Social Story In Hindi: सच्चाई सामने आती है पर देर से

Social Story In Hindi: सच्चाई सामने आती है पर देर से- भाग 1

‘‘आप को हर महीने 5 हजार रियाल वेतन, खानापीना और रिहाइश मुफ्त मिलेगी.’’ शानदार ढंग से सजेधजे औफिस में मेज के पीछे बैठे ट्रैवल एजेंट ने कहा.

शाहिदा बानो ने अपने पति की तरफ देखा.

‘‘काम क्या करना होगा?’’ उस के पति अहमद सिराज ने पूछा.

‘‘ब्यूटीपार्लर में आने वाली ग्राहकों को ब्यूटीशियन की सेवाएं.’’ संक्षिप्त सा जवाब दे कर चालाक ट्रैवल एजेंट खामोश हो गया.

शाहिदा बानो दक्ष ब्यूटीशियन थी. उस ने 6 महीने का ब्यूटीशियन का कोर्स किया था. उस के बाद वह अहमदाबाद के पौश इलाके में स्थित एक ब्यूटीपार्लर में काम करने लगी थी. उसे 12 हजार रुपया वेतन मिलता था. उस का पति अहमद सिराज ट्रक ड्राइवर था. उस का वेतन 10 हजार रुपया था. इतनी आमदनी से सात लोगों के परिवार का खर्चा खींचतान कर चलता था.

तीनों बेटियां दिनोंदिन बड़ी हो रही थीं.  उन का निकाह कैसे होगा, पतिपत्नी को चिंता लगी रहती थी.

‘‘तुम खाड़ी देशों में जा कर नौकरी कर लो.’’ एक दिन उस की साथी फरजाना ने कहा.

‘‘वहां तो मजदूरों को काम मिलता है?’’

‘‘नहीं, ब्यूटीशियन का काम भी होता है.’’

‘‘क्या तुझे कभी जौब औफर हुई है?’’

‘‘मेरे शौहर ने बताया कि सऊदी अरब, बहरीन, दुबई से कई कंपनियां वहां के ब्यूटीपार्लरों के लिए ब्यूटीशियन की भरती कर रही हैं.’’

‘‘मगर खाड़ी देशों में अब तक घरेलू नौकरानियों और अन्य छोटेमोटे काम के लिए जनाना लेबर की मांग थी. अब एकदम ब्यूटीशियन की मांग और वो भी सैकड़ों की तादाद में?’’

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‘‘जब किसी ने जौब औफर की है तो काम भी होगा.’’

इस मुद्दे पर दोनों में काफी बातें हुईं तो शाहिदा बानो सोचने लगी. मिलने वाला वेतन भी भारीभरकम था. 5 हजार रियाल यानी करीब 90 हजार रुपया.

खाड़ी देशों में कार्यरत हाउस मेड और अन्य छोटेमोटे काम करने वाली औरतों के यौनशोषण की खबरें यदाकदा सुननेपढ़ने को मिलती थीं, इसलिए शाहिदा बानो को झिझक हो रही थी.

लेकिन आर्थिक परेशानियों से मुक्ति पाने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था. आखिरकार किसी तरह पासपोर्ट बनवा कर और किराए के पैसों का इंतजाम कर के वह सऊदी अरब के शहर दम्माम जा पहुंची.

कीमती उपकरणों, फरनीचर, बढि़या परफ्यूम और सौंदर्य प्रसाधन सामग्री वाला ब्यूटीपार्लर था. शाहिदा बानो को रिहाइश के लिए वैल फर्नीश्ड फ्लैट मिला, साथ ही आनेजाने के लिए स्कूटर. ब्यूटीपार्लर में दरजन भर औरतें थीं. एकदो कुंवारी लड़कियां थीं. बाकी उसी की तरह विवाहित, बच्चों वाली.

थोड़ेथोड़े अंतराल पर हर ब्यूटीशियन को क्लाइंट के यहां ‘होम सर्विस’ के लिए भेजा जाता था. होम सर्विस का आदेश सुन कर सब खामोश हो जातीं. जो लड़कियां पहले होम सर्विस के लिए नहीं गई थीं, वे उत्सुक रहती थीं.

शाहिदा बानो ने अरब शेखों के बारे में काफी कुछ सुना था. अरब शेखों की ढेर सारी बेगमें, रखैलें, मुताई बेगमें होती हैं. साथ ही अनेकों बांदियां नौकरानियां भी. भारत की भूतपूर्व रियासतों के राजाओं, नवाबों, जागीरदारों की तरह अरब शेखों की हैसियत कम नहीं होती.

‘‘आप को आज रात क्लाइंट के यहां होम सर्विस के लिए जाना है.’’ ब्यूटीपार्लर की संचालिका जो एक अधेड़ अरब महिला थी, ने उसे अपने औफिस में बुला कर कहा.

‘‘क्लाइंट क्या कोई अमीर शेख है?’’ उत्सुकता से शाहिदा बानो ने पूछा.

‘‘हां, हमारे अधिकांश क्लाइंट्स अमीर शेख हैं.’’ संक्षिप्त सा जवाब मिला उसे.

‘‘साथ क्याक्या ले जाना होगा?’’

‘‘एक छोटा सा मेकअप बौक्स. अधिकतर क्लाइंट अपनी प्रसाधन सामग्री और उपकरण रखते हैं. कइयों के यहां तो बहुत बेहतरीन उपकरण और प्रसाधन सामग्री होती है.’’

क्लाइंट्स द्वारा भेजी गाड़ी में सवार हो शाहिदा बानो गंतव्य के लिए रवाना हो गई. सड़क के दोनों तरफ रेत के बड़ेबड़े टिब्बे थे. बीचबीच में कहींकहीं थोड़ी हरियाली भी नजर आती थी.

हरियाली भरे इलाके को नखलिस्तान कहा जाता था. थोड़ीथोड़ी दूरी पर छोटेछोटे किलेनुमा इमारतें थीं. उन को देख कर शाहिदा समझ गई कि सब अमीर शेखों के घर होंगे.

मेहराबदार बड़े गेट को पार कर गाड़ी बड़े पोर्च में रुकी. अरबी वेशभूषा पहने एक दाढ़ी वाले अधेड़ व्यक्ति ने दरवाजा खोला. मेकअप बौक्स थामे शाहिदा बानो गाड़ी से उतरी.

एक बुरकाधारी महिला उस की आगवानी के लिए आई. उस के पीछेपीछे चलती शाहिदा बानो अंदर की तरफ चल दी. चमचमाता फर्श, खुली गैलरी, कुछ पुराने जमाने की शैली कुछ आधुनिक.

एक भूरे रंग के चमचमाते दरवाजे के बाहर रुक उस खातून ने हैंडल घुमा कर दरवाजा खोला. खातून के इशारे पर शाहिदा बानो अंदर दाखिल हुई. उस के अंदर प्रवेश करते ही क्लिक की आवाज के साथ दरवाजा बंद हो गया.

कमरे में चमकती रोशनी, कीमती पेंट से रंगी दीवारें, अरब परिवेश की बड़ी पेंटिंग जिस में अरब वेशभूषा में एक अरबी ऊंट की लगाम थामे रेगिस्तान में खड़ा था.

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‘‘तशरीफ रखिए मोहतरमा.’’ साफसुथरी उर्दू भाषा में एक मरदाना आवाज गूंजी. मरदाना आवाज सुन कर शाहिदा बानो चौंकी. उस ने सिर घुमाया.

उस के सामने अरबी ड्रैस में एक अधेड़ उम्र का आदमी खड़ा था, जिस के सिर के आधे बाल सफेद थे और चेहरे पर नफासत से तराशी हुई दाढ़ी थी. उस की आंखों में लाल डोरे थे. चेहरा लाल भभूका था, जो उस के शराबी या नशेड़ी होने की चुगली कर रहा था.

शाहिदा बानो ने चौंक कर पूछा, ‘‘यहां मुझे किसी खातून के मेकअप के लिए बुलाया गया था.’’

‘‘खातूनें मेरे हरम में हैं. पहले आप मेरे यहां नोश फरमाएं.’’

उस आदमी ने हलके से ताली बजाई. पीछे की तरफ से बंद दरवाजा खुला. एक तश्तरी में कटे फल और शरबत का गिलास थामे चुस्त पजामा और आधी बाजू वाली चोली पहने एक नौजवान लड़की अंदर दाखिल हुई.

उस लड़की को देख कर शाहिदा कुछ आश्वस्त हुई. दीवार के साथ बिछे सोफे पर बैठ कर शाहिदा बानो ने सामने मेज पर रखी तश्तरी से फल का टुकड़ा उठा कर मुंह में रखा और कुतरने लगी. उस का गला प्यास से सूख रहा था.

शरबत का घूंट भरा, तो उस को सनसनाहट महसूस हुई. शरबत ठंडा था. धीरेधीरे चुस्की लेते हुए उस ने सारा गिलास खाली कर दिया. थोड़ी देर बाद उस की आंखें बोझिल हो गईं. हलकीहलकी नींद आतेआते उसे पता भी नहीं चला कि कब लुढ़क कर फर्श पर गिर गई.

शाहिदा बानो को होश आया तो उस ने अपने शरीर पर हाथ फेरा, एक कपड़ा भी नहीं था. वह सकपकाई. बडे़ से डबलबैड पर वह पूर्णतया नग्न अवस्था में लेटी थी. थोड़ी दूर वही अधेड़ अरब पूर्णतया नग्न अवस्था में खड़ा था, एक हाथ में शराब का गिलास थामे. उस के चेहरे पर शरारत नाच रही थी.

‘होम सर्विस’ 5 हजार सऊदी रियाल यानी 90 हजार रुपया महीना. एक ब्यूटीशियन को इतनी मोटी रकम. इस का कारण अब उस की समझ में आ रहा था.

ब्यूटीपार्लर में पहले से कार्यरत दूसरी लड़कियों और महिलाओं के चेहरे पर छाई गंभीरता और मुर्दनी के भाव अब उसे समझ आए. 3 बच्चों की मां को 35 साल की उम्र में इस तरह अपनी इज्जत गंवानी पड़ी थी.

शाहिदा बानो ने अपने कपड़ों के लिए इधरउधर देखा. उस का बुरका, सलवार कमीज, दुपट्टा सब करीने से तह कर के सामने सोफे पर रखे हुए थे. वह उठ कर बैठ गई और अपने वक्षस्थल को अपने बांहों से छिपाने की असफल कोशिश करने लगी.

वह पलंग से उतरने लगी. मगर उस अधेड़ शेख ने उस की बाजू थामते हुए कहा, ‘‘ना ना, अभी नहीं. एक राउंड और…’’

शाहिदा बानो ने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया. उस दरिंदे की मजबूत पकड़ से उसे अंदाजा हो गया. उस से छुटकारा पाना आसान नहीं था.

शराब का गिलास खत्म कर अधेड़ उम्र का वह दरिंदा फिर उस पर छा गया. आधापौना घंटा उसे रौंद कर के वह अलग हट गया.

‘‘जाओ.’’

शाहिदा बानो पलंग से उतरी और अपने कपड़े पहनने लगी. बुरका ऊपर डाल कर उस ने अपना मेकअप बौक्स उठाया और दरवाजे की तरफ बढ़ गई.

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‘‘ठहरो. ये लो.’’ पलंग पर अधलेटे पूर्णतया नग्न अधेड़ शेख ने सऊदी अरब की करेंसी का एक पुलिंदा उस की तरफ बढ़ाते हुए कहा.

मगर शाहिदा बानो ने एक हिकारत और नफरत भरी नजर उस पर डाली और दरवाजा खोल कर बाहर निकल गई. बाहर उसे अंदर पहुंचाने वाली खातून खड़ी थी. वह यंत्रचालित ढंग से शाहिदा बानो के आगेआगे चल दी.

उसे मैंशन में लाने वाली कार और शोफर पोर्च में तैयार खड़ा था. खातून ने दरवाजा खोला. शाहिदा बानो यंत्रचालित ढंग से उस में सवार हो गई.

आगे पढ़ें- शाहिदा बानो स्टाफरूम में चली गई….

Social Story In Hindi: सच्चाई सामने आती है पर देर से- भाग 3

जनानखाने के नाम पर एक पुरुष का कमरा और औरत के स्थान पर एक पुरुष.

‘‘तशरीफ रखिए मोहतरमा.’’ महल के शेख मोहम्मद बिन अब्दुल्ला बिन अब्दुल्ला ने कहा.

तभी चुस्त पायजामा और चुस्त चोली पहने एक किशोर उम्र की लड़की एक ट्रे ले कर अंदर आई. उस में शरबत के 2 गिलास और कटे फल रखे थे.

‘‘नोश फरमाइए.’’ अरब शेख ने कहा.

गुलबदन और शाहिदा बानो ने एकदूसरे की तरफ देखा. पहली बार की होम सर्विस का वाकया शाहिदा बानो को याद था. क्या पता इन शरबत के गिलासों में भी नशीला पदार्थ हो.

सकुचातेसकुचाते दोनों ने मेज पर रखी ट्रे से गिलास उठाया और चुस्कियां लेने लगीं.

‘‘शरबते बनफशा  शरीर को ठंडक पहुंचाता है.’’ हुक्के की नली से धुआं खींचते हुए मोहम्मद बिन अब्दुल्ला ने कहा.

सोफे पर बैठी उन दोनों ने शरबत का गिलास खत्म कर के मेज पर रखा ही था कि अरबी वेशभूषा में 4 अधेड़ावस्था के पुरुष कमरे में दाखिल हुए.

इतने पुरुषों को एक साथ देख कर दोनों चौंकीं.

‘‘मोहतरमा, आप के ब्यूटीपार्लर की मैडम कहती हैं कि आप वापस जाना चाहती हैं. बिना पासपोर्ट आप की वापसी संभव नहीं है. आप हमारी एक शर्त पूरी कर दें, आप का पासपोर्ट प्लेन की टिकट सहित वापस हो जाएगा.’’ हुक्के का कश ले कर धुआं छोड़ते हुए अब्दुल्ला बिन अब्दुल्ला ने कहा.

‘‘क्या शर्त है?’’ दोनों ने एक साथ पूछा.

‘‘आप दोनों अपनेअपने जिस्मों का दीदार करवा दें.’’ कुटिल मुसकराहट के साथ अब्दुल्ला ने कहा. उस के साथ बैठे चारों साथी कहकहा लगा कर हंसे.

गुलबदन की अस्मत कई बार लुट चुकी थी. शाहिदा बानो भी खुद को लुटापिटा समझती थी. वापस जा कर अपने शौहर से कैसे नजर मिला सकेगी.

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‘‘इस बात की क्या तसल्ली है कि आप अपना कहा पूरा करोगे?’’ गुलबदन ने पूछा.

‘‘मैं अपनी शर्त पूरी हो जाने पर अपना कहा पूरा करता हूं. मैं चाहूं तो अभी थाने से पुलिस दारोगा को बुला कर तुम दोनों को बदकारी के इलजाम में जेल भिजवा सकता हूं.’’  कहते हुए मोहम्मद बिन अब्दुल्ला ने टेलीफोन का चोंगा उठाया.

दोनों सहम कर सोफे पर सिमट गईं. फिर गुदबदन उठी, उस ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए. शाहिदा बानो उसका अनुसरण करने लगी. पूर्णतया… दोनों अपना वक्षस्थल दोनों बांहों से ढांप कर खड़ी हो गईं.

‘‘वल्लाह! सुभान अल्लाह! क्या जिस्म है…’’ शराब का जाम पीते हुए अरब शेखों ने सीत्कारी भरते हुए कहा.

‘‘तुम दोनों मेरी इस बांदी के साथ थोड़ी देर के लिए अरबी डांस कर के दिखा दो फिर तुम दोनों आजाद कर दी जाओगी.’’

साकी बन कर शराब के प्याले भरती किशोर बाला उठ खड़ी हुई और लयबद्ध हो ठुमके लगाती हुई अरब शैली का नृत्य करने लगी. विवशता थी, सो वे दोनों भी उस के साथ नाचने लगीं.

थोड़ी देर बाद शराब पीते 2 अरब शेख उठे और उन्होंने उन दोनों को अपने बाहुपाश में दबोच लिया.

शाम तक उन 5 अरब शेखों ने उन को बारबार रौंदा. लुटीपिटी दोनों चुपचाप ब्यूटीपार्लर लौट आईं. मैडम ने उन को करेंसी से भरे लिफाफे दे कर घर रवाना कर दिया. अपनेअपने फ्लैट में बिस्तर पर लेटी दोनों न रो पा रही थीं और बोल सकती थीं.

‘‘पापा, अम्मी फोन काल का कोई जवाब नहीं दे रही.’’ शाहिदा बानो की बेटी ने अपने पापा को फोन काल का जवाब न मिलने पर कहा.

अहमद सिराज चौंका. मिडल ईस्ट के अरब देशों में नौकरानियों या हाउस मेड के साथ दुर्व्यवहार की खबरें आम थीं. उन्हें कहीं संपर्क करने से भी रोका जाता था. मगर सऊदी अरब के ब्यूटीपार्लर में इस तरह यौनशोषण हो सकता है, इस की उसे कल्पना भी नहीं थी.

‘‘तुम दोनों को आज फिर होम सर्विस के लिए जाना है.’’ मैडम ने फरमान सुनाया.

‘‘ना जाएं तो?’’ शाहिदा बानो ने पलट कर कहा.

‘‘अभी पता चल जाएगा.’’ मैडम ने अपना फोन टच किया. कुछ खुसरफुसर की. थोड़ी देर में गहरे हरे रंग की एक बड़ी जीप ब्यूटीपार्लर के बाहर आ कर रुकी.

हरे रंग की वरदी, पी-कैप पहने कमर में पिस्तौल, चुस्त शरीर का पुलिस इंसपेक्टर.

‘‘सर, ये दोनों बदकारी करती हैं. दूसरी औरतों को भी गलत काम के लिए उकसाती हैं.’’

नक्कारखाने में तूती की आवाज? दोनों चुपचाप जीप में पिछवाड़े बैठ गईं.

डेविड आर्थर एक स्वीडिश नागरिक था. वह फ्रीलांस फोटोग्राफर था. दुनिया भर में घूमताफिरता था. अनेक समाचारपत्रों, टीवी चैनल्स के साथ उस का अनुबंध था.

अपनी साथी सोफिया वारेन के साथ इन दिनों वह सऊदी अरब के भ्रमण पर था. मक्कामदीना में हज करने आए मुसलमानों के फोटो खींचने के बाद वापस लौटते समय दम्माम शहर से गुजर रहा था. उस की गाड़ी के सामने से आ रही एक अन्य गाड़ी ने टक्कर मार दी.

गाड़ी एक शेख की थी. मामला थाने तक पहुंच गया. डेविड आर्थर अपनी साथी के साथ थाने बैठा था. तभी पुलिस जीप दोनों को थाने में ले आई.

2 एशियाई स्त्रियों को थाने आया देख डेविड आर्थर चौंका. हर अलग स्थिति की फोटो खींच कर समाचारपत्रों और टीवी चैनल्स को प्रेषित करने में वह नहीं चूकता था.

‘‘सर, ये दोनों बदकारी करती हैं.’’ ब्यूटीपार्लर से पकड़ कर लाए नौजवान पुलिस अधिकारी ने थाना इंचार्ज के सामने दोनों को पेश करते हुए कहा.

अरबी भाषा का थोड़ाथोड़ा ज्ञान रखने वाली पत्रकार सोफिया वारेन चौंकी. उस ने उन दोनों औरतों की तरफ देखा. विवशता और बेबसी के भाव उन दोनों के चेहरों से साफ दिखते थे.

दोनों को हवालात में बंद कर दिया गया. अरब देशों में मेड, होम हैल्पर से यौनशोषण की खबरें आम थीं. घरेलू दिखती अपने देश से आई अधेड़ावस्था को छू रही दोनों औरतें भला इतनी दूर आ कर बदकारी कैसे कर सकती हैं?

डेविड आर्थर ने अपनी साथी सोफिया वारेन की तरफ देखा. सोफिया वारेन ने नजर बचा कर अपने स्मार्टफोन से हवालात में बंद दोनों की फोटो खींच ली.

‘‘मिस्टर आर्थर, आप राजीनामा कर लें. अगर हम केस दर्ज कर चालान काटते हैं तब आप को अदालत में पेशियां भुगतने आना पड़ेगा.’’ थाना इंचार्ज ने कहा.

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‘‘मगर गलती हमारी नहीं है.’’

‘‘मिस्टर आर्थर यह सऊदी अरब है. आप बाहर से आए हैं. केस दर्ज हो जाने पर आप के खिलाफ दर्जनों गवाह गवाही देने के लिए हाजिर हो जाएंगे. तब आप पर उलटा मामला बनेगा, आप को सजा भी हो सकती है.’’

इस धक्केशाही पर दोनों तिलमिलाए.

‘‘मिस्टर आर्थर, हम चाहें तो आप की इस साथी को बदकारी करने के लिए उकसाने के इलजाम में अंदर कर सकते हैं. दरजन भर गवाह कह देंगे कि आप की यह साथी अश्लील इशारे कर के आतेजाते राहगीरों को फुसला रही थी.’’ थाना इंचार्ज कुटिलता से मुसकराया.

यह सुन कर मिस्टर डेविड आर्थर ने अपनी साथी की तरफ देखा. सोफिया वारेन ने सहमति से सिर हिलाया.

‘‘ओके सर.’’

सादे कागज पर राजीनामा लिखवाने के बाद दोनों थाने से बाहर की ओर चल दिए. एक नजर हवालात में बंद दोनों बेबस स्त्रियों की तरफ देख कर उन्हें आश्वासन देने का मूक इशारा किया. शहिदा बानो ने अपने दोनों हाथ मिला कर सजदा किया.

कार थाने से बाहर निकाल कर डेविड आर्थर ने थोड़ी दूर खड़ी कर दी और फिर अपने शक्तिशाली कैमरे से थाने की इमारत की कुछ फोटो खींचीं.

‘‘इन एशियाई देशों में सब पुलिस वाले एक जैसे हैं. हवालात में बंद दोनों औरतें यौनशोषण के लिए इनकार करने पर बदकारी के झूठे इलजाम में बंद हैं.’’ सोफिया वारेन ने कहा.

‘‘अब हम क्या करें?’’

‘‘आप अपना दिमाग इस्तेमाल करो, मैं अपना. मैं ने अपने स्मार्टफोन के वायस रिकौर्डर में थाने में हुई सारी बातचीत रिकौर्ड कर ली है, साथ ही काफी फोटो भी हैं.’’

शाम होतेहोते विश्व भर के अनेक टीवी चैनलों पर सऊदी अरब के दम्माम शहर के थाने में बंद 2 औरतों की फोटो दिखाई जाने लगीं. साथ ही दुर्घटनाग्रस्त कार की फोटो.

फोटोग्राफर और पत्रकार जोड़ी की स्टेटमेंट और लाइव बयान भी दिखाया जाने लगा. एमनेस्टी इंटरनेशनल के अरेबियन संभाग के अधिकारियों ने तुरंत सऊदी सरकार से संपर्क साधा. भारतीय दूतावास भी सक्रिय हुआ.

मात्र 24 घंटे के अंदर गुलबदन और शाहिदा बानो थाने से मुक्त हो गईं. साथ ही ब्यूटीपार्लर में कार्यरत सभी लड़कियों को भी मुक्त कराया गया.

सऊदी अरब से वापस लौटी शाहिदा बानो हवाईअड्डे पर अपने पति के कंधे से लग कर सुबकसुबक रो रही थी. सब कुछ समझने वाला अहमद सिराज खामोश था.

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Social Story In Hindi: सच्चाई सामने आती है पर देर से- भाग 2

ब्यूटीपार्लर की संचालिका ने एक नजर शाहिदा बानो के चेहरे पर डाली और समझ गई कि कि होम सर्विस की ड्यूटी निपटा आई थी.

शाहिदा बानो स्टाफरूम में चली गई. 5 ब्यूटीशियन लड़कियां चुपचाप इधरउधर बैठी थीं. तभी कमरे में लगा इंटरकौम बजा. एक लड़की ने रिसीवर उठा कर फोन सुना. फिर बाहर चली गई. चंद मिनटों बाद वापस लौटी. उस के हाथ में एक लिफाफा था.

लिफाफा उस ने शाहिदा बानो की तरफ बढ़ाया. प्रश्नवाचक नजरों से शाहिदा बानो ने उस की तरफ देखा.

‘‘मैडम ने कहा है, होम सर्विस के लिए मिली बख्शीश है. इसे ठुकराओ मत. धन सिर्फ धन ही होता है. धन को ठुकराना नहीं चाहिए.’’ उस ने लिफाफा शहिदा बानो के पास रख दिया.

शाहिदा बानो ने पहले लिफाफे की ओर फिर कमरे में बैठी पांचों लड़कियों की तरफ देखा. सब के चेहरे उन की एक जैसी कहानी बयान कर रहे थे.

तभी शाहिदा बानो का सेलफोन बजा. उस के पति का फोन था. रोजाना कभी वह फोन करती थी, कभी उस का पति.

रोज उत्साह से वह अपने पति को उस रोज की गतिविधियों के बारे में बताती कि आज ब्यूटीपार्लर में कितने ग्राहक निपटाए. बच्चे भी अपनी मम्मी से बारीबारी से चैट करते. मगर आज?

सेलफोन अटेंड करते ही शाहिदा बानो को जैसे करेंट लगा.

‘‘हैलो! कैसी हो? अपनी शाहिना ने सारे कालेज में टौप किया है. सारे मोहल्ले से बधाइयां मिल रही हैं. तुम को भी बधाई हो.’’ उस के पति अहमद सिराज का उत्साह भरा स्वर सुनाई दिया.

‘‘आप सब को भी बधाई हो.’’ शाहिदा बानो ने बुझे स्वर में जवाब दिया.

फिर तीनों बेटियों ने भी अपनी मम्मी से बात की. फोन बंद होने के बाद शाहिदा बानो खामोश हो गई. क्या करे? तभी इंटरकौम बजा. एक लड़की ने फोन सुना फिर रिसीवर रख कर शाहिदा बानो की तरफ देखते हुए कहा, ‘‘मैडम, कह रही हैं आप की ड्यूटी खत्म हुई. आप घर जाओ.’’

इस को सुन कर शाहिदा बानो का खून खौलने लगा. मगर वह विवश थी. उस ने अपना पर्स कंधे पर लटकाया और उठ कर बाहर की तरफ बढ़ी, ‘‘तुम्हारा लिफाफा.’’ फोन सुनने वाली अमीना ने मेज पर रखा लिफाफा उठा कर उस की तरफ बढ़ाया.

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शाहिदा बानो ने कशमकश भरी नजरों से लिफाफे की ओर देखा. उस की अस्मत लुटने की कीमत. क्या करे? उस की मन:स्थिति समझ कर अमीना ने उस का पर्स खोला और लिफाफा उस में डाल दिया.

हलकेहलके लड़खड़ाती सी चलती शाहिदा बानो ब्यूटीपार्लर से बाहर चली आई. सारे सपने सारी उम्मीदें एक झटके में खत्म हो गई थीं. ब्यूटीपार्लर द्वारा दिया स्कूटर छूते हुए उसे हाथ में आग सी लग रही थी.

जैसेतैसे फ्लैट में पहुंची. रोजाना उत्साह से खाना बनाती थी. मगर आज पानी भी नहीं पिया जा रहा था. बत्ती बुझा कर बिस्तर पर लेटी. काफी देर बाद पता नहीं कब उस की आंख लग गई.

काफी दिन चढ़े जब उस का सेलफोन थरथराया तो उस की नींद टूटी. उस ने स्क्रीन पर नजर डाली. ब्यूटीपार्लर की संचालिका का फोन था. स्विच औन करते ही मैडम का रौबीला स्वर गूंजा.

‘‘क्या हुआ, अभी तक नहीं आई?’’

‘‘मेरी तबीयत खराब है.’’

‘‘जब अपने शौहर के साथ हमबिस्तर होती हो तब तबीयत खराब नहीं होती?’’

शाहिदा बानो खामोश रही.

‘‘जल्द से जल्द हाजिर होओ वरना…’’ मैडम ने फोन काट दिया.

मैडम के स्वर में धमकी साफ थी. शाहिदा बानो फटाफट तैयार हो कर ब्यूटीपार्लर पहुंची.

‘‘आज दूसरी लड़कियां होम सर्विस को गई हैं. यहां कई क्लाइंट बैठी हैं, उन को अटेंड करो.’’ वेटिंग हाल में बहुत सी खातूनें मौजूद थीं.

शाहिदा बानो सब को बारीबारी से निपटाने लगी. सभी क्लाइंट्स निपट गईं तो शाहिदा बानो कैश काउंटर पर बैठी मैडम के पास पहुंची.

‘‘मेरा पासपोर्ट दे दीजिए और मेरा हिसाब कर दीजिए. मुझे वापस जाना है.’’ उस ने दृढ़ स्वर में कहा.

मैडम की भौंहें तन गईं.

‘‘तुम्हारा कौन्ट्रैक्ट 3 साल का है. मियाद से पहले तुम वापस नहीं जा सकती. चुपचाप काम करो वरना…’’

‘‘आप मेरी तनख्वाह जब्त कर लो, मगर मेरा पासपोर्ट दे दो.’’

‘‘मैं एक फोन करूंगी, 5 मिनट में पुलिस आ जाएगी. तुम्हें बदकारी के इल्जाम में अंदर कर देगी.’’ मैडम के स्वर में साफसाफ धमकी थी.

‘‘बदकारी..? मेरी अस्मत लुटवा कर मुझे बदकार कहती हैं.’’ शाहिदा बानो चिल्लाई.

‘‘यह सऊदी अरब है, तुम्हारा इंडिया नहीं. यहां जिस्मफरोशी सख्त अपराध है. इस की सख्त सजा है, चौराहे पर कोड़े लगाए जाएंगे. कम से कम 3 साल जेल की सजा काटनी पड़ेगी.’’ मैडम किसी वकील की तरह बोल रही थी.

शाहिदा बानो सहम गई. 5 हजार रियाल यानी 90 हजार रुपए महीना. सारे सपने, सारी उमंगें एकदम खत्म हो गईं. ब्यूटीपार्लर की आड़ में जिस्मफरोशी का एक रैकेट था. इस दलदल से, दुष्चक्र से क्या छुटकारा पा सकेगी?

वह खामोश हो कर सर्विस रूम में चली गई. होम सर्विस के लिए गई लड़कियां लौटने लगीं. सब के चेहरे खामोश थे. भुक्तभोगी शाहिदा बानो उन के चेहरे से उन की मन:स्थिति समझ रही थी. सब ने किस्मत और हालात से समझौता कर लिया था. स्टाफरूम में सब खामोश थीं. सब के चेहरे उन की मजबूरी बयान कर रहे थे.

सब अलगअलग देशों से, अलगअलग इलाकों से आई थीं. कई शादीशुदा थीं, कई कुंवारी. बड़ी रकम वाली तनख्वाह के बदले उन को अपना शरीर सौंपना पड़ा था.

आमतौर पर सब में हलकाफुलका वार्तालाप होता था. घरपरिवार की बातें होती थीं. सब के पासपोर्ट और कागजात ब्यूटीपार्लर की संचालिका के पास जमा थे. इकरारनामे की मियाद पूरी होने से पहले किसी को वापस नहीं भेजा जा सकता था.

इस का मतलब था मियाद खत्म होने तक सब को बारबार होम सर्विस के बहाने अपनी अस्मत लुटवानी थी.

सब के दिमाग में एक ही सवाल था, मगर अनजाने भय से सब खामोश थीं. क्या पता स्टाफरूम में कोई टेपरिकौर्डर लगा हो. क्या पता कोई सीसीटीवी कैमरा उन पर नजर रख रहा हो.

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वास्तव में ब्यूटीपार्लर के हर कक्ष में गुप्त कैमरे फिट थे. ब्यूटीपार्लर की संचालिका या मैडम अपनी सीट पर बैठी सामने रखी स्क्रीन पर नजर डाल हर जगह की खबर रखती थी.

शाम का अंधेरा छाया. ब्यूटीपार्लर बंद हुआ. सब अपनीअपनी स्कूटी, स्कूटर पर सवार हो अपने घर चलीं.

होम सर्विस की ड्यूटी भुगते शाहिदा बानो को 4 दिन बीत गए. ब्यूटीपार्लर की असलियत सामने आने पर काम के प्रति सारा उत्साह ठंडा पड़ गया. पार्लर में आने वाले ग्राहकों को अब वह बड़ी फुरती से निपटाती थी.

‘‘गुलबदन…’’ इंटरकौम पर मैडम की आवाज गूंजी.

‘‘जी, फरमाइए.’’

‘‘तुम्हें और शाहिदा बानो को होम सर्विस पर जाना है.’’

‘‘इकट्ठे?’’

‘‘शेख अब्दुल्ला बिन मोहम्मद अब्दुल्ला के यहां बड़ा प्रोग्राम है. कई खातूनें मसाज करवाना चाहती हैं. उन की कार अभी थोड़ी देर में आ रही है.’’

मैडम का फरमान सुन कर गुलबदन खामोश रही. शाहिदा बानो सहम गई. एक दरिंदे को 4 दिन पहले सह चुकी थी. अब पता नहीं क्या होगा.

‘‘अगर मैं ना जाऊं तो?’’ शाहिदा बानो के इस सवाल का जवाब गुलबदन क्या देती. इस से पहले इंटरकौम का बजर बजा. मैडम का स्वर गूंजा, ‘‘इनकार करने की सूरत में थाने से लेडी पुलिस के साथ पुलिस इंसपेक्टर आएगा और तुम्हें बदकारी के इलजाम में हवालात में बंद कर देगा. थाने में भी होम सर्विस करनी पड़ेगी.’’

स्टाफरूम में बैठी सब सहम गईं. ब्यूटीपार्लर के बाहर कार लगते ही शाहिदा बानो और गुलबदन चुपचाप पिछली सीट पर बैठ गईं.

अरब शेख अब्दुल्ला बिन मोहम्मद अब्दुल्ला का विला या महल काफी आलीशान था. एक बुरकाधारी खातून उन को लिवा कर जनानखाना में ले गई.

अधेड़ और नौजवान लड़कियों का समूह उन का इंतजार कर रहा था. किसी पुरुष की जगह औरतों को देख कर दोनों आश्वस्त हुईं.

विला में सभी सुविधाओं से युक्त ब्यूटीपार्लर था. सब औरतें बारीबारी से अपनी सर्विस करवाने लगीं. सब निपट गईं तो दोनों ने राहत की सांस ली. मगर क्या उन की ड्यूटी समाप्त हो गई थी?

सब औरतें चली गईं तब उन को अंदर लिवा लाने वाली खातून ने कहा, ‘‘आप दोनों को अंदर जनानखाने में भी सर्विस करनी है.’’

जनानखाना महल के काफी अंदर एक लंबा गलियारा पार कर के था.

पुराने जमाने के मुसलिम शासकों के महलों की साजसज्जा. बड़ा हाल कमरा सजा था. फर्श पर धवल सफेद गद्दा बिछा था. गावतकिए के सहारे एक अधेड़ अरब शेख जिस के चेहरे पर खिचड़ी दाढ़ी थी, बैठा था.

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उस के हाथ में सुनहरे रंग की नक्काशीदार धुआं खींचने वाली पाइप थी, जिस का दूसरा सिरा एक नक्काशीदार सुनहरे हुक्के से जुड़ा था.

उस के पास अरबी चुस्त पोशाक पायजामा और चोली पहने एक लड़की बैठी थी, जिस के हाथ में एक सुराही थी और एक प्याला.

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