पहले जहां संगीत को साधना के रूप में देखा जाता था, वहीं आज यह शोहरत और धन प्राप्ति का साधन बन गया है. अब संगीत सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि कैरियर और आय का आकर्षक विकल्प बन चुका है. संगीत घरानों के कलाकारों की बात अलग है, मगर पहले जो लोग संगीत को महज हौबी के रूप में अपनाते थे, आज वह हौबी युवाओं के लिए बेहतरीन कैरियर का विकल्प बन चुकी है. इंडियन म्यूजिक इंडस्ट्री ने संगीत में कैरियर बनाने की नई राहें खोल दी हैं और इस में मददगार बन रहे हैं टैलीविजन चैनल्स पर आने वाले म्यूजिकल टेलैंट हंट शो. इन कार्यक्रमों के प्रति युवाओं में जो क्रेज देखा जा रहा है, उस के चलते कइयों की किस्मत भी चमक उठी है.
टेलैंट की परख में भारतीय मनोरंजन उद्योग जितनी तेजी से काम कर रहा है, उसे देखते हुए संगीत के क्षेत्र में कैरियर की बहुत अच्छी संभावनाएं नजर आने लगी हैं. विश्व के तेजी से बदलते परिदृश्य में संगीत एक महत्त्वपूर्ण प्रोफैशन का रूप धारण कर चुका है. खासतौर से युवाओं में इस का क्रेज तेजी से बढ़ता जा रहा है. पार्श्व गायन, और्केस्ट्रा, स्टेज शोज, जिंगल्स, कंसर्ट, लाइव शो, डिस्क जौकी, वीडियो जौकी, संगीत शिक्षक, गजल गायिकी आदि अनेक क्षेत्र हैं, जिन में गायक और वादक कलाकार आसानी से अपना कैरियर बना रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं.
अगर आप तकनीकी रूप से स्ट्रौंग हैं, तो संगीत के क्षेत्र में आप के लिए रिकौर्डिंग टैक्नीशियन, औडियो ऐडिटिंग जैसी तकनीकी फील्ड के दरवाजे भी खुले हैं. वर्तमान में देशविदेश में युवाओं में म्यूजिक बैंड बनाने और परफौर्म करने का ट्रैंड भी जोर पकड़ता जा रहा है.
स्कूलों, कौलेजों और अन्य छोटे स्तरों पर इस प्रकार के सैकड़ोंहजारों बैंड्स आज अस्तित्व में आ चुके हैं.
संगीत के क्षेत्र में कैरियर की संभावनाएं तो अपार हैं, लेकिन एक चीज जरूर ध्यान में रखनी चाहिए कि बिना गुरु, बिना रियाज और साधना के आप किसी भी क्षेत्र में ऊंचाइयों को नहीं पा सकते हैं. आप भले ही नैचुरल टेलैंट के धनी हों, लेकिन बेहतर परफौर्म करने के लिए संगीत की विधिवत शिक्षा ले कर ही आप अपनी प्रतिभा को निखार सकते हैं और कैरियर में संतुष्टि पा सकते हैं. इसलिए अगर आप को शास्त्रीय संगीत कलाकार के तौर पर कैरियर शुरू करना है तो गुरुशिष्य परंपरा से खुद को जोड़ना होगा. इस के अलावा यदि आप संगीत के ऐकैडमिक क्षेत्र में जाना चाहते हैं तो उस के लिए संगीत की डिग्री भी आवश्यक है.
अगर आप को संगीत की समझ है तो नियमित रियाज के साथसाथ ट्रेनिंग के लिए अच्छे संस्थान में दाखिला ले कर इस फील्ड में बेहतर कैरियर का आगाज किया जा सकता है. इस के लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था छोटे से ले कर बड़े शहरों तक में उपलब्ध हैं. इन कोर्सेज में ग्रैजुएशन, पोस्ट ग्रैजुएशन के अतिरिक्त सर्टिफिकेट डिप्लोमा एवं पार्ट टाइम हो सकते हैं. नामी विश्वविद्यालयों से ले कर संगीत अकादमियों तक में इस प्रकार के ट्रेनिंग कोर्सेज स्कूली बच्चों और युवाओं के लिए उपलब्ध हैं. अब जो लोग इस फील्ड में आ रहे हैं, उन में से अधिकतर बाकायदा टे्रनिंग ले कर ही ऐंट्री कर रहे हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि जैसेजैसे वे आगे बढ़ेंगे, इस फील्ड की चुनौतियां बढ़ती जाएंगी.
संगीत उद्योग में कई प्रकार के संगीत आधारित प्रोफैशनलों की अहम भूमिका होती है. इन में विशेष तौर पर म्यूजिक सौफ्टवेयर प्रोग्रामर, कंपोजर, म्यूजिशियन जैसे कार्यकलापों के अलावा म्यूजिक बुक्स की पब्लिशिंग, म्यूजिक अलबम रिकौर्डिंग, म्यूजिक डीलर, स्टूडियो के विभिन्न विभागों इत्यादि का काम करने वाले लोगों की जरूरत पड़ती है.
टैलीविजन की दुनिया में भी संगीत के जानकारों के लिए कैरियर बनाने की कई राहें खुल गई हैं. साउंड रिकौर्डिस्ट, म्यूजिक ऐडिटर, प्रोडक्शन, आरजे एवं डीजे म्यूजिक क्षेत्र में बेहतर कैरियर बनाया जा सकता है.
गायिका सपना चौधरी का नाम आज कौन नहीं जानता. हरियाणा के छोटे से गांव में बहुत छोटे स्तर पर मंचों से हरियाणवी गीतसंगीत पेश करने वाली सपना चौधरी ने देखते ही देखते दुनिया भर में नाम कमा लिया. टैलिविजन के बाद उन्होंने बौलीवुड में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है. आज सपना चौधरी एकएक शो के लाखों रुपए चार्ज करती हैं. इसलिए संगीत इंडस्ट्री में फोक म्यूजिक शो, टैलीविजन म्यूजिक प्रोग्राम, म्यूजिक कंपीटिशन आर्म्ड फोर्सेज बैंड्ज, सिंफनी और्केस्ट्रा, डांस बैंड, नाइट क्लब, कंसर्ट शो, रौक और जैज गु्रप इत्यादि की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
इन क्षेत्रों के अलावा भी कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां संगीत से जुड़ा युवा अपना कैरियर तलाश कर सकता है. म्यूजिक थेरैपिस्ट की डिमांड लगातार बढ़ रही है. विकलांगता के शिकार बच्चों और लोगों के अलावा मानसिक तनाव से ग्रस्त व्यक्तियों के उपचार में आजकल संगीत को काफी महत्वपूर्ण माना जाने लगा है. इस प्रोफैशन में सफल होने के लिए संगीत, अध्ययन और थेरैपी की जानकारी होना जरूरी है. इस के लिए अस्पतालों, मैंटल हैल्थ सैंटरों, नर्सिंग होम्स इत्यादि में रोजगार के अवसर मौजूद हैं.
स्टूडियो टीचिंग भी इस क्षेत्र में नए कैरियर के तौर पर उभर रहा है. म्यूजिक टीचर के रूप में स्कूलकौलेजों और अन्य संगीत प्रशिक्षण संस्थाओं में कैरियर बनाने के बारे में युवा सोचने लगे हैं. इन में भी विशेषता प्राप्त टीचर का खासा महत्त्व होता है. विशेषताओं में खासतौर पर म्यूजिक थ्योरी, म्यूजिक हिस्ट्री ऐंड लिट्रेचर, म्यूजिक ऐजुकेशन, म्यूजिकोलौजी, इलेक्ट्रौनिक म्यूजिक, कंपोजिशन अथवा म्यूजिक थेरैपी की बात की जा सकती है. इन सब के अतिरिक्त फिल्म इंडस्ट्री में चर्च म्यूजिशियन, म्यूजिक लाइब्रेरियन, म्यूजिक अरेंजिंग, म्यूजिक सौफ्टवेयर, प्रोडक्शन म्यूजिक, वर्चुअल साउंड इनवायरमैंट इत्यादि जैसी विधाओं में भी कैरियर की तमाम राहें खुल चुकी हैं.
टैलीविजन के बड़े टेलैंट हंट शोज
राइजिंग स्टार इंडिया: इस कार्यक्रम के जरीए बेहतरीन आवाजों को मंच देने और पार्श्वगायन का मौका देने का सराहनीय कार्य हुआ है. इस कार्यक्रम में शिरकत करने वाले गायकों को जज करने के लिए गायक शंकर महादेवन, दिलजीत दोसांज और मोनाली ठाकुर उपस्थित रहते थे. इस कार्यक्रम ने इंडस्ट्री को कई बेहतरीन गायक दिए हैं.
द वौइस औफ इंडिया: म्यूजिकल टेलैंट हंट शो के जरीए प्रतिभाएं तलाशने में कंपीटिशन ‘वौइस औफ इंडिया’ का नाम प्रमुख है. एक डच प्रोग्राम की नकल पर शुरू हुए इस टीवी कार्यक्रम का पहला शो जून 2015 में हुआ. ‘सीजन 2’ में इस कंपीटिशन को बेनी दयाल, नीती मोहन, शान और सलीम मर्चेंट ने कोच भी किया और जज भी. इस के अंतर्गत प्रसारित ‘द वौइस औफ किड्स’ में 6 से 14 साल के बच्चों ने शिरकत की और अपनी गजब की गायन प्रतिभा दिखाई.
दिल है हिन्दुस्तानी: यह संगीत प्रतियोगिता फ्रेम्स प्रोडक्शन के अंतर्गत प्रसारित की गई. इस को बौलीवुड के जानेमाने निर्मातानिर्देशक करण जौहर, बादशाह, शेखर और शलमाली ने जज किया. इस कार्यक्रम की खास बात यह थी कि इस में न सिर्फ भारतीय युवाओं ने हिस्सा लिया बल्कि पूरे विश्व से संगीत में रुचि रखने वाले और संगीत में अपना कैरियर तलाशने वाले युवाओं ने भाग लिया.
सारेगामपा: टैलीविजन की दुनिया में टेलैंट हंट शो ‘सारेगामपा’ ने वह तहलका मचाया कि पूछिए मत. राग, सुर और ताल की जितनी अनूठी मिसालें इस मंच पर नजर आईं वे वाकई देखनेसुनने लायक थीं. इस मंच ने कई बेहतरीन कलाकारों से दुनिया को रूबरू कराया. ‘सारेगामपा लिटिल चैंप’ इसी कार्यक्रम का एक भाग रहा, जिस में बच्चों को भी अपनी कला का भरपूर प्रदर्शन करने का मौका मिला. भारतीय टैलीविजन पर यह पहला ऐसा सिंगिंग टेलैंट हंट शो रहा, जिस ने बीते 2 दशकों में देश को श्रेया घोषाल, कुणाल गांजावाला, शेखर बेला शेंडे, संजीवनी और कमाल खान जैसे गायन के धुरंधर दिए.
इंडियाज गौट टेलैंट: इस टैलीविजन कार्यक्रम में न सिर्फ गायक, बल्कि वादक कलाकारों, ऐक्टिंग के शौकीनों और नृत्य कलाकारों को भी उभरने का भरपूर मौका दिया. इस कार्यक्रम के अब तक 7 सीजन पूरे हो चुके हैं, जिन में से अधिकतर को करण जौहर, किरण खेर और मलाइका अरोड़ा ने जज किया.
इंडियन आइडल: इस टीवी शो की प्रसिद्धि तो दुनिया के कोनेकोने में पहुंची. सब से बेहतरीन टेलैंट हंट शो माना जाने वाला ‘इंडियन आइडल’ आज बौलीवुड को कई बेहतरीन पार्श्व गायक दे चुका है. इस शो में देश के कोनेकोने से संगीत में रुचि रखने वाले प्रतिभागी भाग लेते हैं. फिल्म इंडस्ट्री को नेहा कक्कड़ और रेवंत जैसे बेहतरीन गायक इसी कार्यक्रम की बदौलत मिले.
टेलैंट हंट शोज से चमका सितारा
सुनिधि चौहान: शायद कम लोग जानते होंगे कि गायिकी का पहला टेलैंट शो ‘मेरी आवाज सुनो’ दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ था. 1996 में डीडी नैशनल पर शुरू इस शो की पहली विजेता सुनिधि चौहान थीं. इस शो के जज लता मंगेशकर, पंडित जसराज, भूपेन हजारिका और मन्ना डे थे. शो के ऐंकर अन्नू कपूर थे. सुनिधि चौहान ने जी के म्यूजिक रिएलिटी शो ‘सारेगामपा’ में भी हिस्सा लिया था. उन्हें पहला मौका फिल्म निर्माता निर्देशक आदेश श्रीवास्तव ने अपनी फिल्म ‘शस्त्र’ में दिया. सुनिधि का पहला हिट गीत राम गोपाल वर्मा की फिल्म ‘मस्त’ का टाइटल सौंग था, जो उर्मिला मातोंडकर पर फिल्माया गया था. इस के बाद तो सुनिधि के कैरियर को पंख लग गए और सुनिधि चौहान को आज की आशा भोंसले कहा जाने लगा.
शेखर रवजुयानी: बौलीवुड में विशालशेखर की संगीत निर्देशन जोड़ी ने तमाम फिल्मों में बेहतरीन गीतसंगीत दिया है. इस जोड़ी के शेखर रवजुयानी टीवी टेलैंट हंट शो ‘सारेगामपा’ के वर्ष 1997 प्रतियोगिता के एक प्रतिभागी थे. इस कार्यक्रम ने उन्हें पहला मंच दिया और उन के टेलैंट को पहचान मिली. बाद में इंडस्ट्री में जम जाने के बाद विशाल ददलानी के साथ उन की जोड़ी बनी और इस जोड़ी ने पहली ख्याति तब पाई जब उन्होंने ‘झनकार बीट्स’ फिल्म का संगीत दिया, जिस का गीत ‘तू आशिकी है…’ बेहद लोकप्रिय हुआ और उस के लिए उन्होंने फिल्मफेयर आरडी बर्मन अवार्ड फौर न्यू म्यूजिक टेलैंट भी जीता.
फिल्म ‘मुसाफिर’ में उन का दिया संगीत भी युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हुआ. उन्होंने भारतीय ध्वनियों के साथ तकनीकी संगीत का अनोखा मेल किया. इन संगीत महारथियों की जोड़ी के लिए 2005 का साल काफी अच्छा रहा, क्योंकि इस वर्ष इन्होंने 3 हिट फिल्मों के लिए संगीत दिया ‘सलाम नमस्ते’, ‘दस’ और ‘ब्लफमास्टर’. शेखर एक प्रशिक्षित शास्त्रीय गायक हैं और उन की भारतीय संगीत पर अच्छी पकड़ है. उन के संगीत में भारतीय शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी रौक का संयोजन देखने को मिलता है.
श्रेया घोषाल: श्रेया घोषाल की मधुर आवाज टैलिविजन के टेलैंट हंट शो के जरीए लोगों तक पहुंची. श्रेया एक बंगाली परिवार में पैदा हुईं. वे राजस्थान, कोटा के पास एक छोटे से कस्बे रावतभाटा में पलीबढ़ीं. श्रेया बहुत ही पढ़ेलिखे परिवार से हैं. उन के पिता भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र इंजीनियर के रूप में भारतीय नाभिकीय ऊर्जा निगम के लिए काम करते हैं, जबकि उन की मां साहित्य से स्नातकोत्तर हैं. 4 साल की उम्र में श्रेया ने पहली बार हारमोनियम पर अपनी मां के साथ संगत की. इस के बाद उन के मातापिता ने उन्हें कोटा में महेशचंद्र शर्मा के पास हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की विधिवत शिक्षा के लिए भेजा.
बच्ची के रूप में टीवी पर ‘सारेगामपा’ की चिल्ड्रैन स्पैशल एपीसोड की प्रतियोगिता का खिताब उन्होंने जीता. उस समय आज के प्रसिद्ध गायक सोनू निगम ने इस कार्यक्रम की मेजबानी की थी. कल्याणजी, जो प्रतियोगिता के निर्णायक थे, ने उन के मातापिता को मुंबई आने के लिए मनाया. मुंबई में श्रेया ने 18 महीनों तक उन से शिक्षा ली.
फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली का ध्यान श्रेया ने तब खींचा जब उन्होंने ‘सारेगामपा’ में दूसरी बार भाग लिया. इस समय वे वयस्कों के साथ प्रतिस्पर्धा में भाग ले रही थीं. साल 2000 में जब संजय लीला भंसाली अपनी फिल्म ‘देवदास’ बना रहे थे तब उन्होंने श्रेया को इस फिल्म में गाने का मौका दिया. फिल्म में श्रेया ने इस्माइल दरबार के संगीत निर्देशन में 5 गाने गए. ऐक्ट्रैस ऐश्वर्या राय पर फिल्माए गए श्रेया के गीत ने तो तहलका मचा दिया और बहुत ही जल्द वे बौलीवुड में अलका यागनिक, सुनिधि चौहान, साधना सरगम और कविता कृष्णमूर्ति के साथ चोटी की पार्श्व गायिकाओं की पंक्ति में जा खड़ी हुईं. इस फिल्म के गीत ने उन्हें उस साल का सर्वश्रेष्ठ गायिका का फिल्मफेयर पुरस्कार दिलाया.
बेला शेंडे: पार्श्व गायिका बेला शेंडे ने 14 साल की उम्र में टीवी पर ‘सारेगामपा’ शो में हिस्सा लिया और यह प्रतियोगिता जीती. उन को बचपन से ही गाने का शौक था. घर वालों के समर्थन और सहयोग ने उन की राह आसान की और उन्हें पंडित जसराज, अनिल विश्वास, हरिप्रसाद चौरसिया जैसे कई महान लोगों से मार्गदर्शन और प्रशंसा प्राप्त हुई.
अरिजीत सिंह: सोनी टैलीविजन पर म्यूजिक रियलिटी शो ‘फेम गुरुकुल’ का प्रसारण 27 जून, 2005 को हुआ था. इस शो का केवल एक ही सीजन हो सका. इस सीजन के विजेता काजी तौकीर को बौलीवुड में कोई सफलता नहीं मिली. लेकिन इस शो के एक अन्य प्रतिभागी अरिजीत सिंह आज बौलीवुड के स्थापित नाम हैं. अरिजीत सिंह ने ‘मर्डर 2’ फिल्म से डैब्यू किया था. ‘आशिकी 2’ के गीतों ने अरिजीत सिंह को स्थापित नाम बना दिया. आज वह लगभग सभी बड़े बौलीवुड ऐक्टर्स के लिए अपनी आवाज दे चुके हैं
नीति मोहन: चैनल वी के म्यूजिक रियलिटी शो ‘पौपस्टार्स’ की विजेता नीति मोहन ने करण जौहर की फिल्म ‘स्टूडैंट औफ द ईयर’ के गीत ‘इश्क वाला लव…’ गा कर तहलका मचा दिया. यह गाना उस साल का हिट गाना था और युवा वर्ग की तो जबान पर चढ़ा हुआ था. नीति का यह गाना उन के कैरियर का सब से सफल गाना माना जाता है. उस के बाद नीति ने यशराज फिल्म्स के तहत फिल्म ‘जब तक है जान’ के लिए ‘जिया रे…’ गाना गाया. यह गाना भी 2012 में सुपरहिट साबित हुआ था. साल 2013 में नीति ने फिल्म ‘नौटंकी साला’ के लिए एक पंजाबी गाना गाया. उन्होंने ब्लौकबस्टर फिल्म ‘चैन्नई ऐक्सप्रैस’ में ‘कश्मीर मैं तू कन्याकुमारी…’ गाना भी गाया. इस गाने में उन का साथ सुनिधि चौहान और अरिजीत सिंह ने दिया था. साल 2014 में नीति ने कई हिट गाने दिए, जिस के लिए उन्हें अवार्ड्स के लिए नामंकित किया गया.
मोनाली ठाकुर: मोनाली ठाकुर आज राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में श्रेष्ठ गायिका का पुरस्कार पाने वाली गायिका बन चुकी हैं. मोनाली ने ‘इंडियन आइडल सीजन 2’ में नौंवा स्थान पाया था. इस शो से मशहूर होने के बावजूद मोनाली का संघर्ष खत्म नहीं हुआ. अनु मलिक ने ‘जानेमन’ फिल्म का गीत ‘कबूल है…’ उन से गवाया. प्रीतम ने फिल्म ‘रेस’ के 2 गीत ‘जराजरा टच मी टच…’ और ‘सैक्सी लेडी…’ गीत गवाए. इन गीतों के बाद मोनाली की बौलीवुड में अपनी पहचान बन गई. आयुष्मान खुराना की फिल्म ‘दम लगा के हईशा’ के गीत ‘मोह मोह के धागे…’ ने उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिलवाया.
मोहम्मद इरफान: स्टार प्लस के सिंगिंग रिएलिटी शो ‘जो जीता वही सुपर स्टार-2’ के विजेता तथा ‘अमूल स्टार वौइस औफ इंडिया’ और ‘सारेगामपा’ के प्रतिभागी मोहम्मद इरफान का सिंगिंग डैब्यू मणिरत्नम की फिल्म ‘रावण’ से हुआ था. उन्हें ‘मर्डर 2’ के गीत गा कर पहचान मिली. वे ‘एक विलेन’, ‘किक’, ‘ब्रदर्स’ और ‘प्रेम रतन धन पायो’ जैसी फिल्मों में गीत गा चुके हैं.
कमाल खान: कमाल खान रिऐलिटी शो ‘सारेगामपा सिंगिंग सुपर स्टार 2010’ के विजेता हैं. वे फिल्म ‘द डर्टी पिक्चर’ के ‘इश्क सूफियाना…’ गीत के लिए जी सिने अवार्ड्स फ्रैश सिंगिंग टेलैंट 2012 जीत चुके हैं. कमाल का कैरियर बुलंदियों पर है और वे अब तक 30 से ज्यादा हिंदीपंजाबी फिल्मों के गीत गा चुके हैं.