मुझसे 5 साल छोटा एक लड़का शादी करने को तैयार है, बताएं क्या करूं?

सवाल

मैं 38 साल की कामकाजी अविवाहिता हूं. घर की परिस्थिति कुछ ऐसी थी कि शादी नहीं कर पाई. इस का कुसूरवार भी मैं खुद को मानती हूं. माता पिता जब तक थे तब तक सहारा था अब भाई भाभी अपनीअपनी जिंदगी में व्यस्त रहते हैं तो कई बार अकेलापन महसूस होता है. क्या शादी से मेरा अकेलापन दूर हो सकता है और मुझे जिंदगी जीने का मकसद मिल सकता है? मुझसे 5 साल छोटा एक लड़का शादी करने को तैयार है पर सोचती हूं कि न जाने परिवार और समाज क्या सोचेगा? बताएं क्या करूं?

जवाब

पलपल बदलती दुनिया में कई बार अकेलापन महसूस होता है. आप के साथ इस की वजहें भी हैं. मातापिता के गुजर जाने के बाद जाहिर है आप अपना दुखदर्द शायद ही किसी के साथ बांट पा रही होंगी.

कई ऐसी बातें होती हैं, जिन्हें आप किसी से भी फिर चाहे वे दोस्त हों या रिश्तेदार खुल कर नहीं कह सकतीं. यों तो अकेलापन दूर करने के कई साधन हैं पर चूंकि आप विवाह करने को उत्सुक हैं तो समाज व रिश्तेदारों की परवाह किए बगैर शादी कर सकती हैं.

आप से 5 साल छोटा लड़का आप से विवाह करने को इच्छुक है तो बिना वक्त गंवाए शादी के लिए हामी भर दें. इस से न सिर्फ आप का अकेलापन दूर हो जाएगा, आप को जीने का मकसद भी मिल जाएगा. लड़का इतना भी छोटा नहीं है कि आप की जोड़ी बेमेल लगे. समाज में ऐसे कई उदाहरण हैं, जो उम्र में काफी अंतर होने के बावजूद अच्छा व खुशहाल शादीशुदा जीवन बिता रहे हैं. यदि बाद में कोई दिक्कत होगी तो देखा जाएगा. यह जोखिम वह लड़का ले रहा है, आप नहीं.

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कुछ यों मनाएं मैरिड लाइफ का जश्न

पिछले एक विश्व पुस्तक मेले में पोलैंड गैस्ट औफ औनर देश रहा. पोलैंड पैवेलियन पर हिंदी बोलते लोग बहुत आकर्षित कर रहे थे. ऐसा नहीं था कि कुछ शब्द ही उन्होंने याद कर रखे थे, बल्कि वे दिल से धाराप्रवाह हिंदी बोल रहे थे. वहीं की एस कुमारी याहन्ना ने बताया कि भारत की परंपराओं और पारिवारिकता का पोलैंड में बहुत सम्मान है. भारत ने पोलैंड को द्वितीय विश्व युद्ध में इस का परिचय भी दिया. इस विश्व युद्ध में अनाथ हुए 500 बच्चों को भारत ने अपने यहां पाला. इस बात का बहुत सम्मान है. पोलैंडवासी जब भी कभी बलात्कार, भू्रण हत्या, दरकते दांपत्य या ऐसे ही पारिवारिक मूल्य विघटन की भारतीय खबर पढ़तेसुनते या देखते हैं तो उन्हें बहुत दुख होता है.

सुदीर्घ दांपत्य का जश्न

60 के दशक से पोलैंड में वैवाहिक जीवन की स्वर्ण जयंती मनाने वाले जोड़ों को राष्ट्रपति मैडल से सम्मानित किया जाता है. यह आयोजन पोलैंड की राजधानी में होता है परंतु पोलैंड के और भी कई शहरों में इस प्रकार के आयोजन की परंपरा है.

इस अवसर पर पोलैंड की राजधानी में काफी गहमागहमी रहती है. रुपहले रंग के मैडल पर, प्यार के प्रतीक गुलाब के परस्पर लिपटे और गुलाबी रिबन से बंधे फूल होते हैं, जो दंपती के प्यार के प्रतीक होते हैं. रैड कारपेट पर चलते दंपती इस सम्मान को ग्रहण कर के बहुत गौरवान्वित अनुभव करते हैं.

आसान नहीं इतना लंबा साथ

अर्द्ध शताब्दी का साथ कम नहीं होता. इस के लिए स्नेह, सम्मान, स्वस्थता, समर्पण आदि तमाम गुणों की आवश्यकता होती है.

रिलेशनशिप काउंसलर निशा खन्ना से जब हम ने पूछा कि जोड़ों में तालमेल कैसे आए कि हर जोड़ा इस तरह का सफल दांपत्य जीवन पा सके? तो इस पर उन का कहना था कि बच्चों का पालनपोषण अच्छी पेरैंटिंग से हो. वे बच्चों को होशियार, इंटैलिजैंट बनाने के साथ ही परिपक्व बनाएं. आजकल हर कोई अपने फायदे से रिश्ते बनाता है. पहले यह बात बाहर वालों के लिए थी, परंतु अब निजी, आपसी तथा घरेलू संबंधों में भी यह बहुत घर करती जा रही है. इस से रिश्तों में छोटीछोटी बातों को ले कर तनाव, क्रोध, खीज, टूटन, तलाक आदि बातें कौमन होती जा रही हैं. पहले औरतें दब जाती थीं. पति को परमेश्वर मान लेती थीं पर अब बदलते जीवनमूल्यों में उन्हें दबाना आसान नहीं रहा.

हमारे यहां भी है यह परंपरा

शादी की रजत जयंती एवं स्वर्ण जयंती मनाने का चलन पिछले कुछ वर्षों से काफी जोर पकड़ता जा रहा है. नडियाद, गुजरात के एक दंपती ने बताया कि 52 साल पहले गांव में हमारी शादी हुई. हमें पुराने रीतिरिवाजों का पालन करना पड़ा. परंतु शादी की स्वर्ण जयंती में हम ने अपनी नई हसरतें पूरी कीं. हम शादी के रिसैप्शन में नए जोड़ों की तरह बैठे और खूब फोटो खिंचवाए. एकदूसरे को वरमाला भी पहनाई. दूरदूर के रिश्तेदार तथा मित्रगण आए. हम उत्साह से भर गए. नईपुरानी पीढ़ी के अंतर मिट गए. पर हमारे यहां ऐसे आयोजनों में दिखावा बढ़ रहा है, इस पर लगाम कसनी जरूरी है.

कौरपोरेट हाउस का एक जोड़ा कहता है कि हम ने आपस में ही दोबारा विवाह किया. हम अपनी पहले की तलाक लेने की गलती पर शर्मिंदा हैं. हम ने आपसी सहमति से तलाक ले तो लिया, परंतु दोनों ही बिना शादी लंबे समय तक रहे. एक वक्त ऐसा आया कि एकदूसरे को मिस करना शुरू किया. न हमारे पास पैसे की कमी थी, न घर वालों का दखल और न ही निजी संबंधों की दूरी, फिर भी छोटीछोटी टसल, क्रोध प्रतिशोध जैसी भावनाएं हावी थीं. फिर दोनों सोचते थे जब कमाते हैं किसी पर निर्भर नहीं, तो क्यों झुकें और सहें? इसी में हम भूल गए कि सिर्फ कागजी रुपयों या सुख के साधनों से खुशी नहीं आती. तब हम औपचारिक तौर पर मिले फिर काउंसलिंग ली और दोबारा ब्याह किया. घर वालों ने खूब खरीखोटी सुनाई. हम ने शादी के 26वें साल का फंक्शन किया और उस में अपनेअपने अनुभव सुझाए. इतना ही नहीं हम ने अपनी गलतियां कबूलीं और एकदूसरे की खूबियां भी मन से बखानीं. जोड़ों से अनुभव सुने.

एक कर्नल कहते हैं कि हम ने जीवन में बहुत जोखिम व रिस्क देखे. 2 युद्धों में सीमा पर गया. अत: जीवन में परिवार और खुशियों का मोल बेहतर तरीके से जान सका. मेरी पत्नी ने शुरुआती दौर में मेरे बच्चे अकेले पाले. मैं ने हमेशा उन को सामाजिक फंक्शंस में थैंक्स कहा.

इन की पत्नी कहती हैं कि ये उत्सवप्रिय हैं. मांबाप की शादी की 50वीं सालगिरह में 50 जोड़ों को आमंत्रित किया था. मैं 40 की हुई तो ‘लाइफ बिगिंस आफ्टर पार्टी’ शीर्षक से पार्टी दी. हाल ही में अपने गांव व खेत में इन्होंने गंवई स्टाइल में अपना 60वां जन्मदिन ‘साठा सो पाठा’ शीर्षक से मनाया.

परिपक्वता का दौर

शादी के शुरुआती दिन व्यस्तता, अपरिपक्वता और अलगअलग स्वभाव से भरे होते हैं. पर बाद के दिन काफी सैटलमैंट वाले होते हैं. सिंघल दंपती कहते हैं कि एक समय हम मुंबई में स्टोव पर मां से रैसिपीज पूछपूछ कर खाना बनाते थे. 50वीं सालगिरह तक हमारे सब बच्चे सैटल हो गए तो हम ने पूरे यूरोप का ट्रिप किया. कहां तो कूलर तक के पैसे न थे. हम चादर गीला कर के गरमी की रातें काटते थे. अत: हम ने पुराने दिनों का जश्न जरूरत की चीजें डोनेट कर के भी मनाया. शादी की 50वीं सालगिरह के जश्न ने हमें यह बोध कराया कि असली जीवन क्या है. हम ने जीवन में क्या पाया, क्या खोया. अच्छी मेहनत, प्यार भरा साथ, दुख, संघर्ष, दूरी आदि जीवन को कितना कुछ देते हैं. सच पूछो तो हम ने अपने जीवन की खुशियों का इस फंक्शन के माध्यम से अभिनंदन किया.

तनमनधन का तालमेल जरूरी

दांपत्य जीवन में उम्र के साथ जरूरतें और भावनाएं भी अलग रुख लेती हैं. एक जोड़ा कहता है कि शुरूशुरू में बहुत झगड़ते थे. शायद ही कोई ऐसी बात हो जिस पर बिना लड़ाई हमारी सहमति बन जाती रही हो. एक बार पत्नी गुस्से में 5 दिन तक बच्चे को मेरे पास छोड़ कर चली गई. तब मैं ने बच्चे को पाला तो मेरी हेकड़ी ठिकाने आ गई. मैं ईगो भूल कर इन के घर चला गया तो मैं ने पाया ये भी सब भूल गई हैं. तब से हम ने सोचा हम लड़ेंगे नहीं. वह दिन है और आज का दिन है, मन के प्यार के बिना तन के प्यार का मजा नहीं और धन के बिना दोनों ही स्थितियां अधूरी हैं. अत: मैं ने घर की शांति से बिजनैस भी ढंग से किया. पैसा भी सुखशांति के लिए जरूरी है पर सुखशांति को दांव पर लगा कर कमाया पैसा निरर्थक लगता है. यही बात हम हर जोडे़ को समझाते हैं. छोटीछोटी खुशियां पाना सीखना चाहिए. बड़ी खुशियों का रास्ता बनाने में छोटीछोटी बातों का कारगर योगदान रहता है.

अन्य देशों में भी है ऐसी परंपरा

विवाह संस्था सभ्य समाज की सब से पुरानी संस्था है, जो सम्यक रूप से सृष्टि और दुनिया को चलाती है. आमतौर पर अच्छे दांपत्य संबंधों को हम अपने या एशियाई देशों की धरोहर मानते हैं परंतु अच्छी बात, परंपरा व संस्कारों का पूरी दुनिया खुले मन से स्वागत करती है.

हमारे यहां पाश्चात्य देशों के पारिवारिक मूल कमजोर माने जाते हैं. फ्री सैक्स के चलते समाज को मुक्त एवं उच्छृंखल समाज मान लेते हैं. परंतु वहां ऐसा नहीं है कि उन की पारिवारिक मूल्यों में आस्था न हो. हां, यह जरूर है कि वहां शादी को निभाने का आग्रह, दुराग्रह अथवा थोपन नहीं है, न ही अन्य रिश्तेदारों का इतना दखल कि उन की चाहत, अनचाहत का शादी के चलने, न चलने पर असर पड़े. वहां 7 पुश्तों के लिए धन जोड़ना और अपना पेट काट कर औलाद को मौज उड़ाने देने का रिवाज नहीं है, लेकिन वहां भी अच्छी शादी चलना प्रशंसनीय कार्य माना जाता है. चुनावी उम्मीदवार का पारिवारिक निभाव उस की इमेज बनाता है. जो घर न चला सका वह देश क्या चलाएगा की मान्यता पगपग पर देखी जाती है. अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा अपनी पत्नी व बच्चों के साथ छुट्टियां बिताते देखे जाते हैं.

अमेरिका में शादी का गोल्डन जुबली मनाने पर जोड़ों को व्हाइट हाउस (राष्ट्रपति भवन) से बधाई संदेश भेजा जाता है. इंगलैंड में भी शादी के 60 वर्ष पूरे होने पर महारानी की ओर से बधाई भेजी जाती है.

यदि जरूरी हो

यकीनन विदेशों में राष्ट्र के प्रथम नागरिक और गणमान्यों द्वारा दांपत्य का यह अभिनंदन देखसुन कर हमारी भी इच्छा होती है. कि हमारे देश में भी ऐसा हो. लेकिन यह सब हमारे यहां राष्ट्रपति चाहें तब भी इतना आसान नहीं है, क्योंकि विवाह का पंजीकरण पूरी तरह नहीं होता. कई जोड़े तो ऐसे हैं जिन्हें अपने विवाह तथा जन्म की सही तिथि तक पता नहीं है.

यदि विधिवत पंजीकरण किया जाए तो संबंध विभाग ऐसे जोड़ों का अपनेअपने शहर में अभिनंदन कर सकता है. इसी तरह मृत्यु पंजीकरण भी पुख्ता हो ताकि सही सूचना के अभाव में स्थिति गड्डमड्ड न हो जाए. इसी प्रकार स्वस्थ और चलताफिरता जीवन भी ऐसे मौकों को ज्यादा ऊर्जा व जोश से भरता है, जिस में जीवन बोझिल तथा पीड़ादायक न हो. अन्यथा मजबूरी या सिर्फ दिनों की संख्या उस का उतना तथा वैसा लुत्फ नहीं उठाने देती, जिस के लिए मन मचलता है या उत्साही रहता है.

मैं और तुम गर हम हो जाएं…

एक रिपोर्ट के मुताबिक, जो पुरुष घर के कामों में सहयोग करते हैं, वे अन्य पुरुषों की तुलना में ज्यादा खुश रहते हैं. यह रिपोर्ट उन मर्दों के लिए खुशखबरी भरी है, जो घरेलू काम करने को अपनी तौहीन समझते हैं. ऐसे पुरुष यह मानते हैं कि घरेलू काम सिर्फ औरतों को ही करना चाहिए.

शुरू से ही एक औरत न सिर्फ घर का, बल्कि बाहर का कामकाज भी करती आ रही है. वह दोनों भूमिकाएं बखूबी निभाती है. एक समय था जब वह घर से निकल कर खेत भी जाती थी. पशुओं को चराना, नहलाना, बोझा ढोना, लकडि़यां इकट्ठा करना और फिर घर आ कर गृहस्थी के कामों में जुट जाना. बच्चों को दूध पिलाना, खाना बनाना व परोसना सहित घर के तमाम काम उस के ही सिर पर थे. पुरुष केवल तब तक ही हाथपैर चलाता था जब तक घर से बाहर होता था. घर की चौखट के भीतर आते ही वह पानी पी कर गिलास भी स्वयं नहीं रखता था. घर में उस का काम केवल आराम करना व पत्नी को गर्भवती बनाना मात्र ही था.

आज भी यों तो अधिकांश घरों में इसी परंपरा का पालन होता आ रहा है, मगर बदलते जमाने में जब नई जैनरेशन के पति यह देख रहे हैं कि पत्नियां घर से बाहर निकल कर घर की आर्थिक स्थिति में सहयोग दे रही है, तो वे घर के कामकाज में हाथ बटाने लगे हैं. यह एक अच्छी शुरुआत है.

औरत नहीं मशीन

ऐसा देखा गया है कि पतिपत्नी अथवा सासबहू के बीच होने वाले ज्यादातर कलह घरेलू कामों को ले कर ही होते हैं. यह तो अच्छा है कि किचन व अन्य इलैक्ट्रौनिक होम ऐप्लायंसेज की वजह से महिलाओं के लिए काम करना थोड़ा सुलभ हुआ है. इस से उन के काम कुछ जल्दी निबट जाते हैं.

मगर कपड़े धोने की मशीन, वैक्यूम क्लीनर, मिक्सर, ग्राइंडर आदि अपनेआप काम नहीं करते. इन्हें चलाने के लिए एक आदमी की जरूरत तो पड़ती ही है. क्या कोई ऐसी मशीन है, जो बच्चों के डायपर्स बदल सकती है? बच्चों को होमवर्क करा सकती है? क्या कोई ऐसी मशीन है, जो सुबह उठे और बच्चों को जगाए, उन्हें नहलाए, यूनिफौर्म, जूतेमोजे, टाईबैल्ट पहनाए और फिर नाश्ता करा कर उन का लंच बौक्स पैक कर के उन्हें स्कूल छोड़ आए? फिर दोपहर में बच्चों को ले कर आए. बरतन धोए और पोंछा लगाए, लंच व डिनर बनाए और फिर सब को परोसने का काम भी करे?

निश्चित तौर पर ऐसी मशीन सिर्फ एक औरत ही हो सकती है. अगर इन अनगिनत घरेलू कामों में से कुछ काम पति अपने कंधों पर ले ले तो औरत को थोड़ी राहत तो अवश्य मिलेगी.

ऐक्सपर्ट्स का मानना है कि आजकल की व्यस्त लाइफ में घर का काम पतिपत्नी को मिल कर ही करना चाहिए. इस से न सिर्फ तनाव दूर रहता है, पार्टनर के सहयोग करने पर मन व शरीर में ऊर्जा भी बनी रहती है. एकदूसरे को लगता है कि कोई है, जो जरूरत के समय उस के साथ काम करने को तैयार रहता है. इस से घर में हर रोज होने वाली किचकिच भी नहीं होती.

इस पुरुष प्रधान समाज में लोगों की मानसिकता ऐसी बनी हुई है कि केवल औफिस जाते हुए व हाथ में सिगरेट थामे हुए लोग ही मर्द कहलाते हैं. किचन में ऐप्रिन पहने आटा गूंधता कोई व्यक्ति मर्द की श्रेणी में नहीं गिना जाता. यही वजह है कि जो पति घर के कामों में पत्नी का सहयोग करते हैं वे दोस्तों व रिश्तेदारों से इसे छिपा कर रखना चाहते हैं.

60-70 के दशक में आई एक फिल्म में नायक संजीव कुमार ने नायिका मौसमी चटर्जी के पति की भूमिका निभाई थी. दोनों ही एकदूसरे के कामों को बेहद महत्त्वहीन व आसान समझते थे. ऐसे में दोनों ने अपनी भूमिकाएं बदलने का फैसला किया. यानी जो भूमिका नायिका निभा रही थी उसे नायक को निभाना था और नायक वाली भूमिका नायिका को निभानी थी. फिल्म का संदेश यह था कि एक औरत घर संभालने के अलावा बाहर जा कर कमा भी सकती है, मगर घर में गृहस्थी व बच्चे संभालने की जिम्मेदारी जितनी आसान दिखती है, उतनी होती नहीं.

हाउस हसबैंड

आज ढेरों पति ऐसे हैं, जो हाउस हसबैंड हैं. बैंकर से लेखक बने चेतन भगत उस का उदाहरण हैं. उन की पत्नी भी बैंकर हैं. वे तो औफिस चली जाती हैं, चेतन अपना लेखन का सारा काम घर से ही करते हैं और अपने 2 जुड़वां बेटों की देखभाल भी. हां यह बात जरूर है कि वे घर बैठ कर अच्छी कमाई भी करते हैं.

वहीं कई टीवी कलाकार ऐसे हैं, जो पतिपत्नी हैं. दोनों ही ऐक्टिंग करते हैं, तो कई बार ऐसे मौके आते हैं जब कोई एक धारावाहिक अथवा किसी शो में काम कर रहा होता है और दूसरा घर बैठा होता है. ऐसे में क्या होता है? टीवी कलाकार वरुण वडोला साफसाफ कहते हैं, ‘‘जब मेरे पास काम नहीं होता और पत्नी राजेश्वरी के पास ढेर सारा काम होता है तो घर मैं संभाल रहा होता हूं और वह बाहर.’’

और भी कई कवि, लेखक और साहित्यकार हाउस हसबैंड हैं. हालांकि अभी यह बदलाव इतना कौमन नहीं हुआ है, पर इस की शुरुआत हो गई है. इस से दोनों एकदूसरे के कामों की कद्र करना सीख गए हैं, मगर यह बदलाव केवल शहरों अथवा शिक्षित तबके में ही देखा जा सकता है. अगर हम सिक्के के दूसरे पहलू को देखें तो भारतीय गांवों में जहां देश की कुल आबादी का 70% हिस्सा बसता है, वहां मर्दों को शान से हुक्का गुड़गुड़ाते या फिर खेती करते ही देखा जा सकता है. फिलहाल वहां की परंपराएं बदलने में शायद थोड़ा वक्त लगेगा.

शादीशुदा डिप्रैशन फ्री

घर में हाथ बंटाने का यह अर्थ नहीं कि आप हाउस हसबैंड बन गए हैं. आखिर घरपरिवार, बच्चों की देखभाल आदि पतिपत्नी दोनों की साझा जिम्मेदारी है, तो इस में शर्म कैसी? अगर आप ऐसे हैं तो बच्चों की नैपी बदलने की बात को दोस्तों को बता कर उन्हें शर्मिंदा करें कि वे बैठेबिठाए खाने के आदी हो चुके हैं. उन्हें बताएं कि अब उन का वह दौर खत्म हो चुका है, जिस में औरत को भोग्या और पुरुष को भोगी कहा जाता था.

यदि आप संयुक्त परिवार में हैं तो आप की मां उस समय आपत्ति जता सकती हैं, जब आप पत्नी द्वारा धोए कपड़ों की बालटी ले कर छत पर कपड़े सुखाने जाएं अथवा फ्रिज में गिरे दूध अथवा जैम को साफ करें. दरअसल, सास अपनी बहू के साथ अपने बेटे को घरेलू काम करते नहीं देखना चाहती. पुरानी सोच के चलते उसे लगता है कि उस के बेटे की छवि खराब होगी या उस का पुरुषत्व कम होगा. ऐसा होने पर मां को यह समझाएं कि बदले जमाने में यह सब कितना जरूरी हो गया है.

वैसे शादी व्यक्ति पर सकारात्मक प्रभाव डालती है. एक स्टडी के अनुसार, शादीशुदा लोग कुंआरों के मुकाबले टैंशन और डिप्रैशनफ्री रहते हैं. इस स्टडी में 15 देशों के 34,493 लोगों से बात की गई और पूछा गया कि शादी और मानसिक शांति का क्या संबंध है.

पहले की गई स्टडीज में यह माना गया था कि शादी से सिर्फ महिलाओं को ही मानसिक शांति मिलती है, लेकिन इस स्टडी ने इसे दोनों के लिए फायदेमंद बताया गया. शादी के बाद खुश रहने के लिए दोनों के बीच कम्युनिकेशन और समझदारी होना बेहद जरूरी है. इस के लिए सिर्फ शादी करना ही काफी नहीं, बल्कि मैं और तुम छोड़ कर हम बनना पड़ेगा और हर खुशी, गम व काम की जिम्मेदारी हम बन कर उठानी होगी.

Married Life को Happy बनाने के 11 टिप्स

क्या आप अपने रिलेशन को ले कर अकसर चिंतित रहते हैं? अगर हां तो इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है. आप की चिंता का कारण आप का स्वयं का ऐटिट्यूड अथवा आप दोनों की कैमिस्ट्री हो सकती है. ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रख कर आप वैवाहिक जीवन को सुचारु रूप से चला सकते हैं:

1. कम्यूनिकेशन:

अपनी भावनाएं, विचार, समस्याएं एकदूसरे को बताएं. वर्तमान और भविष्य के बारे में बात करें. दूसरे को बताएं कि आप दोनों के बारे में क्या प्लान करते हैं. बोलने के साथ सुनना भी जरूरी है. मौन भी अपनेआप में संवाद है. अपने हावभाव, स्पर्श में भी साथी के प्रति प्यार व आदर प्रदर्शित करें.

2. सारी उम्मीदें एक ही से न रखें:

अगर आप अपने साथी से गैरवाजिब उम्मीदें रखेंगे तो आप का निराश होना लाजिम है. पार्टनर से उतनी ही उम्मीद रखें जितनी वह पूरी कर सके. बाकी उम्मीदें दूसरे पहलुओं में रखें. पार्टनर को स्पेस दें. उस की अच्छाइयोंबुराइयों को स्वीकारें.

3. बहस से न बचें:

स्वस्थ रिश्ते के लिए बहस अच्छी भी रहती है. बातों को टालते रहने से तिल का ताड़ बन जाता है. मन में रखी उलझनों को बढ़ाएं नहीं, बोल डालें. आप का साथी जब आप से झगड़ रहा हो तो चुप्पी न साधें और न ही बुरी तरह से प्रतिक्रिया दें. ध्यान से सुनें और इत्मिनान से समझें. हाथापाई या गालीगलौच तो कतई न करें.

4. खराब व्यवहार को दें चुनौती:

कभी भी साथी के खराब व्यवहार से आहत हो कर अपना स्वाभिमान न खोएं. कई बार हम साथी के व्यवहार से इतने हैरान हो जाते हैं कि अपनी पीड़ा बयां करने के बजाय स्वयं को अपराधी महसूस करने लगते हैं या मान लेते हैं. साथी आप को शारीरिक/मानसिक रूप से चोट पहुंचाता है तो भी आप उसे मना नहीं करते. यह गलत है. खराब व्यवहार न स्वीकारें. इस से रिश्ते में ऐसी दरार पड़ जाती है जो कभी नहीं पटती.

5. एकदूसरे को समय दें:

एकदूसरे के साथ समय बिताने और क्वालिटी टाइम शेयर करने से प्यार बढ़ता है. साथी के साथ ट्रिप प्लान करें. घर पर भी फुरसत के क्षण बिताएं. इस समय को सिर्फ अच्छी बातें याद करने के लिए रखें, इस में मनमुटाव की बातें न करें. फिर देखें इस वक्त को जब भी आप याद करेंगे आप को अच्छा महसूस होगा.

6. विश्वास करें और इज्जत दें:

क्या आप साथी की बहुत टांग खींचते हैं? क्या आप उस पर हमेशा शक करते हैं? यदि ऐसा हो तो रिश्ता कभी ठीक से नहीं चलेगा. एकदूसरे पर विश्वास करना सब से अधिक जरूरी है. एकदूसरे की इज्जत करना भी जरूरी है. विश्वास और इज्जत किसी भी रिश्ते की नींव है. अत: इन्हें मजबूत रखें.

7. कन फौर ग्रांटेड न लें:

शादी हो जाने के बाद भी टेकन फौर ग्रांटेड न लें. साथी की पसंदनापसंद पर खरे उतरते रहने का प्रयास करते रहें. उस के अनुसार खुद को ढालने की कोशिश करते रहें. जैसे पौधा अच्छी तरह सींचे जाने के बाद ही मजबूत पेड़ बनता है, सही देखभाल से ही वह पनपता है, वैसे ही वैवाहिक जीवन को 2 लोग मिल कर ही सफल बना सकते हैं.

8. यह टीम वर्क है:

पतिपत्नी तभी खुशनुमा जीवन जी सकते हैं जब दोनों टीम की तरह काम करें. दोनों समझें कि एकदूसरे से जीतने के बजाय मिल कर जीतना जरूरी है. सुखी विवाह दोनों पक्षों की मेहनत का परिणाम होता है.

9. एकदूसरे का खयाल रखें:

जीवन की प्रत्येक चीज से ऊपर यदि आप एकदूसरे को रखेंगे तो सुरक्षा की भावना पनपेगी. यह भावना रिश्तों को मजबूत बनाती है. हर पतिपत्नी को एकदूसरे से बेपनाह प्यार और इज्जत चाहिए होती है.

10. ध्यान से चुनिए दोस्त:

आप के दोस्त आप के जीवन को बना या बिगाड़ सकते हैं. दोस्तों का प्रभाव आप के व्यक्तित्व व व्यवहार पर बहुत अधिक होता है. इसलिए ऐसे दोस्त चुनें जो अच्छे हों.

11. वाणी पर संयम:

वैवाहिक जीवन में कई बार आप की वाणी आप के विवाह को खत्म कर देती है. अपने शब्दों का प्रयोग कटाक्ष, गालीगलौच या फबतियां कसने में न करें वरन इन से तारीफ करें, मीठा बोलें. आप का शादीशुदा जीवन अच्छा बीतेगा.

मैरिड लाइफ में दीवार न बने इंटरनैट, पेश हैं टिप्स

वैसे तो इंटरनैट ऐसी तकनीक है, जिस के फायदे गिनने लग जाएं तो समय कम पड़ जाए. लेकिन इस ने आम आदमी की जिंदगी में जो हड़कंप मचा रखा है वह भी कम नहीं है. एक जमाना था जब 4 लोग भी साथ बैठ जाएं तो हल्ला हो जाता था, आज 40 भी बैठ जाएं तो आवाज नहीं निकलती.

इंटरनैट क्रांति ने व्यवस्था को हिला कर रख दिया है. इस का सब से नकारात्मक प्रभाव पतिपत्नी के रिश्तों पर पड़ा है, क्योंकि मोबाइल ने बैडरूम में भी अपनी गहरी पैठ बना ली है. पहले जो समय पतिपत्नी एकदूसरे की बातें सुनने या लड़ाईझगड़े में बिताते थे, आज उस समय को मोबाइल खा रहा है. जहां दूर के लोगों के साथ बोलनाबतियाना बहुत अच्छा लगता है, वहीं अपने साथी की बातें कड़वी लगती हैं.

पतिपत्नी के रिश्ते के बीच में किसी का भी आना नुकसानदायक ही होता है. फिर चाहे वह मोबाइल ही क्यों न हो.

बैडरूम का समय पतिपत्नी दोनों का निजी समय होता है. आप दिन भर जो भी करें, जितने भी व्यस्त रहें सिर्फ बैडरूम के अंदर का समय एकदूसरे को देंगे तो भी हालात नियंत्रण में रहेंगे और घर की खुशियां बरकरार रहेंगी.

बैडरूम के अलावा बेहतरीन कफल टाइम बिताने के कुछ तरीके पेश हैं:

1. लेट नाइट ड्राइव:

ज्यादातर पतिपत्नी डिनर के बाद बैड पर जाते ही नैट की दुनिया में खो जाते हैं. कभीकभी नैट को छोड़ पार्टनर के साथ नाइट ड्राइव के बारे में सोचें. कभी आईसक्रीम खाने के बहाने तो कभी खुली हवा में सैर के बहाने.

2. कौफी और हम दोनों:

डिनर के बाद टैरेस या बालकनी में हौट कौफी के साथ रोमांटिक गपशप करें. एकदूसरे से न भी की बातें शेयर करें.

3. आउटिंग:

घर से बाहर जाने के लिए वीकैंड का इंतजार क्यों? कभीकभी वीक डे में जब शाम को औफिस से जल्दी निकलें, तो पहले से ही तय पौइंट पर पार्टनर को बुलाएं और मौल या नजदीकी मार्केट घूमने का मजा लें.

4. सर्फिंग भी शौपिंग भी:

नैट पर अकेले व्यस्त रहने के बजाय पार्टनर के साथ भी कभीकभी शौपिंग साइट्स विजिट करें. यकीन मानिए यह पार्टनर के साथ समय बिताने का बेहतरीन तरीका साबित होगा.

ज्यादातर लोग ऐंजौय करने के लिए अवसरों या सही समय का इंतजार करते रहते हैं जबकि छोटेछोटे पल उन्हें बड़ी खुशियां देने के कितने ही अवसर देते हैं. बस, जरूरत है इन पलों के सही उपयोग करने की

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शादी अपने साथ कई चुनौतियां ले कर आती है. यदि खुशी है तो गम भी आप की जिंदगी का हिस्सा होता है. ऐसे में जरूरी है कि आप उस में संतुलन बना कर चलें. पति और पत्नी एक सिक्के के दो पहलू हैं. दोनों में  से एक को कभी भी किसी मोड़ पर दूसरे की जरूरत पड़ सकती है. ऐसे में ध्यान रखना आवश्यक है कि आप उसे परेशानी नहीं समझें बल्कि अपना कर्तव्य समझ कर समझदारी से काम लें.

ऐसा ही कुछ अभिनव और आरती के साथ हुआ. अभिनव की नौकरी किसी कारणवश छूट गई जिस के चलते वह घर में रहने लगा. वह चिड़चिड़ा होने के साथ गुस्सैल स्वभाव का बरताव करने लगा. उस का ऐसा बरताव आरती से सहन नहीं हो पाया और वह अपने मायके में जा कर बैठ गई.

आरती को थोड़े संयम की आवश्यकता थी. आरती को समझने की जरूरत थी कि समय कभी एकजैसा नहीं रहता. यदि आज परेशानी है तो कल उस से छुटकारा भी मिल ही जाएगा. आइए जानें किस तरह पत्नियां स्वयं को घर में कैद न समझ, प्रेमपूर्वक अपने जीवनसाथी का साथ निभाएं :

पति, पत्नी का मजबूत रिश्ता

प्यार व विश्वास पर टिका है पतिपत्नी का रिश्ता. किसी भी इमारत को बनाते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि उस की नींव मजबूत हो, अगर नींव मजबूत नहीं होगी तो इमारत गिरने का खतरा हमेशा बना रहेगा. ठीक इसी तरह पतिपत्नी के रिश्ते की इमारत के 2 आधार स्तंभ होते हैं प्यार और विश्वास. यही स्तंभ अगर कमजोर हों तो रिश्ता ज्यादा समय नहीं चल सकता. जिन पतिपत्नी के बीच ये दोनों बातें मजबूत होती हैं, उन का दांपत्य जीवन सुखमय बीतता है.

बीमार पड़ने पर

जब आप को पता चले कि आप का जीवनसाथी किसी बीमारी से ग्रस्त है तो जरूरी है कि आप प्यार और संयम से काम लें. जीवनसाथी में यदि पति किसी बीमारी से ग्रस्त है तो पत्नी ध्यान दे कि इस समय उन के पति को सब से ज्यादा उन के सहयोग की उन्हें आवश्यकता है क्योंकि ज्यादातर पुरुषों को कार्य के सिलसिले में बाहर रहना पड़ता है और जब उन्हें घर में बैठना पड़ जाता है तो उन से यह कतई बरदाश्त नहीं हो पाता है.

साथ ही, बीमार होने के कारण उन का चिड़चिड़ापन और बातबात में गुस्सा आना स्वाभाविक हो जाता है. ऐसे में पत्नियों का बेहद महत्त्वपूर्ण योगदान होता है. पत्नियां प्यार और धैर्य से उन्हें समझाती हैं और उन का ध्यान रखती हैं.

ऐसे बहुत से जोड़े देखने को मिलते हैं जो अपनी जिंदगी के मुश्किल दौर में एकदूसरे का साथ दे पाए हैं. यहां तक कि उन्होंने गंभीर बीमारी के साथ खुशीखुशी जीना भी सीख लिया है.

ऐसा ही कुछ अक्षय और पारुल के साथ हुआ. अक्षय की रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कारण वह बिना किसी की मदद के जरा भी हिलडुल नहीं सकता था. उस की पत्नी पारुल ने समझदारी से उस का साथ निभाया. वह हमेशा अक्षय के साथ रहती थी, उस की हर जरूरत को पूरा करती थी, यहां तक कि करवट लेने तक में भी उस की मदद करती थी. वह अपने पति और अपने रिश्ते को पहले से भी अधिक मजबूत महसूस कर रही थी.

तालमेल है जरूरी

अकसर देखा जाता है कि पति की नाइटशिफ्ट की जौब होती है जिस में पति पूरी रात औफिस में रहता है और पूरा दिन घर में आराम करता है. या फिर शिफ्ट चेंज होती रहती है. ऐसे में जौब करना चाहते हुए भी पत्नियां अपने जीवनसाथी की देखभाल के लिए घर में रहती हैं क्योंकि औरों को देखते हुए उन की दिनचर्या का पूरा सिस्टम ही अलग तरह से चलता है. जब पति पूरी रात कार्य करेंगे तो वे पूरा दिन घर में आराम करेंगे. ऐसे में पत्नी को उन के नहाने, खाने व सोने आदि का ध्यान रखते हुए अपने कार्यों का एक रुटीन बनाना होता है.

आभा, जिन के पति की नाइटशिफ्ट की नौकरी है, बताती हैं, ‘‘मेरे पति जब घर पर आते हैं तो मैं ध्यान रखती हूं कि उन के सोने के समय में कोई भी उन्हें परेशान न करे क्योंकि वे पूरी रात के जगे होते हैं. मैं उन के आने से पहले उन का नाश्ता और बाकी सभी चीजों का ध्यान रखती हूं जो उन्हें चाहिए होती हैं. हम दोनों में किसी भी तरह का मनमुटाव नहीं है.’’

जौब छूट जाने पर

औफिस में किसी परेशानी के चलते या फिर किसी कारणवश पति की अच्छीखासी जौब छूट जाती है, तो नई जौब मिलने तक पति को अपनी पत्नी की सब से ज्यादा आवश्यकता होती है. ऐसे में सब से ज्यादा साथ देने वाली पत्नियां अपने रिश्ते को और भी मजबूत बना लेती हैं. जब पति कमा कर लाता है तो हर पत्नी को अच्छा लगता है लेकिन जब वही पति घर में बैठ जाता है तो वह उन से बरदाश्त नहीं होता है.

जौब छूटने पर पति मानसिक रूप से टूट जाते हैं लेकिन एक समझदार पत्नी  उन का ध्यान रखने के साथ उन का मनोबल बढ़ाती है, घर में रह कर उन की जरूरतों को पूरा करती है जिस से पति को किसी भी तरह तनाव महसूस न हो, वह अपने को अकेला महसूस न करे. साथ ही, नई नौकरी ढूंढ़ने में पत्नी उन का पूरा साथ देती है. वह अपने पति के खानपान और रहनसहन का पूरा खयाल रखती है. इस तरह दांपत्य खुशहाल रहता है.

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पत्नी कामकाजी हो या होममेकर घर को सुचारु रूप से चलाने में उस का योगदान कमतर नहीं होता. लेकिन विश्वास, समझदारी व समानता के बीच संतुलन बिगड़ने पर आप के बीच गलतफहमी पैदा हो सकती है और फिर कभी न खत्म होने वाली तूतू, मैंमैं. यहां हम चर्चा करने जा रहे हैं उन बातों की, जिन से दूर रह कर आप अपना दांपत्य जीवन सुखी रख सकती हैं.

जब एक लड़की शादी के बाद एक नए घर, नए माहौल और नए लोगों से रूबरू होती है, तो उसे बहुत सारी बातों का खयाल रखना पड़ता है. मसलन, खुद को नए माहौल में ढालना, वहां के लोगों की आदतों, रीतिरिवाजों, कायदेकानूनों, खानपान आदि को समझना. उन की दिनचर्या के मुताबिक खुद की दिनचर्या निर्धारित करना. उन की जरूरतों का ध्यान रखना वगैरहवगैरह. मगर सब से अधिक सावधानी उसे पति के साथ अपने मधुर संबंध विकसित करते वक्त बरतनी पड़ती है. पतिपत्नी के बीच रिश्ता विश्वास व समझदारी से चलता है और आज के आधुनिक समाज में एक और शब्द समानता भी जुड़ चुका है.

1. आप हमेशा सही नहीं हैं:

कुछ युवतियों को यह गलतफहमी होती है कि वे जो करती हैं या कहती हैं वह हमेशा सही होता है. यदि पति किसी काम को कुछ अलग तरीके से करते हैं और आप उस काम को अपने तरीके से करने के लिए मजबूर कर रही हैं, तो आप को अपनी सोच बदलने की जरूरत है. आप के पति या परिवार के अन्य सदस्यों की सोच और तरीका आप से भिन्न हो कर भी सही हो सकता है. आप को धैर्य रख कर उसे देखना व समझना चाहिए.

2. बाल की खाल न निकालें:

देखा गया है कि अविवाहित जोड़े एकदूसरे से ढेर सारे सवालजवाब करते हैं और घंटों बतियाते रहते हैं बिना बोर हुए, बिना थके. मगर शादीशुदा जिंदगी में आमतौर पर ऐसा नहीं होता. आप के ढेरों सवाल और किसी मैटर में बाल की खाल निकालना आप के साथी को बैड फीलिंग दे सकता है. अत: याद रखें कि अब न तो आप उन की गर्लफ्रैंड हैं और न ही वे आप के बौयफ्रैंड.

3. साथी के साथ को दें प्राथमिकता:

कभी पति के सामने रहते परिवार के अन्य सदस्यों को पति से आगे न रखें. अगर आप ऐसा करती हैं, तो आप अनजाने में ही सही अपनी खुशहाल जिंदगी में सूनापन भर रही होती हैं. मान लीजिए आप के पति ने आज आप के साथ मूवी देखने जाने का प्लान बनाया है और आज ही आप की मां आप को फोन कर के शौपिंग मौल में आने को कहती हैं. अगर आप अपने पति को सौरी डार्लिंग बोल कर अपनी मां के पास शौपिंग मौल चली जाती हैं, तो यह पति को बुरा लगेगा. उन के मन में तो यही आएगा कि आप की जिंदगी में उन की अहमियत दूसरे नंबर पर है. यदि आप अपनी मां को सौरी बोल कर फिर कभी आने को कह दें तो आप की मां से आप के रिश्ते में कोई कमी नहीं आएगी.

4. दूसरों के सामने पति की इंसल्ट न करें:

दूसरों के सामने अपने पार्टनर की गलतियां बताना असल में उन की इंसल्ट करना है. ऐसा कर के आप अपने पति को कमतर आंक रही हैं. यदि आप अपने पति की बात बीच में ही काट रही हैं, तो आप उन्हें यह मैसेज दे रही हैं कि आप को उन की कही बातों की कोई परवाह नहीं है.

5. धमकी न दें:

पतिपत्नी के बीच थोड़ीबहुत नोकझोंक तो होती रहती है और इस से प्यार कम भी नहीं होता, बल्कि रूठनेमनाने के बाद प्यार और गहरा होता है. मगर इस नोकझोंक को आप बहस का मुद्दा बना धमकी पर उतर आएं तो अच्छा न होगा. आप ने छोटी सी बात पर ही अपने पति को अलग हो जाने की धमकी दे दी तो आप का प्यार गहरा होने के बजाय खत्म होने लगेगा.

6. शर्मिंदा न करें:

कभीकभी कई बातें ऐसी हो जाती हैं जब कमी आप के पार्टनर की होती है. मगर ऐसे में एक समझदार बीवी चाहे तो अपने पति को शर्मिंदगी से बचा सकती है. मान लीजिए आप कार की ड्राइविंग सीट पर हैं और किसी ऐसे रैस्टोरैंट में खाने जा रही हैं, जहां आप के पति अपने दोस्तों के साथ कई बार जा चुके हैं. काफी देर हो गई, लेकिन आप के पति को रैस्टोरैंट की सही लोकेशन याद नहीं आ रही. ऐसी स्थिति में पति पर झल्लाने या चिल्लाने से आप के पति शर्मिंदा तो होंगे ही, साथ ही आप का डिनर भी खराब होगा. अच्छा यह होगा कि आप कहें अगर वह रैस्टोरैंट नहीं मिल रहा तो मुझे एक और रैस्टोरैंट का पता है जहां हम डिनर कर सकते हैं.

7. पति की इज्जत करें:

कुछ पत्नियों को यह कहते सुना जाता है कि मैं अपने पति की इज्जत तब करूंगी जब वह इस लायक हो जाएगा. ऐसा कर के आप अनजाने में अपने पति को आप की इज्जत न करने की सलाह दे रही हैं. याद रखें यदि आप पति सेप्यार और रिस्पैक्ट से बात करती हैं, तो आप के पति को भी आप से प्यार और इज्जत से बात करने के लिए सोचना ही पड़ेगा. एक बात को बारबार न दोहराएं: किसी काम को ले कर उन्हें उस की याद बारबार न दिलाएं जैसेकि उन की दवा, डाइट, जीवन बीमा की किस्त या घर के किसी और काम की. ऐसा करने से आप उन की पत्नी कम और मालकिन ज्यादा लगेंगी. पति को काम की सूची न बताएं: पत्नियां पति के लिए हमेशा काम की लंबी सूची तैयार रखती हैं. आज यह कर देना, कल यह कर देना, उस तारीख को यह ले कर आना आदि. ऐसा कर के वे पति को यह एहसास करा रही होती हैं कि वे दांपत्य जीवन को सुचारु रूप से चलाने में असफल हो रहे हैं और हमेशा काम का बोझ बना रहता है.

8. अपने घरेलू काम की गिनती न करें:

अकसर पत्नियां पति के आते ही अपनी दिनचर्या को डिटेल में पति को बताने लगती हैं कि आज मैं ने यह काम किया, यह चीज बनाई, यहां गई, ऐसा किया और काम करतेकरते थक गई. ऐसा कर के औफिस से थकहार कर आए पति को आप अपनी भी थकान दे रही होती हैं. विवाद का निबटारा करें खुद: अगर कभी आप के बीच कोई विवाद हो जाए तो उसे खुद ही सुलझाएं. किसी तीसरे को अपनी निजी जिंदगी में कतई शामिल न होने दें.

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मैरिड लाइफ में क्यों आ रही दूरियां

सैक्सलैस विवाह के 70% केस युवा जोड़ों के हैं और यह समस्या तेजी से बढ़ रही है. इस के लिए एक ही उपाय है कि दूसरी चीजों की तरह सैक्स के लिए भी समय निकालें, क्योंकि जब आप इस का स्वाद जानेंगे तभी इसे करेंगे. कुछ समय एकदूसरे के साथ जरूर बिताएं. कन्फ्यूशियस ने कहा था कि खाना व यौन इच्छा दोनों मानव की प्राकृतिक जरूरतें हैं.

मनोविज्ञानी और मनोचिकित्सक डा. पुलकित शर्मा इस बढ़ते रोग के संबंध में कुछ सवालों के जवाब दे रहे हैं:

सैक्सलैस विवाह सामान्य होने का कोई सूचक है?

हां, है. विवाहित लोग कैरियर के तनाव से घिरे हैं और अब उन के पास अंतरंगता के लिए बिलकुल भी समय नहीं है. दूसरा, अब चिड़चिड़ाहट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. विवादों को सुलझाने के बजाय स्त्री तथा पुरुष सैक्स की इच्छापूर्ति को बाहर ढूंढ़ रहे हैं.

क्यों कोई विवाह सैक्सलैस होता है?

यदि हम इन बातों को छोड़ दें कि किसी साथी को सैक्स संबंधी या मानसिक समस्या हो तो भी विवाह की शुरुआत सैक्सलैस नहीं होती, लेकिन बाद में हो जाती है. शुरुआत में अपनी यौन क्षमता को ले कर पुरुषों में विशेष घबराहट होती है. उन्हें डर रहता है कि वे अपने साथी को संतुष्ट कर पाएंगे या नहीं और यह डर इतना ज्यादा होता है कि वे अपनी यौन क्रिया को सही अंजाम नहीं दे पाते. शुरुआत में जोड़े सैक्स तथा अपने संबंधों को अच्छा बताते हैं, लेकिन समय के साथ प्यार तो बढ़ता है, परंतु विवाह सैक्सलैस हो जाता है.

तनाव से डिपे्रशन बढ़ता है, जिस से सैक्सुल इच्छा घटती है व प्रदर्शन ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है. तीसरा कारण है पोर्नोग्राफी. यह लोगों की कल्पनाओं को रंग देती है, जिस से वे जो रील में देखते हैं वैसा ही रियल में करने की कोशिश करते हैं.

क्या सैक्सलैस विवाह वाले जोड़े कम खुश रहते हैं?

भले ही रिश्ता अच्छा हो, परंतु सैक्सहीन विवाहित जोड़े नाखुश रहते हैं, क्योंकि सैक्स प्यार व आत्मीयता का जरूरी हिस्सा है. इस विवाह को कोई एक साथी इच्छाहीन व बेकार महसूस करता है.

क्या सैक्स को दोबारा सक्रिय किया जा सकता है?

हां. बस पहले यह जानने की जरूरत है कि समस्या कहां है? क्या यह समस्या बाह्य है जैसे तनाव, पारिवारिक माहौल आदि. इस बारे में खुल कर बात करें व बिना साथी की इच्छा से कोई फैसला न करें ताकि दूसरा साथी बुरा न महसूस करे. काम का तनाव घटा कर एकदूसरे के साथ ज्यादा समय बिताएं, आपसी विवाद सुलझाएं, यौन क्रियाओं को बढ़ाएं, एकदूसरे की जरूरतों को समझें व इच्छापूर्ति की कल्पना करें, साथी को आराम दें, उसे उत्साहित करें. मनोवैज्ञानिक से सलाह भी ले सकते हैं.

क्या सैक्सहीन विवाह वाले तलाक की ओर बढ़ रहे हैं?

हां, ऐसा हो रहा है, क्योंकि एक साथी अपनेआप को उत्तेजित महसूस करने लगता है या वह महसूस करने लगता है कि उसे धोखा दिया जा रहा है. इसलिए वह भी सैक्स का विकल्प बाहर खोजने लगता है, जिस से बंधेबंधाए रिश्ते में समस्या आने लगती है.

यौन संतुष्टि दर में कमी

भारत में हुए सैक्स सर्वे दर्शाते हैं कि पिछले दशक में यौन संतुष्टि की दर मात्र 29% रह गई. सैक्स से बचने के लिए पत्नियों की पुरानी आदत है कि आज नहीं हनी. आज मुझे सिरदर्द है. 50% पुरुष भी अपनी पत्नी से सैक्स न करने के लिए सिरदर्द का झूठा बहाना बनाते हैं. 43% पति मानते हैं कि उन की आदर्श बिस्तर साथी उन की पत्नी नहीं है. 33% के करीब पत्नियां मानती हैं कि विवाह के कुछ सालों बाद सैक्स अनावश्यक हो जाता है. 14% स्त्रीपुरुषों को नहीं पता कि वे बैडरूम में किस चीज से उत्तेजित होते हैं जबकि 18% के पास कोई जवाब नहीं है कि वे सैक्स के बाद भी संतुष्ट हुए हैं. 60% जोड़े यौन आसन के बारे में कल्पना करते हैं. फिर भी आधे से ज्यादा जोड़े नए आसन के बजाय नियमित आसन ही अपनाते हैं. 39% जोड़े ही यौन संतुष्टि पाते हैं.

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तो कहलाएंगी Wife नं. 1

आजकल अगर आप पत्नियों से यह पूछें कि पति पत्नी से क्या चाहता है तो ज्यादातर पत्नियों का यही जवाब होगा कि सौंदर्य, वेशभूषा, मृदुलता, प्यार. जी हां, काफी हद तक पति पत्नी से नैसर्गिक प्यार का अभिलाषी होता है. वह सौंदर्य, शालीनता, बनावट और हारशृंगार भी चाहता है. पर क्या केवल ये बातें ही उसे संतुष्ट कर देती हैं?

जी नहीं. वह कभीकभी पत्नी में बड़ी तीव्रता से उस की स्वाभाविक सादगी, सहृदयता, गंभीरता और प्रेम की गहराई भी ढूंढ़ता है. कभीकभी वह चाहता है कि वह बुद्धिमान भी हो, भावनाओं को समझने वाली योग्यता भी रखती हो.

बहलाने से नहीं बनेगी बात

पति को गुड्डे की तरह बहलाना ही पत्नी के लिए पर्याप्त नहीं. दोनों के मध्य गहरी आत्मीयता भी जरूरी है. ऐसी आत्मीयता कि पति को अपने साथी में किसी अजनबीपन की अनुभूति न हो. वह यह महसूस करे कि वह उसे सदा से जानता है और वह उस के दुखसुख में हमेशा उस के साथ है. पतिपत्नी के प्यार और वैवाहिक जीवन में यह आत्मिक एकता जरूरी है. पत्नी का कोमल सहारा वास्तव में पति की शक्ति है. यदि वह सहृदयता और सूझबूझ से पति की भावनाओं का साथ नहीं दे सकती, तो वह सफल पत्नी नहीं कहला सकती. पत्नी भी मानसिक तृष्णा अनुभव करती है. वह भी चाहती है कि वह पति के कंधे पर सिर रख कर जीवन का सारा बोझ उतार फेंके.

बहुतों का जीवन प्राय:

इसलिए कटु हो जाता है कि वर्षों के सान्निध्य के बावजूद पति और पत्नी एकदूसरे से मानसिक रूप से दूर रहते हैं और एकदूसरे को समझ नहीं पाते हैं. बस यहीं से शुरू होती है दूरी. यदि आप चाहती हैं कि यह दूरी न बढ़े, जीवन में प्रेम बना रहे तो निम्न बातों पर गौर करें:

यदि आप के पति दार्शनिक हैं तो आप दर्शन में अपनी जानकारी बढ़ाएं. उन्हें कभी शुष्क या उदास मुखड़े से अरुचि का अनुभव न होने दें.

यदि आप कवि की पत्नी हैं, तो समझिए वीणा के कोमल तारों को छेड़ते रहना आप का ही जीवन है. सुंदर बनी रहें, मुसकराती रहें और  सहृदयता से पति के साथ प्रेम करें. उन का दिल बहुत कोमल और भावुक है, आप की चोट सहन न कर पाएगा.

आप के पति प्रोफैसर हैं तो आटेदाल से ले कर संसार की प्रत्येक समस्या पर हर समय व्याख्यान सुनने के लिए प्रसन्नतापूर्वक तैयार रहें.

यदि आप के पति धनी हैं, तो उन के धन को दिमाग पर लादे न घूमें. धन से इतना प्रभावित न हों कि पति यह विश्वास करने लगे कि सारी दिलचस्पी का केंद्र उस की दौलत है. आप दौलत से बेपरवाह हो कर उन के व्यक्तित्व की उस रिक्तता को पूरा करें जो हर धनिक के जीवन में होती है. विनम्रता और प्रतिष्ठतापूर्वक दौलत का सही उपयोग करें और पति को अपना पूरा और सच्चा सान्निध्य दें.

यदि आप के पति पैसे वाले न हों तो उन्हें केवल पति समझिए गरीब नहीं. आप कहें कि आप को गहनों का तो बिलकुल शौक नहीं है. साधारण कपड़ों में भी अपना नारीसौंदर्य स्थिर रखें. चिंता और दुख से बच कर हर मामले में उन का साथ दें.

हमेशा याद रखें कि सच्चा सुख एकदूसरे के साथ में है, भौतिक सुखसुविधाएं कुछ पलों तक ही दिल बहलाती हैं.

शादी का लड्डू: बनी रहे मिठास

शादी की शुरुआत एकदूसरे के प्रति अथाह प्यार व भविष्य का तानाबाना बुनने से होती है. लेकिन जैसेजैसे समय बीतता जाता है, पारिवारिक जिम्मेदारियां प्राथमिकता बनने लगती हैं और प्यार धीरेधीरे अपनी जगह खोने लगता है. इस आपाधापी में पतिपत्नी यह भूल जाते हैं कि अगर आपसी रिश्ते में प्यार की ताजगी बनी रहेगी तो जिम्मेदारियों का निर्वाह भी हंसीखुशी होता रहेगा.

अपनी व्यस्त जिंदगी से कुछ पल सिर्फ एकदूसरे के लिए निकाल कर तो देखें, हर एक लमहा हमेशा के लिए यादगार बन जाएगा.

कुछ बोल प्यार के

रविवार का खुशनुमा दिन. दिल्ली के शालीमार बाग के एक होटल में कारोबारी चोपड़ाजी की शादी की सिल्वर जुबली की पार्टी चल रही थी. अकसर अपने काम में व्यस्त रहने वाले कारोबारी यहां फुरसत में एकदूसरे से गप्पें लड़ा रहे थे. तभी एक कारोबारी अपने परिचित एक कारोबारी से कहता है, ‘‘गुप्ताजी, आप की शादी को भी तो शायद 25 वर्ष होने वाले हैं. आप कब दे रहे हैं अपनी शादी की सिल्वर जुबली की पार्टी?’’

गुप्ताजी अपने दोस्त की बात पर मुसकराते हुए कहते हैं, ‘‘दोस्त, हमारे जीवन में तो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, जिसे किसी पर्व की तरह मनाया जाए या फिर पार्टी दी जाए. मेरी पत्नी से कभी पूछ कर देखो तो. वह तो जैसे मेरे से उकता चुकी है. वह यही कहती मिलेगी कि मुझे अपनी जिंदगी में बहुत ही नीरस व्यक्ति मिला है, जो अपनी पत्नी को गहनेकपड़े दे कर ही अपना यानी पति का फर्ज पूरा हुआ समझता है.’’ इस बातचीत के दौरान गुप्ता जी यह बताना भूल गए कि आखिर शादी के बाद स्वयं उन्होंने अपनी पत्नी के साथ प्यार भरे मीठे पल बिताने की कितनी कोशिश की. पत्नी को सोनेचांदी के उपहार से ज्यादा पति के साथ बिताए प्यारे पल व प्यार से कहे गए दो शब्द ज्यादा प्रिय होते हैं.

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आपस में प्यार के दो मीठे बोल बोलने के लिए समय का इंतजार करते रहेंगे तो शायद यूं ही सारी उम्र बीत जाए. सुबह औफिस पहुंचने की भागमभाग के बीच कुछ पल निकाल कर पत्नी को आलिंगन करते हुए सिर्फ इतना कहना है कि आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो. फिर तो पत्नी के चेहरे पर छाई लाली को आप सारा दिन भुला नहीं पाएंगे.

शाम को चाय की चुसकियां लेते समय पत्नी की प्यार भरी छेड़छाड़ पति की सारे दिन की थकान दूर कर देगी. ये छोटेछोटे पल नीरसता को दूर कर के जिंदगी को खुशनुमा बना देंगे.

मेड फौर ईचअदर

हाल ही में किए गए एक सर्वे के अनुसार अधिकांश विवाहित जोड़े शादी के 2-3 साल बाद ही एकदूसरे से उकताने लगते हैं. कई पति तो ऐसे भी होते हैं कि पत्नी अगर कुछ दिनों के लिए मायके चली जाए तो वे उन दिनों को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं. ऐसे पतियों को पत्नी की कमी का एहसास तब होता है जब घरेलू कामकाज खुद करने पड़ते हैं.

फिर जिन दिनों को आप स्वतंत्रता के दिन कह रहे हैं, ऐसे आजादी के दिन जब लंबे खिंचने लगते हैं तो पत्नी पर निर्भर ज्यादातर पति मन ही मन यही सोचते हैं कि पत्नी जल्दी से जल्दी घर लौट आए तो अच्छा हो. हां, यह बात अलग है कि 100 में से 1 भी पति यह मानने को तैयार नहीं होता है कि पत्नी के जाने पर उसे किसी प्रकार की कोई दिक्कत पेश आ रही थी.

उम्र के साथ बढ़ता प्यार

‘‘शादी के कुछ वर्ष बीत जाने के बाद पतिपत्नी एकदूसरे से उकताए से दिखते जरूर हैं, पर यह उकताहट मन से नहीं, ऊपरी तौर पर होती है, क्योंकि शादी के कुछ ही वर्षों के बाद पति अपनी पत्नी पर कुछ इस कदर निर्भर हो जाते हैं कि छोटीमोटी बात के लिए भी वे अपनी पत्नी के मुहताज हो जाते हैं और तब उन की ‘मेड फौर ईचअदर’ वाली स्थिति बन जाती है.

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शादी के बाद बढ़ती उम्र में प्यार का प्रभाव जानने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि शादी के बाद समय के साथ शादीशुदा जोड़ों में आपसी प्यार व लगाव कम होता जाता है, वाली बात पूरी तरह से गलत है. सचाई यह है कि शादी के बाद वर्षों तक साथ रहने और एकदूसरे के गुणों को जाननेसमझने के बाद शादी के शुरुआती दौर की तरह ही इस उम्र में भी प्यार फिर से परवान चढ़ता है और पहले के प्यार के दौर के मुकाबले यह कहीं ज्यादा गहरा होता है.

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