आगामी नवम्बर माह में होने जा रहे अमरीकी राष्ट्रपति पद के चुनावों में डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति उम्मीदवार जो बिडेन ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारतीय मूल की कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चुना है. 11 अगस्त 2020 को बिडेन ने ट्वीट किया, ‘मेरे लिए यह घोषणा करना बहुत सम्मान की बात है कि मैने कमला हैरिस को चुना है. वह एक निडर फाइटर, देश की बेहतरीन जनसेवक हैं.’ अगर चुनावों में 78 साल के बिडेन की जीत होती है तो वे सबसे ज्यादा उम्र के राष्ट्रपति होंगे, जबकि हैरिस की उम्र अभी महज 55 साल है. हैरिस वर्तमान में सीनेट की सदस्य हैं. वे कैलिफोर्निया की अटार्नी जनरल रह चुकी हैं. अमेरिका के इतिहास में अभी तक केवल दो बार कोई महिला उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनी हैं. 1984 में डेमोक्रेट गेराल्डिन फेरारो और 2008 में रिपब्लिकन सारा पाॅलिन को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया गया था. लेकिन दुर्भाग्य से दोनो में से कोई भी उपराष्ट्रपति नहीं बन पायीं.
पहली अश्वेत उम्मीदवार
तेजतर्रार अटार्नी जनरल के रूप में पहचान बनाने वाली कमला हैरिस अमेरिका में उपराष्ट्रपति पद की पहली अश्वेत उम्मीदवार हैं. उनकी मां का रिश्ता भारत के तमिलनाडु प्रांत से है, करीब 50 साल पहले वह अमरीका में पढ़ाई करने गई थीं, वहीं उन्होंने जमैका के रिचर्ड हैरिस से शादी की. उन दोनो की पहली संतान कमला देवी हैरिस का जन्म 1964 आॅकलैंड कैलिफोर्निया में हुआ. कमला को राजनीति और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के संघर्ष की घुटी मां की गोद में मिली है. श्यामला अल्पसंख्यकों के अधिकार की लड़ाई में अग्रिम पंक्ति भूमिका निभा चुकी हैं. आगामी सात अक्टूबर 2020 को जब उनकी रिपब्लिकन पार्टी के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार माइक पेंस से डिबेट होगी, तब लोगों को विश्वास है कि कमला हैरिस अपने सर्वश्रेष्ठ इंटलेक्चुअल ग्रुप मंे होंगी. क्योंकि मां की तरह वह भी अल्पसंख्यकों के अधिकारों की मुखर प्रवक्ता हैं. गौरतलब है कि यह बहुप्रतीक्षित भिड़ंत ऊटा के साल्ट लेक सिटी में होनी है.
कमला हैरिस की पृष्ठभूमि
जैसा कि हमने ऊपर बताया है, कमला हैरिस की अमेरिका में पहचान एक भारतीय-अमेरिकन के रूप में है. उनकी मां श्यामला गोपालन कैंसर रिसर्चर थीं. कमला हैरिस के नाना पीवी गोपालन एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे. आजादी के बाद में वे एक सिविल सर्वेंट बने थे. जबकि कमला के पिता डोनाल्ड हैरिस जमैका के हैं. कमला हैरिस ने कहा कि जो बिडेन अमेरिकी लोगों को एकजुट कर सकते हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी हमारे लिए लड़ने में बिताई है. राष्ट्रपति के तौरपर वह ऐसा अमेरिका बनाएंगे जो हमारे आदर्शों के अनुरूप होगा. गौरतलब है कि कुछ महीने पहले कमला हैरिस ने डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति चुनाव के लिए दावेदारी पेश की थी. लेकिन प्राइमरी चुनावों में उन्हें जो बिडेन और बर्नी सैंडर्स के आगे करारी हार मिली थी. तब उन्होंने जो बिडेन पर नस्लवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगाया था. फिर वो बहुत पीछे रह गईं.
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क्या भारतीय वोट खींच पायेंगी कमला?
वास्तव में जो बिडेन और कमला के बीच कोई बहुत अच्छे रिश्ते नहीं है, फिर भी अगर कमला को जो बिडेन ने उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना रनिंग मेट बनाया है, तो उसके पीछे सिर्फ यह उम्मीद है कि कमला हैरिस अमरीका में महत्वपूर्ण बन चुके भारतीय मूल के वोटरों का वोट खींच पाएंगी. दरसअल इस उम्मीद का आधार यह है कि कमला हैरिस की मां भारतीय और पिता जमैका के होने के चलते उनकी दोनों कम्युनिटी में अच्छी पकड़ है. साथ ही दोनो ही कम्युनिटी के लोगों की उनके साथ सहानुभूमि है. चूंकि इन दिनों जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद अमरीका में श्वेत बनाम अश्वेत का मुद्दा काफी गरमाया हुआ है, इसलिए माना जा रहा है कि कमला हैरिस की अपील दोनो ही समुदायों में असरकारी होगी. मालूम हो कि कुछ दिनों पहले कमला ने अमरीकी मीडिया में एक लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने खुद के अश्वेत होने पर गर्व जताया था. कमला ने इसके साथ ही अपने लेख में भारतीय संस्कृति की भी तारीफ की थी. उन्होंने सोशल मीडिया में मसाला डोसा बनाते हुए एक वीडियो भी पोस्ट किया था.
ट्रम्प की बिन मांगी राय
अमरीका के मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने गैर जरूरी हस्तक्षेपों के लिए जाने जाते हैं. अब उन्होंने डेमोक्रेट पार्टी द्वारा उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में कमला हैरिस के चुने जाने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है कि इससे वो हैरान हैं. ट्रंप का कहना है कि हैरिस से ज्यादा मेरे भारतीय समर्थक वोट हैं. लेकिन ट्रंप कुछ भी कहें कमला हैरिस की पहचान भारतीय अमेरिकी और अफ्रीकी अमेरिकी दोनों के तौरपर है. वह अच्छी वक्ता और स्कूलिंग के साथ ही रिसर्चर के तौरपर भी महत्वपूर्ण मानी जाती हैं. इसलिए ही बहुत सोच समझकर पांच दूसरे उम्मीदवारों के बीच में जो बिडेन ने उन्हें अपना रनिंग मेट चुना है. हालांकि इसके पीछे कोई बड़ी सैद्धांतिक बात नहीं है. वास्तव में इसके पीछे वही मंशा है, जो मंशा भारत में किसी जाति विशेष के उम्मीदवार को लोकसभा या विधानसभा का चुनाव जीतने के लिए टिकट दी जाती है.
बस फर्क ये है कि भारत में जहां जाति का हिसाब किताब लगाया जाता है, वहीं अमरीका में समुदाय का हिसाब लगाया गया है. माना जा रहा है और इसे जो बिडेन ने सार्वजनिक तौरपर कहा भी है कि कमला जितनी भारतीय मूल की हैं, उतनी ही अफ्रीकी मूल की भी हैं. इसलिए उन्हें दोनो ही समुदाय के लोग प्यार करते हैं और उन पर भरोसा करते हैं. सवाल है जो बिडेन के इस घोषणा का आशय क्या है? वही कि अमरीका में ताकतवर भारतीय समुदाय उन्हें वोट दे. हाल के सालों में भारतीय मूल के लोगों को अमरीका की दोनो राजनीतिक पार्टियां महत्व दे रही हैं. क्योंकि भारतीय समुदाय आंशिक तौरपर किंगमेकर बन चुका है, सिर्फ अपने वोटों की बदौलत ही नहीं दिये जाने वाले चंदे की बदौलत भी उसने वजन हासिल किया है. एक अनुमान के मुताबिक इन चुनाव में भारतीय समुदाय 30 मिलियन डालर तक का चंदा दे सकता है. यही वजह है कि आज भारतीयों के अमरीका के राजनीति अच्छी खासी महत्ता बन चुकी है.