सीसैक्शन और 2 बार अबौर्शन के बाद सेफ प्रैग्नेंसी के लिए टिप्स बताएं?

सवाल-

मेरा पहला बच्चा सीसैक्शन से हुआ था. उस के बाद 2 बार मेरा गर्भपात हुआ. कृपया सुरक्षित तरीके से गर्भधारण करने की सलाह दें?

जवाब- 

सीसैक्शन डिलिवरी आगे गर्भधारण की संभावना को प्रभावित करती है. गर्भपात का कारण अधिक उम्र और आनुवंशिक रूप से असामान्य गर्भधारण है. चूंकि आप ने अपनी उम्र का उल्लेख नहीं किया है तो यह मानते हुए कि रोगी की उम्र 35 वर्ष से अधिक है तो भू्रण के आनुवंशिक परीक्षण के साथसाथ आईवीएफ की सलाह दी जाती है. सीसैक्शन का जख्म अल्ट्रासाउंड पर देखा जा सकता है और भू्रण का प्लेसमैंट उस के अनुसार किया जा सकता है. यदि आप 35 वर्ष से कम उम्र की हैं और उस के बावजूद

2 बार गर्भपात का सामना करना पड़ा है तो मैं आप को सलाह दूंगी कि गर्भधारण करने से पहले किसी फर्टिलिटी विशेषज्ञा से सलाह लें. यह देखा गया है कि संभावित गर्भावस्था में गर्भपात का अनुमानित जोखिम एक गर्भपात के बाद लगभग

20% रहता है. लगातार 2 गर्भपात के बाद एक और गर्भपात का जोखिम लगभग 28% तक बढ़ जाता है और लगातार 3 या इस से अधिक गर्भपात के बाद अगले गर्भपात का जोखिम लगभग 43% होता है.

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कोविड-19 ने हर व्यक्ति के जीने का तरीका पूरी तरह से बदल दिया है. देश में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. प्रैग्नेंट महिलाओं में इस संक्रमण का खतरा ज्यादा है. दरअसल, प्रैग्नेंट महिलाओं को वक्तवक्त पर जांच की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन कोरोनाकाल में उन का बाहर जाना खतरे से खाली नहीं है. घर से बाहर न जाना पड़े इसलिए गाइनेकोलौजिस्ट प्रैग्नेंट महिलाओं को औनलाइन वीडियो कंसल्टेशन के जरीए परामर्श दे रहे हैं.

अच्छी खबर यह है कि यह वायरस प्लेसेंटा के पार नहीं जा सकता है. इस का अर्थ यह है कि गर्भ में पल रहे बच्चे को इस वायरस से कोई खतरा नहीं है. लौकडाउन के दौरान एक कोरोना पौजिटिव महिला ने बिलकुल स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया. लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि आप अपनी सेहत या अपनी प्रैगनैंसी को ले कर लापरवाह हो जाएं, क्योंकि ऐसा करना आप और आप के होने वाले बच्चे के लिए बिलकुल सही नहीं होगा.

कोरोना वायरस के कारण बढ़ा तनाव का स्तर

हारमोनल बदलावों के कारण प्रैग्नेंट महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है. ऐसे में उन में तनाव, डिप्रैशन, चिंता, गुस्सा, मूड स्ंिवग्स आदि आम समस्याएं बन जाती हैं. इसलिए इस महामारी के दौरान उन्हें अपने स्वास्थ्य का खास खयाल रखने की आवश्यकता है. कोरोना का खतरा उन में ज्यादा है, यह जान कर तनावग्रस्त होना स्वाभाविक है. लेकिन एक प्रैग्नेंट महिला पर यह तनाव बहुत भारी पड़ सकता है.

आइए, जानते हैं कि कोरोना वायरस के दौरान प्रैग्नेंट महिलाओं को किनकिन बातों का ध्यान रखना चाहिए और किस प्रकार की सावधानी बरतनी चाहिए ताकि जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहें:

पूरी खबर पढ़ने के लिए- डाक्टर्स से जानें कोरोना में कैसे सेफ रहें प्रैग्नेंट महिलाएं

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