एक कहावत है कि आज की बचत, कल का सहारा, लेकिन हर मामले में यह सच नहीं है. जाने अनजाने कुछ बचतें हम ऐसी कर जाते हैं, जो बाद में हमें नुकसान ही पहुंचाती हैं.
सस्ती चीजें खरीदना
बहुत-से लोग सस्ती चीज़ें सिर्फ इसलिए खरीदते हैं कि इससे पैसे की बचत होती है, पर क्या असल में ऐसा होता है. बतौर उदाहरण, चाइनीज सामान बेशक काफी सस्ते होते हैं, लेकिन वे कितने टिकाऊ होते हैं, यह बताने की जरूरत नहीं. कम कीमत का कोई चाइनीज फोन खरीदकर आप उस वक्त तो पैसे बचा लेते हैं, लेकिन जब 2-3 महीने में ही फोन खराब हो जाता है तब समझ आता है कि वह फोन तो महंगा पड़ गया. या उस सस्ते फोन के फीचर्स ही ठीक से काम न करें तो ऐसी बचत किस काम की. इसी तरह कोई सस्ती बीमा पॉलिसी जैसे हेल्थ इंशूरंस लेकर जरूरत के वक्त हमें अतिरिक्त खर्च करना पड़े तो वह पॉलिसी महंगी ही कही जाएगी.
थोक में सामान खरीदना
कुछ लोग थोक में चीजें खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं. इसकी वजह वह डिस्काउंट है, जो थोक में चीजें खरीदने पर मिलता है. थोक में चीजें लेना बुरी बात नहीं है, लेकिन यह रणनीति हमारे लिए तब फायदेमंद हो सकती है जब हमारी फैमिली बड़ी हो और उन तमाम चीजों का हम समय रहते इस्तेमाल कर सकें. जैसे फल-सब्जियों की अपनी लाइफ होती है या ब्यूटी प्रॉडक्ट्स की एक्सपायरी डेट होती हैं. ऐसी चीजों का समय पर यूज न किया जाए, तो सस्ते में भी उन्हें खरीदने का कोई फायदा नहीं. कुल मिलाकर हम घाटे में रहते हैं.