इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय आमतौर पर टैक्स पेयर्स के कुछ गलतियां हो जाती हैं, इन छोटी गलतियों के कारण इनकम टैक्सपेयर को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कई बार इन गलतियों के कारण डिपार्टमेंट की ओर से इनकम टैक्स रिटर्न को रद्द भी कर दिया जाता है. हमें उन छोटी छोटी गलतियों के प्रति सचेत हो जाना चाहिए..
1. सही फार्म का करें चयन
लोग कई बार गलत फॉर्म का चयन कर लेते हैं. आईटीआर के कुल सात फॉर्म होते हैं. इसमें से उस फॉर्म का चयन करें जो आपकी आय के स्रोत का विवरण देने के अनुरूप हो. नौकरीपेशा लोगों के लिए आईटीआर1 और आईटीआर2 दोनों फॉर्म्स का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन आईटीआर1 केवल एक ही हाउस प्रॉपर्टी से आय के स्रोत को मानती है, जबकि आईटीआर2 एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी से आय को शामिल करती है.
2. निजी जानकारी में न हो कोई चूक
कई बार इनकम टैक्स फाइल करते समय टैक्सपेयर से अपनी निजी जानकारी भरने में गलती हो जाती है. लोग अक्सर पैन कार्ड का नंबर, स्थायी पता और बैंक जानकारी गलत दे देते हैं. रिटर्न फाइल करने से पहले जरूर जांच लें. अपना नाम, डेट ऑफ बर्थ आदि सभी जानकारियां ठीक प्रकार से भरी हैं कि नहीं. टैक्सपेयर कई बार गलती से गलत आईएफएससी कोड (IFSC) या बैंक एकाउंट नंबर डाल देते हैं. इससे रिफंड प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है क्योंकि रिफंड की राशि इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सिस्टम के माध्यम से की जाती है.
3. सभी स्रोत से होनी वाली आय का दें विवरण
नौकरीपेशा लोगों के लिए फॉर्म 16 जरूरी होता है. एक बात ध्यान में रखनी चाहिए कि ब्याज या कैपिटल गेन से होने वाली आय का विवरण फॉर्म 16 में नहीं होता, लेकिन फिर भी इसको स्पष्ट करना जरूरी है.