चारु की जब पुणे में नौकरी लगी तो वो बेहद खुश थी. पहले कुछ दिनों तक चारु अपनी बुआ के घर रही और बाद में बुआ की मदद से एक फ़्लैट में शिफ़्ट हो गयी थी.उस फ़्लैट में दो बैडरूम थे. चारु की रूममेट रमोना थी काफ़ी प्रभावित हो गई थी. धीरे धीरे रमोना और चारु में दोस्ती हो गयी थी.जब चारु को दफ़्तर की भागमभाग के कारण खाना बनाने में परेशानी हुई तो रमोना ने बड़े आराम से टिफ़िन लगाकर समस्या सुलझा दी थी. चारु मन से बेहद भोली थी.जब रमोना ने उससे टिफ़िन के लिए महीने के सात हज़ार बोले तो उसने बिना पूछताछ करे पकड़ा दिए थे.वो अलग बात थी कि रमोना एक टिफिन के लिए महीने के पांच हज़ार ही देती थी.
यहीं नही रमोना अपने अधिकतर कॉल्स चारु के मोबाइल से करती थी. अगर रमोना को डेट पर जाना होता तो चारु की ड्रेसेस को वो बड़े हक से पहन कर चली जाती थी.हद तो तब हो गयी जब चारु से बिना इजाजत लिए रमोना अपने बॉयफ्रेंड को फ़्लैट पर रात को लाने लगी.जब चारु ने आवाज़ उठाई तो रमोना ने चारु को बहनजी ,ओल्डफ़ैशन और ना जाने क्या क्या कहा.चारु फिर चुप लगा गई और इस. चारु जो अपने घर से पहली बार निकली थी, रमोना के खुले तौर तरीकों से का नतीजा ये निकला कि रमोना जब ड्रग्स की डीलिंग में पकड़ी गई तो उसकी फ्लैटमेट होने के कारण चारु को भी पुलिस स्टेशन के चक्कर काटने पड़े.चारु का फ़्लैट शेयरिंग का अनुभव इतना बुरा था कि उसने फिर कभी किसी और के साथ फ़्लैट शेयरिंग नही करी थी.
परन्तु जरूरी नही कि हर किसी का अनुभव चारु जैसा हो.धनश्री और पूजा पिछले पांच साल गुरुग्राम में फ्लैट शेयरिंग कर रही हैं .परन्तु दोनो में बहुत अच्छा सामंजस्य बन गया हैं.ऐसा नही हैं कि धनश्री और पूजा के विचार समान हैं.परन्तु दोनो ने पहले दिन से ही बैठकर कुछ नियम और कायदे बना लिए थे.जैसे दोनो में से कोई भी अपने बॉयफ्रेंड को रात में घर पर नही लाती थी. साफ सफाई दोनो की ज़िम्मेदारी थी.पूजा अपना खाना खुद बनाती थी तो धनश्री ने टिफ़िन लगा रखा था.दोनो सोने से पहले एकदूसरे के साथ दिन भर का ब्यौरा साझा करके तनाव हल्का अवश्य कर लेती थी. पर एक दूसरे की निजी ज़िन्दगी से दोनो सम्मानजनक दूरी बनाकर रखती थी.
आजकल के समय मे ये जरूरी नही कि आपके बच्चों को नौकरी आपके शहर में ही मिल जाए. अगर वो अपने घर से दूर नौकरी करने जाते हैं तो नौकरी के शुरू के कुछ सालों में फ़्लैट शेयरिंग करनी पड़ सकती हैं.अगर आपके बच्चें भी किसी के साथ फ़्लैट शेयरिंग करते हैं तो ये उनके लिए एक फ़ायदा का सौदा साबित हो सकता हैं और ये उनके लिए एक कड़वा अनुभव भी बन सकता हैं.आईये सबसे पहले जानते हैं कि फ्लैट शेयरिंग के क्या फायदे हो सकते हैं-
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1.पैसों की बचत-
फ्लैट शेयरिंग का सबसे बड़ा ये फायदा होता हैं कि पैसों की बचत हो जाती हैं.किसी भी महानगर में एक इंडिपेंडेंट छोटा फ्लैट 10-15 हज़ार का पड़ता हैं.बात फ़्लैट के किराए तक ही सीमित नही होती हैं, फ़्लैट का हर माह एक मेन्टेनेन्स चार्ज भी देना पड़ता हैं.ऐसे में अकेले फ़्लैट लेकर रहना बड़ा महंगा पड़ सकता हैं.अगर आपकी बेटी या बेटा ये ही फ्लैट दो या तीन जनों के साथ शेयर करते हैं तो उनकी अच्छी खासी बचत हो जाती हैं.
2.अकेलेपन से निजात-
नए शहर और नए माहौल में फ़्लैटमैट एक अच्छा मित्र साबित हो सकता हैं.अकेले रहने के कारण बहुत बार बच्चे मानसिक और भावनात्मक रूप से असुरक्षित महसूस करते हैं, ऐसे में अगर उनके साथ कोई होगा तो बहुत हद तक इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा.
3.सुरक्षित महसूस करना-
एक से भले हमेशा दो रहते हैं.अकेला लड़का या लड़की हमेशा दूसरों की निगाह में आ जाते हैं .पर दो लोग हमेशा ग्यारह के बराबर होते हैं.सुरक्षा की दृष्टि से दो जनों का साथ रहना हमेशा ठीक रहता हैं.
4.ज़िम्मेदारियों का बंटवारा-
साफ सफाई हो या फिर रसोई का काम, एक जने के लिए बहुत अधिक काम हो जाता हैं.अगर समान विचारों वाला फ्लैटमेट मिल जाए तो कोई भी काम मुश्किल नही लगेगा.हँसते खेलते बड़े आराम से समय गुज़र जाएगा.अकेले सारे काम करने के तनाव से छुटकारा भी मिल जाएगा.
पर कुछ लोगो के फ़्लैट शेयर करना बड़ा असुविधा जनक लगता हैं.आईये उन कारणों पर भी एक नज़र डाल लें जिस कारण लोग फ़्लैट शेयर करने से कतराते हैं-
1.प्राइवेसी पर आक्रमण-
ये एक प्रमुख वजह हैं जिस कारण लोग फ़्लैट शेयरिंग करने से कतराते हैं. कुछ लड़के या लड़कियों की आदत होती हैं कि वो बिन मांगे सलाह देने लगते हैं या अपने फ़्लैटमेट के निजी रिश्तो में दखलअंदाजी करने लगते हैं.कुछ मामलों में तो ये भी देखने मे आता हैं कि वो अपने फ़्लैटमेट के माता पिता के पिटठू बन कर उनकी चुगली करने लगते हैं .
2.बेवजह का तनाव-
कुछ मामलों में ये भी देखने मे आता हैं कि फ़्लैटमेट बड़ी चालाकी से अपना सारा काम दूसरों के सिर डाल देते हैं.ऐसे चतुर लड़के लड़कियां बड़े आराम से अपना खाना पीना और दूसरे ख़र्चे भी फ़्लैटमेट के जरिए ही पूरा कर देते हैं. बाद में ऐसी ही ढ़ेरों बाते और वजह बेवजह के तनाव का कारण बन जाती हैं.
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3.सुविधायों के ऊपर खटपट-
ललिता और अंशु गुरुग्राम की एक सोसाइटी में फ़्लैटशेयरिंग करती हैं.सोसाइटी में जनरेटर का बैकअप हैं, जिसे ललिता लेना चाहती हैं मगर अंशु इसे फालतू का खर्च बताती हैं.जब ललिता ने ये कहकर बैकअप ले लिया कि वो उसका बिल अकेले देगी तो अंशु मान गयी थी. मगर लड़ाई की शुरुआत तब हुई जब अंशु रात को लाइट भागने पर ललिता के रूम में सो जाती थी जहां एयरकंडीशनर चलता रहता था.अब ललित अंशु से आधा खर्च मांग रही हैं क्योंकि उसने भी सुविधा को भोगा हैं मगर अंशु के हिसाब से उस रूम में एक सोए या चार क्या फर्क पड़ता हैं बिल तो उतना ही आता.
परन्तु फिर भी फ़्लैट शेयरिंग फायदे का सौदा साबित हो सकती हैं अगर फ़्लैट शेयर करने वाले कुछ बातों का ध्यान रखे-
1.फ्लैटमेट के साथ बनाकर रखे सम्मानजनक दूरी-फ़्लैटमेट के साथ बातचीत करे, अपनी रोजमर्रा की समस्याओं को भी शेयर कर सकते हैं.पर खुद से खुद ही अपने परिवार के राज या अपनी कमजोर कड़ी को उनके सामने खोलने की भूल ना करे.रात रात भर जाग कर बाते करने की भूल ना करे . इस बात का हमेशा ध्यान रखे वो आपके फ़्लैटमेट हैं मित्र नही. इसलिये एक सम्मानजनक दूरी दोनो के लिए ही आगे चलकर फायदेमंद साबित होगी.
2.मित्रवत व्यवहार रखे मगर आंख मूंद कर भरोसा मत करे-कभी कभी अपने फ़्लैटमेट के साथ घूम फिर सकते हैं.अगर उन्हें मदद की जरूरत हैं तो मदद अवश्य करे.मगर आँखे मूंद कर भरोसा करने की गलती भूल कर भी ना करे.अगर उन्हें आर्थिक मदद की आवश्यकता हैं तो थोड़ी बहुत ही करे, उनके निजी रिश्तो के बारे में ज़्यादा छानबीन मत करे. मित्रवत व्यवहार करें मगर मित्र ना बने.विश्वास कायम होने में समय लगता हैं इसलिए उनके मित्र बनने से पहले सही समय की प्रतीक्षा करें.
3. शुरुआत में ही ना कहने सीखे-अगर वो बार बार आपसे आपके निजी समान यूज़ करने के लिए मांगते हैं तो विन्रमता से ना कह दे.अगर आपने शुरुआत में ही ना नही कहा तो आगे चलकर ये आपकी मुश्किलें बढ़ा सकता हैं. आप केवल फ़्लैट शेयर कर रहे हैं ,भूल कर भी उनके साथ ज़िन्दगी मत बांटिए.
4. हिसाब किताब साफ़ रखे- पायल और निकिता ने जब एक साथ रहना शुरू किया तो शुरुआत में तो घर के राशन से लेकर, धोबी की इस्त्री का हिसाब भी निकिता कर देती थी. महीने के अंत मे जब निकिता ने पायल को हिसाब बताया तो पायल आग बबूला हो उठी. पायल के हिसाब से निकिता को बिना उससे पूछे कोई जरूरत नही थी महंगे वाले डिटर्जेंट या बिस्कुट लेने की.यहाँ तक की पायल ने धोबी के इस्त्री के पैसे भी देने से मना कर दिया था.निकिता को उस महीने अच्छीखासी चपत तो लग गयी थी परन्तु आगे से उसने बस अपने लिए ही राशन या अन्य समान खरीदा.उसने पायल से साफ साफ बात कर ली थी, अब बिजली का बिल आधा , काम वाली का खर्च आधा, रेंट आधा बाकी सारे खर्च वो अपने अपने हिसाब से करती हैं.उन्हें साथ रहते हुए 4 साल हो गए हैं परन्तु दोनो ही अपने अपने स्पेस में खुश हैं.