रसोड़े में कौन था? धारावाहिक ‘साथ निभाना साथिया’ में कोकिलाबेन बनी रूपल पटेल के डायलॉग को निर्देशक यशराज मुकाते ने रैप गाने का रूप देकर वायरल कर दिया. इससे कई मीम्स बने और यह गाना जमकर वायरल हुआ, जिसे रूपल ने उस कलाकार की काबिलियत बताया, जिसने एक सीन को गाने का रूप देकर वायरल कर दिया. इस सीन में कोकिलाबेन अपनी बेटियों गोपी बहू और राशि को ‘खाली’ कुकर गैस पर चढ़ाने के लिए डांटती हुई नजर आ रही थी. दिलचस्प बात यह है कि सोशल मीडिया ने इस वर्जन को काफी पसंद किया और रूपल का नाम काफी चर्चा में रहा.
अलग-अलग भूमिका निभाकर चर्चा में आई महाराष्ट्र के मुंबई में जन्मी एक निम्न-मध्यम वर्ग परिवार की रूपल पटेल एक अभिनेत्री है. उनके पति का नाम राधा कृष्ण दत्त है.उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1985 में फिल्म “महक” से की थी.इसके बादवह ‘अंतर्नाद’‘मम्मो’‘समर’और ‘सांबर सालसा’ जैसी कई फिल्मों मेंअभिनय किया. टेलीविज़न कैरियर की शुरुआत उन्होंने वर्ष 2001 में टीवी धारावाहिक “शगुन” से की थी, जिसमे उन्होंने लाखी की भूमिका निभाई थी.धारावाहिक “साथ निभाना साथिया” में ‘कोकिला मोदी’ की भूमिका निभाकर उन्होंने लोकप्रियता हासिल की, कड़क सास के रूप में उनके अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा, लेकिन रियल लाइफ में रूपल हंसमुख, स्पष्टभाषी है. उन्होंने एक लम्बी पारी हिंदी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में बिताई है, लेकिन अभी भी उन्हें सब नया और आकर्षक लगता है.नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामामें रूपल की मुलाकात अभिनेता राधा कृष्ण दत्त से हुई थी, बाद में दोनों शादी के बंधन में बंध गए.रूपल पटेल का एक बेटा है, जिसका नाम हर्ष पटेल है.
अभिनय के अलावा वह थिएटर ग्रुप, ‘पैनोरमा आर्ट थिएटर्स’ के फाउंडर और मालिक है. जहाँ उन्होंने 15 से 16 साल तक बच्चों के लिए एक्टिंग और पर्सनालिटी डेवलपमेंट पर काम किया है, जिसमे नाटक को लिखने, अभिनय सिखाना और उन्हें वर्कशॉप में लाना आदि करती हूं. उनकी एनर्जी को मैं प्राप्त करती हूं. अभी समय की कमी होने की वजह से थिएटर बंद है. दर्शकों की पसंद को देखते हुए स्टारप्लस धारावाहिक ‘साथिया साथ निभाना’ को एक बार फिर से प्रसारण कर रही है. रूपल इससे बहुत खुश है, उन्होंने कैरियर और पर्सनल जीवन से जुडी बातों को शेयर किया, आइये जानते है, उनकी कहानी उनकी जुबानी.
सहयोग टीम की
साथियां साथ निभाना का फिर से प्रसारण होना रूपल के लिए ख़ुशी और सौभाग्य की बात है, वह कहती है कि मैंने अभिनय कई किये है, लेकिन इस शो में कोकिला मोदी की भूमिका को सभी ने पसंद किया और ऐसा होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है. रूपल के इस शो की संवाद रसोड़े में कौन था… का चर्चित होकर गाना और मीम्स को लेकररूपल कहती है कि किसी भी अभिनय या कला को लेकर अगर चर्चा हो तो अच्छी बात होती है, मैं मुंबई की हूं और मैंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से एक्टिंग का प्रशिक्षण लिया है. मेरी एक पढाई अभिनय को लेकर है, जिसे मैंने सिस्टमेटिकली अंजाम दिया है. मैंने थिएटर, बच्चों के साथ अभिनय आदि किये है. मैं अपनी सोच को रखते हुए हर किरदार को निभाती हूं. कोई भी किरदार मुझे बताये जाने पर मैं उसकी बेसिक चरित्र पर पूरी तरह से ध्यान देती हूं, मसलन कोकिला मोदी की लुक की बात करें तो इसे चैनेल की क्रिएटिव टीम ने तैयार किया था, उसमे मैंने बिंदी, काजल, लिपस्टिक का शेड आदि को मैंने अपनी तरफ से जोड़ी थी. किरदार को निभाने वक्त कलाकार भी सरल होकर खुद से उसे अधिक बेहतर बनाने का प्रयास करता है. इस तरह ये एक मिला जुला प्रयास होता है और मेरा योगदान उसे जीवंत बनाने में हमेशा प्रयास रहता है.
कड़क हूं पर हूं पसंद
रूपल ने शो में कडक सास कोकिला मोदी की भूमिका निभाई है, इस वजह से उन्हें लोगों से तरह-तरह की बातें सुनने को मिलते है. वह हंसती हुई कहती है कि कुछ यूथ मुझे देखकर ये उम्मीद करती है कि उनकी सास भी वैसी हो, क्योंकि कडक होने के साथ-साथ मैं बहुओं का साइड भी लेती हूं, उन्हें सिखाती भी हूं, जबकि रियल लाइफ में ऐसा नहीं होता. असल में देखा जाय तो जो लोग कडक बात करते है,पर उनमे एक सच्चाई रहती है. मीठे बोलने वाले अधिकतर लोगों का स्वभाव समझ से परे होता है. मैं कडक हूं, पर सबको पसंद हूं.
भूमिका से निकलना है मुश्किल
एक चरित्र में कई वर्षों तक एक भूमिका निभाकर दूसरे चरित्र में जाना कितना मुश्किल होता है, पूछने पर रूपल कहती है कि ये बहुत सही सवाल है, क्योंकि एक चरित्र को सालों तक निभाते हुए साथ सालों तक अभिनय करने के बाद नए किरदार में प्रवेश करना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन घर पर माँ बहन, बेटी की भूमिका निभा लेने के बाद मुझे अपने चरित्र को भूलने में आसानी होती है. ये मेरे साथ हर दिन होता है, हर दिन चरित्र में घुसना और घर आते ही उससे अलग हो जाना, मैं इसमें अभ्यस्त हो चुकी हूं, फिर भी मुझे अपनी भूमिका से निकलने और घुसने में थोड़ा समय लगता है. हर दिन मेकअप रूम से ही अपने किरदार में घुसने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, इसके बाद संवाद पढने पर और साथी कलाकारों के साथ रिहर्सल करने पर अभिनय करना आसान होता है. इसके अलावा इस दौरान मैं किसी भी कलाकार या टेक्नीशियन के साथ बात नहीं करती, केवल मेरी भूमिका पर फोकस्ड रहती हूं. वैसे ही शॉट ख़त्म होने के बाद मेकअप उतारना, अपने ड्रेस चेंज करने पर मुझे खुद से कहना पड़ता है कि अब मैं रूपल पटेल हूं. एक शो ख़त्म करने के बाद मैं ब्रेक लेती हूं और किसी अलग वातावरण में चली जाती हूं, ये सब मुझे नयी भूमिका को करने में मदद करती है.
सीखती हूं नयी बातें
रियल लाइफ में कोकिला मोदी यानि रूपल पटेल भी सही को सही और गलत को गलत कहने से परहेज नहीं करती. वह निडर है, पर कड़क नहीं, अपनी बात बहुत मितव्ययिता के साथ रखती है. जिद नहीं करती और सम्मान देने और लेने में विश्वास करती है. वह अनुशाषित जीवन का निर्वाह करती है. नयी जेनरेशन के साथ उनके काम के अनुभव के बारें में बताती है कि मैं सेट पर पूरी तरह से प्रोफेशनलिज्म का पालन करती हूं. मेरे को आर्टिस्ट के साथ हमेशा मेरा अच्छा तालमेल रहता है. मैं सामने से उनसे बात करने में हिचकिचाती नहीं. आज के यूथ कलाकारों में बहुत अधिक आत्मविश्वास है, उन्हें पता है कि उन्हें जीवन में क्या करना है, किस तरीके से करना है, हासिल कैसे होगी आदि में बहुत अधिक क्लियर है. मैं जब यंग थी, तो ये सब बहुत देर में पता लगा था.बहुत सारी बातें मैं उनसे सीखती हूं,मसलन मैं बहुत अधिक इमोशनल हूं और बहुत जल्दी किसी बात में भावुक हो जाती हूं. जबकि ये जरुरी नहीं कि आप किसी से बहुत अधिक भावुकता से जुड़ जाय. मुझे अगर कुछ बातें अच्छी लगती है तो मुझे उसे अपनाने में कोई हर्ज नहीं लगता है. अच्छे सम्बन्ध नहीं होने या दूरी बनाए रखने वाले कलाकरों की भावना को भी मैं सम्मान देती हूं. आज तक मेरी किसी से कोई मनमुटाव नहीं है, पर कोई मित्र भी नहीं बना है. मैंने हर व्यक्ति के साथ प्रोफेशनल रूप से काम किया है, पर्सनल नहीं.
संतुष्ट जर्नी से
उनकी जर्नी हमेशा अच्छी रही उन्हें हमेशा दर्शकों का साथ मिला. उनका कहना है कि मुझे कोकिला मोदी या रुपल पटेल को दर्शकों ने जिन्दा रखा है, हर किरदार में उन्होंने सहयोग दिया है, जो मेरे लिए सौभाग्य की बात है. स्टारप्लस चैनल ने भी मुझे एक से एक बढ़कर भूमिकाएं, सम्मान और राशि दी और मैं चर्चित भी हुई. मैं बहुत संतुष्ट हूं. अभी भी मैं चुनौतीपूर्ण काम करना पसंद करती हूं. इसके अलावा रूपल स्वच्छ भारत अभियान की एम्बेसेडर है, वह कहती है कि स्वच्छता हमारे देश में अधिक नहीं है. पढ़े-लिखे लोग गन्दगी फैलाते है और अनपढ़ ही उस गंदगी को उठाते है, मन से स्वच्छता को अपने जीवन, आचरण और व्यवहार में लानी होगी. कानून या प्रसाशन इसमें कुछ नहीं कर सकती, बदलाव में बहुत समय लगेगा.