गुजराती खून में क्या आजादी छीनने की कोई कला होती है या यह केवल एक संयोग है कि भारत के गुजराती गृहमंत्री और इंग्लैंड में भारतीय मूल की गृहमंत्री प्रीति पटेल एक तरह से कट्टरपंथी कानूनों के समर्थक है. पश्चिमी देश अब तक दुनिया भर में सताए गए लोगों के लिए पनाह देने के लिए जाने जाते रहे हैं पर वे लोग जो खुद पनाह ले कर आए थे, नए को आने से रोकने के कानून बना रहे हैं, प्रीति पटेल एक कानून बनवा रही है कि इंग्लैंड में जो भी व्यक्ति इस कारण कदम रखता है कि उसे अपने देश के जुल्मों से बचना है, उसे अपराधी माना जाएगा अगर उस ने पहले से इजाजत नहीं थी.
इस का अर्थ है कि जो कही सताया जा रहा है वह पहले से पत्र लिखना शुरू करे कि हे प्रीति पटेल ये अपने देश में पीडि़त हूं मुझे शरण दे. कौन देश ऐसे व्यक्ति को आजाद घूमने देगा? लोग तरहतरह के बहाने बना कर पश्चिमी देशों में वैधअवैध तरीकों से घुसते हैं और फिर अपने देश के सिस्टम के पीडि़त होने की दुहाई दी है.
यह हर देश का फर्ज है कि कहीं भी सताए लोगों को अपने यहां पनाह दे. लोग कट्टर तानाशाहों से बचने के लिए ही कम कट्टर तानाशाही देशों में जाते रहे हैं. प्रीति पटेल भी उन में से है जिन का परिवार अपना मूल देश छोड़ कर गया था.
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यह ठीक है कि पनाह मांगने वालों में से बहुत से अपराधी भी होते हैं जो अपने मूल देश के कानूनों की गिरफ्त से बचने के लिए भागे थे. उन्हें भी पनाह दी जानी चाहिए. यदि उन के मूल देश का कानून अनैतिक है तो वहां से भाग कर पनाह लेना गलत नहीं है. भारत तो ऐसा है जो बिना गुनाह साबित हुए 84 साल के वृद्ध को जेलों में रखना है और गर्भवती को छूट तक नहीं देता. यदि यहां से भाग कर कोई प्रीति पटेल की शरण में जाए तो क्या उसे वहां का भी अपराधी मान लिया जाए?
दुनिया अभी ऐसी नहीं है कि लोग अपनों के बीच सुरक्षित हों, भारत में रहती औरतें सब से ज्यादा असुरक्षितों में से हैं. अगर किसी लडक़ी या परिवार को आस्ट्रेलिया और अमेरिका तो दूर साउथ अफ्रीका जाने का मौका भी मिलता है तो छोडऩा नहीं है. वहां लाख खराबियां हों, कुछ मामलों में हम बहुत तंगदिल हैं. लोग यहां रहते हैं तो इसलिए कि उन्हें अपने रिश्तेदारों से प्यार है, पड़ोसियों से प्यार है, गुजराती मूल की प्रीति पटेल समझने को तैयार नहीं है.