लव या लस्ट, क्या है पहली नजर का प्यार

फिल्म ‘शुद्ध देसी रोमांस’, ‘बेफिक्रे’, ‘ओके जानू’, ‘वजह तुम हो’ आदि फिल्मों को देखने के बाद प्यार के नाम पर परोसा जाने वाला मसाला, लव, इमोशंस, इज्जत से परे केवल ‘लस्ट’ यानी सैक्स या कामुकता के आसपास दिखाया जाता है. युवकयुवती की मुलाकात हुई, थोड़ी बातचीत हुई और बैडरूम तक पहुंच गए. आज की सारी लव स्टोरी फिल्मों से ले कर दैनिक जीवन में भी ऐसी ही कुछ देखने को मिलती है. यह सही है कि फिल्में समाज का आईना हैं और निर्मातानिर्देशक मानते हैं कि आज की जनरेशन इसे ही स्वीकारती है.

आज यूथ के लिए प्यार की परिभाषा बदल चुकी है. प्यार का अर्थ जो आज से कुछ साल पहले तक एहसास हुआ करता था, उसे आज गलत और पुरानी मानसिकता कहा जाता है. ऐसे में सामंजस्य न बनने की स्थिति में ऐसे रिश्ते को तोड़ना आज आसान हो चुका है और यूथ लिव इन रिलेशनशिप को बेहतर मानने लगा है, क्योंकि शादी के बाद अगर कोई समस्या आती है, तो कानूनी तौर पर अलग होना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन यह सही है कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, कुछ अच्छा तो कुछ बुरा अवश्य होता है.

दरअसल, असल जीवन में जब युवकयुवती मिलते हैं तो उन्हें यह समझना मुश्किल होता है कि वे लव में जी रहे हैं या लस्ट में. कभीकभार वे समझते हैं कि लव में जी रहे हैं, जबकि वह लव नहीं, लस्ट होता है. जब तक वे इसे समझ पाते हैं कि उन का रिश्ता किधर जा रहा है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और रिश्ता टूट जाता है.

जानकारों की मानें तो जब आप पहली बार किसी से मिलते हैं तो पहली नजर में प्यार नहीं लस्ट होता है, जो बाद में प्यार का रूप लेता है. फिर एकदूसरे को आप पसंद कर अपने में शामिल कर लेते हैं.

एमएनसी में काम करने वाली मधु बताती है कि पहले मैं राजेश से बहुत प्यार करती थी. हम दोनों एक फैमिली फंक्शन में मिले थे. करीब एक साल बाद उस ने मुझे घर बुलाया और उस दिन हम दोनों ने सारी हदें पार कर दीं. इस तरह जब भी समय मिलता हम मिलते रहते, लेकिन जब मैं ने उस से शादी की बात कही, तो वह यह कह कर टाल गया कि थोड़े दिन में वह अपने मातापिता को बता कर फिर शादी करेगा. जब घर गया तो वहां से उस ने न तो फोन किया और न ही कोई जवाब दिया. जब मुंबई वापस आया तो उस के साथ उस की पत्नी थी.

मैं चौंक गई, वजह पूछी तो बोला कि उस के मातापिता ने जबरदस्ती शादी करवा दी है. मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई. मैं क्या कर सकती थी. उस ने कहा कि वह अब भी मुझ से प्यार करता है और उसे तलाक दे कर मुझ से शादी करेगा, लेकिन आज तक कुछ समाधान नहीं निकला. अब मुझे समझ में आया कि यह उस का लव नहीं लस्ट था, क्योंकि अगर वह असल में प्यार करता तो किसी भी प्रकार के दबाव में शादी नहीं करता.

इस बारे में मैरिज काउंसलर डा. संजय मुखर्जी कहते हैं कि युवकयुवती का रिश्ता तभी तक कायम रहता है जब तक वह एकदूसरे को खुशी दें. प्यार में पैसा जरूरी है जो केवल 10त्न तक ही खुशी दे सकता है, इस से अधिक नहीं. प्यार भी कई प्रकार का होता है, रोमांटिक प्यार जो सब से ऊपर होता है, जिस का उदाहरण रोमियोजूलिएट, हीररांझा, लैलामजनूं आदि की कहानियों में दिखाई पड़ता है. महिलाएं अधिकतर लव को महत्त्व देती हैं जबकि पुरुषों के लिए लव अधिकतर लस्ट ही होता है. तकरीबन 75 से 80त्न महिलाएं लव और लस्ट को इंटरलिंक्ड मानती हैं. महिलाएं मोनोगेमिक नेचर की होती हैं, जबकि पुरुष का नेचर पोल्य्गामिक होता है. एक स्त्री एक साल में एक ही बच्चा पैदा कर सकती है, जबकि पुरुष 100 बच्चों को जन्म दे सकता है. आकर्षण के बाद भी लव हो सकता है और जब आकर्षण होता है, तो उस में शारीरिक आकर्षण अधिक होता है. ये सारी प्रक्रियाएं हमारे मस्तिष्क द्वारा कंट्रोल की जाती हैं.

इस के आगे वे कहते हैं कि सबकुछ हर व्यक्ति में अलगअलग होता है. ऐसा देखा गया है कि शादी के बाद भी कुछ युवतियों में शारीरिक संबंधों को ले कर कुछकुछ गलत धारणाएं होती हैं, जिन्हें ले कर भी वे अपने रिश्ते खराब कर लेती हैं और तलाक ले लेती हैं.

लव मन की भावनाओं के साथ जुड़ता है जिस के साथ लस्ट जुड़ा होता है. लव एक मानसिक जरूरत को दर्शाता है तो दूसरा शारीरिक जरूरत को बयां करता है.

कई बार महिलाएं केवल लस्ट का अनुभव करती हैं, लव का नहीं, जिस से वे रियल प्यार की खोज में विवाहेत्तर संबंध बनाती हैं. किसी एक की कमी आप के रिश्ते को खराब करती है.

लव में सैक्सुअल कंपैटिबिलिटी होना बहुत जरूरी है. रिलेशनशिप में रहना गलत नहीं, लेकिन इस में एक तरह की सोच रखने वाले ही सफल जीवनसाथी बन पाते हैं.

लव और लस्ट के बारे में चर्चा सालों से चली आ रही है. क्या पहली नजर में प्यार होता है या वह लस्ट ही होता है? क्या अच्छा है, लव या लस्ट? हमारे आर्टिस्ट जो इन्हीं विषयों पर धारावाहिक और फिल्में बनाते हैं. आइए जानें इस बारे में उन की अपनी सोच क्या है :

अदा खान : लस्ट पूरा शारीरिक आकर्षण है. प्यार पहली नजर में हो सकता है पर इसे पनपने में समय लगता है. दोनों ही नैचुरल हैं, पर लव की परवरिश करनी पड़ती है. जब आप किसी से प्यार करते हैं तो आप का दिल जोरजोर से धड़कता है, लेकिन मेरे हिसाब से ‘रियल सोलमेट’ के मिलने से आप शांत अनुभव करते हैं. लव और लस्ट में काफी अंतर है. लस्ट आप के सिर के ऊपर से चला जाता है, लेकिन प्यार का नशा हमेशा जारी रहता है. प्यार आप एक बार ही कर सकते हैं, लेकिन लस्ट आप बारबार कहीं भी कर सकते हैं.

अंजना सुखानी : अभिनेत्री अंजना सुखानी कहती हैं कि लव और लस्ट दोनों ही हमारी जरूरत हैं. एक मानसिक तो दूसरा शारीरिक है, लेकिन दोनों में सामंजस्य अवश्य होना चाहिए. प्यार आप को सुरक्षा, सम्मान, खुशी, चाहत आदि सबकुछ देता है, जबकि लस्ट क्षणिक होता है. लस्ट प्यार को अधिक दिन तक आगे नहीं ले जा सकता.

श्रद्धा कपूर : श्रद्धा कपूर बताती हैं कि लव में लस्ट होता है, लेकिन इसे सहेजना पड़ता है. मुझे कोई पहली नजर में अच्छा लग सकता है, पर प्यार हो जाए यह जरूरी नहीं. उस के लिए मुझे सोचना पड़ेगा. मैं परिवार के अलावा हर निर्णय सोचसमझ कर लेती हूं. इतना सही है कि अगर प्यार मिले तो उस में लस्ट अवश्य होगा. इस के लिए सही जांचपरख भी होगी.

पूनम पांडेय : पूनम के अनुसार लव में 60% लस्ट का होना जरूरी होता है. तभी उस का मजा आता है, लेकिन इस के लिए दोनों को ही सही तालमेल बनाए रखना जरूरी है. मैं यह मानती हूं कि पहली नजर में प्यार होता है और उस के बाद लस्ट आता है.

करण वाही : क्रिकेटर से मौडल और ऐक्टर बने करण वाही कहते हैं कि पहली नजर में अगर किसी से प्यार हो जाए तो इस से बढ़ कर और अच्छी बात कोई नहीं है. जब आप किसी से मिलते हैं तो एक अजीब तरह का आकर्षण महसूस करते हैं. हालांकि लव की परिभाषा गहन है, लेकिन यही आकर्षण लव में परिवर्तित हो सकता है. जब आप किसी से प्यार करते हैं, तो उस की हर बात आप को अच्छी लगने लगती है. लस्ट पूरा शारीरिक आकर्षण है. इस में फीलिंग्स की गुंजाइश कम होती है.

ज्योत्स्ना चंदोला : ‘ससुराल सिमर का’ धारावाहिक में नकारात्मक भूमिका निभा कर चर्चित हुई ज्योत्स्ना चंदोला कहती हैं कि लव मेरे लिए लौंग टर्म रिलेशनशिप है, जहां आप किसी से इतना जुड़ जाते हैं कि आप को उस के लिए कुछ भी करना अच्छा लगता है. लस्ट शौर्टटर्म और शारीरिक संबंध है. लव पहली नजर में नहीं हो सकता लेकिन लस्ट पहली नजर में हो जाता है. मैं अभी लव में हूं तो मुझ से बेहतर इसे कोई और समझ नहीं सकता.

कृतिका सेंगर धीर : टीवी अभिनेत्री कृतिका कहती हैं कि लस्ट खोखला इमोशन है, जो थोड़े दिन बाद खत्म हो जाता है, जबकि लव मजबूत, शक्तिशाली और जीवन को बदलने वाला होता है. लव से आप को खुशी मिलती है. इस से सकारात्मक सोच बनती है. मुझे इस का बहुत अच्छा अनुभव है, क्योंकि काम के दौरान मुझे सच्चा प्यार मेरे पति के रूप में निकितिन धीर से मिला.

सुदीपा सिंह : धारावाहिक ‘नागार्जुन’ में मोहिनी की भूिमका निभा रहीं सुदीपा सिंह कहती हैं कि आजकल रिश्तों के माने बदल चुके हैं. ऐसे में सही प्यार का मिलना मुश्किल है, अधिकतर लस्ट ही हावी होता है. लस्ट हर जगह आसानी से मिल जाता है. एक  सही प्यार आप की जिंदगी बदल देता है और लस्ट आप को अधूरा कर सकता है. पहली नजर में प्यार कभी नहीं होता, लेकिन आप को एक एहसास जरूर होता है, जो समय के साथ प्रगाढ़ होता है. मुझे इस का अनुभव है. मैं युवाओं से कहना चाहती हूं कि किसी को भी अगर कोई ‘सोलमेट’ मिले तो उसे संभाल कर रखें.

लव और लस्ट में अंतर

– लव एक प्रकार का आंतरिक एहसास है, जबकि लस्ट प्यार के साथसाथ एक शारीरिक खिंचाव भी है.

–  लव में एकदूसरे के प्रति मानसम्मान, इज्जत, ईमानदारी, विश्वसनीयता, आपसी सामंजस्य अधिक होता है, लेकिन लस्ट में चाहत, पैशन और गहरे इमोशंस होते हैं.

– लव में एक व्यक्ति दूसरे की खुशी को अधिक प्राथमिकता देता है जबकि लस्ट थोड़े समय की खुशी देता है.

– लव कुछ देने में विश्वास रखता है, जिस में व्यक्ति सुरक्षा का अनुभव करता है, जबकि लस्ट में अर्जनशीलता अधिक हावी रहती है, इस से असुरक्षा अधिक होती है.

– लव समय के साथसाथ मजबूत होता है, जबकि लस्ट का प्रभाव धीरेधीरे कम होने लगता है.

–  लव का एहसास सालोंसाल रहता है जबकि लस्ट पूरा हो जाने पर भुलाया भी जा सकता है.

– लव अनकंडीशनल होता है, जबकि लस्ट में व्यक्ति अपनी खुशी देखता है, कई बार लस्ट, लव में भी बदल जाता है पर वह लस्ट के साथसाथ ही चलता है. बाद में उस की अहमियत नहीं रहती.

प्यार का दर्द बड़ा बेदर्द

नैना बहुत देर से अर्पित से बातें करना चाह रही थी मगर अर्पित का फोन बारबार व्यस्त आ रहा था. एक बार फोन लगा तो भी अर्पित ने उठाया नहीं. फिर नैना ने उसे मैसेज किया कि फ्री होने पर कॉल करना मगर 2 दिन बीत गए अर्पित ने कोई जवाब नहीं दिया.

आजकल नैना के साथ ऐसा अक्सर अक्सर होने लगा था. नैना के ज्यादातर मैसेजेस का अर्पित कोई जवाब नहीं देता था. कभी जवाब देता भी तो बहुत संक्षेप में या केवल हां या ना में उत्तर देता. कभी अपनी तरफ से कोई फोन नहीं करता.

ऐसा पहले नहीं था. पहले तो अर्पित हर रोज नैना से एकदो घंटे बात न कर ले तो उसे चैन नहीं पड़ता था. बारबार मैसेज करता था. वह कॉलेज में होती तो दोनों घंटों का समय साथ बिताया करते. मगर धीरेधीरे अर्पित के दिल से नैना का प्यार उतरने लगा.

कॉलेज में एकदो स्मार्ट और खूबसूरत लड़कियां आ गईं थीं और अर्पित का ध्यान उधर ज्यादा रहने लगा था. नैना अब उस के लिए महत्व नहीं रखती थी. मगर नैना अब भी अर्पित के प्यार में डूबी हुई थी. अर्पित बातबात पर उसे झिड़कता पर वह खामोशी से सुन लेती. अर्पित ने कई बार उसे सब के आगे बुराभला कहा. दूसरों के सामने बिना बात उस का मजाक उड़ाता.

मगर नैना का प्यार कम नहीं हुआ. यह बात अलग थी कि जो प्यार पहले उस की जिंदगी को नई उमंगों से भरता था वही प्यार अब दर्द देने लगा था. नैना को बहुत तकलीफ होती थी पर अर्पित के प्रति उस की दीवानगी में कोई अंतर नहीं आया था.

एक दिन नैना की सहेली प्रिया उसे एक कोने में बिठा कर समझाने लगी,” नैना मैं मानती हूं कि प्यार करना अच्छा है. पर याद रखना हमें जीवन में प्यार की जरूरत तो है पर इतनी भी नहीं कि हम अपने सेल्फ रिस्पेक्ट की व्हाट लगा दें. ”

“यह क्या कह रही है तू प्रिया?”

“सच कह रही हूं नैना. तू जरा अपनेआप को ही देख. अर्पित के पीछे अपनी क्या हालत बना ली है तूने. आज से डेढ़दो साल पहले कितनी खुश रहा करती थी तू. क्लास में हमेशा प्रथम आती थी. क्लास की हर एक्टिविटीज में हिस्सा लेती थी. प्राइज जीतती थी. टीचर्स की तारीफें मिलती थीं. जानती है क्यों ?”

“क्यों”

“क्यों कि तेरे अंदर आत्मविश्वास था पर अब तू ऐसी रहती है जैसे तुझे खुद पर कोई भरोसा ही नहीं रह गया है. तेरे अंदर कोई उत्साह कोई उमंग नजर नहीं आती नैना.”

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“पर मैं क्या करूं प्रिया, अर्पित……”

“बस जो यह घूमफिर कर तेरी सुई अर्पित पर जा कर टिकती है न यही सारी समस्याओं की जड़ है. उस के प्यार के पीछे तूने अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट खो दी है. अपने आत्मसम्मान की धज्जियां उड़ा ली हैं. जानती है, आत्मसम्मान से जुड़ा होता है खुद पर विश्वास जो अब तेरे पास नहीं है. इस तरह तुझे कुछ हासिल नहीं होने वाला. अर्पित को तेरी कदर नहीं तो तू क्यों भाव देती है उसे. उस अर्पित को अपनी जिंदगी से निकाल फेंक फिर देख. कैसे तू खुद को दोबारा हासिल करती है.”

प्रिया की बातें नैना को समझ में आने लगीं थीं. घर जा कर भी वह इस बारे में सोचती रही. फिर उस ने अपना फोन उठाया और कांटेक्ट लिस्ट से अर्पित का नंबर डिलीट कर दिया. व्हाट्सएप पर उस की सारी चैटिंग भी डिलीट कर दी. ऐसा कर के उसे अजीब सा सुकून महसूस हुआ और वह मुस्कुरा उठी.

इस बात में कोई शक नहीं कि प्यार जिंदगी का सब से खूबसूरत एहसास है. सिडनी स्मिथ के शब्दों में प्रेम करना और प्रेम पाना इंसान के जीवन का सब से बड़ा सुख है. रविंद्रनाथ टैगोर ने भी सही कहा था कि हमारे दिल में यदि प्रेम जाग्रत न हो तो दुनिया हमारे लिए जेल के समान है. जब कि प्लेटो का मानना था कि प्रेम के स्पर्श से हर व्यक्ति कवि बन जाता है.

वस्तुतः यह एक ऐसा नशा है जो इंसान को पूरी तरह बदल कर रख देता है. यह मखमली अहसास कब दिल के साथसाथ दिमाग पर भी काबिज हो जाए पता ही नहीं चलता. मगर प्यार में सावधान रहना बहुत जरूरी है.

ध्यान रखें;

1. प्यार में कभी सेल्फ रिस्पेक्ट न खोएं

प्यार तभी तक खूबसूरत है जब तक उसे जबरदस्ती का बोझ न उठाना पड़े. प्यार का एहसास दोनों को होना चाहिए. यदि ऐसा नहीं है और सामने वाला आप से पीछा छुड़ाने का प्रयास करने लगे या आप को दूसरों के सामने झिड़कने लगे तो समझ जाइए समय आ गया है जब आप को इस प्यार पर विराम लगाना है.

कुछ लोग इग्नोर किए जाने के बावजूद अपने प्रेमी/प्रेमिका के पीछे पड़े रहते हैं, प्यार की भीख मांगते हैं और दोबारा प्यार पाने की आस नहीं छोड़ते. जब यह आस पूरी तरह टूट जाती है और दूसरों के सामने जी भर कर बेईज्जती हो जाती है तो वे खुद को ही समाप्त करने की सोचने लगते हैं.

पर ध्यान रखें एक इंसान के पीछे अपनी जिंदगी से हाथ धोना बेवकूफी से अधिक कुछ नहीं. प्यार जिंदगी का एक अध्याय हो सकता है पर जिंदगी की पूरी किताब नहीं. बेहतर है उस अध्याय को बंद कर दें यानि दर्द देने वाले चैप्टर को क्लोज कर जीवन में आगे बढ़ जाएं.

2. यह प्यार नहीं आसान

38 साल की कत्थक डांसर नेहा पारिजात जब कॉलेज में थी तो एक लड़का उस के पीछे पड़ा हुआ था. आतेजाते, सोतेजगते हर वक्त उस लड़के के मैसेजेस नेहा को परेशान करते. एक दिन नेहा ने उसे एक रेस्टोरेंट में मिलने के लिए बुलाया.
वह लड़का बहुत तैयार हो कर और हाथों में फूलों का गुलदस्ता ले कर अंदर दाखिल हुआ. नेहा को फूल और चॉकलेट्स देता हुआ बोला,” आई लव यू डार्लिंग.”

“नेहा ने सवाल किया,” मगर क्यों?”

“क्योंकि आप बेहद खूबसूरत हैं.”

“और यदि मैं खूबसूरत न होती तो क्या तुम मुझ से प्यार नहीं करते?”

वह लड़का थोड़ा अचकचाता हुआ बोला,” ऐसा नहीं है.”

“तो कैसा है? यदि मैं कहूं कि मुझे 40 साल की उम्र तक शादी नहीं करनी. अभी मुझे कैरियर बनाना है. तो क्या तुम मेरा इंतजार करोगे और क्या इतने साल किसी और लड़की की तरफ आकर्षित हुए बिना सिर्फ मेरे इंतजार में बैठे रह सकोगे?’

“जी कोशिश करूंगा.”

“कोशिश करोगे ….,” कह कर वह हंसने लगी और बोली,” यदि मैं कहूं कि मैं अपने घर में अकेली कमाने वाली सदस्य हूं और मेरे पापा बीमार हैं. वे बेड पर हैं और अगले कई सालों तक मुझे और मेरे पति को उन की देखभाल करनी होगी. तो भी क्या तुम…. ”

उस लड़के को ऐसे सवालों की अपेक्षा कतई नहीं थी. वह तो टाइमपास लव की जुगाड़ में था ताकि कॉलेज में दूसरे लड़कों के आगे शान से नेहा को अपनी गर्लफ्रेंड कह सके. वह बगले झांकने लगा इधर नेहा को बहुत हंसी आ रही थी.

नेहा ने उसे डपटते हुए कहा,” बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं किसी का होने के लिए. मैं कोई मैगी तो हूं नहीं कि 2 मिनट में तुम्हारी बन जाऊं.”

नेहा के तेवर देख कर वह यकायक उठा और वहां से भाग गया. इस के बाद उस ने कभी भी नेहा को परेशान नहीं किया.

दरअसल प्यार को जितना आसान और टाइमपास फीलिंग समझा जाता है वैसा है नहीं. प्यार करना और उसे निभाना बहुत कठिन है. प्यार की राह पर तो सब बढ़ जाना चाहते हैं. मौजमस्ती, रोमांस, घूमनाफिरना, मजे लेना इसे ही प्यार का नाम देते हैं. पर दरअसल प्यार दिल से दिल को जोड़ता है. एक बार किसी से सच्चा प्यार हो जाए तो इंसान वह कर गुजरता है जो सामान्य लोगों के लिए संभव नहीं है.प्यार इंसान को जुनून और ताकत देता है.

पर ऐसा प्यार आसानी से नहीं होता. बहुत ही कुर्बानियां देनी पड़ती हैं. किसी को खुद से ज्यादा अहमियत देनी पड़ती है. तभी प्यार सच्चे रूप में सामने आता है.

3. आजकल प्यार अंधा कम और गंदा ज्यादा है

पहले कहा जाता था कि प्यार अंधा होता है मगर अब आप कह सकते हैं कि प्यार गंदा होता है. पहले किसी पर दिल आ जाता था तो इंसान यह नहीं सोचता था कि वह खूबसूरत है या नहीं, धनवान है या नहीं, अपनी हैसियत का है या नहीं. प्यार छिपछिप कर होता था और इंसान किसी एक का ही हो कर रह जाता था. मगर आजकल अक्सर प्यार करने से पहले लड़केलड़कियां यह सोचते हैं कि वह अपने काम आ सकता है या नहीं? वह खूबसूरत और स्मार्ट है या नहीं? उस की बॉडी में कितना अट्रैक्शन है? जेब में कितने पैसे हैं और बंगला कितना बड़ा है?

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ऐसे लड़कों की भी कमी नहीं है जो प्यार के नाम पर फंसा कर लड़कियों से जिस्म का व्यापार कराते हैं. लड़कियां भी बहुत भोली हों ऐसा नहीं है. जिस लड़के की पॉकेट में माल है उस के करीब जाने से नहीं हिचकतीं. पल भर में रिश्ते जुड़ते हैं. एक के बाद एक कई लोगों से नजरें मिलती हैं. जिस्मों का मिलन होता है और फिर ब्रेकअप. जैसे प्यार न हुआ कपड़े हो गए. जब चाहे यूज करो और जब चाहे फेंक दो.

ऑरसन वेलैस ने सही कहा था कि अकेले पैदा हुए, अकेले जिए, अकेले ही मर जाएंगे. हम अकेले नहीं, ऐसा भ्रमजाल सिर्फ प्रेम और दोस्ती के माध्यम से रचा जाता है.

4. प्यार जरा सावधानी से परोसना

हाल ही में ( अप्रैल, 2020) बिहार के नालंदा जिले में एक युवती का रेप वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया. शर्म की बात यह है कि रेप करने वाला युवक उक्त लड़की का तथाकथित प्रेमी था. युवक ने अपनी प्रेमिका का रेप किया और उस का वीडियो बनाया. जब कि दूसरे युवक ने दोस्त के मोबाइल से उक्त वीडियो अपने मोबाइल में ट्रांसफर किया और उसे वायरल कर दिया. सोशल मीडिया में वीडियो पहुंचते ही तेजी से फैलने लगी.

प्यार के नाम पर फंसा कर लड़की के करीब आना और फिर अश्लील वीडियो बना कर पैसे कमाने का धंधा आजकल बहुत चल निकला है. आजकल हर किसी के पास मोबाइल फोन है. जिस पर कभी भी कहीं भी आप वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर अपलोड कर सकते हैं. दो पल में ये वीडियो प्यार की खूबसूरती नोच कर इंसान को नंगा कर सकते है. इसलिए आजकल प्यार को बहुत सावधानी से परोसना चाहिए. वरना क्या पता आप की जिंदगी में कोई भूचाल आ जाए. फिर आप भी मिर्ज़ा ग़ालिब के ये शब्द दोहराते रह जाएंगे ,’ इश्क ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया, वरना हम भी आदमी थे काम के.’

5. सच्चा प्यार सभी को पचता नहीं

जिंदगी में सब को सच्चा प्यार हासिल नहीं होता. पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें सच्चा प्यार मिल जाए तो भी वे उस की कदर नहीं करते. उन्हें महसूस ही नहीं होता कि सामने वाला उन्हें सच्चा प्यार कर रहा है. किसी और नकली और आडंबर भरे प्यार की आड़ में वे सच्चे प्यार को खो देते हैं और बाद में जब उन्हें इस का अहसास होता है तो सिवा पछतावे के उन के पास कुछ नहीं बचता.

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