Film Review: जानें कैसी है आलिया भट्ट और संजय दत्त की फिल्म ‘सड़क 2’

रेटिंगः एक स्टार

निर्माता: विशेष फिल्म्स
निर्देशन: महेश भट्ट
कलाकार: संजय दत्त, आलिया भट्ट, प्रियंका बोस, मकरंद देशपांडे, आदित्य राय कपूर, जिशु सेनगुप्ता, मोहन कपूर, अक्षय आनंद व अन्य.
अवधि: 2 घंटे 14 मिनट
ओटीटी प्लेटफार्म: हॉटस्टार डिजनी

1991 महेश भट्ट निर्देशित फिल्म ‘सड़क’को लोगों ने काफी पसंद किया था. इस फिल्म में संजय दत्त और पूजा भट्ट की प्रेम कहानी में नयापन नहीं था. लेकिन जिस ढंग से पेश किया गया था, वह लोगों को भा गया था. आज महेश भट्ट लगभग 30 साल बाद एक बार फिर उसी सफलतम फिल्म ‘‘ सड़क ‘‘ का सिक्वल ‘‘ सड़क दो ‘‘ लेकर आए हैं. मगर इस बार वह बुरी तरह से मात खा गए.

30 वर्ष पुरानी फिल्म ‘‘ सड़क‘‘ की सिक्वल फिल्म ‘‘सड़क दो‘‘ बदले की कहानी के साथ-साथ अंधविश्वास व ढोंगी बाबाओं के खिलाफ की कहानी है.

कहानीः

यह कहानी आर्या देसाई( आलिया भट्ट )की है, जिसे लगता है कि उसकी मौसी नंदिनी ने उसकी मां शकंुतला की हत्या करवाकर उसकी मां की सारी संपत्ति पर कब्जा करने के लिए उसके पिता योगेश देसाई(जिशु सेन गुप्ता) से शादी की है. अब नंदिनी (प्रियंका बोस ) धर्म गुरू ज्ञान प्रकाश (मकरंद देषपांडे) के साथ मिलकर उसकी हत्या करवाना चाहती है. क्याेंकि सात दिन बाद 21 वर्ष की उम्र होने पर सारी संपत्ति की मालकिन आर्या हो जाएगी. इसीलिए उसे पागलखाने भिजवा दिया जाता है. आर्या पागलखाने से भागती हैं. अब आर्या को नंदिनी व ज्ञान प्रकाश से अपनी मां की मौत का बदला लेना है. वह रवि वर्मा(संजय दत्त) के पास पहुंचती हैं. रवि वर्मा अपनी स्वर्गवासी पत्नी पूजा(पूजा भट्ट) की याद में आत्महत्या करने का असफल प्रयास कर चुके हैं. वास्तव में आर्या ने अपने प्रेमी विशाल (आदित्य रॉय कपूर ) के साथ कैलाश पर जाने के लिए पूजा की कंपनी ‘पूजा टूर एंड ट्रवेल्स’ में कार बुक रवायी थी. विशाल रानीखेत की जेल में है, और उसी दिन उसे रिहा किया जाना है.

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रवि खुद टैक्सी ड्रायवर बनकर आर्या के साथ उसे कैलाश तक पहुंचाने के लिए निकलता है. रास्ते में रानीखेत से विशाल को लिया जाता है. उधर योगेश, नंदिनी व ज्ञान प्रकाश के गंुडे आर्या को मौत के घाट उतारने के लिए प्रयासरत हैं. पता चलता है कि विशाल का असली नाम मुन्ना चैहाण है, पर वह तो ज्ञान प्रकाश के कहने पर विशाल नाम से आर्या से मिला था और उसकी हत्या करना चाहता था. पर प्यार कर बैठा और आर्या के साथ अंधविश्वास के खिलाफ मुहीम का हिस्सा बन गया. कहानी आगे बढ़ती है. आर्या पर हमला होता है, पर रवि बचा लेते हैं. कहानी में कई मोड़ आते हैं. एक दिन योगेश, नंदिनी को मार डालता है और फिर वह विशाल व आर्या दोनों को मारने के लिए दिलीप हथकटा (गुलशन ग्रोवर) को भेजते है. तब आर्या को सच पता चलता है कि नंदिनी ने नहीं उसके पिता योगेश ने ही धन, शोहरत व ताकत के लिए ज्ञान प्रकाश के साथ मिलकर उसकी हत्या करनी चाही. अंततः रवि मारे जाते हैं, पर मरने से पहले वह योगेश, ज्ञान प्रकाश सहित सभी बुरे इंसानों का खात्मा कर देते हैं.

लेखन व निर्देशनः

बेहद कमजोर कहानी व पटकथा वाली फिल्म ‘‘सड़क 2’’ यातना व सिर दर्द के अलावा कुछ नही देती. अति धीमी गति से बिना प्रभाव डाले खत्म होती है. कहानी में कुछ भी नयापन नही है. ‘‘सड़क 2‘‘ देखने के बाद दिल बार-बार सवाल करता है कि क्या इस फिल्म का निर्देशन वास्तव में सड़क, जख्म, नाम, डैडी, सारांश व अर्थ जैसी सशक्त फिल्मों के सर्जक महेश भट्ट ने किया है. ‘‘ जख्म ‘‘ का निर्देशन करने के बाद महेश भट्ट ने निर्देशन से संयास ले लिया था. और अब पूरे 20 साल बाद जब उन्होंने पुनः ‘‘ सड़क 2 ‘‘ से निर्देशन में वापसी की है, तो लगता है कि उनके अंदर निर्देशन की सारी धार खत्म हो चुकी है. वह लेखक और निर्देशक दोनों स्तर पर भटक गए हैं. एक गंभीर कथानक को जिस तरह से उन्होने हास्य का जामा पहनाया, उससे फिल्म एकदम बेकार हो गयी. यह फिल्म धर्मगुरूओं या अंधविष्वास के खिलाफ नहीं, बल्कि महज घरेलू झगड़े व बदले की अति पुरानी कहानी है. फिल्म का हर दृश्य अविश्वसनीय लगता है.

अभिनयः

इस फिल्म का सषक्त पहलू सिर्फ संजय दत्त्त का अच्छा अभिनय है, जिन्हे महेश भट्ट के घटिया निर्देशन व कमजोर पटकथा के चलते दोहरी मेहनत करनी पड़ी. महेश भट्ट ने अपने निर्देशन में एक बेहतरीन अदाकारा आलिया भट्ट के अभिनय का स्तर गिरा दिया. आलिया भट्ट कहीं से भी प्रभावित नही करती. मुन्ना चैहाण उर्फ विशाल के किरदार में आदित्य राॅय कपूर बुरी तरह से मात खा गए हैं. वैसे भी अभी तक आदित्य राॅय कपूर ने किसी भी फिल्म में खुद के सशक्त अभिनेता होने का परिचय नही दिया है. गुलशन ग्रोवर जैसे बेहतरीन कलाकार की प्रतिभा को जाया किया गया है. गुलशन ग्रोवर ने ‘सड़क 2’में क्या सोचकर अभिनय किया, यह समझ से परे है. बाबा ज्ञान प्रकाश के किरदार में मकरंद देशपांडे भी नहीं जमे, वह महज कैरीकेचर बनकर रह गए है. जिशु सेन गुप्ता ने भी निराश किया है. प्रियंका बोस के हिस्से करने को कुछ खास रहा नही. अन्य सह कलाकार जर्जर हालत में ही हैं.

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फैमिली के साथ काम करना बिल्कुल अलग होता है– आलिया भट्ट

फिल्म स्टूडेंट ऑफ़ द इयर में मुख्य अभिनेत्री के रूप में अभिनय करने  वाली आलिया भट्ट ने कई सफल फिल्में की और अपनी एक अलग पहचान बनायीं. फ़िल्मी माहौल में पैदा हुई अलिया को अभिनय के अलावा कुछ और पसंद नहीं था. पढाई ख़त्म करने के बाद उन्होंने अभिनय शुरू किया. अभी आलिया की फिल्म ‘सड़क 2’ डिजनी प्लस और हॉट स्टार पर रिलीज होने वाली है, जिसे लेकर वह बहुत उत्सुक है, क्योंकि पहली बार वह अपनी पिता की प्रोडक्शन हाउस में पूजा भट्ट के साथ काम किया है और दर्शकों की प्रतिक्रिया जानना चाहती है.

वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उसका कहना है कि मैं जब स्कूल में थी, तो ‘सड़क’ फिल्म के गाने कभी-कभी सुनती थी, जो काफी हिट थी. मुझे मेरे पिता के साथ काम करने की बहुत इच्छा थी. वह मेरा सपना पूरा हुआ है, क्योंकि परिवार के सभी सदस्यों के साथ काम करने का अनुभव अलग ही होता है. इसमें मैंने आदित्य, संजय दत्त और पूजा के साथ काम किया है. मैं उस फिल्म को लेकर आज भी नर्वस हूं. परिवार वालों ने ही मुझे इतनी ऊंचाई पर पहुंचने में मदद की है. परिवार के साथ काम करने में एक इमोशन जुड़ा होता है. जो मुझे शूटिंग के दौरान अनुभव हुआ. मेरे पिता कहते है कि फिल्ममेकर की डेस्टिनेशन दर्शकों के दिल तक पहुंचना होता है.

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लॉक डाउन के दौरान अलिया ने गिटार सीखना शुरू किया है, जिसकी इच्छा उसे सालों से थी. उनका कहना है कि मुझे लगा था कि गिटार सीखना आसान होगा, लेकिन जब सीखने गयी तो ये बहुत कठिन लगा, पर मैं इसे सीखूंगी. इसके अलावा मैंने मैडिटेशन, बेकिंग और टीवी पर कई बेहतरीन शोज देखी, जो मैं शूट के दौरान मिस करती थी. परिवार के साथ समय बिताना भी अच्छा लग रहा है.

अलिया ने हर तरह की फिल्में की, क्योंकि उन्हें अलग फिल्मों के करने में चुनौती का अनुभव होता है. हर फिल्म को करने से पहले वह उसे अच्छी तरह से पढ़ती है और उससे सम्बंधित तैयारियां करती है. यही वजह है कि उसकी सभी फिल्में कमोवेश सफल रही. फिल्मों को चुनने से पहले वह अपनी भूमिका की अहमियत उस फिल्म में देखती है. जोनर एक होने पर भी उसकी कहानी अलग होना जरुरी होता है. हर फिल्म में रिस्क लेना उसे पसंद है. वह कहती है कि रिस्क लेने के नाम पर रिस्क नहीं लेना चाहिए. अगर कुछ आपको अच्छा लग रहा है और आप ये भी सोच रहे है कि इसमें रिस्क है, बिना अधिक सोचें उसे स्वीकार कर लेना चाहिए. कोई भी प्रोजेक्ट अच्छी होनी चाहिए और उसमें चुनौती हो, उसे भी स्वीकार कर लेना चाहिए. कई बार ये गलत भी हो सकता है,पर उससे मायूस नहीं होना चाहिए. अगर आप एक्सपेरिमेंट नहीं करेंगे, तो खुद की पोटेंशियल को समझ नहीं पायेंगे.

आलिया अपनी मां के बेहद करीब है, जब भी कोई समस्या उसके जीवन में आई मां साथ रही. मां के अलावा आलिया पूजा और शाहीन दोनों बहनों से काफी प्रेरित है. दोनों के साथ भी वह अपने मन की बात हमेशा शेयर करती है.

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