सोच समझकर इस्तमाल करें क्रेडिट कार्ड

क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग सुविधाजनक है और कैश हाथ में न होने पर भी जरूरत का सामान आसानी से लिया जा सकता है. लेकिन समझदारी से इसका यूज नहीं करने पर आप बहुत बड़ी परेशानी में फंस सकती हैं. 500-1000 के नोट बैन के बाद तो क्रेडिट कार्ड और भी महत्वपूर्ण हो गया है.

हालांकि यह भी सच है कि क्रेडिट कार्ड से खरीदारी के दौरान थोड़ा लालच बढ़ जाता है और तब खुद पर कंट्रोल करना मुश्किल होता है. ऐसे में थोड़ी समझदारी दिखाना जरूरी है. ऐसा न हो कि आप एक ही बार में क्रेडिट कार्ड की सारी लिमिट खत्म कर दें और फिर बाद में इंस्टॉलमेंट देने पर आपको परेशानी हो या जरूरी खर्चे तक रोकने की नौबत आ जाए.

क्रेडिट कार्ड फायदे की चीज है. तो जानते हैं ऐसे 5 टिप्स, जो अच्छी खरीदारी के साथ ही क्रेडिट कार्ड को समझदारी से इस्तेमाल करने का तरीका भी बताएंगे.

1. क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग करते समय हर बार आप रिवार्ड पॉइंट्स कमाते हैं. अक्सर 100-250 की खरीद पर आपको 1 पॉइंट मिलता है. हालांकि यह अलग-अलग कार्ड और बैंक पर डिपेंड करता हैं. समझदारी इसी में है कि आप अपने जुटाए हुए पॉइंट्स से अपडेट रहें और शॉपिंग की पेमेंट करने के दौरान इनको भी यूज कर लें. इस तरह आपको खासी बचत मिल सकती है.

2.  क्रेडिट कार्ड से खरीदारी के बाद अपने मोबाइल में सारी पेमेंट डीटेल और इंस्टालमेंट के रिमाइंडर लगा लें, जिससे आपको याद रहे कि ड्यू डेट से पहले ही आपको इसे क्लीयर कर देना है ताकि बाद में ब्याज का ज्यादा बोझ न पड़ें. कोशिश करें कि जब तक आप पहले वाली पेमेंट न कर दें, तब तक और शॉपिंग न करें.

3. फालतू के खर्च से बचने की कोशिश करें. कभी भी बंपर ऑफर्स या सेल को देखकर यह न सोचें कि सारा फायदा अभी ही उठा लें. हमेशा ध्यान रखें कि कंपनियां और ब्रांड्स अक्सर कोई न कोई ऑफर लेकर आते ही रहते हैं. ऐसे में लालच में न पड़े. वरना बाद में ब्याज समेत इसका ज्यादा बोझ आपकी जेब पर पड़ सकता है.

4. बजट से थोड़ा कम ही खर्च करने का टारगेट बनाएं. अगर आपके क्रेडिट कार्ड की लिमिट 1 लाख है तो कोशिश करें कि आप 80 हजार में ही अपनी शॉपिंग निपटा लें. ऐसा करने से जरूरत के समय आप इस बचाए हुए क्रेडिट का इस्तेमाल कर पाएंगे.

5. हर महीने अपने क्रेडिट कार्ड की स्टेटमेंट सावधानी से चेक करने की आदत डालें. एक अच्छा तरीका यह भी है कि आप क्रेडिट कार्ड के जरिए खरीदे गए सामान का बिल हमेशा पेमेंट क्लीयर होने तक संभाल कर रखें. इससे आप आसानी से स्टेटमेंट के साथ बिल को वैरिफाई कर पाएंगे कि कहीं कोई एक्सट्रा चार्ज तो नहीं लगा या कोई और गड़बड़ी तो नहीं है.

इसके अलावा साइबर सिक्योरिटी भी एक बड़ा मुद्दा है. कभी भी अपने क्रेडिट कार्ड का पिन नंबर और सिक्योरिटी कोड किसी को न दें. इसमें आपके पैसे की ही सुरक्षा है.

जानें एटीएम कार्ड सुरक्षित रखने के 12 टिप्स

देश के सबसे बड़े बैंक ने एटीएम से बढ़ते फ्रॉड को देखते हुए यूजर्स के लिए 12 गोल्डेन टिप्स बनाए हैं. जिन्हें इस्तेमाल कर आप अपने एटीएम कार्ड को किसी भी तरह के रिस्क से सेफ करते हैं. आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार बैंकों के पास सबसे ज्यादा शिकायतें एटीएम कम डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड से होने वाले फ्रॉड की आती है.

60 फीसदी कार्ड हाई रिस्क पर

कुल शिकायतों में 22 फीसदी तक शिकायतें इसी से रिलेटेड होती है. इसके अलावा अभी भी देश में 60 फीसदी डेबिट और क्रेडिट कार्ड हाई रिस्क में आते हैं. इसे देखते हुए एसबीआई के ये 12 गोल्डेन टिप्स यूज कर फ्रॉड से अपने आप को बचा सकते हैं.

1. हमेशा  ATM  की ग्रीन लाइट का रखें ध्यान

बैंक के अनुसार ज्यादातर यूजर्स एटीएम से पैसा निकालते वक्त उसमें ब्लिंक करने वाली लाइट पर ध्यान नहीं देते हैं. ऐसे में फ्रॉड होने के चांस बढ़ जाते हैं. इसे देखते हुए यह जरूरी है एटीएम से निकलने के पहले यह जरुर चेक कर लें, कि लाइट ग्रीन कलर में ब्लिंक करने लगी हो. ऐसा होने के बाद ही आपका ट्रांजैक्शन पूरी तरह से सेफ होता है.

2. एटीएम स्लिप को हमेशा रखें पास

एटीएम स्लिप को कभी भी उसके केबिन में मत फेंके. बैंक के अनुसार स्लिप में आपके बैंक अकाउंट की डिटेल होती है. ऐसे में स्लिप का इस्तेमाल अकाउंट हैक करने में किया जा सकता है. स्लिप को हमेशा छोटे-छोटे टुकड़ों में फाड़कर भी डस्टबिन में फेंके. इसके लिए कोशिश करें की स्लिप प्रिंट करने का ऑप्शन एटीएम को न दें, क्योंकि आपके सारे ट्रांजैक्शन डिटेल ऑनलाइन और मोबाइल पर आ ही जाती है.

3. कार्ड स्वैप करते समय कभी न करें ये गलतियां

बैंक के अनुसार शॉपिंग करते वक्त कई बार यूजर अपने कार्ड को सर्विस मैन को स्वैप करने के लिए दे देते हैं. ऐसा अकसर पेट्रोल पंप, रेस्टोरेंट , या शॉपिंग मॉल में होता है. यूजर्स को कभी ऐसा नहीं करना चाहिए. बैंक के अनुसार इस तरह के भी मामले आए हैं, कि यूजर्स यह सोच कर सर्विस मैन को पिन भी बता देते हैं, कि यह सामने ही यूज करेगा. इस तरह के कदम नुकसान दे होते हैं. ऐसा करने से आपका डाटा चोरी हो सकता है.

4. पिन डालते समय रहें सावधान

शॉपिंग के दौरान पिन डालते समय होटल, शॉप, पेट्रोल पंप या दूसरी जगहों पर यूजर सेफ्टी का ध्यान नहीं देते हैं. वह अपने पिन को बिना छुपाए फीड करते हैं. ऐसे में पिन की जानकारी लीक होने का डर होता है. इसी तरह एटीएम में पैसे निकालते वक्त भी यूजर पिन फीड करने में सेफ्टी नहीं बरतते हैं. उस समय भी डाटा लीक होने का डर बना रहता है.

5. अस्थायी स्टॉल से शॉपिंग करते समय रहें सावधान

बैंक के अनुसार आजकल ऑनलाइन शॉपिंग के ऑप्शन बहुत सारे अस्थायी इवेंट में भी मौजूद होते हैं. मसलन आईपीएल मैच, प्रोकबड्डी मैच, ट्रेड फेयर, ऑटो फेयर, कई सारी प्रदर्शनी, दूसरे स्टेज शो में भी कई सारे अस्थायी स्टॉल लगाए जाते हैं. वहां पर भी कार्ड से पेमेंट होता है. ऐसे में वहां कार्ड पेमेंट से बचें या फिर केवल रेप्युटेड कंपनी के स्टॉल पर ही कार्ड का यूज करें.

6. पुराने कार्ड से भी डाटा होता है चोरी.

ज्यादातर बैंक एक कार्ड की लाइफ 3 से 4 साल रखते हैं. ऐसे में जब वह कार्ड एक्सपायर होता है, तो उसके बदले में बैंक आपको नया कार्ड आपके एड्रेस पर भेज देते हैं. ऐसे में हम अपने पुराने कार्ड को कई बार इधर-उधर यह सोच कर फेक देते हैं, कि वह अब बेकार हो गया है. ऐसा लेकिन नहीं होता है, उस कार्ड पर आपका 16 या 19  डिजिट नंबर होता है. जिसका इस्तेमाल हैकर कर सकते हैं. ऐसे में नया कार्ड मिलने पर पुराने कार्ड को जरुर नष्ट करें.

7. बैंक अकाउंट को Insta Alert डालें.

कई बार हम अपने अकाउंट नंबर को मोबाइल से लिंक करते हैं. ऐसे में एटीएम से फ्रॉड होने पर हमें रियल टाइम जानकारी नहीं मिलती है. ऐसे में अपने अकाउंट को हमेशा आपके द्वारा यूज किए जाने वाले मोबाइल नंबर से जरूर लिंक करें. उसमें भी इंस्टा अलर्ट फैसिलिटी बैंक से ले. इसके अलावा अकाउंट को अपने ई-मेल से भी लिंक रखे. इससे आप 24 घंटे अपने अकाउंट पर नजर रख सकते हैं.

8. बैंक से मांगे ईवीएम चिप वाले कार्ड

नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के अनुसार देश में करीब 60 फीसदी कार्ड ऐसे हैं, जो मैगनेटिक चिप वाले हैं. जो कि अभी नए फ्रॉड के तरीकों से पूरी तरह से सेफ नहीं है. ऐसे बैंकों को साल 2018 तक ईवीएम चिप वाले कार्ड पर शिफ्ट होना है और पुराने कार्ड को रिप्लेस करना है. ऐसे में अगर आपके पास मैगनेटिक चिप वाला कार्ड हैं, तो उसे रिप्लेस कराएं और ईवीएम चिप वाला कार्ड लें.

9. एटीएम के बैक साइड पर अपना साइन जरूर करें.

10. इसके अलावा एक निश्चित समय पर अपने एटीएम का पिन जरुर चेंज करें.

11. पिन नंबर को हमेशा याद करें, कहीं लिखे नहीं, चाहे वह फोन हो या फिर आपका ई-मेल आईडी.

12. कभी भी किसी बैंक, आरबीआई, बैंकिंग कॉरस्पॉडेंट, एजेंट आदि को अपना पिन नंबर न बताएं.

तो होम लोन लेना हो जाएगा आसान

हर इंसान का सपना होता है कि उस का अपना एक प्यार खूबसूरत सा घर हो. इस सपने को साकार करने के लिए वह उधार लेने को भी तैयार रहता है. बैंकों तथा नौनबैंकिंग फाइनैंशियल कौरपोरेशन द्वारा इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु होम लोन की सुविधा उपलब्ध है. सरल किस्तों में कम ब्याज पर होम लोन एक सुरक्षित लोन है जो कौलेटरल के रूप में प्रौपर्टी खरीदने के लिए प्राप्त किया जाता है.

होम लोन किफायती ब्याज दरों पर लंबी अवधि के लिए अधिक रकम की फंडिंग प्रदान करते हैं. यह रकम बाद में ईएमआई के माध्यम से चुकाई जाती है. ईएमआई पूरी होने के बाद प्रौपर्टी आप के नाम हो जाती है. पर यदि आप पूरी रकम का भुगतान नहीं कर पाते यानी ईएमआई बीच में देना बंद कर देते हैं तो प्रौपर्टी की बिक्री से बकाया लोन राशि को रिकवर करने का कानूनी अधिकार ऋणदाता के पास होता है.

यदि सरल भाषा में समझें तो आप की संपत्ति आप के उधारदाता के पास गिरवी रहेगी. आप प्रतिमाह निश्चित ईएमआई की रकम उसे देते रहेंगे. कुल मूलधन तथा ब्याज जब आप वापस कर देते हैं तो वह संपत्ति आप को मिल जाती है. न्यूनतम ब्याज 6.50% होता है जो संबंधित बैंक या एनबीएफसी के द्वारा निश्चित होता है. ब्याज दर आप के सीआईबीआईएल स्कोर और प्रौपर्टी किस एरिया में है इस से भी निर्धारित होती है.

डिफाल्टर न बने

सीआईबीआईएल का फुल फौर्म है क्रैडिट इनफौर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड. इस का कार्य है किसी व्यक्ति की लोने के लिए साख तथा वित्तीय स्थिति तय करना. क्रैडिट स्कोर 3 अंकों की संख्या होती है जो 300 से 900 के बीच होती है. होम लोन के लिए योग्य होने के लिए सीआईबीआईएल स्कोर 700 से ऊपर रहना चाहिए अर्थात तब आसानी से होम लोन मिल जाता है.

सीआईबीआईएल स्कोर को सही रखने के लिए जरूरी है कि आप अपने अन्य ऋणों की ईएमआई का समय पर भुगतान करें, क्रैडिट कार्ड की लिमिट्स का ध्यान रख कर ही उपयोग करें, किसी पूर्व के ऋण वापसी में आप डिफाल्टर न हों.

प्रौपर्टी के मूल्य का अधिकतम 80% तक होम लोन के रूप में लिया जा सकता है. नया घर खरीदने, नया घर बनाने, घर की मरम्मत करने या पुनर्निर्माण के लिए या फिर प्लाट खरीदने के लिए होम लोन आसानी से मिल जाता है.

नौकरीपेशा व्यक्ति को होम लोन लेने के लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड के साथसाथ 3 महीने की सैलरी स्लिप और 6 महीने की बैंक स्टेटमैंट देनी होती है. व्यवसायी से 1 साल की बैंक स्टेटमैंट मांगी जाती है. साथ ही प्रौपर्टी के पेपर्स जांच के लिए देने पड़ते हैं. आप के सीआईबीआईएल स्कोर तथा प्रौपर्टी के मूल्य के आधार पर होम लोन की राशि स्वीकृत होती है.

किसी भी बैंक या संस्था से होम लोन लेने के पहले सभी पेपर्स की जांच स्वयं करें. ब्याज का प्रतिशत कितना है यह अवश्य जांच लें. जागरूकता के साथ लिए होम लोन से आप अपने घर के सपने को साकार कर सकते हैं, किराए के घर की जगह अपने स्वयं के घर के स्वामी बन सकते हैं. होम लोन की ईएमआई की रकम में टैक्स बैनिफिट भी लेना संभव है.

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आप को कितना लोन मिल सकता है

बैंक आप की कमाई के हिसाब से लोन देता है. दरअसल, आप की होम लोन लेने की क्षमता उसे चुकाने की कैपैसिटी पर निर्भर करती है. यह आप की मासिक कमाई, खर्च और परिजनों की कमाई, संपत्ति, देनदारी जैसे मसलों पर निर्भर करती है.

बैंक सब से पहले यह देखते हैं कि आप समय पर होम लोन चुका पाएंगे या नहीं. आमतौर पर कोई बैंक या कर्ज देने वाली कंपनी का ध्यान इस बात पर जाता है कि आप अपनी मासिक आमदनी का 50% होम लोन की किस्त के रूप में दे पाएंगे या नहीं. इस के अलावा बैंक होम लोन के लिए उम्र की ऊपरी सीमा भी फिक्स कर चलते हैं.

किसी मकान या फ्लैट की कीमत का 10 से 20% तक डाउन पेमैंट करनी पड़ती है यानी प्रौपर्टी की वैल्यू का 80-90% तक लोन मिल सकता है. इस में रजिस्ट्रेशन, ट्रांसफर और स्टांप ड्यूटी जैसे चार्ज भी शामिल होते हैं. अगर कर्ज देने वाली संस्था आप को ज्यादा रकम होम लोन के रूप में देने को तैयार है तब भी जरूरी नहीं कि आप सारी रकम लोन के रूप में ले लें. समझदारी इसी में है कि आप अधिक से अधिक अमाउंट डाउन पेमैंट कर दें ताकि लोन का बोझ कम से कम रहे और आप को ब्याज के रूप में बहुत ज्यादा रकम लंबे समय तक न देनी पड़े.

होम लोन लेने की पात्रता

आप की प्रति माह की कुल आय का 60 गुना लोन मिल सकता है. अगर आप ने कोई दूसरा लोन लिया है जो चालू है तो लोन देने वाला बैंक उस की मासिक किस्त आप की आमदनी से घटाने के बाद होम लोन की रकम पर विचार करेगा. अगर आप होम लोन लेना चाहते हैं, मगर आप का क्रैडिट स्कोर सही नहीं है या आप के पिछले किसी लोन/उधार के भुगतान में चूक हुई है तो बैंक लोन देने से मना कर सकता है.

आमतौर पर बैंक आप की कुल मासिक आय के 40 से 50% रकम को व्यक्तिगत खर्च के लिए जरूरी मानते हैं. इस के बाद बची रकम के हिसाब से होम लोन दिया जाता है.

उदाहरण के लिए अगर आप की मासिक आमदनी 60 हजार रुपए है तो बैंक यह मानता है कि आप का पर्सनल खर्च 25 से 30 हजार रुपए प्रति महीना होगा. अगर आप ने कोई और लोन नहीं लिया है तो आप 20 साल के लिए 9% सालाना ब्याज दर पर होम लोन के रूप में 35-40 लाख रुपए तक पा सकते हैं.

होम लोन के फायदे

निवेश: अगर आप होम लोन ले कर अपना घर खरीदते हैं तो समय के साथ आप के घर की कीमत में इजाफा होता रहता है. यह वास्तव में निवेश का एक अच्छा जरीया भी है.

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इनकम टैक्स में बचत

होम लोन की मासिक किस्त के रूप में चुकाई जाने वाली रकम में मूलधन और ब्याज दोनों ही होता है. अगर आप मूलधन के हिसाब से सोचें तो इनकम टैक्स कानून के सैक्शन 80सी के तहत आप सालभर में 1.5 लाख रुपए के भुगतान पर आयकर में राहत पा सकते हैं.

इस के साथ ही आप ने होम लोन की किस्त में ब्याज के रूप में जो रकम चुकाई है उस के लिए साल में 2 लाख रुपए तक की रकम पर अलग से इनकम टैक्स में छूट मिलती है.

रहने में सुविधा

अगर आप अपना घर लेते हैं तो भविष्य में आप होम लोन शिफ्टिंग के झंझट से मुक्त रह कर अपने काम पर पूरा ध्यान दे सकते हैं.

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