रेटिंगः साढ़े तीन स्टार
निर्माताः अप्लॉज एंटरटेनमेंट और बानीजे एशिया प्रोडक्शन
निर्देशकः आशीष आर शुक्ल
लेखकः अमेय सारदा , अनाहता मेनन , दीपक सेगल और सुमीत बिश्नोई
कलाकारः हर्ष छाया , दिब्येंदु भट्टाचार्य , सूर्य शर्मा , आंचल सिंह , अपेक्षा पोरवाल , अंकुर राठी , नंदीश सिंह संधू और मेयांग चांग व अन्य.
अवधिः लगभग छह घंटेः 34 से 40 मिनट के दस एपीसोड
ओटीटी प्लेटफार्मः सोनी लिव
सोनी लिव पर 2020 में अपराध कथा वाली वेब सीरीज ‘‘अनदेखी’’ स्ट्रीम हुई थी,जिसे काफी पसंद किया गया था. अब दो वर्ष बाद ‘अनदेखी’ का सीजन दो 4 मार्च से ‘सोनी लिव’ पर ही स्ट्रीम हो रही है. जिसका मुकाबला अजय देवगन अभिनीत वेब सीरीज ‘‘रूद्राः द एज आफ डार्कनेस’’ से हैं,जो कि 4 मार्च से ही हॉटस्टार डिज्नी पर स्ट्रीम हो रही है. मगर नामी कलाकारों को देखने की बजाय कहानी देखने व सुनने में रूचि रखने वालों को ‘‘अनदेखी सीजन दो’’ ही पसंद आएगी. इतना ही नही ‘सत्यकथा’ और ‘मनोहर कहानियां’ के पाठकों को ‘‘अनदेखी सीजन दो’’ काफी पसंद आएगा.
कहानीः
‘‘अनदेखी सीजन दो’’ की कहानी वहीं से शुरू होती है,जहां पहले सीजन की कहानी खत्म हुई थी. अब हर किरदार के लिए अपने सामने हत्याएं देखना न सिर्फ आम बात है बल्कि वह इसका हिस्सा बन चुके हैं. अब तो हर किरदार अपने मकसद के लिए हत्या करने व दूसरों को बरबाद करने पर आमादा है. हर किरदार ‘मैं’ तक ही सीमित है. पर पात्र जो चाहते हैं,वह उनके हाथ में आते आते फिसल जाता है.
ऋषि मर चुका है और रिंकू (सूर्य शर्मा ) किसी भी कीमत पर कोयल (आपेक्षा पोरवाल ) और ऋषि के दोस्तों सलोनी(ऐनी जोया ) व शाश्वत( ) को ढूंढना चाहता है. जबकि कलकत्ता का डीएसपी घोष (दिब्येंदु भट्टाचार्य ),कोयल को गिरफ्तार कर अपने साथ ले जाना चाहता है. उधर दमन) अटवाल(अंकुर राठी ) के आपराधिक परिवार के कांड जानने के बाद शादी तोड़ने वाली तेजी( आंचल सिंह) अब उसी परिवार व उसी व्यापार से जुड़कर अटवाल परिवार के मुखिया पापाजी(हर्ष छाया) की जड़ काटने पर आमादा है.
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नाटकीय घटनाक्रम में बुरी तरह से घायल कोयल एक बौद्ध बिक्षु अभय( मियांग चेंग ) के हाथ लग जाती है,जो कि अपने साथ सुरक्षित जगह ले जाकर उसका इलाज करता है. जबकि कोयल का पता न लग पाने पर डीएसपी घोष को वापस बंगाल बुला लिया जाता है. लेकिन कोयल अभी भी रिंकू और पापाजी से बदला लेना चाहती है. तो वहीं शाश्वत व सोनाली किसी तरह सुरक्षित चंडीगढ़ पहुॅचना चाहते हैं,मगर ऐसा हो नही पाता. तो वहीं अटवाल परिवार के अंदर और बाहर बहुत कुछ घटता है. बीच में कुछ एपीसोडो में कहानी बदला लेने व हत्या के सबूत मिटाने से हटकर ड्ग सिंडिकेट के इर्द गिर्द ही घूमती है. अटवाल परिवार को बर्बाद कर समर्थ (नंदीश संधू) का विश्वास जीतकर खुद गैर कानूनी दवाओं के व्यापार व अपराध जगत की हस्ती बनने के लिए तेजी अपने ही दोस्तो शाश्वत और सलानी को रिंकू के हाथ सौंप देती है. इसी बीच पुनः डीएसपी घोष मनाली पहुंचकर कोयल को अपने साथ जिंदा ले जाना चाहते हैं,मगर ऐसा हो नही पाता. जबकि कोयल व अभय अपनी तरफ से अटवाल परिवार के खिलाफ काम कर रहे हैं,लेकिन अभय व कोयल दोनों के मकसद अलग अलग हैं. कहानी कई मोड़ो, उतार चढ़ाव,खून खराबे के साथ आगे बढ़ती रहती है और कई किरदार खत्म हो जाते हैं. मगर तीसरे सीजन का संकेत देते हुए दसवां एपीसोड खत्म होता है.
लेखन व निर्देशनः
‘अनदेखी’ का दूसरा सीजन पहले वाले के मुकाबले ज्यादा डार्क है. यह सीजन काफी तेज गति से भागता है. पर कई जगह लॉजिक की बजाय इत्तफाक ही नजर आता है. मसलन- समर्थ के अति सुरक्षा युुक्त गैर कानूनी दवा के गोदाम में शाश्वत बड़े आराम से घुसकर आफिस में समर्थ के लैपटैप में अपने फोन से कुछ फाइल ट्रांसफर कर बड़े आराम से वापस आ जाता है. कहने का अर्थ यह कि लेखन और एडीटिंग कमजोर है. यहां तक कि अभय के किरदार को भी ठीक से विकसित नही किया गया. इतना ही नही इस बार उभ्एसपी घोष का किरदार निभाने वाले प्रतिभाशाली कलाकार दिब्येंदु भट्टाचार्य का कम इस्तेमाल किया जना दर्शकों को अखरता है.
इस सीरीज में तमाम दृश्य ऐसे है,जिन्हें दर्शक कई फिल्मों में देख चुका है. मगर निर्देशक आशीष आर शुक्ला ने खुद को भारतीय परिवेश की अपराध कथाओं को पश्चिम का अनुसरण कर ढालने की नई परंपरा से बचाए रखा. इतना ही नही इस सीरीज की दूसरी खास बात इसकी लोकेशन है. सुरम्य मानाली यानी कि हिमाचल की गहराई और घुमावदार पहाड़ियों का खूबसूरती से कहानी में उपयोग किया गया है.
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अभिनयः
पहले सीजन की भंाति इस सीजन में भी पापाजी के किरदार में हर्ष छाया अपनी पूरी लय में हैं. रिंकू के किरदार में सूर्य शर्मा ने नायक और खलनायक दोनों ही रूप में बौलीवुड के फिल्मकारों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. विशाल व्यक्तित्व और मौत का तांडव विखेरने वाले रिंकू के किरदार में सूर्य शर्मा एकदम फिट नजर आते हैं.
परिवार के अंदर दरकिनार किए जाने के बाद अपराध जगत में जोड़ तोड़ की मास्टर माइंड बन जाने वाली तेजी के किरदार में आंचल सिंह ने कमाल का अभिनय किया है. इस सीरीज से पहले वह एक सीरियल कर चुकी हैं,मगर ‘अनदेखी सीजन दो’ से आंचल सिंह ने साबित कर दिखाया कि उनके अंदर एक सफल अभिनेत्री बनने की प्रतिभा है. दमन के किरदार में अंकुर राठी को बड़ा मौका मिला,मगर वह कमजोर नजर आते हैं. उन्हे अपने अंदर की प्रतिभा को उजागर करने का अवसर नही मिला. लकी के किरदार में वरूण भाट और मुस्कान के किरदार में शिवांगी सिंह अपनी छाप छोड़ती हैं.
अभय के किरदार में मेयांग चांग अपनी छाप छोड़ जाते हैं,जबकि उनके किरदार को ठीक से लिखा नही गया. समर्थ के किरदार में नंदीश संधू का अभिनय शानदार है.