Married Life में इसकी हो नो ऐंट्री

शक लाइलाज बीमारी है. अगर एक बार यह किसी को, खासकर पतिपत्नी में से किसी को अपनी चपेट में ले ले, तो वह उसे हैवान बना सकती है. ऐसी एक घटना हाल ही में हैदराबाद में देखने को मिली जहां अवैध संबंधों के शक पर एक महिला ने अपने पति को ऐसी सजा दी जिस का दर्द वह शायद जिंदगी भर नहीं भूल पाएगा.

आप यह जान कर दंग रह जाएंगे कि 30 साल की इस आरोपी महिला ने पति से विवाद होने पर चाकू से उस का प्राइवेट पार्ट काटने की कोशिश की, जिस के चलते पति को गंभीर चोटें आईं.

ऐसा ही एक अन्य मामला दिल्ली के निहाल विहार इलाके में भी सामने आया, जहां पति ने ही अपनी पत्नी का मर्डर कर दिया. पकड़े जाने पर पति ने सारी बात पुलिस को बता दी. उस ने साफ किया कि उसे अपनी पत्नी के चरित्र पर शक था. दोनों ने लव मैरिज की थी, लेकिन पति को लगता था कि उस की पत्नी की दोस्ती कई लड़कों से है. इस बात को ले कर अकसर दोनों में झगड़ा होता था.

टूटते परिवार बिखरते रिश्ते

शक न जाने कितने हंसतेखेलते परिवारों को तबाह कर देता है. दांपत्य जीवन, जो विश्वास की बुनियाद पर टिका होता है, उस में शक की आहट जहर घोल देती है. हाल के दिलों में अवैध संबंधों के शक में लाइफपार्टनर पर हमले और हत्या करने की घटनाएं बढ़ रही हैं. मनोवैज्ञानिक इस के पीछे संयुक्त परिवारों के बिखरने को एक बड़ा कारण मानते हैं.

दरअसल, संयुक्त परिवारों में जब पतिपत्नी के बीच मनमुटाव होता था तो घर के बड़े उसे आपसी बातचीत से सुलझा देते थे या बड़ों की उपस्थिति में पतिपत्नी का झगड़ा बड़ा रूप नहीं ले पाता था, जबकि आज पतिपत्नी अकेले रहते हैं, आपसी झगड़ों में वे एकदूसरे पर हावी होने की कोशिश करते हैं. वहां उन के आपसी संबंधों में शक की दीवार को हटाने वाला कोई नहीं होता.

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ऐसे में शक गहराने के कारण पतिपत्नी का रिश्ता दम तोड़ने लगता है. वर्तमान लाइफस्टाइल में जहां पतिपत्नी दोनों कामकाजी है और दिन में 8-10 घंटे वे घर से बाहर रहते हैं और उन का विपरीत सैक्स के साथ उठनाबैठना होता है, जो दोनों के बीच शक का कारण बनता है. ऐसे में पतिपत्नी दोनों को एकदूसरे पर विश्वास रखना होगा.

बिजी लाइफस्टाइल

शादी के बाद जहां वैवाहिक रिश्ते को बनाए रखने में पतिपत्नी दोनों की जिम्मेदारी होती है, वहीं इसे खत्म करने में भी दोनों का ही हाथ होता है. शादी के कुछ वर्षों बाद जब दोनों अपनी रूटीन लाइफ से बोर हो कर और जिम्मेदारियों से बचने के लिए किसी तीसरे की तरफ आकर्षित होने लगते हैं यानी ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर रखते हैं, तो वैवाहिक रिश्ते का अंत शक से शुरू हो कर एकदूसरे को शारीरिक नुकसान पहुंचाने और हत्या तक पहुंच जाता है.

कई बार परिवार की जिम्मेदारियों के बीच फंसे होने के कारण जब पतिपत्नी जिंदगी की उलझनों को सुलझा नहीं पाते तो उन के बीच अनबन होने लगती है और उस के लिए वे बाहरी संबंधों को जिम्मेदार ठहराने लगते हैं. उन के दिमाग में शक घर करने लगता है. धीरेधीरे शक गहराता जाता है और झगड़ा बढ़ जाता है. यदि कोई उन्हें समझाए तो शक और सारी समस्याएं खत्म हो सकती हैं, लेकिन एकल परिवार में उन्हें समझाने वाला कोई नहीं होता. इस कारण हालात मारपीट से ले कर हत्या तक पहुंच जाते हैं.

तुम सिर्फ मेरे हो वाली सोच

लाइफपार्टनर के प्रति अधिक पजैसिव होना भी शक का बड़ा कारण बनता है. आज के माहौल में जहां महिलाएं और पुरुष औफिस में साथ में बड़ीबड़ी जिम्मेदारियां संभालते हैं, ऐसे में उन का आपसी मेलजोल होना स्वाभाविक है. फिर पति या पत्नी में से जब भी कोई एकदूसरे को किसी बाहरी व्यक्ति से मेलजोल बढ़ाते देखता है तो उस पर शक करने लगता है और उसे यह बरदाश्त नहीं होता कि उस का लाइफपार्टनर, जिसे वह प्यार करता है, वह किसी और से मिलेजुले, क्योंकि वह उस पर सिर्फ अपना अधिकार समझता है.

इस तरह की मानसिकता संबंधों में कड़वाहट भर देती है. पति या पत्नी जब फोन पर किसी अन्य महिला या पुरुष का मैसेज या कौल देखते हैं तो एकदूसरे पर शक करने लगते हैं. भले ही वास्तविकता कुछ और ही हो, लेकिन शक का बीज दोनों के संबंध में दरार डाल देता है, जिस का अंत मारपीट और हत्या जैसी घटनाओं में

होता है.

जासूसी का जरीया बनते ऐप्स

पतिपत्नी के रिश्ते में दूरी लाने में स्मार्टफोन भी कम जिम्मेदार नहीं हैं. जहां सोशल मीडिया ने वैवाहिक जोड़ों को शादी के बंधन से अलग किसी और के साथ प्यार की पींगें बढ़ाने का मौका दिया है, वहीं स्मार्ट फोन में ऐसे ऐप्स भी आ गए हैं, जो पतिपत्नी को एकदूसरे की जासूसी करने का पूरा अवसर देते हैं.

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इन ऐप्स द्वारा पति या पत्नी जान सकती है कि उस का लाइफपार्टनर उस के अतिरिक्त किस से फोन पर सब से ज्यादा बातें करता है यानी किस से आजकल उस की नजदीकियां बढ़ रही हैं, उन के बीच क्या बातें होती हैं, वे कौन सी इमेज या वीडियो शेयर करते हैं. यानी लाइफपार्टनर के फोन पर कंट्रोल करने का पूरा इंतजाम है. ये ऐप्स लाइफपार्टनर की हर ऐक्टिविटी पर नजर रखने का पूरा मौका देते हैं. इन ऐप्स की मदद से लाइफपार्टनर का फोन पूरी तरह आप का हो सकता है.

अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप तकनीक का सदुपयोग आपसी रिश्तों में नजदीकी लाने में करें या उसे रिश्ते में दूरी बनाने का कारण बनाएं?

सहेलियों की बातों के कारण परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

हाल ही में मेरी शादी हुई है. पति सुलझे हुए इंसान हैं और मुझे बेहद प्यार भी करते हैं. मेरी समस्या यह है कि मेरी कुछ सहेलियां हैं, जो अकसर मेरे घर आ धमकती हैं और मुझ से अपने बौयफ्रैंड्स को ले कर काफी क्लोज और अंतरंग बातें शेयर करती रहती हैं. वे मुझ से फोन पर भी फोटो व बातें शेयर करती रहती हैं. वे बातबेबात मेरी शादीशुदा जिंदगी का भी मजाक उड़ाती रहती हैं. ये सब सुन कर मैं असहज हो जाती हूं. लगता है कि शादी से पहले की जिंदगी ही मजेदार होती है. मैं परेशान हूं. कृपया बताएं क्या करूं?

जवाब-

फैंटेसी की दुनिया में खोई रहने वाली ऐसी युवतियों को दरअसल इस में आनंद आता है

और वे इसे स्टेटस सिंबल समझती हैं तथा चाहती हैं कि दूसरे भी

उन्हीं की तरह सोचें और करें. इस का दिलोदिमाग पर जरूर असर पड़ता है.

आप ऐसा कतई न करें. चूंकि अब आप शादीशुदा हैं और आप के पति आप को प्यार भी करते हैं. बेहतर होगा कि दांपत्य जीवन की गाड़ी सुचारु रूप से चलाई जाए. शादी के बाद जिंदगी की खुशियां कम नहीं होतीं.

आप अपनी सहेलियों से कह सकती हैं कि शादी को ले कर अपनी सोच के लिए वे स्वतंत्र हैं पर अब मैं शादीशुदा हूं, इसलिए इन सब बातों में मेरी कोई रुचि नहीं है.

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ट्रेन नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंचने वाली थी. साक्षी सामान संभाल रही थी. उस ने अपने बालों में कंघी की और अपने पति सौरभ से बोली, ‘‘आप भी अपने बाल सही कर लें. यह अपने कुरते पर क्या लगा लिया आप ने? जरा भी खयाल नहीं रखते खुद का.’’

‘‘अरे यार, रात को डिनर किया था न. लगता है कुछ गिर गया.’’

तीखे नैननक्श, सांवले रंग की साक्षी मध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखती थी. पति सौरभ सरकारी विभाग में बाबू था. शादी को 15 साल होने जा रहे थे. दोनों का 1 बेटा करीब 13 साल का था. लेकिन इस वक्त उन के साथ नहीं था.

साक्षी जब पढ़ती थी तब कसबे में एक ही सरकारी गर्ल्स कालेज था. उस में ही मध्यवर्गीय और उच्चवर्ग के घरों की लड़कियां स्कूल से आगे की पढ़ाई पूरी करती थीं. कसबे के करोड़पति व्यापारी की बेटी कामिनी भी साक्षी की कक्षा में थी. वह चाहती तो यह थी कि शहर में जा कर किसी बड़े नामी कालेज में दाखिला ले, लेकिन उसे इस बात की इजाजत नहीं मिली.

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जानें क्या हैं सफल Married Life के 6 सूत्र

‘‘समीर, कितनी देर कर दी लौटने में? तुम्हारा इंतजार मुझे बेचैन कर देता है.’’

‘‘ओह सीमा, क्या सचमुच मुझ से इतना प्यार करती हो?’’ समीर भावुक हो उठे.

‘‘देखो, कितने मैसेज भेजे हैं तुम्हें?’’

‘‘क्या करूं, डार्लिंग. दफ्तर में काम बहुत ज्यादा है,’’ समीर ने सीमा को कस कर अपनी बांहों में भींच लिया. फिर जेब से फिल्म के 2 टिकट निकाल कर बोले, ‘‘आज की शाम तुम्हारे नाम. पहले एक कप गरम कौफी हो जाए, फिर फिल्म. डिनर किसी अच्छे रेस्तरां में करेंगे.’’ समीर ने प्यार से पत्नी की आंखों में झांका तो उस ने अपना सिर समीर की चौड़ी छाती पर टिका दिया. करीब 4 साल बाद.

‘‘समीर, आज एटीएम से कुछ पैसे निकाल लेना.’’

‘‘हद करती हो. पिछले हफ्ते ही तो 2 हजार रुपए निकाल कर दिए थे.’’

‘‘2 हजार में कोई इलास्टिक तो लगी नहीं थी कि पूरा महीना चल जाते.’’

‘‘फिर भी, थोड़ा कायदे से खर्चा किया करो. बैंक में नोटों का पेड़ तो लगा नहीं है कि जब चाहा तोड़ लिए.’’ रोजमर्रा की जिंदगी में अपने इर्दगिर्द हम ऐसे कई उदाहरण देखते हैं. अपनी निजी जिंदगी में भी ऐसा ही कुछ महसूस करते हैं. दरअसल, विवाह के शुरुआती दिनों में, पतिपत्नी एकदूसरे के गुणों और आकर्षण से इस कदर प्रभावित होते हैं कि अवगुणों की तरफ उन का ध्यान जाता ही नहीं. जाता भी है तो उसे नजरअंदाज कर देते हैं. धीरेधीरे जब घर बसाने और घर चलाने की जिम्मेदारी आ पड़ती है तो तकरार, बहस और समझौते की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और दोनों एकदूसरे पर दोष मढ़ना शुरू कर देते हैं, जबकि सचाई यह है कि शादी के शुरू के बरसों में सैक्स का आकर्षण तीव्र होने के कारण ये नजदीकियां बनी रहती हैं और धीरेधीरे जब सैक्स में संतुष्टि होने लगती है तो उत्तेजना कम होने लगती है और पहले वाला आकर्षण नहीं रह पाता. फलत: उन के संबंध उबाऊ होने लगते हैं.

प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक रौबर्ट स्टर्नबर्ग ने ‘टैं्रगुलर थ्योरी औफ लव’ के अंतर्गत कहा है कि आदर्श विवाह वह है, जिस में 3 गुणों का समावेश हो- इंटीमेसी (घनिष्ठता), कमिटमैंट (समर्पण) और पैशन (एकदूसरे के नजदीक रहने की गहरी इच्छा). तीनों गुणों का संतुलन ही वैवाहिक जीवन को सफल बनाता है. विवाह के कुछ सालों बाद यदि पति शेव कर रहा हो और बगल से गुजरती पत्नी की उस से टक्कर हो जाए तो उसे बाहुपाश में लेने के बजाय, ‘‘अरे यार, जरा देख कर चलो,’’ यही वाक्य उस के मुंह से निकलेगा. ऐसा नहीं है कि एक अंतराल के बाद उभरती दूरी को मिटाया नहीं जा सकता. आदर्श स्थिति तो यह होगी कि ऐसी दूरी ही न आए. कैसे, आइए, देखें:

1. स्वयं को आकर्षक बनाए रखें

यदि आप अपनेआप को घर में आकर्षक बना कर नहीं रखतीं तो आप के पति यह समझ सकते हैं कि आप उन की पसंद की चिंता नहीं करतीं. ‘विवाह के 10 साल बाद भी आप अपने पति को आकर्षित कर सकती हैं’ यह फीलिंग ही आप को गुदगुदा देती है. पति के मुंह से ‘लुकिंग ब्यूटीफुल’ सुन कर आप स्वयं को मिस यूनीवर्स से कम नहीं समझेंगी.

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2. प्यार के समय को बदलिए

अगर आप प्यार के समय को, रात के लिए और अंतिम कार्य के रूप में छोड़ती हैं तो इसे सुबह अपनाइए. प्यार को शयनकक्ष तक सीमित रखने के बजाय प्यार के क्षणों को पहचानिए और उन का उपयोग कीजिए. ड्राइंगरूम, रसोई, बगीचा या जहां कहीं भी आप को मौका मिले, आप इन क्षणों का उपयोग कीजिए.

3. एकांत का सदुपयोग करें

यदि परिवार संयुक्त हो या बच्चे दिन भर आप के पास रहते हों तो आप को एकांत नहीं मिलता. कुछ समय के लिए बच्चों को घर से बाहर भेज दें या खुद घर से बाहर निकल कर कुछ समय एकसाथ एकांत में बिताएं, नजदीकियां बढ़ेंगी.

4. प्यार के अलगअलग तरीकों को अपनाएं

प्यार को नीरस या उबाऊ नित्यक्रिया बनाने के बजाय, अच्छा होगा कि सप्ताह 2 सप्ताह के लिए इसे बंद कर दें और जब आप की वास्तविक इच्छा हो तभी प्यार के क्षणों का आनंद लें. प्यार के अलगअलग तरीकों को अपनाइए, इस से भी संबंधों में नवीनता आएगी.

5. दूर करें भ्रांतियां

दरअसल, संस्कार और परंपरागत मूल्यों के नाम पर हमेशा से ही सैक्स के प्रति हमारे मनमस्तिष्क में अनावश्यक भ्रांतियां भर दी जाती हैं. इस के कारण हम में से कुछ लोग सैक्स को अनैतिक समझने लगते हैं और एक मजबूरी के तौर पर निभाते हैं. यह ठीक है कि सैक्स के प्रति संयम और शालीनता का व्यवहार आवश्यक है, लेकिन जब यही भाव दांपत्य जीवन में मानसिक ग्रंथि का रूप धारण कर लेता है, तब पतिपत्नी दोनों का जीवन भी पूरी तरह अव्यवस्थित हो जाता है.

6. एकदूसरे की भावनाओं को समझें

दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि दंपती एकदूसरे की शारीरिक जरूरतों को ही नहीं, भावनात्मक जरूरतों को भी समझें. यदि आप के मन में किसी विषय को ले कर किसी प्रकार का संशय या सवाल है तो इस बारे में अपने जीवनसाथी से खुल कर बात करें. अपनी इच्छाओं का खुल कर इजहार करें. लेकिन हर बार केवल अपनी बात मनवाने की जिद से आप के साथी के मन में झुंझलाहट पैदा हो सकती है. इसलिए अपनी इच्छाओं की संतुष्टि के साथसाथ अपने साथी की संतुष्टि का भी ध्यान रखें.

इन बातों का भी ध्यान रखें:

एकदूसरे के प्रति अपने प्यार को प्रदर्शित करें.

रोजमर्रा की समस्याएं बेडरूम तक न ले जाएं.

अनावश्यक थकाने वाले कामों से बचें.

अगर प्यार को आप वास्तव में महत्त्व देती हैं तो अनावश्यक व्यस्तताओं से बचें.

मीठीमीठी, प्यारीप्यारी बातें कर के, स्पर्श या चुंबन द्वारा आप अपने साथी को सैक्स के लिए धीरेधीरे प्रेरित करें.

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यदि किसी कारणवश आप की इच्छा न हो तो आप के इनकार में भी प्यार और वह अदा होनी चाहिए कि आप का जीवनसाथी बिना किसी नाराजगी के आप की बात मान ले.

समय के साथसाथ आप के जीवनसाथी में परिपक्वता और परिस्थितियों का विश्लेषण और आकलन करने की क्षमता बढ़ती जाती है. जिस बात के लिए ब्याह के शुरुआती दिनों में वह तुरंत हामी भर देता था, अब सोचविचार कर हां या न कहेगा. इसलिए किसी भी मसले को धैर्यपूर्वक सुलझाएं. यकीन मानिए, इस तरह आप दोनों का रिश्ता न सिर्फ प्रगाढ़ होता जाएगा, बल्कि इस के साथ ही आप का दांपत्य जीवन भी नीरस नहीं होगा. उस में बेशुमार खुशियां भी शामिल हो पाएंगी.

मैरिड लाइफ की प्रौब्लम के लिए कोई आसान टिप्स बताएं?

सवाल-

मैं 37 साल की हूं. सैक्स के दौरान चरम पर नहीं पहुंच पाती. इस से मन बेचैन रहने लगा है. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

यह महिलाओं में एक आम समस्या है, जिसे दवा से ज्यादा आप खुद ही दूर कर सकती हैं.

इस बारे में आप पति से बात करें. सोने से 2-3 घंटे पहले खाना खाएं और हलका भोजन करें. सैक्स के दौरान जल्दबाजी दिखाने से भी यह समस्या होती है. इसलिए बेहतर होगा कि सैक्स से पहले फोरप्ले की प्रक्रिया अपनाएं, जो लंबी हो.

इस मामले में गलती पुरुषों की भी होती है. सैक्स को निबटाने की सोच रखने वाले ऐसे पुरुषों की संख्या ज्यादा है, जो खुद की संतुष्टि को ही ज्यादा तवज्जो देते हैं और सैक्स के तुरंत बाद करवट बदल कर सो जाते हैं.

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बेहतर होगा कि सैक्स से पहले ऐसा माहौल बनाएं जो सैक्स प्रक्रिया को उबाऊ न बना कर प्यारभरा व रोमांचक बनाए.

सैक्स से पहले कमरे में मध्यम रोशनी के बीच मधुर आवाज में संगीत चला दें, एकदूसरे से प्यारभरी बातें करें, एकदूसरे के अंगों की तारीफ करें यानी देर तक फोरप्ले करने के बाद ही सैक्स करें. यकीनन ऐसा करने से आप की समस्या दूर हो जाएगी.

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कोरोना काल में सेक्स सबसे बडी परेशानी का सबब बन गया है. बिना तैयारी के सेक्स से गर्भ ठहरने लगाहै. उम्रदराज लोगों के सामने ऐसी परेशानियां खडी हो गई है. स्कूल बंद होने से बच्चों के घर पर रहने से पति पत्नी को अपने लिये समय निकालना मुश्किल होने लगा. बाहर आना जाना बंद हो गया. कभी पति के पास समय है तो कभी पत्नी का मूड नहीं. कभी पत्नी का मूड बना तो पति को औनलाइन वर्क से समय नहीं. ऐसे में आपसी तनाव, झगडे और जल्दी सेक्स की आदत आम होने लगी है. जिस वजह से आपसी झगडे बढने लगे है. ऐसे में जरूरी है कि आपस में समय तय करके सेक्स करे. जिससे आपसी झगडे कम होगे तालमेल बढेगा.

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रिश्तों में दरार डालता इंटरनैट

ऋतु के घर पार्टी थी. 20-25 लोगों को बुलाया था. पार्टी की 2 वजहें थीं, पहली पति को प्रमोशन मिली थी और दूसरी बेटे का पीएमटी में सिलैक्शन हो गया था. पार्टी में ऋ तु ने कुछ पड़ोसी, कुछ करीबी रिश्तेदार, कुछ सहेलियों और बेटे के दोस्तों को आमंत्रित किया था.

तय समय पर सारे उपस्थित थे, मगर हाल में शोरशराबा, हंसीमजाक या बातचीत की जगह एक अजीब सी खामोशी थी. ज्यादातर लोग अपने मोबाइल फोन पर ही बिजी थे. अंदर आए, मेजबान से हायहैलो की, बधाई दी और फिर एक कोना पकड़ मोबाइल में आंखें गड़ा कर बैठ गए. यहां तक कि ऋ तु की सहेलियां जो पहले इकट्ठा होती थीं तो क्या हंगामा बरपाती थीं, चुगली, शिकायत, ताने, हंसीठिठोली थमती ही न थी.

एकदूसरे की साड़ी, गहनों पर उन की नजर रहती थी, पर अब वे नजरें भी मोबाइल में ही अटकी हैं. कोई वीडियो देख रही है, कोई यूट्यूब तो कोई फोन पर बात करने में मशगूल है.

एक कोने में बेटे के 2 दोस्त एकदूसरे से सिर सटाए मोबाइल पर फुटबाल मैच देख रहे हैं. राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले डिबेट शो में मगन है तो कोई न्यूज बुलेटिन देख रहा है. आपस में बातचीत के लिए तो जैसे किसी के पास न वक्त है न जरूरत. हकीकत की दुनिया से दूर सब आभासी दुनिया के मनोरंजन में डूबे हैं.

बदलती जीवनशैली

पहले दोपहर का भोजन बनाने और चौका समेटने के बाद गृहिणियां पड़ोस में जा कर बैठती थीं. एकदूसरे का दुखसुख बांटती थीं. जाड़ों के दिनों में जिधर देखो 5-6 औरतों का जमावड़ा लगा होता था. बुनाई के नएनए डिजाइनें सिखाई जाती थीं. नईनई रैसिपीज बातोंबातों में सीख ली जाती थीं. अचार, मुरब्बा, पापड़ एकसाथ मिल कर बनाए जाते थे. मगर अब दोपहर का खाना बनाने के बाद गृहिणी पड़ोस में ?ांकती तक नहीं. बस मोबाइल फोन ले कर बैठ जाती है.

व्हाट्सऐप, फेसबुक, यूट्यूब में जिंदगी के अनमोल क्षण कैसे एकाकी बीते जा रहे हैं. स्मार्ट फोन और इंटरनैट ने तो घर के सदस्यों के बीच भी एक चुप्पी बिखेर दी है. खाली वक्त में अब कोई किसी से बात नहीं करता, बल्कि अपना मोबाइल फोन ले कर बैठ जाता है. चाय की खाने की मेज पर बस हम हैं और हमारा मोबाइल फोन है. आसपास कौन बैठा है इस की हमें परवाह नहीं.

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बेटा शाम को औफिस से घर आ कर मांबाप के पास नहीं बैठता. नहीं पूछता कि उन का सारा दिन कैसा बीता. उन्होंने क्याक्या किया. नहीं बताता कि औफिस में उस का दिन कैसा रहा. वह आता है और लैपटौप खोल कर बैठ जाता है.

नहीं रही रिश्तों में मिठास

बहुएं अब सास से नहीं पूछतीं कि अमुक अचार में कौनकौन से मसाले पड़ते हैं. अब अचार बनाने की सारी विधियां यूट्यूब पर मिल जाती हैं. सास के अनुभव धरे के धरे रह जाते हैं. अचार की खटास रिश्तों में जो मिठास घोलती उस से बहुएं वंचित रह जाती हैं.

जी हां, हम सब का आजकल यही हाल है. न वक्त है, न ही फुरसत क्योंकि जिंदगी ने जो रफ्तार पकड़ ली है, उसे धीमा करना अब मुमकिन नहीं. इस रफ्तार के बीच जो कभीकभार कुछ पल मिलते थे, वे भी छिन चुके हैं क्योंकि हमारे हाथों में, हमारे कमरे में और हमारे खाने की मेज पर एक चीज हम से हमेशा चिपकी रहती है और वह है इंटरनैट.

हालांकि इंटरनैट किसी वरदान से कम नहीं है. आजकल तो सारे काम इसी के भरोसे चलते हैं. जहां यह रुका, वहां लगता है मानो सांसें ही रुक गई हों. कभी जरूरी मेल भेजना होता है, तो कभी किसी सोशल साइट पर कोई स्टेटस या पिक्चर अपडेट करनी होती है. कभी वाट्सएप कौल करनी है, कभी कोई वीडियो देखना है.

इंटरनैट के बिना जहां जीना मुश्किल सा हो गया है वहीं यह इंटरनैट हमारे निजी पलों को हम से छीन रहा है. हमारे फुरसत के क्षणों को हम से दूर कर रहा है., हमारे रिश्तों को प्रभावित कर रहा है, अपनों के बीच दूरियां बढ़ा रहा है. इस की वजह से बहुत बड़ा कम्युनिकेशन गैप पैदा हो रहा है.

छिन गए हैं फुरसत के पल

चाहे औफिस हो या स्कूलकालेज, पहले अपनी शिफ्ट खत्म होने के बाद का जो भी समय हुआ करता था, वह अपनों के बीच, अपनों के साथ बीतता था. आज का दिन कैसा रहा, किस ने क्या कहा, किस से क्या बहस हुई जैसी तमाम बातें हम घर पर अपनों से शेयर करते थे, जिस से हमारा स्ट्रैस रिलीज हो जाता था. लेकिन अब समय मिलने पर अपनों से बात करना या उन के साथ समय बिताना भी हमें वेस्ट औफ टाइम लगता है. हम जल्द से जल्द अपना मोबाइल या लैपटौप लपक लेते हैं कि देखें डिजिटल वर्ल्ड में क्या चल रहा है.

कहीं कोई हम से ज्यादा पौपुलर तो नहीं हो गया है, कहीं किसी की पिक्चर को हमारी पिक्चर से ज्यादा कमैंट्स या लाइक्स तो नहीं मिल गए हैं, हम इन्हीं चक्करों में अपना वक्त जाया कर रहे हैं और अगर ऐसा हो जाता है, तो हम प्रतियोगिता पर उतर आते हैं. हम कोशिशों में जुट जाते हैं फिर कोई ऐसा धमाका करने की, जिस से हमें इस डिजिटल वर्ल्ड में लोग और फौलो करें.

भले ही हमारे निजी रिश्ते कितने ही दूर क्यों न हो रहे हों, हम उन्हें ठीक करने पर उतना ध्यान नहीं देते, जितना डिजिटल वर्र्ल्ड के रिश्तों को संजोने पर देते हैं.

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आउटडेटेड हो गया है औफलाइन मोड

–  आजकल हम औनलाइन मोड पर ही ज्यादा जीते हैं, औफलाइन मोड जैसे आउटडेटेड सा हो गया है.

–  यह सही है कि इंटरनैट की बदौलत ही हम सोशल साइट्स से जुड़ पाए और उन के जरीए अपने वर्षों पुराने दोस्तों व रिश्तेदारों से फिर से कनैक्ट हो पाए, लेकिन कहीं न कहीं यह भी

सच है कि इन सब के बीच हम ने निजी रिश्तों और फुरसत के पलों को खो दिया है.

–  शायद ही आप को याद आता हो कि आखिरी बार आप ने अपनी मां के साथ बैठ कर चाय पीते हुए सिर्फ इधरउधर की बातें कब की थीं या अपने छोटे भाईबहन के साथ यों ही टहलते हुए मार्केट से सब्जी लाने आप कब गए थे?

–  बिना मोबाइल के आप अपने परिवार के सदस्यों के साथ कब डाइनिंग टेबल पर बैठे थे?

–  अपनी पत्नी के साथ बैडरूम में बिना लैपटाप के बिना ईमेल चैक करते हुए कब यों ही शरारतभरी बातें की थीं?

–  अपने बच्चे के लिए घोड़ा बन कर उसे हंसाने का जो मजा है वह शायद इस जैनरेशन और अगली जैनरशन के पिता जान भी नहीं पाएंगे.

–  आजकल सिर्फ पिता ही नहीं, मांएं भी इंटरनैट के बोझ तले दबी हैं. वर्किंग वूमन के लिए  भी अपने घर पर टाइम देना और फुरसत में परिवार के साथ समय बिताना नामुमकिन सा हो गया है.

–  युवा तो पूरी तरह इंटरनैट की गिरफ्त में हैं और वहां से बाहर निकलना भी नहीं चाहते. आजकल जिन लोगों के पास इंटरनैट कनैक्शन नहीं होता या फिर जो लोग सोशल साइट्स पर नहीं होते, उन पर लोग हंसते हैं और उन्हें आउटडेटेड व बोरिंग समझ जाता है.

स्वास्थ्य के लिए जहर बनता इंटरनैट

–  डाक्टर की मानें तो सोशल साइट्स पर बहुत ज्यादा समय बिताना एक तरह का एडिक्शन है. यह ऐडिक्शन ब्रेन के उस हिस्से को एक्टिवेट करता है, जो कोकीन जैसे नशीले पदार्थ के एडिक्शन पर होता है.

–  ‘यूनिवर्सिटी औफ मिशिगन’ की एक स्टडी के मुताबिक, जो लोग सोशल साइट्स पर अधिक समय बिताते हैं, वे अधिक अकेलापन और अवसादग्रस्त महसूस करते हैं क्योंकि जितना अधिक वे औनलाइन इंटरैक्शन करते हैं, उतना ही उन का फेस टु फेस संपर्क लोगों से कम होता जाता है.

–  इंटरनैट का अधिक इस्तेमाल करने वालों में स्ट्रैस, निराशा, डिप्रैशन और चिड़चिड़ापन पनपने लगता है. उन की नींद भी डिस्टर्ब रहती है. वे अधिक थकेथके रहते हैं.

–  इन सब के बीच आजकल सैल्फी भी एक क्रेज बन गया है, जिस के चलते सब से ज्यादा मौतें भारत में ही होने लगी हैं.

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–  लोग यदि परिवार के साथ कहीं घूमने भी जाते हैं, तो उस जगह का मजा लेने के बजाय पिक्चर्स क्लिक करने के लिए बैकड्रौप्स ढूंढ़ने में ज्यादा समय बिताते हैं. एकदूसरे के साथ क्वालिटी टाइम गुजारने की जगह सैल्फी क्लिक करने पर ही सब का ध्यान रहता है, जिस से ये फुरसत के पल बो?िल हो कर गुजर जाते हैं और हमें लगता है कि इतने घूमने के बाद भी रिलैक्स्ड फील नहीं कर रहे हैं.

–  मूवी देखने या डिनर पर जाते हैं, तो सोशल साइट्स के चैकइन्स पर ही हमारा ध्यान ज्यादा रहता है.

–  सार्वजनिक जगहों पर भी लोग एकदूसरे को देख कर अब मुसकराते नहीं क्योंकि सब की नजरें अपने मोबाइल फोन पर ही टिकी रहती हैं. रास्ते में चलते हुए या मौल में जहां तक भी नजर दौड़ाएंगे, लोगों की ?ाकी गरदनें ही पाएंगे. इसी के चलते कई ऐक्सीडैंट भी होते हैं.

  इंटरनैट से बढ़ते अपराध 

–  इंटरनैट ने साइबर अपराधों को इस कदर बढ़ा दिया है कि अब हर जिले में साइबर सैल बनाने जरूरी हो गए हैं. बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग साइबर अपराधों की चपेट में सब से ज्यादा हैं.

–  इंटरनैट पर आजकल आसानी से पोर्न वीडियो देखे जा सकते हैं. चाहे आप किसी भी उम्र के हों, अगर आप के हाथ में स्मार्ट फोन है तो आप पोर्न वीडियो देख सकते हैं. इंटरनैट के घटते रेट्स ने इन साइट्स की डिमांड और बढ़ा दी है. बच्चों पर जहां इस तरह की साइट्स बुरा असर डालती हैं, वहीं बड़े भी इन की गिरफ्त में आते ही अपनी सैक्स व पर्सनल लाइफ को रिस्क पर ला देते हैं. इस की लत ऐसी लगती है कि वे रियल लाइफ में भी अपने पार्टनर से यही सब उम्मीद करने लगते हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि इन वीडियोज को किस तरह से बनाया जाता है. इन में गलत जानकारी दी जाती है, जिस का उपयोग निजी जीवन में संभव नहीं है.

–  अकसर ऐक्स्ट्रामैरिटल अफेयर्स भी औनलाइन ही होने लगे हैं. चैटिंग कल्चर लोगों को इतना भा रहा है कि अपने पार्टनर को चीट करने से भी वे हिचकिचाते नहीं हैं. इस से रिश्ते टूट रहे हैं, दूरियां बढ़ रही हैं.

–  कुछ युवतियां अधिक पैसा कमाने के चक्कर में गलत साइट्स के मायाजाल में फंस जाती हैं. बाद में उन्हें ब्लैकमेल कर के ऐसे काम करवाए जाते हैं, जिन से बाहर निकलना उन के लिए संभव नहीं होता है.

–  इंटरनैट बैंकिंग फ्रौड के केसेज भी अब आम हो गए हैं. आप की बैंक डिटेल पता कर के अपराधी आप के अकाउंट से सारा पैसा औनलाइन ही अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर लेता है और आप देखते रह जाते हैं. ये तमाम बातें स्पष्ट करती हैं कि इंटरनैट सुविधा की जगह मुसीबत ज्यादा बन गया है. इस ने हम से हमारे रिश्ते छीन लिए हैं, हमारी सुरक्षा छीन ली है, हमारे फुरसत के क्षण छीन लिए हैं और हमें अपनों के बीच अकेला कर दिया है.

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