ताकतवर देश अमेरिका कमजोरी महसूस कर रहा है. तभी तो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन खा रहे हैं, जैसा कि उन्होंने खुद बताया. वे इम्यूनिटी बढ़ा रहे हैं ताकि कोरोना उनको चपेट में न ले पाए, अगर ले लिया हो, तो वे ठीक हो जाएं.
ट्रंप के यह बताने पर दुनिया हैरान है खासतौर से अमेरिकी स्वास्थ्य विशेषज्ञ. अमेरिका में कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने में नाकाम महसूस कर रहे ट्रंप को अमेरिकी मैडिकल एक्सपटर्स पर, शायद, यकीन नहीं रहा, तभी वे भारतीय हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का सेवन कर रहे हैं.
मालूम हो कि इस दवा के बारे में उनकी सरकार के विशेषज्ञों का कहना है कि यह कोरोना वायरस के लिए उचित नहीं है. अमेरिकी दवा नियामक संस्था फ़ूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन यानी एफडीए ने साफ़ शब्दों में कह रखा है कि यह दवा लेने से हृदय की गति असामान्य हो सकती है.
डोनाल्ड ट्रंप का कहना था, “मैं रोज़ एक गोली खाता हूं और उसके साथ ज़िंक भी लेता हूं.” जब पूछा गया कि ऐसा क्यों करते हैं तो उनका कहना था, “मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छी है और मैं ने इस बारे में बहुत सी अच्छी कहानियां सुनी हैं.”
अमेरिकी कांग्रेस (संसद) की स्पीकर नेन्सी पेलोसी का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप का कोरोना वायरस से बचाव के लिए यह दवा लेना अच्छा ख़याल नहीं है. उनका कहना था कि वे उनसे कहेंगी कि उन्हें ऐसी दवा नहीं लेनी चाहिए जिसे देश के वैज्ञानिकों ने मंज़ूर न किया हो विशेषकर उनके इस उम्र में और ओवरवेट जिस्म के साथ.
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नोवल कोरोनावायरस को अपने लिए अवसर में तबदील करते ट्रंप ने मेडिकल क्षेत्र में अपना नज़रिया पेश कर दिया है हालांकि वे मानते हैं कि उन्होंने मैडिकल साइंस की एबीसी भी नहीं पढ़ी है.
यही नहीं, अप्रैल माह में ट्रंप ने प्रैसब्रीफ़िंग के दौरान इस बारे में अपना नजरिया यों थोपना चाहा कि लोगों को करोना से बचाने के लिए सैनिटाइज़र के इंजैक्शन लगवाने और स्टरलाइज़र पीने का सुझाव दिया जा सकता है. ट्रंप ने कहा, “मैं देखता हूं कि एक मिनट में सैनिटाइज़र कोरोना का काम तमाम कर देता है. अब अगर इसका इंजैक्शन लगवाया जाए तो अच्छा नतीजा मिल सकता है. ट्रंप के इस बयान पर भी सब हैरान हो गए थे. इस पर उनकी कड़ी आलोचना की गई तो उन्होंने कहा, वे मज़ाक़ कर रहे थे. बहरहाल, दुनियावाले अब उन्हें एक खब्ती टाइप का इंसान मानने लगे हैं.
ट्रंप ने मास्क पहनने के बारे में भी अजीब हरकतें कीं. अमेरिकी सरकार के चिकित्सा अधिकारियों ने सुझाव दिया कि लोग मास्क पहनें क्योंकि यह कोरोना से ख़ुद को बचाने का एक अच्छा जरिया है. मगर ट्रंप और उनके सहयोगियों ने एक बार भी मास्क लगाना ज़रूरी नहीं समझा.
लेकिन, मई महीने में जब ट्रंप के संपर्क में रहने वाले वाइट हाउस के 2 अधिकारी कोरोना से संक्रमित हो गए तो पूरे स्टाफ़ को आदेश दिया गया कि सभी मास्क लगाएं, हालांकि ट्रंप ने ख़ुद को इस नियम से अलग रखा.
ट्रंप इसके अलावा भी कई अवसरों पर साइंटिफ़िक विषयों पर अपने नज़रिए थोपने से पीछे नहीं रहते. उन्होंने एक बार कहा कि विंडमिल्स के शोर से कैंसर होता है. वर्ष 2017 में सूर्यग्रहण के समय ट्रंप ने वैज्ञानिकों की सलाह को नज़रअंदाज़ करते हुए बिना किसी उपकरण का प्रयोग किए सूरज को देखा.
पूरी दुनिया कह रही है कि तापमान बढ़ता जा रहा है, इसे कम करने की ज़रूरत है. मगर ट्रंप जलवायु के अंतर्राष्ट्रीय समझौते से निकल गए.
मालूम हो कि ट्रंप कभी ऐक्सरसाइज़ नहीं करते. उनका कहना है, “मेरे जिन दोस्तों ने भी ऐक्सरसाइज़ की, उन्हें घुटनों के दर्द की शिकायत हो गई.”
बहुत सारे लोग ट्रंप का मज़ाक़ उड़ाते हैं, मगर उनके अंधसमर्थक फिर भी उनका समर्थन करते हैं.
इतना ही नहीं, खब्ती ट्रंप तो यह भी कहते हैं कि उनके अंदर बहुत अच्छे जीन्स मौजूद हैं जिनकी वजह से मैडिकल मामलों में उनकी समझ बहुत अच्छी है.
खब्तीपन का एक नजारा और – मार्च महीने में जब कोरोना की महामारी फैली हुई थी, ट्रंप ने एक प्रयोगशाला का दौरा किया तो कहा, ‘मैं इन बातों को बहुत अच्छी तरह समझता हूं. मुझे प्राकृतिक रूप से यह क्षमता मिली है.’
ऐसे में यह कहने में कोई क्यों चूके कि डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव लड़ने बजाय मैडिकल की लाइन में जाना चाहिए था.
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आश्चर्यजनक तो यह भी है कि ट्रंप के स्पैशल डाक्टर हेराल्ड बोरिंसटीन का कहना है कि डोनाल्ड का स्वास्थ्य बहुत अच्छा है. इससे तो लगता है कि खब्ती का इलाज करतेकरते वे खुद भी खब्ती हो गए हैं.
बहरहाल, हैरानी यह होती है और सवाल भी उठता है कि सुपरपावर कंट्री के जिस राष्ट्रपति के करोड़ों समर्थक हों, सोशल मीडिया पर करोड़ों लोग फ़ौलो करते हों, क्या उसे इस तरह की ग़ैरज़िम्मेदाराना हरक़तें करनी चाहिएं. यह तो ठीक वैसा ही है जैसा कि भारत के कई मंत्री कह चुके हैं, गोमूत्र और गो-गोबर से कोरोना जैसे वायरसों व दूसरी बीमारियों को छूमन्तर किया जा सकता है.