दीपावली की त्यौहार, रौशनी के साथ-साथ खुशिया, साफ़-सफाई, रिश्तेदारों से मिलना आदि सब कुछ लेकर आती है. पिछले साल कोविड 19 की वजह से इस त्यौहार को सभी ने अपने घरों में मनाया और वर्चुअल लिंक के ज़रिये अपने परिवार और दोस्तों के लिए सन्देश भेजे थे,पर इस बार कोविड की वैक्सीन लग जाने से कोरोना संक्रमण में थोड़ी कमी आई है और सभी इस बार दीपावली को मनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है,लेकिन इन खुशियों में अगर किसी को भी किसी प्रकार का दुःख मिले, तो उसे अवॉयड करना बहुत जरुरी है. खासकर पटाखे फोड़ने से पर्यावरण काप्रदुषण तो बढ़ता ही है, जानवर और पक्षी भी परेशान हो जाते है. इसलिए बहुत जरुरी है, खुद की ख़ुशी में दूसरों की ख़ुशी को नज़रअंदाज न करना, ताकि आपके साथ-साथ वे भी खुश रह सके. इस बार छोटे पर्दे की सेलेब्रिटी ने दीपावली की खुशियों को गृहशोभा के लिए खास बांटा है, आइये जाने उनकी खट्टी मीठी बातें, उनकी जुबानी.
सुलगना पाणिग्रही
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धारावाहिक ‘विद्रोही’ में लीड रोल ‘राधामणि जगबंधु महापात्रा’के नाम से अभिनय करने वाली सुलगना पाणिग्रही कहती है कि इस बार मेरी शादी के बाद पहली दिपावली है, इसलिए ये मेरे लिए बहुत खास है,मैं बहुत खुश हूँ, क्योंकि मेरी माँ मेरे घर इस दीपावली पर आने वाली है. हर साल की तरह घर की सफाई, सजावट, कुछ स्वादिष्ट मिठाइयाँ बनाना और दोस्तों के साथ एन्जॉय करने वाली हूँ. मुझे ये त्यौहार बहुत पसंद है, क्योंकि पूरा देश इस दिन लाइट और दिए से जगमगा उठता है. बचपन की दीपावली मेरे लिए बहुत अलग होती थी, उस दिन मैं बहुत सारे पटाखे जलाती थी, जिसमें चक्री, अनार, फुलझड़ी आदि से डर भी लगता था और मज़ा भी खूब आता था. इसके अलावा दीपावली पर सबके घर मिलने जाना, कुछ स्पेशल डिशेज खाना,सभी में बहुत अच्छा लगता था. अब तो मैं बिलकुल भी पटाखे नहीं जलाती. ये सही है कि हमारे देश के सभी त्यौहार बहुत ही अलग और सुंदर है. मुझे याद है कि बचपन में मैं दीपावली पर पहले लाइट लगाने वाले घर को खोजती थी और ये एक अलग उत्साह होती थी. असल में दीपावली खुशियाँ और प्यार बाटने का त्यौहार है, सभी को इसे मिलजुलकर एन्जॉय करना है, लेकिन पटाखे मैं नहीं फोड़ना चाहती, ताकि हमारे साथ रहने वाले पशु परेशान न हो और प्रदूषण न फैले.
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रूपल पटेल
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शगुन फेम रूपल पटेल कहती है कि इस साल भी हर साल की तरह साफ-सफाई, रौशनी से घर को सजाना, अच्छी-अच्छी पकवान बनाना आदि करने वाली हूँ. बचपन की हर दिवाली को मैं मिस करती हूँ, क्योंकि बचपन की दीपावली बेफिक्र की थी,जिसमें कोई महाराष्ट्रियन, कोई गुजराती, पंजाबी सभी तरह के लोगों से मिलना, उनके घर जाकर मिठाई मांगकर हक़ से खाना, खेलना सब बहुत ही अच्छा लगता था. उसे अब मैं बहुत मिस करती हूँ. दिवाली की केवल एक बात मुझे पसंद नहीं है, वह है पटाखे जला कर एयर पोल्यूशन, नॉइज़ पोल्यूशन को फैलाना. ये बच्चे और बुजुर्गो की सेहत के लिए ठीक नहीं होता. इसके अलावा परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए भी सही नहीं होता. इससे बचने की जरुरत है. दीपावली दिए जलाने का सुंदर पर्व है, इसे सबके साथ मिलकर मनाये.
ईशा कंसारा
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‘जिंदगी मेरे घर आना’ धारावाहिक की यंग और लीड अभिनेत्री ईशा कंसारा कहती है कि इस बार मेरे शो की शूटिंग चल रही है. मुझे नहीं लगता है कि इस बार की दीपावली को मनाने के लिए अधिक छुट्टियाँ मिलेगी, लेकिन जितना भी मिले, मैं अहमदाबाद जाकर परिवार के साथ इसे मनाने की कोशिश कर रही हूँ, लेकिन फ्लाइट में टिकट का मिलना भी अब मुश्किल हो रहा है. किसी करणवश अगर मैं नहीं जा सकी, तो मुंबई में अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ दिपावली मनाउंगी. बचपन की दिवाली मेरे लिए हमेशा खास रही है. एक ट्रेडिशन के अनुसार हर साल दीपावली पर मेरे पिता दुकान के कर्मचारी को बोनस देने के साथ-साथ हमें भी बोनस देते थे, जो मैं बहुत अब मिस करती हूँ. मेरे लिए ये बोनस टोकन ऑफ़ लव हुआ करती थी. परिवार के बच्चे और बड़े सभी इसे मनाते थे. मुझे फायर क्रेकर्स एकदम पसंद नहीं. ये खतरनाक होने के साथ-साथ पोल्यूशन भी फैलाते है. पटाखे के अलावा मुझ दिपावली की सबकुछ पसंद है.
परिधि शर्मा
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टैलेंटेड एक्ट्रेस परिधि शर्मा, जो ‘चीकू की मम्मी दूर की’ में मुख्य भूमिका निभा रही है उनका कहना है कि इस बार भी मैं दीपावली अपने परिवार के साथ मनाने वाली हूँ. मुझे मुंबई में रहते हुए 11 साल बीत चुके है और हमेशा मैंने इंदौर में दीपावली मनाई है, पर इस साल मैं मुंबई में इस पर्व को मनाने वाली हूँ. मुंबई की पहली दीपावली होने की वजह से थोड़ी खास है. बचपन की दीपावली की बात करें, तो उस दिन तरह-तरह के व्यंजन बनते थे, जिसमे शकरपारा, चकली, नमकीन पारे आदि बनाने के बाद माँ उन्हें आस-पड़ोस में भेजने के लिए थाली सजाकर मुझे 10 से 15 घरों में दे आने के लिए कहा करती थी. मिठाइयाँ देने के बाद मैं उन लोगों के घर से मिठाइयाँ आने की प्रतीक्षा करती थी और वह बहुत ही प्यारा सा एहसास मेरे लिए है. अब ये सब सीमित हो गए है. कुछ एक घर से ही जुड़ाव रह गया है. मैं उस समय को बहुत मिस करती हूँ. पटाखे के अलावा मुझे सब अच्छा लगता है. पटाखे भी छोटी-छोटी जलाई है,जिसमें तितलियाँ, अनार, फुलझड़ी, चक्री आदि छोटे पटाखे मुझे पसंद है. शोर करने वाले पटाखे बेहूदा लगते है, क्योंकि अब हमारे पशु – पक्षी को भी इस आवाज से डर कर हार्टफेल ओ जाता है. धूल और धुआं से पर्यावरण दूषित हो जाता है. इसके लिए हम सभी को अधिक जागरूक होने की जरुरत है.
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