछ अधिक ही ऐसी स्थिति पैदा करने लगता है, तो उसे सहना सर्वथा गलत है. गाली देना भी उतना ही गलत है जितना हाथ उठाना. झिड़कना भी उतना ही गलत है जितना अपमान करना.

असल जिंदगी का उदाहरण

श्वेता और रवीश की शादी को 14 वर्ष बीत चुके हैं. श्वेता एक निजी विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक हैं और रवीश एक बैंक कर्मचारी. जब कभी रवीश को गुस्सा आता या वे परेशान होते तो अपना स्ट्रैस श्वेता पर निकालते, बिना यह देखे कि वे दोनों उस समय कहां और किस के समक्ष हैं. रवीश श्वेता से अपमानजनक तरीके से बात करते, उसे झिड़कते, चीखते, नीचा दिखाते. ऐसे व्यवहार से न केवल श्वेता आहत होती, अपितु रवीश के प्रति उन के प्यार को भी ठेस पहुंचती. श्वेता के शिकायत करने पर बाद में वे अपने गलत व्यवहार के लिए उन से माफी भी मांगते. लेकिन उन की माफी की कोई कीमत नहीं होती, क्योंकि कुछ अरसे बाद वे फिर ऐसा ही करते.

स्थिति में सुधार लाने हेतु श्वेता ने डा. स्टीवेन स्टोस्नी की पुस्तक ‘लव विदाउट हर्ट’ पढ़ी. इस पुस्तक से उन्हें भावनात्मक अपमानजनक व्यवहार और उस से निबटने के बारे में जानकारी मिली. चूंकि रवीश पर श्वेता के समझाने का कोई असर नहीं हो रहा था, इसलिए उन्होंने सार्वजनिक स्थानों पर, अन्य लोगों के बीच रवीश से दूरी बनानी शुरू कर दी. रवीश के कारण पूछने पर उन्होंने साफसाफ बता दिया कि सब के सामने बेइज्जत होना उन्हें पसंद नहीं. श्वेता का यह तरीका वाकई रवीश में बदलाव लाया.

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फिल्मों से उदाहरण

पुरानी फिल्म ‘अभिमान’ में दर्शाया गया है कि पत्नी की सफलता से कुढ़ कर पति उसे सब के सामने झिड़कने लगता है. कुछ समय पहले आई फिल्म ‘इंगलिशविंगलिश’ में श्रीदेवी का पति उसे सदैव झिड़कता रहता है. अंगरेजी न आने पर सार्वजनिक तौर पर उस की हंसी उड़ाता है. उस के लड्डुओं के व्यवसाय का भी उपहास उड़ाता है, इस का परिणाम यह होता है कि उस के बच्चे भी उस का उपहास उड़ाने लगते हैं.

अगली पीढ़ी पर असर

अकसर महिलाएं अपनी गपबाजी में एक विषय अवश्य लाती हैं कि पति उन्हें कैसे डांटतेफटकारते हैं. ये सब बातें करते हुए कई बार वे अतिशयोक्ति भी कर बैठती हैं. उस समय वे यह भूल जाती हैं कि बच्चे भी उन की बातें सुन रहे हैं. बच्चे जो देखतेसुनते हुए बड़े होते हैं, बड़ा होने पर वैसा ही अचारण करने लगते हैं. ऐसे में हमारा सामाजिक दायित्व है कि हम आने वाली पीढ़ी को एकदूसरे की इज्जत करना सिखाएं.

ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रैसिडैंट जेफ्री आर हौलेंड का मत है कि यदि डेटिंग के दौरान आप का पार्टनर आप को नीचा दिखाए, आप की आलोचना करे, आप से क्रूर व्यवहार करे या अकारण मजाक उड़ाए, तो ऐसे रिश्ते को फौरन समाप्त कर देना चाहिए और यदि ऐसा विवाह के बाद होता है, तो आप को अपने साथी से कुछ दूरी अवश्य बना लेनी चाहिए. ऐसा व्यवहार सहना गलत है खासकर तब जब आप के बच्चे भी ये सब देखते हों.

पहली बार से ही न सहें

मोनिका ने अपने पति के मौखिक हमले सहते हुए यह सोचा कि समय के साथ सब ठीक हो जाएगा, परंतु पति के हमले बढ़ते गए. अपशब्द, हंसी उड़ाना, बदतमीजी करना, अपमानजनक बातें कहना आदत में शुमार हो गया. इसलिए पहली बार से ही पति को यह ज्ञात करा देना चाहिए कि क्या सहनीय है और क्या नहीं.

बात को हंसी में उड़ा दें

कुछ मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि पत्नी पति की अशिष्ट बातों को हंसी में उड़ा दे. हालांकि ऐसा करना बेहद कठिन होता है. जब कोई आप से अपमानजनक तरीके से बात कर रहा हो तो उस की बात के उत्तर में हंसने के बजाय तेज गुस्सा आएगा. लेकिन जरा प्रिया को देखिए, पति अमित ने जब यह कहा कि इतना भी नहीं आता तुम्हें? तो उत्तर में प्रिया हंस कर कहती है कि अजी हमें क्या आता है, सब कुछ तो आप ही जानते हैं. कुछ हमें भी शिक्षा दीजिए न. हास्य की ताकत यह है कि वह बदतमीजी के गाढ़ेपन को पतला कर देती है और जो बदतमीजी कर रहा होता है उसे समझ आ जाता है कि कहने वाले ने किस आशय से कहा है. सब के सामने बात रफादफा हो जाती है.

हो सकता है कि आप के पति सकारात्मक आलोचना से आप की कमियां सुधारना चाहते हों और आप ही अत्यधिक संवेदनशील हो रही हों. यदि आप घर को व्यवस्थित नहीं रखती हैं और आप के पति आप को इस बात के लिए झिड़क देते हैं, तो आप को मुंह फुलाने के बजाय अपनी आदतें सुधारनी चाहिए.

पति को अकेला छोड़ कर दूर चली जाएं

जब कभी आप के पति आप को अकेले में या सार्वजनिक स्थान पर अपमानित करें, तो आप किसी भी बहाने से वहां से हट जाएं. यह अपने पति के क्रोध को संभालने का एक बहुत सरल तरीका है.

बात साफ करें

कितना भी प्रयास कर लें, मगर एक न एक दिन आप अपने पति के गलत व्यवहार से थक ही जाएंगी. इसलिए अच्छा है कि जल्दी से जल्दी बात साफ कर ली जाए. अपनी बात साफतौर से उन से कहें और उन्हें बीच में टोकने न दें. जब तक आप की बात पूरी न हो जाए उन्हें बताएं

कि उन की झिड़कियां आप को कितना आहत करती हैं. उन्हें एहसास दिलाएं कि मानसिक चोट भी शारीरिक चोट की भांति बहुत तकलीफ पहुंचाती है. याद रखें कि अपनी बात नम्रता से कहें. आखिर आप यह बात इसलिए बता रही हैं ताकि आप दोनों का रिश्ता सुदृढ़ हो न कि झगड़ा बढ़े.

अनजाने ही झिड़कने की भूल

हो सकता है कि आप के पति इस बात से अनभिज्ञ हों कि वे आप को सरेआम झिड़क कर आप को आहत कर रहे हैं. कुछ ऐसी बातें होती हैं जिन से पत्नी तो खिन्न हो उठती है, किंतु पति यह जान नहीं पाते कि उन्होंने अनजाने ही अपने जीवनसाथी को ठेस पहुंचाई है.

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प्रत्यक्ष बातचीत द्वारा हल संभव

मनीषा ने अपने पति की इस आदत को कुछ समय नकारा. किंतु जब उस ने यह देखा कि पति की उसे सरेआम झिड़कने की आदत नकारने से बढ़ती जा रही है तो उस ने एक ब्लौग में पढ़े हल को आजमाया. उस ने अपने पति से इस विषय में प्रत्यक्ष रूप से बात की, ‘‘मैं जानती हूं कि तुम मुझे कितना प्यार करते हो और कभी मेरा बुरा नहीं चाहोगे, मगर यों सब के सामने तुम्हारा मुझे झिड़कना मुझे बहुत आहत कर जाता है. कभीकभी तुम ऐसी बातें कर जाते हो जो सिर्फ कमरे की अंदर कहनी चाहिए. तुम्हारा नकारात्मक ढंग से मुझे चिढ़ाना मुझे बहुत ठेस पहुंचाता है.’’

मनीषा की साफ बात उस के पति के मन तक पहुंचने में देर न लगी और अपनी गलती स्वीकार कर तुरंत ही अपने रवैए में सुधार कर लिया.

कब चाहिए प्रोफैशनल मदद

कैथी बौश जोकि पारिवारिक जीवन शिक्षा की विशेषज्ञा हैं, कहती हैं, ‘‘यदि आप का पति लगातार ऐसी बातें करता है, जिन से आप का आत्मविश्वास डगमगाता है, जान कर ऐसे क्रियाकलाप करता है जिन से आप का स्वयं पर से भरोसा उठता है, आप की आत्मनिर्भरता समाप्त होती है, तो यह गंभीर विषय है. यह अपमानजनक मुद्दा है और आप को प्रोफ्रैशनल मदद लेनी चाहिए.

यदि आप को अपने पति की झिड़कने की आदत पर आपत्ति है, तो उन से इस विषय में बात करें. बातों को मन में दबाए रखने की जगह साफ करने में ही रिश्ते की भलाई है. हो सकता है आप के पति की इस आदत के पीछे आप की कोई कमी हो, तो आप उसे दूर करने का प्रयास करें. अच्छा है कि आप दोनों आपसी समझ और सुलह से इस परिस्थिति से अकेले में निबटें न कि अन्य परिवार वालों या मित्रों के समक्ष.

10 सवाल जो आप को समस्या की गंभीरता बतलाएंगे

यदि आप इस दुविधा में रहती हैं कि आप के पति या बौयफ्रैंड या फिर लिव इन पार्टनर की आप को सरेआम झिड़कने की आदत है या हलकीफुलकी छेड़छाड़ तो आप ये प्रश्न स्वयं से पूछें:

– क्या वे आप की जिंदगी की छोटी से छोटी बातों पर भी काबू पाना चाहते हैं? मसलन, आप ने दिन कैसे बिताया, उस के हर मिनट का हिसाब मांगते हैं, जो काम आप ने दिन में नहीं किए, उन के बारे में आप को खरीखोटी सुनाते हैं, खास निर्णयों में आप की राय नहीं लेते.

– क्या वे आप से झूठ बोलते हैं और झूठ पकड़े जाने पर क्षमायाचना के बजाय बहानों की झड़ी लगाते हैं?

– क्या आप से अपमानजनक भाषा में, व्यंग्यात्मक सुर में या फिर कृपाशीलता दर्शाते हुए बातचीत करते हैं? क्या उन्हें शांति और तर्क से बात समझाना कठिन है?

– क्या वे आप की प्रतिभा, गुणों तथा योगदान के बारे में जिक्र होने पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हैं?

– क्या भावनात्मक संबलता प्रदान करने में हिचकिचाते हैं? मनमुटाव के दौरान बातचीत द्वारा हल निकालने के बजाय वहां से उठ कर चले जाना उचित समझते हैं या फिर आत्म बचाव/प्रतिउत्तर में उलझ जाते हैं?

– क्या उन का क्रोध आप को भयभीत करता है?

– क्या वे हर संभव बहाने से आप की आलोचना करते रहते हैं?

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– क्या उन का सरेआम दूसरों के साथ फ्लर्ट करना आप को आहत करता है? क्या उन के ऐसे बरताव के लिए आप की तरफ से कोई कमी या पहल है?

– क्या वे अपने बरताव को ले कर कोई बदलाव करने को तैयार नहीं हैं? क्या उन का व्यवहार आप को कठोर लगता है? मसलन, घर के कामकाज को ले कर हुए मतभेद के बावजूद वे आप की कोई मदद करने को तैयार नहीं होते?

– क्या उन्होंने कभी आप के प्रति शारीरिक हिंसा या मौखिक दुरुपयोग किया है? मसलन, अश्लील भाषा का प्रयोग, गालीगलौज, हाथ उठाना?

मैं मनपसंद लड़की से शादी के लिए घरवालों को कैसे तैयार करूं?

सवाल

मैं एक लड़की से प्यार करता हूं. लड़की भी मुझे दिलोजान से चाहती है. वह हर रोज देर रात को मुझे फोन कर कहती है कि वह सिर्फ मुझ से ही शादी करेगी. उधर मेरे घर वालों को ऐतराज है कि लड़की की दादी की जाति और हमारी जाति एक है. फिर भी कहते हैं कि यदि लड़की वाले हमें फोन कर के बुलाएंगे तो हम उन के घर लड़की देखने जा सकते हैं. मुझे स्टेटस, घरबार से कुछ लेनादेना नहीं है. मैं तो बस उसे अपनी जीवनसंगिनी बनाना चाहता हूं.

जवाब
लड़की की दादी की जाति के लिए आप के घर वालों का ऐतराज बेमानी और दकियानूसी है. पर क्या आप उस का घरबार देख चुके हैं? यदि आप को सब अच्छा लगता है तो आप अपने घर वालों को अपना दृढ़ निश्चय बता दें कि आप उस लड़की से प्यार करते हैं और उसी से शादी करेंगे. इसलिए वे जब लड़की देखने जाएं तो अपने मानदंडों को दरकिनार कर जाएं.

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सच्चा प्यार

‘‘उर्मी,अब बताओ मैं लड़के वालों को क्या जवाब दूं? लड़के के पिताजी 3 बार फोन कर चुके हैं. उन्हें तुम पसंद आ गई हो… लड़का मनोहर भी तुम से शादी करने के लिए तैयार है… वे हमारे लायक हैं. दहेज में भी कुछ नहीं मांग रहे हैं. अब हम सब तुम्हारी हां सुनने के लिए बेचैनी से इंतजार कर रहे हैं. तुम्हारी क्या राय है?’’ मां ने चाय का प्याला मेरे पास रखते हुए पूछा.

मैं बिना कुछ बोले चाय पीने लगी. मां मेरे जवाब के इंतजार में मेरी ओर देखती रहीं. सच कहूं तो मैं ने इस बारे में अब तक कुछ सोचा ही नहीं था. अगर आप सोच रहे हैं कि मैं कोई 21-22 साल की युवती हूं तो आप गलतफहमी में हैं. मेरी उम्र अब 33 साल है और जो मुझ से ब्याह करना चाहते हैं उन की 40 साल है. अगर आप मन ही मन सोच रहे हैं कि यह शादी करने की उम्र थोड़ी है तो आप से मैं कोई शिकायत नहीं करूंगी, क्योंकि मेरे मन में भी यह सवाल उठ चुका है और इस का जवाब मुझे भी अब तक नहीं मिला. इसलिए मैं चुपचाप चाय पी रही हूं.

सभी को अपनीअपनी जिंदगी से कुछ उम्मीदें जरूर होती हैं, इस बात को कोई नकार नहीं सकता. हर चीज को पाने के लिए सही वक्त तो होता ही है. जैसे पढ़ाई के लिए सही समय होता है उसी तरह शादी करने के लिए भी सही समय होता है. मेरे खयाल से लड़कियों को 20 और 25 साल की उम्र के बीच शादी कर लेनी चाहिए. तभी तो वे अपनी शादीशुदा जिंदगी का पूरा आनंद उठा सकेंगी. प्यारमुहब्बत आदि जज्बातों के लिए यही सही उम्र है. इस उम्र में दिमाग कम और दिल ज्यादा काम करता है और फिर प्यार को अनुभव करने के लिए दिमाग से ज्यादा दिल की ही जरूरत होती है. लेकिन मेरी जिंदगी की परिस्थितियां कुछ ऐसी थीं कि मेरे जीवन में 20 से 25 साल की उम्र संघर्षों से भरी थी. हम खानदानी रईस नहीं थे. शुक्र है कि मैं अपने मातापिता की इकलौती संतान थी. यदि एक से अधिक बच्चे होते तो हमारी जिंदगी और मुश्किल में पड़ जाती. मेरे पापा एक कंपनी में काम करते थे और मां स्कूल अध्यापिका थीं. दोनों की आमदनी को मिला कर हमारे परिवार का गुजारा चल रहा था.

एक विषय में मेरे मातापिता दोनों ही बड़े निश्चिंत थे कि मेरी पढ़ाई को किसी भी हाल में रोकना नहीं. मैं भी बड़ी लगन से पढ़ती रही. लेकिन हमारी और कुदरत की सोच का एक होना अनिवार्य नहीं है न? इसीलिए मेरी जिंदगी में भी एक ऐसी घटना घटी, जिस से जिंदगी से मेरा पूरा विश्वास ही उठ गया.

एक दिन दफ्तर में दोपहर के समय मेरे पिताजी अचानक अपनी छाती पकड़े नीचे गिर गए. साथ काम करने वालों ने उन्हें अस्पताल में भरती करा कर मेरी मां के स्कूल फोन कर दिया. मेरे पिताजी को दिल का दौरा पड़ा था. मेरे पिताजी किसी भी बुरी आदत के शिकार नहीं थे, फिर भी उन्हें 40 वर्ष की उम्र में यह दिल की बीमारी कैसी लगी, यह मैं नहीं समझ पाई. 3 दिन आईसीयू में रह कर मेरे पिताजी ने अपनी आंखें खोलीं और फिर मेरी मां और मुझे देख कर उन की आंखों में आंसू आ गए. मेरा हाथ पकड़ कर उन्होंने बहुत ही धीमी आवाज में कहा, ‘‘मुझे माफ कर दो बेटी… मैं अपना फर्ज पूरा किए बिना जा रहा हूं… मगर तुम अपनी पढ़ाई को किसी भी कीमत पर बीच में न छोड़ना… वही कठिन समय में तुम्हारे काम आएगी,’’ वे ही मेरे पिताजी के अंतिम शब्द थे.

पिताजी की मौत के बाद मैं और मेरी मां दोनों बिलकुल अकेली पड़ गईं. मेरी मां इकलौती बेटी थीं. उन के मातापिता भी इस दुनिया से चल बसे थे. मेरे पापा के एक भाई थे, मगर वे भी बहुत ही साधारण जीवन बिता रहे थे. उन की 2 बेटियां थीं. वे भी हमारी कुछ मदद नहीं कर सके. अन्य रिश्तेदार भी एक लड़की की शादी का बोझ उठाने के लिए तैयार नहीं थे. मैं उन्हें दोषी नहीं ठहराना चाहती, क्योंकि एक कुंआरी लड़की की जिम्मेदारी लेना आज कोई आसान काम नहीं है. मेरी मां ने अपनी कम तनख्वाह से मुझे अंगरेजी साहित्य में एम.ए. तक पढ़ाया. मैं ने एम.ए. अव्वल दर्जे में पास किया और उस के बाद अमेरिका में स्कौलरशिप के साथ पीएच.डी. की. उसी दौरान मेरी पहचान शेखर से हुई. अमेरिका में भारतवासियों की एक पार्टी में पहली बार मेरी सहेली ने मुझे शेखर से मिलवाया. पहली मुलाकात में ही शेखर ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया. वह बहुत ही सरलता से मुझ से बात करने लगा. जैसे मुझे बहुत दिनों से जानता हो. पूरी पार्टी में उस ने मेरा साथ दिया.

मुझे शेखर के बोलने का अंदाज बहुत पसंद आया. वह लड़कियों से बातें करने में माहिर था और कई लड़कियां इसी कारण उस पर फिदा हो गई थीं, क्योंकि जब वह मुझ से बातें कर रहा था, तो उस 2 घंटे के समय में कई लड़कियां खुद आ कर उस से बात कर गई थीं. सभी उसे डार्लिंग, स्वीट हार्ट आदि पुकार कर उस के गाल पर चुंबन कर गईं. इस से मुझे मालूम हुआ कि वह लड़कियों के बीच बहुत मशहूर है. वह काफी सुंदर था… लंबाचौड़ा और गोरे रंग का… उस की आंखों में शरारत और होंठों में हसीन मुसकराहट थी. हमारे ही विश्वविद्यालय से एमबीए कर रहा था. उस के पिताजी भारत में दिल्ली शहर के बड़े व्यवसायी थे. शेखर एमबीए करने के बाद अपने पिताजी के कार्यालय में उच्च पद पर बैठने वाला था. ये सब उसी ने मुझे बताया था.

मैं विश्वविद्यालय के होस्टल में रहती थी और वह किराए पर फ्लैट ले कर रहता था. उसी से मुझे मालूम हुआ कि उस के पिता कितने बड़े आदमी हैं. हमारे एकदूसरे से विदा लेते समय शेखर ने मेरा सैल नंबर मांग लिया. सच कहूं तो उस पार्टी से वापस आने के बाद मैं शेखर को भूल गई थी. मेरे खयाल से वह बड़े रईस पिता की औलाद है और वह मुझ जैसी साधारण परिवार की लड़की से दोस्ती नहीं करेगा. उस शुक्रवार शाम 6 बजे मेरे सैल फोन की घंटी बजी.

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‘‘हैलो,’’ मैं ने कहा.

‘‘हाय,’’ दूसरी तरफ से एक पुरुष की आवाज सुनाई दी.

मैं ने तुरंत उस आवाज को पहचान लिया. हां वह और कोई नहीं शेखर ही था.

‘‘कैसी हैं आप? उम्मीद है आप मुझे याद करती हैं?’’

मैं ने हंसते हुए कहा, ‘‘कोई आप को भूल सकता है क्या? बताइए, क्या हालचाल हैं? कैसे याद किया मुझे आप ने अपनी इतनी सारी गर्लफ्रैंड्स में?’’

‘‘आप के ऊपर एक इलजाम है और उस के लिए जो सजा मैं दूंगा वह आप को माननी पड़ेगी. मंजूर है?’’ उस की आवाज में शरारत उमड़ रही थी.

‘‘इलजाम? मैं ने ऐसी क्या गलती की जो सजा के लायक है… आप ही बताइए,’’ मैं भी हंस कर बोली.

शेखर ने कहा, ‘‘पिछले 1 हफ्ते से न मैं ठीक से खा पाया हूं और न ही सो पाया… मेरी आंखों के सामने सिर्फ आप का ही चेहरा दिखाई देता है… मेरी इस बेकरारी का कारण आप हैं, इसलिए आप को दोषी ठहरा कर आप को सजा सुना रहा हूं… सुनेंगी आप?’’

‘‘हां, बोलिए क्या सजा है मेरी?’’

‘‘आप को इस शनिवार मेरे फ्लैट पर मेरा मेहमान बन कर आना होगा और पूरा दिन मेरे साथ बिताना होगा… मंजूर है आप को?’’

‘‘जी, मंजूर है,’’ कह मैं भी खूब हंसी.

उस शनिवार मुझे अपने फ्लैट में ले जाने के लिए खुद शेखर आया. मेरी खूब खातिरदारी की. एक लड़की को अति महत्त्वपूर्ण महसूस कैसे करवाना है यह बात हर मर्द को शेखर से सीखनी चाहिए. शाम को जब वह मुझे होस्टल छोड़ने आया तब हम दोनों को एहसास हुआ कि हम एकदूसरे को सदियों से जानते… यही शेखर की खूबी थी. उस के बाद अगले 6 महीने हर शनिवार मैं उस के फ्लैट पर जाती और फिर रविवार को ही लौटती. हम दोनों एकदूसरे के बहुत करीब हो गए थे. मगर मैं एक विषय में बहुत ही स्पष्ट थी. मुझे मालूम था कि हम दोनों भारत से हैं. इस के अलावा हमारे बीच कुछ भी मिलताजुलता नहीं. हमारी बिरादरी अलग थी. हमारी आर्थिक स्थिति भी बिलकुल भिन्न थी, जो बड़ी दीवार बन कर हम दोनों के बीच खड़ी रहती थी.

शुरू से ही जब मैं ने इस रिश्ते में अपनेआप को जोड़ा उसी वक्त से मेरे मन में कोई उम्मीद नहीं थी. मुझे मालूम था कि इस रिश्ते का कोई भविष्य नहीं है. मगर जो समय मैं ने शेखर के साथ व्यतीत किया वह मेरे लिए अनमोल था और मैं उसे खोना नहीं चाहती थी. इसलिए मुझे हैरानी नहीं हुई जब शेखर ने बड़ी ही सरलता से मुझे अपनी शादी का निमंत्रण दिया, क्योंकि उस रिश्ते से मुझे यही उम्मीद थी. अगले हफ्ते ही वह भारत चला गया और उस के बाद हम कभी नहीं मिले. कभीकभी उस की याद मुझे आती थी, मगर मैं उस के बारे में सोच कर परेशान नहीं होती थी. मेरे लिए शेखर एक खत्म हुए किस्से के अलावा कुछ नहीं था.

शेखर के चले जाने के बाद मैं 1 साल के लिए अमेरिका में ही रही. इस दौरान मेरी मां भी अपनी अध्यापिका के पद से सेवानिवृत्त हो चुकी थीं. उन्हें अमेरिका आना पसंद नहीं था, क्योंकि वहां का सर्दी का मौसम उन के लिए अच्छा नहीं था. इसलिए मैं अपनी पीएच.डी. खत्म कर के भारत लौट आई. अमेरिका में जो पैसे मैं ने जमा किए और मेरी मां के पीएफ से मिले उन से मुंबई में 2 बैडरूम वाला फ्लैट खरीद लिया. बाद में मुझे क्व30 हजार मासिक वेतन पर एक कालेज में लैक्चरर की नौकरी मिल गई. मेरे मुंबई लौटने के बाद मेरी मां मेरी शादी करवाना चाहती थीं. उन्हें डर था कि अगर उन्हें कुछ हो जाए तो मैं इस दुनिया में अकेली हो जाऊंगी. मगर शादी इतनी आसान नहीं थी. शादी के बाजार में हर दूल्हे के लिए एक तय रेट होता था. हमारे पास मेरी तनख्वाह के अलावा कुछ भी नहीं था. ऊपर से मेरी मां का बोझ उठाने के लिए लड़के वाले तैयार नहीं थे.

जब मैं अमेरिका से मुंबई आई थी तब मेरी उम्र 25 साल थी. शादी के लिए सही उम्र थी. मैं भी एक सुंदर सा राजकुमार जो मेरा हाथ थामेगा उसी के सपने देखती रही. सपने को हकीकत में बदलना संभव नहीं हुआ. दिन हफ्तों में और हफ्ते महीनों में और महीने सालों में बदलते हुए 3 साल निकल गए. मेरी जिंदगी में दोबारा एक आदमी का प्रवेश हुआ. उस का नाम ललित था. वह भी अंगरेजी का लैक्चरर था. मगर उस ने पीएचडी नहीं की थी. सिर्फ एमफिल किया था. पहली मुलाकात में ही मुझे मालूम हो गया कि वह भी मेरी तरह मध्यवर्गीय परिवार का है और उस की एक मां और बहन है. उस ने कहा कि उस के पिता कई साल पहले इस दुनिया से जा चुके हैं और मां और बहन दोनों की जिम्मेदारी उसी पर है.

पहले कुछ महीने हमारे बीच दोस्ती थी. हमारे कालेज के पास एक अच्छा कैफे था. हम दोनों रोज वहां कौफी पीने जाते. इसी दौरान एक दिन उस ने मुझे अपने घर बुलाया. वह एक छोटे से फ्लैट में रहता था. उस की मां ने मेरी खूब खातिरदारी की और उस की बहन जो कालेज में पढ़ती थी वह भी मेरे से बड़ी इज्जत से पेश आई. इसी दौरान एक दिन ललित ने मुझ से कहा, ‘‘उर्मी, क्या आप मेरे साथ कौफी पीने के लिए आएंगी?’’उस का इस तरह पूछना मुझे थोड़ा अजीब सा लगा, मगर फिर मैं ने हंस कर पूछा, ‘‘कोई खास बात है जो मुझे कौफी पीने को बुला रहे हो?’’

उस ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘हां, बस ऐसा ही समझ लीजिए.’’

शाम कालेज खत्म होने के बाद हम दोनों कौफी शौप में गए और एक कोने में जा कर बैठ गए. मैं ने उस के चेहरे को देख कर कहा, ‘‘हां, बोलो ललित क्या बात करनी है मुझ से?’’ ललित ने बिना किसी हिचकिचाहट के कहा, ‘‘उर्मी, मैं बातों को घुमाना नहीं चाहता हूं. मैं तुम से प्यार करता हूं. अगर तुम्हें भी मंजूर है, तो मैं तुम से शादी करना चाहता हूं.’’ यह सुन कर मुझे सच में झटका लगा. मुझे जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि ललित इस तरह मुझ से पूछेगा.

मैं ने ललित के बारे में बहुत सोचा. मुझे तब तक मालूम हो चुका कि मेरे पास जो पैसे हैं वे मेरी शादी के लिए बहुत कम हैं और फिर मेरी मां को भी अपनाने वाला दूल्हा मिलना लगभग नामुमकिन ही था. इस बारे में मेरे दिल ने नहीं दिमाग ने निर्णय लिया और मैं ने ललित को अपनी मंजूरी दे दी. उस के बाद हर हफ्ते हम रविवार को हमारे घर के सामने वाले पार्क में मिलते. इसी बीच यकायक ललित 3 दिन की छुट्टी पर चला गया. ललित चौथे दिन कालेज आया. उस का चेहरा उतरा हुआ था. शाम को हम दोनों पार्क में जा कर बैठ गए. मुझे मालूम था कि ललित मुझ से कुछ कहना चाह रहा, मगर कह नहीं पा रहा.  फिर उस ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘मुझे माफ कर दो उर्मी… मैं ने खुद ही तुम से प्यार का इजहार किया था और अब मैं ही इस रिश्ते से पीछे हट रहा हूं. तुम्हें मालूम है कि मेरी एक बहन है. वह किसी लड़के से प्यार करती है और उस लड़के की एक बिन ब्याही बहन है. उन लोगों ने साफ कह दिया कि अगर मैं उन की लड़की से शादी करूं तो ही वे मेरी बहन को अपनाएंगे. मेरे पास अब कोई रास्ता नहीं रहा.’’

मैं 1 मिनट के लिए चुप रही. फिर कहा, ‘‘फैसला ले ही लिया तो अब किस बात का डर… शादी मुबारक हो ललित,’’ और फिर घर चली आई. 1 महीने में ललित और उस की बहन की शादी धूमधाम से हो गई. अब ललित कालेज की नौकरी छोड़ कर अपनी ससुराल की कंपनी में काम करने लगा. अब मनोहर से मेरी शादी हुए 1 महीना हो गया है. मेरी ससुराल वालों ने मेरे पति को मेरे साथ मेरे फ्लैट में रहने की इजाजत दे दी ताकि मेरी मां को भी हमारा सहारा मिल सके. इस नई जिंदगी से मुझे कोई शिकायत नहीं. मेरे पति एक अच्छे इनसान हैं. मुझे किसी भी बात को ले कर परेशान नहीं करते हैं. मेरी बहुत इज्जत करते हैं. औरतों को पूरा सम्मान देते हैं. उन का यह स्वभाव मुझे बहुत अच्छा लगा. ‘‘उर्मी जल्दी से तैयार हो जाओ. हमारी शादी के बाद तुम पहली बार मेरे दफ्तर की पार्टी में चल रही हो. आज की पार्टी खास है, क्योंकि हमारे मालिक के बेटे दिल्ली से मुंबई आ रहे हैं. तुम उन से भी मिलोगी.’’

जब हम पार्टी में पहुंचे तो कई लोग आ चुके थे. मेरे पति ने मुझे सब से मिलवाया. इतने में किसी ने कहा चेयरमैन साहब आ गए. उन्हें देख कर एक क्षण के लिए मेरी सांस रुक गई. चेयरमैन कोई और नहीं शेखर ही था. तभी सभी को नमस्कार कहते हुए शेखर मुझे देख कर 1 मिनट के लिए चौंक गया.

मेरे पति ने उस से कहा, ‘‘मेरी बीवी है सर.’’

शेखर ने हंसते हुए कहा, ‘‘मुबारक हो… शादी कब हुई?’’ मेरे पति उस के सवालों के जवाब देते रहे और फिर वह चला गया. कुछ देर बाद शेखर के पी.ए. ने आ कर कहा, ‘‘मैडम, चेयरमैन साहब आप को बुला रहे हैं अकेले.’’ मैं ने चुपके से अपने पति के चेहरे को देखा. पति ने भी सिर हिला कर मुझे जाने का इशारा किया. शेखर एक बड़ी मेज के सामने बैठा था. मैं उस के सामने जा कर खड़ी हो गई.

शेखर ने मुझे देख कर कहा, ‘‘आओ उर्मी, प्लीज बैठो.’’

मैं उस के सामने बैठ गई. शेखर ने कहा, ‘‘मेरे पास ज्यादा वक्त नहीं. मैं सीधे मुद्दे पर आ जाऊंगा… मैं हमारी पुरानी दोस्ती को फिर से शुरू करना चाहता हूं बिलकुल पहले जैसे. मैं तुम्हारे पति का दिल्ली में तबादला कर दूंगा. अगर तुम चाहती हो तो तुम्हें दिल्ली के किसी कालेज में लैक्चरर की नौकरी दिला दूंगा.’’ वह ऐसे बोलता रहा जैसे मैं ने उस की बात मान ली. मगर मैं उस वक्त कुछ नहीं कह सकी. चुपचाप लौट कर पति के सामने आ कर बैठ गई. कुछ भी नहीं बोली. टैक्सी से लौटते समय भी कुछ नहीं पूछा उन्होंने. घर लौटने के बाद मेरे पति ने मुझ से कुछ भी नहीं पूछा. मगर मैं ने उन से सारी बातें कहने का फैसला कर लिया. पति ने मेरी सारी बातें चुपचाप सुनीं. मैं ने उन से कुछ नहीं छिपाया.

मेरी आंखों से आंसू आने लगे. मेरे पति ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘उर्मी, तुम ने कुछ गलत नहीं किया. हम सब के अतीत में कुछ न कुछ हुआ होगा. अतीत के पन्नों को दोबारा खोल कर देखना बेकार की बात है. कभीकभी न चाहते हुए भी हमारा अतीत हमारे सामने खड़ा हो जाता है, तो हमें उसे महत्त्व नहीं देना चाहिए. हमेशा आगे की सोच रखनी चाहिए. शेखर की बातों को छोड़ो. उस का रुपया बोल रहा है… हम कभी उस का मुकाबला नहीं कर सकते… मैं कल ही अपना इस्तीफा दे दूंगा. दूसरी नौकरी ढूंढ़ लूंगा. तुम चिंता करना छोड़ो और सो जाओ. हर कदम मैं तुम्हारे साथ हूं,’’ और फिर मुझे बांहों में भर लिया. उन की बांहों में मुझे फील हुआ कि मैं महफूज हूं. इस के अलावा और क्या चाहिए एक पत्नी को?

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