पेट में दर्द, जलन व सूजन का एहसास, सीने में जलन व उलटी की शिकायत, यह सुनने में भले ही बहुत गंभीर बीमारी न लगे, पर ऐसे लक्षण उस वक्त भी दिखते हैं जब पेट में अल्सर की शिकायत होती है. जीवनशैली और खान-पान में बदलाव का नतीजा है कि आजकल पेट के अल्सर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.
पेप्टिक अल्सर होने की वजह
पेट में म्यूकस की एक चिकनी परत होती है, जो पेट की भीतरी परत को पेप्सिन और हाइड्रोक्लोरिक ऐसिड के तीखेपन से बचाती है. इस ऐसिड की खासीयत यह है कि जहां यह ऐसिड पाचन के लिए जरूरी होता है, वहीं शरीर के ऊतकों के सीधे संपर्क में आने पर उनको नुकसान भी पहुंचाता है. इस ऐसिड और म्यूकस परतों के बीच तालमेल होता है. इस संतुलन के बिगड़ने पर ही अल्सर होता है. अल्सर कुछ दवाओं के निरंतर प्रयोग, जैसे दर्दनिवारक दवाओं के कारण भी हो सकता है.
एच. पायलोरी बैक्टीरिया है प्रमुख कारण
पेप्टिक अल्सर का सबसे प्रमुख कारण एच. पायलोरी बैक्टीरिया है. वर्ष 1980 में एक ऑस्ट्रेलियाई डाक्टर बेरी जे. मार्शल ने एच. पायलोरी (हेलिकोबेक्टर पायलोरी) नामक बैक्टीरिया का पता लगाया था. इस बैक्टीरिया को बिस्मथ के जरीए जड़ से मिटाने में सफल होने की वजह से 2005 का नोबेल पुरस्कार भी उन्हें मिला. उन्होंने माना था कि सिर्फ खानपान और पेट में ऐसिड बनने से पेप्टिक अल्सर नहीं होता, बल्कि उसके लिए एक बैक्टीरिया भी दोषी है. इसका नाम एच. पायलोरी रखा गया. एच. पायलोरी का संक्रमण मल और गंदे पानी से फैलता है. शारीरिक सक्रियता कम होने और रोगप्रतिरोधक तंत्र में होने वाले बदलाव भी इस बैक्टीरिया को बनाने में सहायक होते हैं.
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इसके साथ-साथ ज्यादा तला-भुना, मसालेदार खाना और चाय-कौफी लेना पेट में ऐसिड के स्तर को बढ़ाता है, जिससे अल्सर का खतरा बढ़ जाता है. एच. पायलोरी बैक्टीरिया के संक्रमण से बचने का सबसे आसान तरीका साफ-सफाई का खास ध्यान रखना है.
अल्सर के लक्षण
अल्सर के लक्षणों में ऐसिडिटी होना, पेट फूलना, गैस बनना, बदहजमी, डायरिया, कब्ज, उलटी, आंव, मितली व हिचकी आना प्रमुख हैं.
तला-भुना और मसालेदार खाना पेट में एच. पायलोरी बैक्टीरिया को फलनेफूलने का वातावरण देता है. इस कारण धीरे-धीरे अल्सर की समस्या पैदा हो जाती है.
पेप्टिक अल्सर होने पर सांस लेने में भी दिक्कत होती है. बदहजमी की वजह से कभी-कभी ऐसिड ऊपर की ओर आहार नली में चला जाता है. इससे सीने में तेज जलन और दर्द महसूस होता है और ऐसा लगता है जैसे दिल संबंधी कोई रोग हो गया हो. आवाज भारी हो जाती है और मुंह में छाले पड़ जाते हैं.
गंभीर लक्षण
खून की उलटी हो या घंटों या दिनों पहले खाया भोजन उलटी में निकले अथवा हमेशा मतली जैसी महसूस होती हो, तो यह अल्सर के गंभीर लक्षण हैं. असामान्य रूप से कमजोरी या चक्कर महसूस हो, मल में रक्त आता हो, अचानक तेज दर्द उठे जो दवाई लेने पर भी दूर न होता हो और दर्द पीठ तक पहुंचे, वजन लगातार घटने लगे, तो ये लक्षण गंभीर पेप्टिक अल्सर के संकेत हैं.
क्या न करें
– तंबाकू युक्त पदार्थों से दूर रहें.
– मांसाहार और शराब का सेवन न करें.
– मसालेदार भोजन से बचें.
क्या करें
– पुदीना पेट को ठंडा रखता है. इसे पानी में उबाल कर या मिंट टी के रूप में लिया जा सकता है.
– अजवाइन पेट को हलका रखती है और दर्द से भी राहत दिलाती है.
– बेलाडोना मरोड़ और ऐंठन से राहत दिलाता है.
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– स्टोमाफिट लिक्विड और टैबलेट का सेवन पेट को फिट रखने के लिए लाभकारी है. इस में मौजूद बिस्मथ पेट के विकार को बढ़ने से रोकने के साथसाथ पाचनक्रिया को भी दुरुस्त रखता है. डाक्टर की सलाह से इस का सेवन किया जा सकता है.