बुढ़ापे में बूढ़ी से भी शादी फलेगी इस की कोई गारंटी नहीं है. कम से कम मीडिया टाइकून रुपर्ट मर्डोक के मामले में तो ऐसा रहा है. अब 91 वर्ष के मर्डोक ने 6 साल पहले तब 60 साल की गैरी हाल से लंदन में 3 शादियों और तलाकों के बाद चौथी शादी की थी. अब गैरी हाल तलाक और मर्डोक की अरबों की संपत्ति में से हिस्सा मांग रही है.
कट्टरपंथी फौक्स न्यूज का चर्च भक्त रुपर्ट मर्डोक 4 शादियां करे और निभा न पाए पर रातदिन अपने चैनलों से भक्ति के गुण गाए और बाइबल की संस्कृति के गुण गाए जो स्त्रीपुरुष का मिलन एक बार का मरने तक मानती है, अजीब नहीं है क्या?
मर्डोक के एंपायर में भारत के स्टार चैनल भी हैं जो अपने धारावाहियों से ङ्क्षहदू भक्तों को भगवान का ज्ञान देते हैं. अमेरिका में ऐसा ही फौक्स चैनल से होता है. फौक्स चैनल ने गर्भाघात संबंधित अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय पर खूब खुशियां मनाई थी पर उसी का मालिक उसी बाइबल जिस के आधार पर गर्भपात विरोधी 40 साल से हल्ला मचा रहे थे. 4 बार शादी कर के तलाक कर रहा है जबकि शादी बाइबल के अनुसार मृत्यु तक होती है और केवल एक ही मृत्यु के बाद दूसरा फिर शादी कर सकता है.
असल में धर्म का दोगलापन हमेशा आम लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. आदमी सदियों से अपनी सैक्स भूख शादी के बाद पूरी करते रहे हैं पर अपनी पत्नियों को नाखल दिखादिखा कर पति का भगवान मानने को मजबूर करते रहे हैं.
हमारा हिंदू धर्म इस मामले में साफ है. आदमी के पास 100 पत्नियों का हक है, औरतों के पास केवल एक पति का. अगर किसी ने 100 औरतों से बाजेगाजे, पंडितों के साथ मंत्र पढ़ कर शादियां की हैं तो 100 की 100 कानूनी हैं और उन में से एक भी पति से तलाक नहीं मांग सकती. पत्नी को बहुपत्नी वाले पति से छुटकारा पाता है तो कुंआ है, नदी है, जमीन का गड़ा है, फांसी का फंदा है, जहर है, अग्नि है, हजार तरीके हैं पति से छुटकारे पाने के.
यही कट्टर ईसाई औरत के साथ है कि वह वहशी, खूंखार, दूसरी औरतों के साथ सोने वाले पति के साथ निभाए जाए, निभाए जाए. यह तो पिछली कुछ सदियों में हुआ है कि आधुनिक कानून ईसाई देशों में बने और भारत में भी बने कि एक ही पतिपत्नी रहेंगे और अगर झिकझिक हो रही है तो तलाक ले सकते हैं. रुपर्ट मर्डोक जैसे चर्च, बाइबल, पादरियों का समर्थन भी करते हैं और आधुनिक कानूनों का सहारा ले कर शादी, तलाक शादी, तलाक, शादी, तलाक फिर शादी और अब तलाक कर रहे हैं.
पूरे पश्चिम में शिक्षा, तकनीक, तर्क, लौजिक, पर्सनल इंडीपैंडैंस के बावजूद चर्च रोजमर्रा के जीवन पर उसी तरह भारी है जैसे इस्लाम में मौलवी और ङ्क्षहदुओं पर पंडे, महंत. ये सब आधुनिक विज्ञान का लाभ उठाते हैं पर साथ ही हजारों साल पुराने नामों पर एकदूसरे को मारने दौड़ते हैं, लड़ाइयां करते हैं, अपने लोगों को जेलों में बंद करते हैं, मास मर्डर करते हैं.
रुपर्ट मर्डोक उन में से है जिस का मीडिया एंपयार दोगली बात कहता है. जो चर्च को भी बढ़ावा देता है ताकि बेवकूफ चर्च को दान दें, उस के चैनलों व अखबारों को पढ़ें और चर्च के आदेशों को मर्जी से उठापटक कर अपना सााम्राज्य बचाए. बुढ़ापे में 85 साल की आयु में शादी करना और 91 साल की आयु में तलाक लेना इसी तरह के दोगले लोग कर सकते हैं.