‘नहीं, मैं प्रैगनैंट नहीं हो सकती,’ यह एक ऐसा वाक्य है, जो उन युवतियों के मुंह से अचानक निकल जाता है जो अनचाहे गर्भ की शिकार होती हैं. सही तौर पर चला आ रहा पीरियड साइकिल अगर 2-3 दिन के लिए भी डगमगा जाए तो युवतियों के मन में तब तक बेफिक्री बनी रहती है जब तक उन का शरीर ठहर चुके गर्भ को ले कर उन्हें तरहतरह के संकेत देना शुरू नहीं करता. जैसे:
भूख न लगना या खाना देखते ही मितली आना.
कुछ खाते ही उलटी कर देना.
खाने की वस्तुओं से बदबू आने का एहसास होना.
नींद के झोंके आना आदि.
दरसअसल, मासिकधर्म कैलेंडर की तारीख के साथ बहुत कम चलता है, इसलिए बहुत सी महिलाएं अचानक अपनेआप को अनचाहे गर्भ की चपेट में पाती हैं. इस प्रकार का अनचाहा गर्भ अनेक महिलाओं को परेशान कर देता है. फिर अनचाहे गर्भ के ठहरने की टैंशन का बुखार शुरू हो जाता है.
कैसी परिस्थितियां गर्भ को अनचाहा बनाती हैं:
विवाह के 2-3 महीनों के बाद या साल भर के अंदर गर्भ का ठहर जाना कई दंपतियों के लिए अनियोजित गर्भ होता है.
पहला बच्चा 1 साल का या उस से भी छोटा होने पर जब दंपती बच्चा नहीं चाहते.
2 बच्चे पहले ही हैं, तीसरा चाहते ही नहीं तो गर्भ का ठहर जाना अनचाहे गर्भ की शक्ल ले लेता है.
35+ या 40+ की उम्र के पास पहुंचने पर ओव्यूलेशन के अनियमित होने पर गर्भ का ठहर जाना.
थायराइड, डायबिटीज, कैंसर या एनीमिया होने पर डाक्टरी सलाह के विरुद्ध गर्भ ठहरना.
पतिपत्नी दोनों का नौकरीपेशा होना और कैरियर के बीच में बच्चा न चाहना.
बच्चे को अफोर्ड नहीं कर सकने की परेशानी होना. मानसिक, शारीरिक व आर्थिक असमर्थता होना.
अविवाहित होने या विवाहेतर संबंधों के कारण गर्भ ठहरना.
डा. विशाखा मुंजाल के अनुसार, किन्हीं भी कारणों से बच्चा न चाहने वाली महिलाओं के लिए प्रैगनैंसी एक नागवार विषय है. आजकल के युवा दंपतियों को तो वैसे भी अनियोजित गर्भ बोझ इसलिए लगता है, क्योंकि वे मातापिता बनने के लिए अपनेआप को भावनात्मक व आर्थिक रूप से तैयार नहीं समझते हैं. कैरियर को प्राथमिकता देते व लाइफस्टाइल के गठजोड़ों में उलझे ऐसे दंपती बच्चे को पैदा करने की बात को अपनी महत्त्वपूर्ण कार्यों की सूची में सब से आखिर में रखते हैं. लेकिन गर्भ के ठहर जाने पर गर्भ को रखने या न रखने का निर्णय उन के लिए सब से कष्टपूर्ण होता है. जिस व्यक्ति को प्यार करो, उस का बच्चा न रख पाने का निर्णय जीवन का सब से कठिन निर्णय होता है.
प्रश्न यह उठता है कि अनियोजित गर्भ क्यों ठहरते हैं? इन के प्रति कैसी प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है और इन से कैसे निबटा जाए?
आप सैक्स को ले कर सक्रिय महिला हैं. आप और आप का साथी दोनों बर्थ कंट्रोल के किसी तरीके को अपनाते रहे हैं. इस के बावजूद भी गर्भ ठहर जाता है तो वह समस्या को जटिल रूप दे देता है. आकस्मिक गर्भ विवाहिताओं व अविवाहिताओं को 2 ही कारणों से ठहरता है या तो उन की गर्भनिरोधक प्रक्रिया असफल हो जाती है या वे गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल के मामले में लापरवाह हो जाती हैं. वास्तव में विवाहित महिलाओं में लापरवाही अधिक देखी जाती है. वे सावधानियां बरतती भी हैं और नहीं भी. कहींकहीं पत्नियां पति को इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराती हैं. 10 महिलाओं से घुमाफिरा कर बात करने पर पता चला कि उन में से 4 महिलाएं अनियोजित गर्भ का शिकार हो गर्भपात करा चुकी हैं. महिलाओं से बात करने पर यह बात सामने आई कि बर्थ कंट्रोल को लास्ट मूवमैंट भूल जाना इन महिलाओं की आम समस्या है. कई पतिपत्नी के बीच दूसरे या तीसरे बच्चे को जन्म देने को ले कर मतभेद पाया जाता है. ऐसी परिस्थितियों में एक बर्थ कंट्रोल को भूल जाने का रास्ता अपनाता है.
स्त्रीरोग विशेषज्ञों के अनुसार, स्त्री का गर्भधारण करना कई बार कलह का कारण बनता है और रिश्ते की सारी खुशियों को समाप्त कर देता है. अनचाहे गर्भ से जुड़ी बहस संबंधों को भी नष्ट कर देती है. कुंआरी और शादीशुदा स्त्री के गर्भधारण से जुड़े भय चाहे अलगअलग तरह के हों पर गर्भपात से जुड़े भय एक ही से होते हैं. अनियोजित गर्भ हमेशा कड़वा पक्ष दर्शाता है. अविवाहित युवतियों को अनचाहा गर्भ पराजित महसूस कराता है व अपने शारीरिक संबंधों के जरीए हुई अपनी हार उन्हें निश्चित रूप से दहला देती है, क्योंकि गर्भधारण देह को दिए गए दंड जैसा लगता है. इस स्थिति में युवती को लगता है कि वह स्वयं को धोखा दे बैठी है. विवाहित दंपतियों के बीच पति को क्रोध आता है व पत्नी को ग्लानि होती है.
अनियोजित गर्भ से ऐसे निबटें
अनियोजित गर्भ की समस्या की जड़ में जाने का प्रयास करें.
क्सुअली ऐक्टिव हैं तो इस दुर्घटना के लिए हमेशा तैयार रहें, भले आप गर्भनिरोधक करती इस्तेमाल हों.
अपने पारिवारिक, दांपत्य व परिवेश से जुड़े तथ्यों पर विशेषतौर से गौर करें.
आप को अपने परिवार, मित्रों व परिस्थितियों से अनेक प्रकार के दबावों का सामना करना पडे़गा. इस के लिए तैयार रहें.
आप को लगता है कि आप को काउंसलिंग की जरूरत है तो काउंसलर के पास जाने से हिचकिचाएं नहीं.
गर्भ रखना है या गर्भपात कराना है, यह निर्णय शीघ्र करें.
बच्चा गोद देना चाहती हैं तो इस विषय पर भी सोचें और इस प्रक्रिया से जुड़ी जटिलता पर गौर करना न भूलें.
अपनी शारीरिक और भावनात्मक क्षमता आंकें.
बच्चा नहीं चाहिए हो तो 6 से 12 हफ्तों के भीतर ही गर्भपात करा लें.