कोरियोग्राफर से अभिनय के क्षेत्र में आने वाली टीवी अभिनेत्री रूपल त्यागी बंगलुरु की है. शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने बंगलुरु में शामक डावर की डांस इंस्टिट्यूट ज्वाइन किया. उस दौरान उन्हें बॉलीवुड कोरियोग्राफर पोनी वर्मा को एसिस्ट करने का मौका, फिल्म ‘भूल भुलैया का गाना ‘मेरे ढोलना’…में मिला.दो साल तक वह मुंबई और बंगलुरु आना-जाना करती रही और बार-बार ऐसा करना संभव न हो पानेकी वजह से वह मुंबई शिफ्ट हो गयी. मुंबई आने के बाद रूपल कोरियोग्राफी के साथ-साथ अभिनय की भी ऑडिशन देने लगी. उनकी कोशिश तब रंग लायी, जब उन्हें पहली धारावाहिक ‘हमारी बेटियों का विवाह’ में मंशा कोहली की भूमिका मिली. इसके बाद उन्होंने ‘एक नयी छोटी सी जिंदगी, कसम से,सपने सुहाने लड़कपन के’ आदि कई धारावाहिकों में काम कर घर-घर पहचानी गयी. शांत और हंसमुख रूपल दंगल टीवी पर धारावाहिक ‘रंजू की बेटियां’ में बुलबुल की भूमिका निभा रही है. आइये जाने, रूपल की कहानी उनकी जुबानी.
सवाल- इस धारावाहिक में आप बुलबुल की भूमिका निभा रही है, आप कितनी एक्साइटेड और खुश है?
बुलबुल की भूमिका हर दिन मुझे सरप्राइज करता रहता है, मैंने अपने कैरियर में ऐसी भूमिका नहीं निभाई है. शो की शुरुआत में बुलबुल एक रेसलर थी, लेकिन अब वह किसी की बॉडीगार्ड है. एक राजनेता के बॉडीगार्ड की भूमिका आजतक टीवी पर नहीं दिखाया गया है, इसलिए इसे करने में मैं बहुत एन्जॉय कर रही हूं.
सवाल- लॉकडाउन के दौरान शूटिंग कैसे की और किस तरह की सावधानी आप खुद बरतती है?
लॉकडाउन के दौरान पूरी टीम सिलवासा चली गयी थी और वहां सेट पर एक बायोबबल एनवायरनमेंट में हम सभी थे, यूनिट से न कोई बाहर जाता और न कोई अंदर आता था. सिलवासा जाने के बाद सबने कोरोना टेस्ट कराया, हम सब एक रिसोर्ट में रहे, शूट किया, खाना-पीना और सोना सब वही करते रहे. बहुत अच्छी सुरक्षा सिलवासा में रखी गयी. मैंने अभी वैक्सीन नहीं लगवा है,जिन लोगों को स्लॉट मिला उन्होंने वैक्सीन ले लिया है. मैं खुद के लिए बहुत सावधान रहती हूं,मास्क पहनना, सेनेटाईज करना और अच्छा पौष्टिक आहार लेती हूं.
सवाल- अभिनय के क्षेत्र में आना एक इत्तफाक था, या बचपन से सोचा था?
मुझे बचपन से ही अभिनय की इच्छा थी और किसी भी माध्यम में अभिनय करना, मेरे लिए कुछ फर्क पड़ने वाला नहीं था. फिर चाहे वह विज्ञापन, साउथ फिल्म हो या थिएटर कुछ भी करना मुझे पसंद रहा है. मुझे 5 साल की उम्र से पता था कि मुझे एक्टिंग करना है. मुंबई आने पर मुझे टीवी में काम करना ठीक लगा, क्योकि मुझे सुबह उठकर काम पर जाना और शाम को घर लौटकर आना पसंद है. सेट पर समय बिताने में मुझे किसी प्रकार की समस्या नहीं है.
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सवाल- कोरियोग्राफर से एक्ट्रेस कैसे बनी?
मैं बंगलुरु से कोरियोग्राफी सीखने के बाद कोरियोग्राफर पोनी वर्मा को एसिस्ट करने मुंबई आई थी और फिल्म भूल भुलैया की कोरियोग्राफी ख़त्म करने के बाद मैंने एक्टिंग करने का मन बना लिया. कोरियोग्राफी से मुझे बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला था. मैंने ऑडिशन देना शुरू किया और पहली टीवी शो ‘हमारी बेटियों का विवाह’ में मंशा की भूमिका निभाई. इस तरह धीरे-धीरे काम मिलना शुरू हो गया.
सवाल- पहली बार पेरेंट्स को कोरियोग्राफी छोड़कर अभिनय करने की इच्छा बताने पर उनके रिएक्शन क्या थे?
मैंने 5 साल की उम्र में एक विज्ञापन शूट किया था और वे जानते थे कि अभिनय मेरा पैशन है, क्योंकि छोटी अवस्था से मैं आईने के सामने खड़ी होकर कंघी को माइक बनाकर अभिनय करती थी. स्कूल में भी हर कार्यक्रम में भाग लेकर पेरेंट्स को इनवाइट किया करती थी. उनकी चिंता केवल इस बात की थी कि मैं मुंबई जाकर अच्छी तरह सेटल्ड हो जाऊं.
सवाल- पहला ब्रेक मिलना कितना मुश्किल था?
संघर्ष बहुत था, क्योंकि 100 से 200 ऑडिशन देने के बाद एक फाइनल होता है और शुरुआत में बात ऐसी ही थी. कहाँ कैसे ऑडिशन दिए जाते है, इसे समझने में समय लगा. एक बार समझ आने पर काम मिलना आसान हो जाता है,लेकिन तब प्रतिभा आपको आगे लाती है. धारावाहिक ‘सपने सुहाने लड़कपन के’ से मेरी जिंदगी बदली, इससे पहले जो काम मिले वे अधिक हिट शो नहीं थे. धारावाहिक ‘हमारी बेटियों का विवाह’ में मंशा कोहली की भूमिका मेरा पहला काम था.
सवाल- आप कोरियोग्राफी को छोड़कर एक्टिंग में आई, दोनों में क्या अंतर देखती है?
कोरियोग्राफी कैमरे के पीछे होता है, जबकि एक्ट्रेस परदे के सामने होती है. इसलिए एक आर्टिस्ट को अच्छा दिखने का प्रेशर रहता है, जबकि कोरियोग्राफी में ये प्रेशर नहीं होता औरव्यक्ति लुक छोड़कर काम पर अधिक मन लगा सकता है. इसके अलावा दोनों की फील्ड अलग है. एक में सिखाना पड़ता है, जबकि दूसरे में काम कर दिखाना होता है.
सवाल- क्या फिल्मों की तरह टीवी में भाई-भतीजावाद का कभी आपने सामना किया?
मैं नेपोटिज्म को अधिक नहीं मानती, स्वतंत्र भारत में सबको अपने मन मुताबिक काम करने की आज़ादी होनी चाहिए. ये सही है कि एक डॉक्टर पिता अपने बेटे को डॉक्टर ही बनाना चाहेगा, लेकिन बिना डॉक्टर की शिक्षा लिए,अगर उसे क्लिनिक में बैठाता है तो वह गलत बात है.वैसे ही एक एक्टर का अपने बेटे या बेटी को एक्टर बनाने की प्लानिंग को मैं गलत नहीं समझती.
सवाल- क्या आप हिंदी फिल्मों में काम करना नहीं चाहती?
मैं अभी टीवी पर काम कर बहुत संतुष्ट हूं, इस शो के समाप्त होने के बाद अगर कोई फिल्म मिले, तो मैं अवश्य करुँगी, क्योंकि मैं एक साथ 2 से 3 प्रोजेक्ट नहीं कर सकती. मेरा मन भटक जाता है. इसके अलावामैं इंटिमेट सीन्स नहीं कर सकती, जैसा आज फिल्में और वेब सीरीज में चल रही है. टीवी की काम से बहुत खुश हूं. मैं किसी रेस में नहीं हूं, इसलिए मुझे किसी भी काम के लिए जल्दबाजी नहीं करनी है. मैं ख़ुशी से जीना चाहती हूं.
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सवाल- फैशन आप कितनी पसंद करती है और कितनी फूडी है?
फैशन को मैं एन्जॉय करती हूं. नए कपडे और शूज मुझे बहुत पसंद है. साफ-सुथरा रहना मेरी आदत रही है. मुझे साधारण खान-पान पसंद है, माँ के हाथ का बनाया दाल चावल, पोहा बहुत पसंद है.
सवाल- कोई मेसेज जो देना चाहे?
मेरा सबसे कहना है कि लाइफ में बहुत कुछ कर लेने से ख़ुशी नहीं मिलती. सभी लोग पैसे के पीछे भाग रहे है. आज का दिन इकलौता ही है, जो पास्ट है उसकी कुछ यादगार लम्हे और भविष्य की कुछ इमेजिनेशन. इसे समझने वाला व्यक्ति आज को नष्ट नहीं करेगा. सभी को इस परिस्थिति को समझने की जरुरत है. किसी को सुनना बंद करें, अपना काम ईमानदारी से करें.