Mafia Web Series Review: अपराध कथा में ड्रग्स, शराब और सेक्स का तड़का

रेटिंग: ढाई स्टार 

निर्माताः इस्काइ मूवीज
सृजनकर्ताः रोहण घोष और अरित्र सेन
निर्देशक: बिरसा दास गुप्ता
कलाकारः नमित दास, तन्मय धनानिया, ईशा एम साहा, आनंदिता बोस, मधुरिमा रॉय व अन्य
अवधि: 8 एपिसोड 4 घंटे 13 मिनट
ओटीटी प्लेटफार्मः जी 5मोबाइल गेम खेलने वालों की कमजोर नस को पकड़कर फिल्मकार ने ‘‘माफिया’’नामक एक गेम के माध्यम से इस बात पर रोशनी डालने का प्रयास किया है कि चेहरे से भोला भाला दिखने वाला  इंसान कितना बेरहम हो होता है. रहस्य,अपराध व रोमांच प्रधान कहानी में दोस्ती,प्यार, सेक्स, हिंसा, ड्रग्स ,शराब,नीची जाति,ऊंची जाति, आदिवासी सहित हर मसाला चरम पर परोसा गया है.इसे हिंदी के अलावा बांग्ला तमिल और तेलुगू भाषाओं में भी रिलीज किया गया है.हत्या,डर ,नफरत,लालच,विश्वासघात की भावनाओं के साथ खुद को बचाने की जद्दोजेहद भी कहानी का हिस्सा है.

कहानीः

यूं तो उपरी सतह पर कहानी में नयापन नही है,मगर घटनाकम्र नए जरुर हैं. इसके अलावा यह किसी गैंगस्टर की नहीं,बल्कि यह कहानी है कॉलेज के छह दोस्तों ( 3 लड़के व तीन लड़कियों) की.यह छह  दोस्त हैं- नेहा ( आनंदिता बोस),  अनन्या ( इशा एम साहा ) , तान्या (मधुरिमा राय), रिषी ( तन्मय धनानिया ) रितिक और सैम,जो कि कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने पर अपने-अपने घर जाने की बजाय झारखंड में मधुपुर थाना के अंतर्गत मधुवन के जंगल के बीच बने एक बंगले पर पहुंचते हैं.यह रिषि के पिता रौय का बंगला है और मंगल केअरटेकर है.बंगले पर पहुंचने से पहले सड़क पर इनकी मुलाकात एक विधवा आदिवासी औरत बिधुआ से होती है. रिषी उसे बंगले पर काम करने के लिए बुला लाता है. विधुआ अपनी छोटी बेटी कुमली के साथ बंगले पर आ जाती है. रिषी, मंगल को एक सप्ताह की छुट्टी पर उनके गांव भेज देता है. एक सप्ताह के अंदर बंगले के अंदर बहुत कुछ घटित होता है,जिसका असर इन सभी छह लोगों पर पड़ता है.

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छह वर्ष का समय गुजरने के साथ ही इन छह दोस्तो के बीच के रिष्ते बदल चुके हैं,पहले जो प्रेमी व प्रेमिका थे,वह अब किसी अन्य के प्रेमी व प्रेमिका बन चुके हैं.रितिक ने प्रियंका से शादी कर ली है.अब छह वर्ष बाद कभी रितिक की प्रेमिका रही तान्या अमरीका से मास्टर की पढ़ाई करके वापस लौटने के बाद कुणाल से सगाई करने जा रही है. इसीलिए पत्रकार बन चुकी नेहा ने इस अवसर पर सभी छह दोस्तों का पुनः रीयूनियन करने का फैसला कर सभी को इकट्ठा कर उसी मधुवन में रौय के बंगले पर सभी पहुंचते हैं. रितिक की पत्नी प्रियंका भी साथ मे आयी है.अनन्या अब सैम को चाहने लगी है.सैम अब फोटोग्राफर बन चुका है.यह सभी छह दोस्त शराब,ड्रग्स व सेक्स में ही डूबे रहना पसंद करते हैं.अमीर बाप का बेटा रिषी अभी भी बददिमाग और एरोगेंट है.अनन्या का इलाज साइकैट्रिक से चल रहा है. रिशि व रितिक बचपन के दोस्त हैं, मगर अब रिषि के पैसों पर पलने वाला सैम ही रिषि का करीबी दोस्त है.बंगले पर इन सभी के पहुंचते ही ड्रग्स और शराब की बोटलें खुल जाती हैं.सेक्स का नंगा खेल शुरू हो जाता है. रिषि,मंगल काका से विधुआ के बारे में पूछता है. मंगल काका कह देते हैं कि अब छह साल से वह नहीं आयी. छह साल पहले की ही तरह इस बार भी इन दोस्तों के बीच ‘माफिया‘ गेम खेला जाता है. माफिया गेम के चलते अतीत के कई राज धीरे-धीरे सामने आते जाते हैं.

तीसरे एपीसोड में नीची जाति के मगर इमानदार मधुपुर थाना के पुलिस सब इंस्पेक्टर नितिन कुमार (नमित दास)व्यापारी बनकर रात में इस बंगले पर पहुंचते हैं.वह छह साल पहले हुई एक आदिवासी औरत की हत्या की जांच कर रहे हैं,बाद में पता चलता है कि वह औरत विधुआ थी.चैथे एपीसोड में तान्या के प्रेमी कुणाल भी आ जाते हैं. कहानी ज्यों-ज्यों आगे बढ़ती जाती है,त्यों त्यों तान्या सहित सभी छह लोगों का सेक्स व ड्ग्स से रंगा हुआ  अतीत  कुणाल,प्रियंका व पुलिस सब इंस्पेक्टर नितिन कुमार के सामने आता जाता है.कहानी बार-बार वर्तमान से अतीत में जाती रहती है. जिससे यह सभी एक दूसरे के प्रति नफरत ,डर ,विश्वासघात की भावनाओं से ओतप्रोत होते रहते हैं.पांचवे एपीसोड में रिषि गायब हो जाता है.नितिन कुमार पर लगता है.नितिन अलग-अलग हालात में एक-एक को अपनी असली पहचान बताते रहते हैं.तमाम रोमांचक घटनाक्रमों के बाद जो कुछ सामने आता है,वह कम चैकाने वाला नहीं है.
लेखनः

युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर लिखी गयी पटकथा में नयापन कुछ नही है.इसके चार लेखक हैं औश्र सभी लेखको का पूरा दिमाग इर्सिफ इस बार पर रहा कि किस तरह कितना सेक्स,ड्ग्स,हिंसा व षराब को भर दिया जाए.इसके लिए लेखकों ने गाॅंव वाले,पुलिस और माफिया के बीच के इस ‘माफिया’गेम के साथ रहस्य व रोमांच की परतें बुनी हैं, मगर दर्शक की नजरो के सामने सिर्फ सेक्स व ड्ग्स ही रह जता है.वैसे लेखक ने बहुत ही सतही स्तर पर कुछ सामाजिक व राष्ट्रीय मुद्दे भी उठाए हैं. मसलन आदिवासी व नीची जाति की लड़कियों के साथ ऊंची जाति के लोगों का व्यवहार? आदिवासी लड़कियों के गायब होने या उनकी हत्या के मामले को दबाने में पुलिस विभाग व सरकार का रवैया. छोटे व बड़े शहर के लोगों की सोच वह दोस्ती के मायने के अंतर पर भी बात की गयी है.पर यह सब बहुत ही सतही और उथला उथला है. यदि पटकथा लिखते समय इन पर और हर इसके लेखकों की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि कहानी व किरदारों के चरित्र चित्रण पर काम करने की बजाय सारा ध्यान शराब, ड्ग्स व सेक्स को हर दृष्य मंे कैसे रखा जाए,इसी पर लगाया.इसके सभी किरदार उच्च शिक्षित और परिपक्व हैं.मगर लेखक ने जिस तरह से इन चरित्रों को गढ़ा है,उससे इनके अंदर परिपक्वता नजर नहीं आती.आज की युवा पीढ़ी इस वेब सीरीज के किरदारों जैसी अपरिपक्व, ड्रग्स शराब व सेक्स में डूबा हुई युवा पीढ़ी नहीं है, इसलिए वह इससे रिलेट नही कर पाएगी.
एक बेहतरीन कथा में ड्रग्स शराब और सेक्स को इतना भर दिया गया है,जिसमें 14 से 18 साल की बीच की उम्र के बच्चे भले खो जाएं,मगर इस वेब सीरीज को 18 व र्ष से कम उम्र के बच्चों के द्वारा देखा ही नहीं जाना चाहिए.लेखक व निर्देशक ने अश्लीलता की सारी हदें पार कर दी हैं.इसमें अप्राकृतिक मैथुन व संभोग दृश्यों को परोसते हुए कामसूत्र के कई आसन खुलेआम परोसने में झिझक नहीं दिखाई है.गंदी गालियों का भी अंबार है.अच्छा है कि यह वेब सीरीज है,अन्यथा यह सिनेमाघरों में रिलीज ना हो पाती.किरदार के चरित्र चित्रण पर मेहनत की गयी होती,तथा सेक्स व ड्ग्स की भरमार कम की गयी  होती,तो षायद यह एक बेहतरीन क्लासिकक वेब सीरीज बन सकती थी.
इसमें कुछ संवाद बेहतर बन पड़े हैं.मसलन-‘इंसान कभी नहीं बदलते..’ दूसरा ‘पूरा सिस्टम ऊंची जाति के लंगोट में कैद है.’यह संवाद अपने आप में देश की सामाजिक व्यवस्था के साथ कानून व्यवस्था पर कुठाराघात करते हैं.
 छह वर्ष बीत जाने के बावजूद किसी भी किरदार की शारीरिक बनावट या लुक में कोई फर्क नजर नहीं आता,यह लेखक व निर्देशक दोनों की कमजोरी को इंगित करता है.
निर्देशनः
बतौर निर्देशक बिरसा दास गुप्ता पहली बार निर्देशन के क्षेत्र में उतरे हैं.उन्हे अपने निर्देशकीय कौशल को उभारने के लिए काफी कुछ सीखने व मेहनत करने की जरुरत है. इसके कई दृश्य आधे अधूरे हैं.कई जगह दो दृश्यों के बीच कोई तालमेल नजर नही आता.यह एडीटिंग की भी कमी है. वर्तमान कहानी के बीच बार बार अतीत को इस तरह जोड़ा गया है कि दर्शक कन्फ्यूज्ड होता रहता है.इसका क्लायमेक्स भी आकर्षित ही करता. एडीटर के साथ साथ कैमरामैने की भी गलतियां है.कई जगह कैमरा एंगल गलत नजर आता है.
अभिनयः
इसमें नमित दास को छोड़कर सभी नवोदित कलाकार हैं. सभी ने बेहतरीन अभिनय का परिचय दिया है.पुलिस सब इंस्पेक्टर नितिन कुमार के किरदार को निभाते हुए अभिनेता नमित दास के पास खेलने और अपनी अभिनय प्रतिभा को दिखाने के काफी अवसर थे,मगर वह कुछ दृश्यों में मात खा गए.जबकि कुछ दृश्यों में कमाल का अभिनय भी किया है.अमीर व एरोगेंट रिषि के किरदार में तन्मय धनानिया लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचते हैं. डिप्रेशन का शिकार भोली भाली अनन्या के किरदार में ईशा एम साहा  ने भी अच्छा अभिनय किया है.बाकी कलाकार ठीक ठाक ही रहे.

 

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